100 Ways to Motivate Yourself Book Summary
कुछ लोगों का यह मानना है कि मोटिवेशन बेकार चीज होती है. और कुछ दिनों के बाद मोटिवेशन चला जाता है. लेकिन अगर आप किसी गोल का पीछा करते हैं तो जितना ज्यादा आपका मोटिवेशन होगा उसे पाने में उतनी कम आपकी मेहनत लगेगी. कहते हैं एक आईडिया आपकी जिंदगी को बदल सकता है. और स्टीव शेनडलर खुद को मोटिवेट करने के 100 आईडियाज़ बताते हैं. इस किताब में आप जानेंगे कि कैसे इनकी वजह से आप की जिंदगी बिल्कुल आसान हो जाती है. और आपसफलता की सीढ़ियां चढ़ने लगते हैं. सभी लोगों केपास यह किताब लाइफ की हैंडबुक की तरह होनी चाहिए जिससे लाइफ में कोई मुश्किल महसूस होने पर आप इस किताब कुछ पन्ने पलट कर खुद को मोटिवेट कर लें. इस किताब के मोटिवेशनल आइडियाजइस तरह से हैं –
इस बुक को ख़रीदे (Buy this Book)- PRINT | KINDLE | VIDEOS
1. डेथ बेड एक्सरसाइज
इस आइडिया के मुताबिक लोग यह सोचते हैं कि वह हमेशा के लिए धरती पर रहने आए हैं. लेकिन आपको यह रिलाइज करना चाहिए कि एक दिन आएगा और आप इस धरती पर नहीं रहेंगे. और जब आपको यह एहसास हो जाएगा तो आप देखेंगे कि नॉन इंपॉर्टेट चीजों में आप कितना टाइम वेस्ट कर देते हैं. और फिर जब आप इस बारे में विचार करेंगे कि आपके ना रहने पर ऐसी कौन-कौन सी इच्छाएं और आशाएं बाकी रह गई हैं जिन्हें आप अपनी जिंदगी में पूरा करना चाहते थे,तब आपको इस लाइफ की वैल्यू पता चलेगी.
और आप समझ जाएंगे कि जैसेक्रिकेट वगैरह दूसरे गेम खत्म होते हैं उसी तरह लाइफ का गेम भी एक दिन खत्म हो जाता है . और जो कुछ भी करना है वह खेल खत्म होने से पहले ही कर लेना है.
-
स्टे हंगरी एक्सरसाइज
मशहूरहॉलीवुड ऐक्टरअर्नोल्ड श्वार्ज़नेगर ने जब बॉडी बिल्डिंग से निकल कर फिल्मों में काम करना शुरू किया. तो ज्यादा तर लोग उन्हेंनहीं पहचानते थे. और उनकी पहली फिल्म भी फेल हो गई थी. इसके बाद उन्होंने अपने इंटरव्यू में पूरे यकीन के साथ कहा कि एक दिन वह हॉलीवुड के सबसे पावरफुल एक्टर बनेंगे. और फिर यह पूछे जाने पर कि वह ऐसा कैसे करेंगे? तो उन्होंने जवाब दिया कि वह अपने लिए एक बेस्ट ऐक्टर का विजन क्रिएट करेंगे. और उस विजन को ऐसे जिएंगे जैसे कि वह सच हो गया था. उन्होंने बताया कि वह पहले भी बॉडी बिल्डिंगमें इस तरीके को कामयाबी के साथ आजमा चुके थे. उनका लोगों से यही कहना था कि आप अपने मन मुताबिक विजन के मिलने का इंतजार मत कीजिए बल्कि खुद अपने विजन को क्रिएट कीजिए.
-
टेल योर सेल्फ ए टू लाई
इसके मुताबिक आपको अपनी लाइफ के बारे में शानदार झूठ लिखने के लिए कहा जाता है. अगर आपने कोई ऐसा सपना देखा है, या आप की कोई ऐसी इच्छा है जिसके बारे में आप का मानना है कि उसको आपकी जिंदगीमें पूरा नहीं किया जा सकता है. तो फिर उसके बारे में ऐसा दिखावा करके लिखिए कि वह काम हो गया है.
और उसे पूरा करने के लिए अपने ब्रेन को तैयार कीजिए और फिर जब आप उस काम को करेंगे तो वह सच में हो जाएगा. वैसे तो इच्छाओं का कोई अंत नहीं है. लेकिन आप एक बार में अपनी सबसे बड़ी इच्छा के बारे में लिखिए और उसे पूरा कीजिए. उसके बाद दूसरे के लिए कोशिश कीजिए. वरना कहीं ऐसा ना हो कि बहुत सारी इच्छाओं को एक साथ पूरा करने की कोशिश में आपकी कोई इच्छा पूरी ना हो.
-
कीप योर आईज ऑन द प्राइज
इस आइडिया के मुताबिक आपकी आंखें हमेशा प्राइज पर होनी चाहिए. इसके लिए एक एग्जांपल दिया गया है कि जमीन पर रखे हुए दो फुट मोटे और 10 फुट लंबेपेड़ के तने पर आप बड़े आराम से चलते हुए एक सिरे से दूसरे तक पहुंच जाते हैं . जबकि अगर पेड़ के उस तने को जमीन से 20 फुट की ऊंचाई पर रख दिया जाए तो फिर उस पर चलते समय आपकी ब्रेन का फोकस आपको इस बात से डराता रहेगा कि कहीं आप गिर ना जाए. आपकी लाइफ में हमेशा यही होता है कि आप अपने डर के बारे में चिंतित रहते हैं. लेकिन आपका फोकस हमेशा ऑप्टिमिज्म यानी उम्मीद से भरे हुए प्राइज की तरफ होना चाहिए. कि उस काम को कर लेने के बाद आपको कितनी शाबाशी मिलने वाली है और आपका कितना फायदा होने वाला है.
-
लन टू स्वेट इन पीस
इस आइडिया के मुताबिक आप अपना पसीना उस समय बहाइएजब आप प्रैक्टिस कर रहे हों. युद्ध के समय आपका पसीना बहाना काम नहीं आता है बल्कि उस समय आप फौरन मौके के हिसाब से एक्शन लेते हैं. इसलिए आप शांति के समय मेहनत करके अपनी प्रैक्टिस कीजिए ताकि युद्ध के समय वह आपके काम आ सके. इसीलिए दौड़ की प्रैक्टिस करते समय खिलाड़ी अपने पीछे भारी टायर को बांधकर दौड़ते हैं. जिससे उन्हें दौड़ने में बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन फिर उस टायर को हटा देने के बाद उन्हें अपना बदन बहुत हल्का फुल्का लगने लगता है. इस प्रकार अगर आप पहले ही मेहनत से प्रैक्टिस कर के अपने डर पर काबू पा लेते हैं तो असली परीक्षा को आप बड़े आराम से सक्सेस फुली पास कर लेते हैं.
-
सिंपलीफाई योर लाइफ
इस आइडिया को समझाने के लिए अमेरिकी फुटबॉल के एक बहुत मशहर कोच विंस लोम्बार्डी का उदाहरण दिया गया है जिनका कहना था कि अगर आप खेलते समय मैदान में बहुत एग्रेसिवली कुछ करना चाहते हो लेकिन आपके माइंड को इस बारे में कुछ नहीं पता है कि क्या करना हैतो आप कुछ नहीं कर पाओगे. यही बात असल जिंदगी में भी लागू होती है. इसलिए आपको अपनी लाइफ को भी सिंपलीफाई कर लेना चाहिए. इसके बारे में दो किताबें लिखी गई हैं. जो बहुत ही पावरफुल हैं. पहली है ‘ द वन थिंग’, और दूसरी है ‘ द एसेंशियलिस्म ‘. दोनों किताबें यह कहती हैं कि अपने माइंड के लिए एक साथ बहुत सारे गोल्स चूज मत कीजिए. बल्कि उसकी जगह कोई ऐसा गोल चूज कीजिए जिसके मिलने के बाद बाकी सारे गोल्स ऑटोमेटिकली आपको मिल जाएं.
-
लुक फॉर द लॉस्ट गोल्ड
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि अक्सर हम लोग चीजों को अपने नजरिए से देखते हैं और वैसे नहीं देख पाते हैं जैसे कि वह असल में होती हैं. इसके बारे में उदाहरण देते हुए बताया गया है कि दो लोग एक फ्रेंड की बर्थडे पार्टी में शामिल हुए. उनमें से एक आदमी को उस पार्टी की हर चीज़ बहुत अच्छी लगी और वहां पर उसने खूब इंजॉय किया. जबकि दूसरा आदमी घर से ही लड़ झगड़ कर आया था और वह ऑलरेडी बहुत दुखी था. उसे वहां कुछ भी अच्छा नहीं लगा. इससे यह पता चलता है कि सुंदरता हमारी आंखों में है. अगर हम अंदरसे खुश हैं तो हमें सब कुछ सुंदर और अच्छा दिखाई देता है. लेकिन जब हम अंदर से दुखी होते हैं तो फिर हमें कोई भी चीज खुश नहीं कर सकती है. हमारे पास ऐसी बहुत सी पॉसिबिलिटीज होती हैं कि हम अपने दिन को अच्छा और शानदार बना सकें.और यह आपकी अपनी चॉइस है कि पॉजिटिव सोच रखें और खुश रहें या निराशा वाली सोच रख कर दुखी रहें. इसलिए अगर आप छोटे छोटे गोल बनाकर उन्हें अचीव करेंगे तो आपका दिन जरूर अच्छा गुजरेगा.
-
पुश ऑल योर बटन्स
इस आईडिया के बारे में बताया गया कि हमें यह पता होता है कि किस कंडीशन में हम अच्छा काम करते हैं और किस कंडीशन में अच्छा काम नहीं कर पाते हैं. इस बारे में उदाहरण दिया गया है कि कंप्यूटर चलाने के लिए उसमें बहुत से बटन होते हैं. लेकिन अगर किसी शख्स को उन बटंस का इस्तेमाल ना मालूम हो तो वह बहुत परेशान होने के बाद भी कंप्यूटर में कोई काम नहीं कर पाएगा. इसी तरह अगर आप को अपने बारे में नॉलेज हैकि कौन सी चीज आपके मूड को अच्छा करती है. तो आप अच्छा काम करने लगते हैं जैसे बहुत सेगाने आप को मोटिवेट करते हैं, बहुत सी फिल्में आपको चार्ज अपकर देती है, बहुत से यूट्यूब वीडियोस से आपको पॉजिटिविटी मिलती है और बहुत से लोगों से मिलकर आप एकदम से खुश हो जाते हैं. और इसी तरह की चीजों की एक लंबी लिस्ट है जो आप के लिए मोटिवेशन बटन का कामकरती हैं . और आपकी स्पिरिट को बताती हैंकि आप किस टाइप के आदमी हैं. और किन बातों से दुखी हो जाते हैं. इसलिए आपको अपनेमोटिवेशन बटन की लिस्ट पता होनी चाहिए. और आपको उन्हीं बटन को ज्यादा दबाना चाहिए जो आपको ऊपर उठाते हों.
-
बिल्ड ए ट्रैक रिकॉर्ड –
इस आइडिया के बारे मेंबताया गया है कि हमें काम करने की वजह से इतनी थकान नहीं होती है जितनी कोई काम ना करने से हो जाती है. बहुत से लोग कुछ किताबें और वीडियोज़ देखकर यह मानते हैं कि एफर्मेशन करके उनकी लाइफ बदल जाएगी. लेकिन एफर्मेशंस सिर्फ कुछ हद तक ही काम करते हैं. और किसी चीज के लिए एफर्मेशन करना ऐसा ही है जैसे कि आपकिसी चीज के बारे मेंबारबार दोहराते रहें कि आपको किसी काम को सीखनाहै. तो आप कभी न कभी उस चीज को सीखने की उम्मीद तो कर सकते हैं लेकिन असल में आप सही तरीके से उसको नहीं सीख पाएंगे . मिसाल के तौर पर अगर आप कंप्यूटर सीखना चाहते हैं तो इस बात को बारबार दोहराने कीजगह अगर आप किसी की गाइडेंस में कंप्यूटर कोर्स करना शुरू कर दें तो पहले आप एक नौसीखिए की तरह सीखना शुरू करेंगे. फिर थोड़ा और सीखेंगे और आखिर में आप अच्छी तरह सीख जाएंगे. इसके लिए आपको अपना एक ट्रैक रिकॉर्ड बनाना होगा. और उस ट्रैक रिकॉर्ड में आप अपने एक्सपीरियंस को बताइए जैसे कि पहले आप कंप्यूटर चलाना बिल्कुल नहीं जानते थे इसके बाद आपनेरोजआधा घंटा प्रैक्टिस की और फिर एक महीने बाद आप कंप्यूटर चलाना सीख गए. और अब आसानी से कंप्यूटर पर काम करने लगे थे . आप का ट्रैक रिकॉर्ड यह साबित करता है कि आप खुद को मोटिवेट कर के किसी भी काम को कर सकते हैं.
-
वेलकम द अनएक्सपेक्टेड
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि बहुत से लोगों का मानना है कि वो क्रिएटिव नहीं है. जबकि हमसब लोग वाकई में क्रिएटिव हैं और कुछ ना कुछ क्रिएटिविटी करते रहते हैं. क्रिएटिविटी का मतलब यह नहींहै कि किसी ओरिजिनल चीज को क्रिएट किया जाए. बल्कि इसका मतलब है कि कोई ऐसी चीज क्रिएट की जाए जिसके बारे में पहले सोचा ना गया हो. इस बारे में नमकीन जलेबी का एग्जांपल दिया गया है. आप लोगों ने जलेबी को हजारों बार देखा होगा. लेकिन इसमें क्रिएटिविटी यह है कि वह नमकीन हो और टेस्टी लगे. इसलिए आपको अपने बारे में यह कभी नहीं सोचना चाहिए कि आप आर्टिस्टिक या क्रिएटिव नहीं है. आपके लिए क्रिएटिविटी की पॉसिबिलिटी हमेशा बनी रहती है. और इसके लिए आप को हमेशा कुछ अनएक्सपेक्टेड करने के लिए तैयार रहना चाहिए.
इस बुक को ख़रीदे (Buy this Book)- PRINT | KINDLE | VIDEOS
-
फाइंड योर मास्टर की
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि बहुत सारे वीडियोज़
और किताबें आपके लिए लाइफ चेंजिंग साबित हो सकते हैं. जैसे कि यह किताब जिसमें आपकी लाइफ बदलने के लिए 100आइडियाज़ बताए गए हैं. या फिर आपके लिए कोई ऐसा प्रोफेशनल कोर्स हो सकता है. या फिर आपकी खुद की कोई ऐसी क्वालिटी हो सकती है जैसे कि सेल्फ डिसिप्लिन जिससे आप अपने आप को डिसिप्लिन करके अपने लेवल को हमेशा बढ़ा सकते हैं. कई बार आपको अपने लिए ऐसी ‘मास्टर की ‘ के बारे में पता नहीं होता है. और अगर आप बहुत से महान लोगों की जीवनी के बारे में पढ़ेंगे तो आपको पता लगेगा कि उन्होंने भी अपने जीवन कि किसी खास टाइम में ऐसी किताबें पढ़ी थीं. जिन्होंने उनके कानसेप्ट और सोच को बदल दिया था और वह उनके लिए लाइफ चेंजिंग बुक्स साबित हुई थीं इसलिए आपको बाहर फैले हुए नॉलेज के भंडार में से अपनी मास्टर की को तब तक ढूंढते रहना है जब तक कि वह मिल ना जाए.
-
पुट योर लाइब्रेरी ऑन व्हील्स
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि बहुत सेलोग हर रोज अपने जॉब के सिलसिले में देर तक ट्रेनों और बसों में सफर करते हैं या ड्राइविंग और वाकिंग करते हैं और रात में घर लौटते हैं. आज की डेट में बहुत सी ऐसी ऑडियो बुक्स की ऑडियो टेप्स और सीडी अवेलेबल हो गई हैं. जिन्हें सुनकरबहुत सी इंफॉर्मेशन मिल सकती हैं .आपको इस अपॉर्चुनिटी का इस्तेमाल करना सीखना चाहिए. इनमें बहुत से ऐसे मोटिवेशनल सॉन्ग हो सकते हैं जिन्हें सुनकर आप को ख़ुशी का एहसास हो . या फिर ऐसी नेगेटिव न्यूज़ हो सकती है जो आपको दुखी कर दे. जिन्हें आपको नहीं सुनना है. कहने का मतलब है कि जब आप ड्राइव कर रहे हो या ट्रेन और बस में सफर कर रहे हों. तो खुद को ऐसे टाइम में मोटिवेशनल चीजों को सुनने के लिए प्रोग्राम कर सकते हैं. ऐसा कहा जाता हैकि आप जब ड्राइविंग कर रहे हों तो उस दौरान इतना कुछपढ़ा जा सकता हैकि आप एक यूनिवर्सिटी कोर्स को अपने ड्राइविंग टाइम में खत्म कर सकते हैं.
और अपने सफर के दौरान ही बहुत सी स्किल्स को भी सीखा जा सकता है. इसलिए आपको ऐसी अपॉर्चुनिटी को वेस्ट नहीं करना चाहिए.
-
डेफिनेटली प्लान योर वर्क
एक मशहूर कहावत है कि एक घंटा प्लानिंग का 3 घंटे आपके एग्जीक्यूशन के बचाता है. यानी अगर आपने किसी काम की प्लानिंग पर एक घंटे का समय लगा दिया है तो आप 3 घंटे का काम एक घंटे में कर सकते हैं .एक डेफिनिट प्लान के बगैर आपका काम करने का इरादा अजीब तरह से अस्त-व्यस्त हो जाता है. और उसमें बहुतकमी आ जाती है. प्लानिंग करने के बाद आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है. और आप बहुत कम समय में बहुत ज्यादा काम कर लेते हैं. और इससे आप और ज्यादा काम करने के लिए मोटिवेट होते हैं. और आपकी चिंताकम हो जाती है.
-
बाउंस योर थॉट्स
बहुत से लोगों ने बास्केटबॉल के खेल को जरूर देखा होगा. इस खेल में आप बॉल को बार-बार जमीन में मारते हैं और एक हाथ से डिबिलिंग करते हैं. और अगर आप बहुत अच्छे प्लेयर बनना चाहते हैं तो आपको अपने दोनों हाथों से अच्छी तरह ड्रिबिलिंग करना आना चाहिए. इसके बाद आपअपने खेल की स्किल को बहुत ज्यादा सुधार सकते हैं और दूसरे प्लेयर को काफी चकमा दे सकते हैं. यहीनियमहमारी असल जिंदगी पर भी लागू होता है. एक रिसर्च के मुताबिक हमारे दिमाग में रोजाना अलग अलग तरीके के बहुत सारे थॉट्स आते हैं.और क्योंकि हमारे दिमाग में एक साथ दो तरह के विचार नहीं रह सकते हैं. इसलिए या तो हम पॉजिटिव रह सकते हैं या फिर नेगेटिव रह सकते हैं हम नेगेटिव थॉट को भी पॉजिटिव थॉट में बाउंस बैक कर सकते हैं लेकिन इस के लिए बहुत धीरज और प्रैक्टिस की जरूरत होती है. और आप प्रैक्टिस कर के अपने
ऑप्टिमिज्मको बढ़ा सकते हैं.. और जैसे आप प्रैक्टिस कर के बास्केटबॉल में अपने नान डोमिनेंट हैंड से ड्रिबिलिंग कर सकते हैं इसी तरह से आप प्रैक्टिस कर के अपने दिमाग में हमेशा पॉजिटिव विचार भी रख सकते हैं.
-
लाइट योर लेजी डायनामाइट
हो सकता है किसी मुश्किल काम को देख कर आपको ऐसा लगता हो कि आप उसे पूरा नहीं कर पाएंगे. तो उस काम को बिल्कुल ना करने से अच्छा है कि आप उसे स्लो मोशन में स्टार्ट करें इस तरह काम करने से आपको काम के पूरा होने की चिंता नहीं रहेगी. और आपके ऊपर पर प्रेशर भी नहीं होगा. इस आईडिया को समझाने के लिए हेनरी फोर्ड का एग्जांपल दिया गया है. उनका कहना था कि कोई भी काम ऐसा नहीं है जिसको ना किया जा सके. भले ही वह काम कितना भी बड़ा क्यों ना हो, आपको बस उस काम को छोटेछोटे टुकड़ों में बांट लेना है. और फिर धीरे-धीरे उस काम को शुरू करना है. जैसे कि लेजी लाइम डायनामाइट होती है. जिसमें शुरू में चिंगारी लगाने पर वह धीरे-धीरे जलती जाती है और फिर बाद में बड़ा धमाका होता है. उसी तरह आप भी किसी मुश्किल काम को बहुत आराम से धीरे-धीरे स्टार्ट कर सकते हैं. और फिर जब उसी काम को करते-करते आप रेगुलरिटी में आ जाते हैं. तो आपकी फायर में कैचिंग आ जाती है और आप एक बड़ा धमाका कर लेते हैं . यानी कि उस काम को बहुत अच्छे से पूरा कर लेते हैं.
अन्य बेस्ट सेलर बुक समरी पढ़े – CLICK HERE
-
चूज़ द हैप्पी फ्यू
इस आईडिया को समझाने के लिए यह बताया गया है कि आपकी जिंदगी में आने वाले बहुत सारे लोग आप को ऊपर उठाने में मदद करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि आपके आसपास रहने वाले 5 अहम लोग आपकी जिंदगी को बनाते और बिगाड़ते हैं. और वही लोग ज्यादातर आपके अच्छे और बुरे गुणों के लिए जिम्मेदार होते हैं. यह लोग आपके दोस्त, फॅमिली मेम्बर, पार्टनर या और भी कोई शख्स हो सकते हैं. आपको ऐसे लोगों की एक लिस्ट बनानी है, जो आप को मोटिवेट करते हैं और बेहतर बनने में मदद करते हैं. और फिर आप इन्हीं लोगों के साथ ज्यादातर रहना शुरू कीजिए और बाकी लोगों को नेगलेक्ट कीजिए.
-
लन टू प्ले ए रोल
इस आइडिया को समझाने के लिए फिल्म ऐक्टर्सका एग्जांपल लिया गया है. अक्सर फिल्मों में ऐसा देखा गया है कि सलमान खान शाहरुख और अमिताभ जैसे सुपरस्टार अपने रोल की एक्टिंग करते करते उस किरदार में इतना खो जाते हैं कि हमें वह किरदार असली लगने लगता है. और हम कहते हैं कि वाह इन्होंने कितनी अच्छी एक्टिंग की है. लेकिन यह होता कैसे है ? असल में आप जैसा एक्ट करते हैं वैसे बन जाते हैं. और जब आप पूरे कॉन्फिडेंस के साथ अपना रोल प्ले करते हैं तो उसमें सच्चाई नजर आती है. और लो कॉन्फिडेंस के साथ अपना रोल प्ले करने पर आप वैसे ही नजर आने लगते हो. दरअसल अच्छा किरदार बनने में भी और बुरा किरदार बनने में भीबहुत सारी रिहर्सल और प्रैक्टिस लगती है. अगर आपकी आदत एक रोने वाले इंसान की बन गई है तो आप इजीली वैसे ही बन जाते हैं . और बात बात पर रोने लगते हैं . लेकिन अगर आपको बड़ी से बड़ी परेशानी को मजाक में उड़ाने की आदत है तो इसकी रिहर्सल करके आप एकस्ट्रांग पर्सन बन जाते हैं .
-
डोंट जस्ट डू समथिंग… सिट देयर
आपनेनोटिस किया होगा कि कभी-कभी बाथरूम में नहाते समय या वॉक पर जाते समय अचानक कुछ शानदार आईडियाज आपके दिमाग में आ जाते हैं. और आपकी पहले से चली आ रही कोई मुश्किल हल हो जाती है. इस आइडिया को समझाने के लिए कहा गया है कि आप कुछ देर के लिए शांत होकर बिल्कुल अकेले कहीं बैठकर पूरी तरह से रिलैक्स कीजिए. और इस समय टेलीविजन प्रोग्राम और म्यूजिक वगैरा से खुद को दूर रखिए. और इस माहौल में खुद को महसूस करने की कोशिश कीजिए. और अपने सेंसेज़ पर फोकस कीजिए. ऐसा करने पर आपको रियलाइज़होगा कि आप अपनी लाइफ दूसरों के लिए जी रहे हैं. और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं कररहे हैं. और फिर आपके दिमाग में अपने सपनों के लिए मोटिवेशन और गाइडेंस के आइडियाज मिलने लगेंगे.
-
यूज योर ब्रेन केमिकल
इस आइडिया को समझाने के लिए बताया गया है कि जब आप किसी चीज को इंजॉय करते हैं तो आपकी बॉडी केमिस्ट्री मेंचेंजेज होते हैं. और आपका मोटिवेशन और एनर्जी तेजी से बढ़ने लगते हैं. इसके लिए एक एग्जांपल दिया गया है कि एक लड़की शाम को ऑफिस से लौटकर घर पहुंची और उसने अपनी मां से कहा कि आज वह बहुत थक गई थी इसलिए वह खाना भी नहीं खाएगी. और फिर अपने कमरे में जाकर उसने अपने शूज़ भी नहीं उतारे और बिस्तर में लेट कर सो गई. कभी फोन की घंटी बजी. फोन की दूसरी तरफ उसका बॉयफ्रेंड था. जिसने उसे इनवाइट करते हुए बताया कि उसने डिस्को क्लब में बहुत ही शानदार प्रोग्राम के दो टिकट का अरेंजमेंट किया था. और वहां का खाना भी बहुत शानदार था. यह सुनकर उसमें एकदम से जोश आ गया. वो उछल कर बिस्तर से नीचे उतरी और वहां जाने के लिए जल्दी जल्दी मेकअप करके तैयार हो गई और फिर उस क्लब में पहुंच गई. वहां वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ सुबहके 3:00 बजे तक खुश होकर डांस करती रही हंसती रही और इंजॉय करती रही. और इसके बाद भी घर लौटते समय उसकी आंखों में नींद नहीं थी बल्कि उसके अंदर एक खुशी और एक्साइटमेंट भरे हुए थे. इससे यह पता चलता है कि हमारे ब्रेन केमिकल्स किस तरह काम करते हैं. अगर आपने अपने काम के बारे में कुछ इंटरेस्टिंग और मजेदार करना सीख लिया है तो फिर आपके ब्रेन केमिकल्स आपको उस काम के लिए मोटिवेट करेंगे और आपखुशी खुशी उस काम को कर लेंगे. और अगर आपका काम रफ एंड टफ और बोरियत वाला है तो भी आप उसके अंदरकुछ इंटरेस्टिंग बातें तलाश कीजिए और खुद को सेल्फ मोटिवेट कीजिए. ऐसा करने पर आपके ब्रेन केमिकल्स हमेशा आपको खुश रखेंगे.
-
लीव हाई स्कूल फॉरएवर –
इस आइडिया को समझाने के लिए बताया गया है कि हम में सेकुछ लोग अभी भी खुद को अपने हाई स्कूल वाले टाइम की मेंटालिटी मेंफंसा हुआ महसूस करते हैं. हाई स्कूल से पहलेहम लोग अपनी जिंदगी बहुत लापरवाही के साथ जिया करते थे. हमारे बहुतसे सपने होते थे और हम मस्ती के साथ खूब एंजॉय किया करते थे. लेकिन जैसे ही आपका हाई स्कूल का टाइम करीब आता है तो लोग आपकोडराना शुरू कर देते हैं. कि अब सब कुछ बदल गया है. अब आप को बहुत ध्यान से पढ़ना पड़ेगा. और इसी की परफॉर्मेंस पर आप की आगे कीजिंदगी डिपेंड करने वाली थी. और धीरे-धीरे यह डर आपके मन में गहराई से बैठ जाता है. और फिर आप क्लास में सवाल पूछने के लिए हाथ उठाना बंद कर देते हैं कि कहीं आप की इंसल्ट ना हो जाए. आप का यही डर आगेआपके साथ चलता है और आप किसी मीटिंग या कॉन्फ्रेंस में भी हाथ उठाना बंद कर देते हैं. और आप इस डर की वजह से कि कोई क्या सोचेगा. एक ट्रैप में फंसे रहते हैं. औरडर के इस ट्रैप से बाहर निकलने लिए यह जरूरी है कि आपअपने हाई स्कूलमेंटालिटी वाले डर को छोड़ कर एक बार फिर से बच्चा बनकर सोचना शुरू करें, नए सपने देखें , उन्हें पूरा करने के लिए अपने आप में नया जोश भरें उनके साथ रह कर जिंदगी को पूरी ख़ुशी के साथ जियें.
-
लर्न टू लूज़ योर कूल
इस आइडिया के बारे में यह बताया गया है कि आप इस बात का ख्याल ना करते हुए कि कोई आपके बारे में क्या सोचेगा अपनी एक नई शख्सियत को खुद क्रिएट कीजिए. आप अपनी हाई स्कूल मेंटालिटी की तकलीफ दे यादों को पीछे छोड़िए और खुद को ऊपर उठाने के लिए मोटिवेट कीजिए. हालांकि आपको दूसरों की कमजोरी के बारे में सुनना तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन आप अपनी कमजोरियों के बारे में यकीन नहीं करना चाहते हैं . इसलिए अपनी कमजोरी के बारे में भी यकीन करना सीखिए . और लोगों के साथ इमानदारी सेउनको शेयर कीजिए. उन्हें अपने डर, गुस्से, के अलावा और भी तमाम चीजों के बारे में खुल करबताइए. शुरू में आपको थोड़ा अजीब लगेगा. लेकिन फिर धीरे-धीरे आपखुलकर दूसरे लोगों से कनेक्ट हो जाएंगे और लाइफ के रियल एक्साइटमेंट को एंजॉय करने लगेंगे. इसके बाद कुछ भी करते समय आप का यह डर दूर हो जाएगा कि कोई आपके बारे में क्या सोचेगा! इसके बाद आप खुलकर जीना शुरु कीजिए. दोस्तों के साथ पार्टी इंजॉय कीजिए. और मस्त होकरबिंदास रहिए.
-
किल योर टेलीविजन
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि आप अपने टेलीविजन को बंद रख कर भी अपनी जिंदगी को बदल सकते हैं. जरा इस बारे में सोच कर देखिए कि क्या होगा अगर आप टेलीविजन में दूसरे लोगों की जिंदगी के शोज ना देख कर खुद अपने कामों के बारे में विचार करना शुरू कर दें. टेलीविजन देखना बंद कर देना कभी-कभी आपको भयभीत कर सकता है क्योंकि आपको इसकी बहुत ज्यादा आदत लगी हो सकती है. लेकिन इसमें डरने की बात नहीं है आप इस आदत को धीरे धीरे छुड़ा सकते हैं. और अगर आप जानते हैं कि आप पहले से ही बहुत ज्यादा टेलीविजन देख रहे हैं, तो आपको खुद से यह सवाल करना चाहिए कि आप टीवी स्क्रीन के किस साइड रहना चाहते हैं? क्योंकि टीवी स्क्रीन के दूसरी साइड के लोग बहुत स्मार्टली अपना काम करते हैं. वह अपने काम को इंजॉय करने के साथ उस से ढेर सारा पैसा भी कमाते हैं. जबकि आप अपना टाइम खर्च करके उनको देखते हैं और इसके बदले में आपको अपनी जिंदगी जीने में कोई मदद नहीं मिलती है. एक अंदाजे के मुताबिक लोग रोजाना करीब 7 घंटा टीवी शोज को देखते हैं. हालांकि कभी-कभी टीवी देखने में कोई हर्ज नहीं है. लेकिन आप इस बात पर विचार करके देखिए कि क्या टीवी प्रोग्राम आपको किताबें पढ़ने से ज्यादा मोटिवेट करते हैं? आप देखेंगे कि टीवी पर देखे गए प्रोग्राम के मुकाबले किताबों में पढ़ी हुई बातें ज्यादा मूल्यवान , ज्यादा प्रभावशाली और ज्यादा सेल्फ मोटिवेशनल होती है
-
ब्रेक आउट ऑफ योर सोल केज़
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि आजकल हमें ज्यादा से ज्यादा कंफर्ट पहुंचाने के लिए मार्केट में तमाम तरह के प्रोडक्ट
और सर्विसेज को डिजाइन और एडवर्टाइज किया जा रहा है. जिसकी वजह से हम लोगों ने अपने कम्फर्ट जोन से निकल कर अपनी ग्रोथ और स्किल्स को बढ़ाने की कोशिश करना बहुत कम कर दिया है . हमें यह रिलाइज़ करना चाहिए कि कंफर्ट जोन में रहने की आदत जिंदगी को हमेशा के लिए जीने के लिए नहीं होनी चाहिए. बल्कि इसकी जगह कंफर्ट जोन का इस्तेमाल समय-समय पर खुद को रिलैक्स करने के लिए और अपनी एनर्जी को रिस्टोर करने के लिएकिया जाना चाहिए. लेकिन अगर आप इसका इस्तेमाल हमेशा के लिए जिंदगी जीने में करेंगे तो आप एक सोल केज़ यानी कि पिंजरे की आत्मा बन जाएंगे. इसलिए आप आराम तलबी की कैद से बाहर निकलिए और अपने आप को आजाद कीजिए. और दूर तक उड़ने का मजा लीजिए. और इस बारे में एक मशहूर फिलॉस्फर ने कहा है कि ” आजाद होना कुछ भी नहीं है लेकिन अपने को आजाद बनाना स्वर्ग में रहने के बराबर है.”
-
रन योर ओन प्लेज
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि आप अपने गेमप्लान को ऐसा बना कर रखिए जिसके मुताबिक आपअपनी जिंदगी को आराम से जी सकें. जैसे कि आप किसी गेम में जाते समय अपनी एक स्ट्रैटिजी बना लेते हैं. कि आप किसी खास तरह से खेलेंगे और
ओपोजीशन को मजबूर करते हैं कि वह भी आपके गेम प्लान के हिसाब सेअपना खेल खेलें. इसलिए जब आप इस तरह से एक मोटिवेशन और पर्पज के साथ अपना कोई गेम प्लान बनाते हैं तो आप अपनी लाइफ क्रिएट करते हैं जिससे पता चलता है कि आप अपनी लाइफ को कैसे जीना चाहते हैं. अगर जिंदगी जीने का हमारा अपना कोई गेम प्लान नहीं होगा तो हम अपनी लाइफ में सिर्फ रिएक्ट ही करते रहेंगे. और उसमें कुछ क्रिएट नहीं कर पाएंगे. मिसाल के तौर पर हम लोग रोज सुबह उठते ही तमाम चीजों पर रिएक्ट करना शुरू कर देते हैं. जैसे किसी न्यूज़ पर, अपने फैमिली मेंबर्स पर, और अपनी बॉडी की फीलिंग्स पर . और इसके अलावा भी हम तमाम चीजों पर हम दिन भर रिएक्ट करते रहते हैं. और इसी तरह हम अपनी जिंदगी में भी किसी फुटबॉल मैच के गोलकीपर की तरह अपनी तरफ आने वाली बॉल्स पर रिएक्ट करते रहते हैं. इस बारे में मशहूर फुटबॉल कोच बिल वाल्श का कहना है कि असल जिंदगी में आपको एक गोलकीपर की तरह बॉल पर रिएक्ट करके गोल बचानेकी नहीं बल्कि मैदान में भागने वाले खिलाड़ी की तरह गोल करने की कोशिश करनी चाहिए.
-
फाइंड योर इनर आइंस्टीन
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया कि सब लोगों को मशहूर साइंटिस्ट अल्बर्ट आइंस्टीन की तरह इमैजिनेशन से क्रिएटिविटी करने की आदत सीखनी चाहिए. ईश्वर ने इंसानों के लिए इमैजिनेशन पावर को इसलिए डिजाइन किया था कि उससे कुछ अच्छी चीजें क्रिएट की जा सकें. लेकिन कुछ ज्यादा चिंता करने वालेलोग अपनी इमैजिनेशन की पावर को फालतू के डर और विनाश के बारे में सोच कर बेकार कर देते हैं. और जिन लोगों को अपनी इमैजिनेशन से हमेशा कुछ न कुछ क्रिएट करने की आदत हो जाती है उन्हें लोग जीनियस कहते हैं. इमैजिनेशन के बारे में आइंस्टीन का कहना था कि ‘ इमैजिनेशन नॉलेज से ज्यादा इंपोर्टेट होती है. ‘ और नेपोलियन ने इस बारे में कहा था कि ‘ इमैजिनेशन से दुनिया जीती जा सकती है.’ इसलिए आप अपनी जिंदगी में जो कुछ भी बनना चाहते हैं या करना चाहते हैं उसके बारे में बड़े से बड़ा सपना देखिए. और उसे अपने इमैजिनेशन में विजुलाइज कीजिए. और फिर उस सपने को पूरा करने पर फोकस कीजिए. और फिर आपका सपना हकीकत में बदल जाएगा
-
रन टूवर्ड्स योर फिअर
इस आईडिया के बारे में यह कहा गया है कि जब आप किसी चीज से डरते हैं तो आपको ऐसा लगता है कि डर आपको मार रहा है. और आपकी क्रिएटिविटी को खत्म कर रहा है लेकिन उस डर से जैसे ही आप आगे निकलते हैं तो उसके आगे ही आपको अपनी जिंदगी दिखती है. दरअसल इंसान के अंदर पहले से ही बहुत सारे डरे भरे हुए होते हैं. जैसे कि अगर वह कोईकाम नहीं कर पाए, या उनका कोई काम खराब हो गया तो क्या होगा! . लेकिन कहा जाता है कि डर के आगे जीत है. इसलिए जब आप साहस करके किसी काम को कर डालते हैं तो आपको एक रोमांच के साथ आगे और ज्यादा काम करने का मोटिवेशन मिलता है.अमेरिकन जनरलजॉर्ज एस० पैट्टन ने कहा था, ” लोग मौत के मुकाबले डर की वजह से ज्यादा मरते हैं.” उनका कहना था कि मौत तो सिर्फ एक बार ही मारती है. लेकिन डर की वजह से आप बार बारमरते हैं.
-
क्रिएट द वे यू रिलेट
इस आईडिया के बारे में यह कहा गया है कि हमारी रिलेशन शिप हर जगह और हर लेवल पर मौजूद है. लेकिन अगर हमारारिलेशनशिप खुद हमारे साथ ही खराब है तो फिर हम दूसरों के साथ एक अच्छा रिलेशन शिप कैसे मेंटेन कर सकते हैं. इसलिए अगर आप की थिंकिंग अच्छी है, आप डिप्रेस्ड नहीं है और आप का रिलेशन शिप अपने आप से अच्छा है. और आप अपने आप में मोटिवेटेड हैं तो दूसरे लोग भी आपसे जुड़ने में इंटरेस्टेड होंगे. हममें से ज्यादातर लोगरिलेशन शिप में दिमाग के मुकाबले इमोशन के साथ ज्यादा सोचते हैं. और इस वजह से अक्सर निराशा की स्थिति पैदा हो जाती है, और आपस में कंफ्यूजन क्रिएट हो जाता है. लेकिन जब हम रिलेशनशिप कोक्रिएटिविटी की अपॉर्चुनिटी के तौर पर देखते हैं तो वह हमेशा बेहतर साबित होती हैं. और रिलेशनशिप के बेहतर होने पर हम और ज्यादा मोटिवेटेड हो जाते हैं.
-
ट्राई इंटरेक्टिव लिसेनिंग
इस आईडिया के बारे में यह कहा गया है कि हम लोगबात चीत के दौरान ज्यादातर इंटरएक्टिवनहीं होते हैं.यानी कि हम एक दूसरे की बातों को समझने का दिखावा करते हैं. और हमारा फोकस पूरी तरह उस पर नहीं होता है. इस बात को हम इस तरह समझ सकते हैं कि हम सब लोगों के कुछ ऐसे जानने वाले दोस्त फैमिली मेंबर या पार्टनर होते हैं जिनके साथ बातचीत करते समय उनके बोलने से पहले ही हमें ऐसा महसूस होता है जैसे हमें पता हो कि वह क्या बोलने वाले हैं. इसकी वजह से हमारे कॉन्शियसनेस यानी होशो हवास का लेवल कम हो जाता है और दिमाग में एक तरह की सुस्ती आ जाती है. इसी तरह से एक दूसरी तरह के लोग होते हैं जो लगातार एक तरफा बोलते जाते हैं और हम अपने आधे अधूरे होश के साथ उनकी बातों का जवाब’ ठीक बात है ‘, ‘बिल्कुल सही’, ‘ आप सही कह रहे हैं जैसे शब्दों को बोल कर समझने का दिखावा करते हैं. इस बारे में मशहूर पत्रकार बेंडा उलेंड का कहना है कि ” जब हमें सुना जाता है तो हम ज्यादा क्रिएटिव होते हैं., ज्यादा खुल जाते हैं और हमारे अंदरनए आइडियाज आने लगते हैं ” और इसके लिए जितने ज्यादा हमारे सवाल थॉटफुल होंगे. उतनी ही ज्यादा हमारी बातचीत इंटरएक्टिव होगी. इसलिए आपको सेल्फ मोटिवेशन के लिए हमेशा ज्यादा से ज्यादा इंटरएक्टिविटी के मौकों को तलाश करते रहना चाहिए.
-
एमब्रेस योर विल पावर –
बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि उनके अंदर बिल्कुल भी विल पावर नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं है विल पावर सभी में होती है. आपके अंदर भी विल पावर यकीनी तौर पर बिल्कुल वैसे ही है जैसे कि आपके अंदर जिंदगी है. मिसाल के तौर पर अगर कोई शख्स फर्श पर रखे हुए किसी ज्यादा भारी सामान को उठाने के लिए आपसे कहता है तो आप अपने जवाब में यह नहीं कहते हैं कि आपके अंदर ताकत नहीं हैं बल्कि आप यह कहते हैं कि आपके अंदर इस वजन को उठाने लायक ताकत नहीं है. बिल्कुल यही बात विल पावर पर भी लागू होती है. अपनी विल पावर को स्ट्रांग करने के लिए आप सबसे पहले इस बात को मान लीजिए कि आपके अंदर विल पावर मौजूद है. और इसको आपकी खुद कीमर्जी सेही बढ़ाया जा सकता है. और जब तक आप खुद नहीं चाहेंगे कोई भी बाहरी ताकत इसको डिवेलप नहींसकती है. इसलिए अपनी विल पावर को डिवेलप करने की कोशिश करने के बारे में साफ तौर पर सच्चाई के साथ प्रॉमिस कीजिए. और यह यकीन रखिए कि वह हमेशा आपके साथ है.
-
परफॉर्म योर लिटिल रिचुअल्स
इस आईडिया के बारे में यह बताया गया है कि आप अपने लिए कोई रिचुअल यानी कि एक ऐसा रिवाज बनाइए जिसे आप खुद के सेल्फ मोटिवेशन के लिए शॉर्टकट के रूप में इस्तेमाल कर सकें. आपने मोटिवेशन के तमाम तरीकों के बारे में पढ़ते समय यह नोटिस किया होगा कि एक्शन करना भी मोटिवेशन का एक तरीका हो सकता है. एग्जांपल के तौर पर महान बास्केटबॉल खिलाड़ी जैक टाई मैन की बात करते हैं. वह हमेशा कोर्ट में जाकर अपनी प्रैक्टिस की शुरुआत बास्केट में 200 शॉट मार कर करते थे. हालांकि20 या 30 शॉट मारने के बाद ही उनकी अच्छी ट्यूनिंग हो जाती थी. लेकिन फिर भी वह अपनी प्रैक्टिस के दौरान 200 शॉट पूरा करते थे. यह उनका अपना एक रिचुअल था. जो उन को पूरे खेल के दौरान सेल्फ मोटिवेशन की हालत में बनाए रखता था.
इसलिए आप भी अपने लिए रिचुअल्स बनाइए. जो आपके लिए सेल्फ स्टार्टर पर काम करते हैं . यह रिचुअल्स आपको एक्शन में आने से पहले ही असली एक्शन का एहसास कराते हैं. इसके अलावा यह आपके अंदर की हिचकिचाहट को दूर कर देते हैं जिससे आप उम्मीद के मुताबिक खुद को मोटिवेट कर सकें.
मार्टिन लूथर किंग जूनियर का इस बारे में कहना था, ” आप जो भी काम करें उसे एक आर्टिस्ट की तरह पूरा करें. अगर आप सड़क पर झाडू लगाने का काम भी करते हैं तो आप खुद को सफाई कर्मियों कामशहूर मूर्तिकार माइकल एंजेलो मानकर झाडू लगाइए.”
-
फाइंड ए प्लेस टू कम फ्रोम
इस आइडिया के मुताबिक कुछ लोगों के लिए उनकी खुशी उनके करीब की बाहरी दुनिया में होती है जो उन्हें किसी गोल को पा लेने के बाद मिलती है. और वह हमेशा यही सोचते हैं कि कब उन का गोल पूरा होगा और उनको खुशी मिलेगी . लेकिन वह यह बात भूल जाते हैं कि खुशी को क्रिएट करने की पावर तो उनके अंदर पहले से ही मौजूद है. दूसरी तरफ बहुत से लोग ना खुश रह कर यह दिखाना चाहते हैं कि वह बहुत सिंसियर और दयालु हैं. उनके मुताबिक अपनी नाखुशी जाहिर करने से यह साबित होता है कि वह एक अच्छे और जिम्मेदार शख्स हैं, वह किसी को तकलीफ नहीं पहुंचा रहे हैं., वह किसी के बारे में बहुत केयरिंग हैं, और सीरियसली सोच रहे हैं.इस तरह से नाखुशीकी एक लंबी लिस्ट है जिनसे एक पावरफुल मोटिवेशन मिलता है. यह कहा जाता है कि खुशी पर आपका जन्म से ही अधिकार होता है. इसको पाने के लिए आपको किसी गोल का पीछा करने की जरूरत नहीं है. अपने सेल्फ मोटिवेशन से खुशी को हासिल कीजिए और उसे इंजॉय कीजिए. खुशी अपने आप चलकर आपके पास आती है ना कि उसके पास जाने की कोशिश करने से.
अन्य बेस्ट सेलर बुक समरी पढ़े – CLICK HERE
-
बी योर ओन डिसिपिल –
इस आईडिया के मुताबिक आपकी विल पावर के डेवलपमेंट और इस्तेमाल से खुशी और मोटिवेशन का रास्ता निकलता है. बहुत से लोगों का यह मानना है कि विल पावर और सेल्फ डिसिप्लिन का डेवलपमेंट करना एक तरह से खुद को सजा देना है. मशहूर लेखक विलियम बैनेट का इस बारे में कहना है कि जब आप सेल्फ डिसिप्लिन हो जाते हैं. तो इसका यह मतलब है कि आपने खुद का डिसिपिल यानी खुद का ही शिष्य बनने के लिए डिसाइड कर लिया है. इसके बाद आपकी लाइफ बहुत इंटरेस्टिंग हो जाती है और आप खुद को बहुत स्ट्रांग महसूस करने लगते हैं. और आपको बहुत ज्यादा सेल्फ रिस्पेक्ट मिलने लगती है. विलियम जेम्स ने विल पावर को बढ़ाने के लिए अपने सुझाव में कहा है कि आपको रोजानादो ऐसी चीजें जरूर करनी चाहिएं जिन्हें आप बिल्कुल भी करना नहीं चाहते हैं. ऐसा करके आप अपनी विल पावर के बारे में अवेयरनेस को मेंटेन रख सकते हैं.
-
टर्न इनटू ए वर्ड प्रोसेसर
इस आइडिया के मुताबिक अगर आप विल पावर को एक सजा के तौर पर महसूस करते हैं तोइसे डिवेलप करने का आपका इरादा कमजोर पड़ जाएगा. इसलिए आपको किसी ऐसी चीज के बारे में सोचना चाहिए जो आपके इरादे को मजबूती दे. इस बारे में वेट लिफ्टर्स का उदाहरण लिया गया है. उनके लिए कहा जाता है, ” फेलियर इस सक्सेस “. इसका मतलब है कि जब तक वह फेलियर के पॉइंट तक के वजन को लिफ्ट नहीं कर लेते हैं, तब तक उनकी मसल्स को पूरी तरह से डेवलप नहीं माना जाता है. इसलिए वह अपनी प्रैक्टिस के दौरान फेलियर शब्द को एक पॉजिटिव सेंस में बार-बार दोहराते रहते हैं. ऐसा कहा जाता है कि किसी भी एक्टिविटी को डिसिप्लिन के बिना एंजॉय नहीं किया जा सकता है. इसलिए जब बहुत से लोगों ने डिसिप्लिन को एक स्किल मानकर इस पर काम किया गया तो उन्होंने अपना सेल्फ डिसिप्लिन डेवलप कर लिया. दरअसल लैंग्वेज में बहुत पावर होती है. इसको आप क्रिएटिविटी में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसलिए आप अपने लिए मोटिवेशनबढ़ाने वाले ऐसे शब्दों का चुनाव कीजिए जो आपकी पर्सनल पावर बढ़ाने में आपकी मदद कर सकें .
-
प्रोग्राम योर बायो कंप्यूटर
इस आईडिया के मुताबिक अगर आपने तमाम बड़े न्यूज प्रोग्राम को रेगुलरली देखने कीआदत बना ली है. तो अपनी इस प्रोग्रामिंग में फेरबदलकर लीजिये. क्यूंकि इनमें से ज्यादातर बैड न्यूज़ होती हैं.
और आप इन्हें देख सुनकर बिना इनकी सच्चाई को चेक किए हुए अनजाने में ही अपने दिमाग में बेकार का कचरा भरते रहते हैं. आप जितना ज्यादा इन नेगेटिव, वलगर, सीरियल किलर और हिंसा वाले क्राइम की डरावनी, डाऊट फुल और बेकार न्यूज़ को सुनेंगे उतना ही ज्यादा आपको यकीन होने लगेगा कि दुनिया ऐसी ही है. जरा सोचिए जब आप अपनी कार में बिना चेक किए हए पेट्रोल नहीं भर वाते हैं तो फिर आप दिमाग में इस तरह की बकवास चीजों को कैसे भर सकते हैं. इस बात को रिलाइज कर लेने के बाद यह सवाल उठता है कि आखिर इन चीजों को कैसे चेंज किया जाए ? तो इस बारे में महात्मा गांधी ने कहा था, ” अगर आप किसी शख्स में कोई चेंज देखना चाहते हैं तो पहले अपने आप को चेंज कीजिए.” इसलिए आप तमाम नेगेटिव न्यूज़ सुनते समय उन पर ज्यादा ध्यान मत दीजिए. बल्कि इससे भी एक कदम और आगे बढ़ते हुए अपनी ब्रेकिंग न्यूज़ खुद बनाइए. सबको दिखाइए कि आप भी अपनी जिंदगी में कुछअच्छा काम कर सकते हैं.
-
ओपन योर प्रेजेंट
इस आईडिया के मुताबिक मशहूर आइरिस लेखक इम्मेट फॉक्स ने कहा था, ” जब तक आप अपना अटेंशन वहां नहीं रख पाते हैं, जहां पर कि आप रखना चाहते हैं, तब तक खुद अपने आप पर भी आपका कंट्रोल नहीं हो सकता है. आप तब तक खुश नहीं रह सकते हैं जब तक कि आप यह तय न करें कि अगले घंटे में आप क्या करने वाले हैं ? ” दरअसल आपके पास बहुत सी चीजों के लिए तो वक्त होता है जैसे सपने देखना ,प्लानिंग करना, अपने लिए गोल सेटिंग क्रिएट करना वगैरह. लेकिन जब आप का यह सब काम पूरा हो जाए, तब आप मौजूदा समय में वापस आना सीख लीजिए. और ऐसा महसूस कीजिए जैसे आने वाले एक घंटे में आपकी पूरी जिंदगी समाई हुई है. इसलिए अपने इस एक घंटे के टाइम की अपॉर्चुनिटी को अप्रिशिएट कीजिए. और अपनी तमाम प्लानिंग और एक्शनके बारे में विचार कीजिए. और फिर इसी तरह धीरे धीरे प्रैक्टिस करते करते आप खुद को 24 घंटे में ज्यादातर टाइम तक प्रेजेंट रखकर फुल अपॉर्चुनिटी का अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं.
-
बी ए गुड डिटेक्टिव
इस आईडिया के मुताबिक आप चाहे जिस प्रोफेशन में भी हों., आपको हमेशा अपनी क्यूरियोसिटी कोबनाए रखना है. और दूसरों से मिलते समय उनसेएक डिटेक्टिव की तरह ऐसे थॉटफुल सवाल पूछिए, जिससे आपको छोटी से छोटी जानकारी भी पता चल जाए. आपका यह तरीका आपकी कॉन्शसनेसको ऊंचे लेवल तक बढ़ाने के लिए आप को मोटिवेट करेगा. मशहूर बास्केट बॉल कोच बॉबी नाइट हमेशा कहते थे कि, ” खेल को जीतने की इच्छा से ज्यादा इंपॉर्टेट उसको जीतने के लिए तैयारी करना है.” इसी तरह किसी से बातचीत करते समय आपकी प्रेजेंटेशन से ज्यादा यूज़फुल आपकी क्यूरियोसिटी है. जब आप अपनी क्यूरियोसिटी की तैयारी कर लेते हैं, तो आपके पास सवालों की कमी नहीं होती है बल्कि उस जगह को छोड़ने से पहले आपके पास एक एक्स्ट्रा सवाल तैयार रहता है. आप दूसरे लोगों से सवाल पूछ कर आलरेडी एक रिलेशनशिप क्रिएट कर लेते हैं . क्यूरियोसिटी की वजह से आप पहले से ही सेल्फ मोटिवेटेड रहते हैं इसलिए आपको किसी और की तरफ से इस बात के लिए वेट नहीं करना पड़ता है.
-
मेक ए रिलेशन शिफ्ट
इस आईडिया के मुताबिक आप किसी दूसरे शख्स को सेल्फ मोटिवेशन का आईडिया देकर खुद को भी मोटिवेट कर सकते हैं.ज्यादातर रिलेशनशिप में हमारा फोकस खुद अपने आप पर ही होता है. लेकिन जब हम रिलेशनशिप में किसी दूसरे शख्स परफोकस करते हैं, तो हम खुद के बारे में भूलकर तेजी से आगे बढ़ने लगते हैं. इसी फोकस शिफ्ट करने को रिलेशन शिफ्टकहा जाता है.
और अगर आप मोटिवेटेड होना चाहते हैं तो अपनी इंस्पिरेशन को किसी दूसरे की तरफ शिफ्ट कर दीजिए. उस शख्स को उसके । मजबूत पहलू के बारे में बताइए. उसको अपना प्रोत्साहन और सपोर्ट ऑफर कीजिए. और उसके सेल्फ मोटिवेशन में अपना पूरा गाइडेंस दीजिए. और इसके रिजल्ट में आप देखेंगे कि आप खुद भी कितना ज्यादा मोटिवेटेड होते हैं
-
लर्न टू कम फ्रोम बिहाइंड
इस आईडिया के मुताबिक आप अपने गोल की तरफ बढ़ते समय एक सीधी लाइन में प्रोग्रेस नहीं करते हैं. बल्कि यह हमेशा एक बम्पी लाइन होती है. जिसमें कभी आप ऊपर जाते हैं और फिर नीचे आते हैं. जैसे दो कदम आगे चलने के बाद एक कदम पीछे हटाना पड़ता है. इसमें बिल्कुल एक डांस की तरह रिदम यानीलय और ताल होती है. बहुत से लोग इस चीज से निराश हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि वह फेल हो गए हैं और उन्होंने अपना गोल खो दिया है. लेकिन असल में ऐसा नहीं होता है.उस उन्हें वक्तप्रोग्रेस की रिदमदिखाई दे रही होती है.एक बार जब आप इस रिदम को समझ जाते हैं तो इसी के मुताबिक चलकर आगे बढ़ते हैं. और उसी के मुताबिक वापस लौटने का भी प्लान करते हैं. आपको यह पता होना चाहिए कि किसी भी काम की शुरुआत में उतार चढ़ाव तो आते रहते हैं लेकिन आपको नीचे जाते समयइससे घबराना नहीं चाहिए. बल्कि ऐसे समय के लिए पहले से ही अपनी प्लानिंग कर लेनी चाहिए.
-
कम टू योर ओन रेस्क्यू –
इस आइडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि अक्सर लोगखुशी के लिए प्यार और सच्चाई की खोज में भटकते रहते हैं लेकिनवह सबसे अहम चीज अपने आत्मविश्वास को इग्नोर कर देते हैं.मशहूर साइकोथैरेपिस्ट डॉक्टर ब्रांडेन का कहना है कि ” आप को अपने विचारों की कमजोरियोंके बारे में पता लगाना चाहिए और खुद को धोखा देने वाले एटीट्यूड का मुकाबला करना चाहिए. इसके लिए आपको अपने सेल्फ एस्टीम पर फोकस करना चाहिए. दरअसल सेल्फ एस्टीमसे पता चलता हैकि आपके दिमाग पर कितना भरोसा किया जा सकता है और वह किस हद तक खुशी को महसूस कर सकता है. सेल्फ एस्टीम की वैल्यू सिर्फ इतनी ही नहीं है कि यह आपको बेहतर महसूस करवाता है. बल्कि यह चैलेंजेज और अपॉर्चुनिटी को रिस्पांड करके ज्यादा रिसोर्सेज के साथ और सही तरीके से आपको एक बेहतर जिंदगी जीने में भी मदद करता है. ” उन्होंने इस सिलसिले में दो आइडियाज दिए हैं. पहला यह : कि जिस जगह पर आप गए ही नहीं हैं वहां से आप वापस नहीं लौट सकते हैं. और दूसरा यह : कि कोई नहीं आ रहा है. यह आइडियाज उन लोगों के लिए हैं जो अपने अंदर के डर से लड़ते रहते हैं और अपने डरावने ख्यालों से दूर भाग जाना चाहते हैं.पहले आईडिया पर ध्यान पूर्वक विचार करने से हमारा डर यह सोचकर खत्म हो जाता है कि जब हम कभी ऐसी डरावनी जगह पर गए ही नहीं तो फिर वहां से लौटने या भागने की कोई जरूरत नहीं थी. और दूसरा आईडिया कि आप को बचाने कोई नहीं आ रहा है आप कोसेल्फ मोटिवेट करता हैकि आप सेल्फ रिस्पांसिबल हैं और खुद ही हालात से निपट सकते हैं.
-
फाइंड योर सोल पर्पज
इस आईडिया के मुताबिक यह जानने के लिए कि क्या आप वाकई में एक सच्ची जिंदगी जी रहे हैं, आपको पता होना चाहिए कि आप अपनी मौत से कितना डरते हैं ? मशहूर अमेरिकनमनोविज्ञानी डेविड विस्कॉट का कहना है कि, ” जब आप कहते हैं कि आपको मौत से डर लगता है, तो आप यह कहते हैं कि आपको डर है कि आपने ट्र लाइफ को नहीं जिया है. यही डर सारी दुनिया में हावी हो कर खामोशी से तकलीफ पहुंचा रहा है. इसलिए आपको ऐसी चीजों के बारे में पता लगाना चाहिए जो आपको खुशी देतीहों. ” और अगर आप अपनी खुशी को खुद अपने अंदर ही तैयार नहीं करेंगेतो आप खुद को किसी दूसरे शख्स की मदद करने के लिएतैयार नहीं कर पाएंगे. और आप जो बनना चाहते हैं उसको क्रिएट करने के लिए लिए आपके पास जरूरी एनर्जी नहीं रहेगी. इसलिए आप अपने जीने का ऐसा गोल सेट कीजिए, जिससे आप अपने आखिरी समय में इस झूठ को भी सच मान लें कि आपने एक टू लाइफ को जिया है. क्योंकि आपने वह सब कुछ किया है जिससे आपको खुशी मिल सकती थी.
-
गेट अप ऑन द राइट साइड
इस आईडिया के मुताबिक 1930 मेंब्रेन सर्जन्स ने मिर्गी के रोगियों की जांच करते समयइस बात कापता लगाया था कि इंसानी दिमाग दो हिस्सों में अलग-अलग तरीके से काम करता है. और 1950 में अमेरिकन न्यूरो साइकिएट्रिस्ट रोजर वोल्कोट स्पेरी ने इस बात का पता लगाया कि इंसानी सपने, एनर्जी और क्रिएटिव इनसाइट दिमाग के राइट साइड से आती हैं. जबकि सीधे, लॉजिकल, थोड़े समय वाले, और करीब की चीजों पर फोकस करने वाले विचार दिमाग के लेफ्ट साइड से आते हैं. इस बारे में ब्रिटिश फिलॉस्फर कॉलिन विल्सन का कहना है कि राइट ब्रेन से इम्पोर्टेन्ट एनर्जी और क्रिएटिव
आईडियाज निकालने में हमारा कंट्रोल बहुत अच्छा है. इसलिए दिमाग का यह हिस्सा हमारे लिए बहुत परपजफुल है. उदाहरण के लिए अगर आपको अपनी पीठ पर कोई वजनी सामान लादकर कुछ दूर तक चलना हो. तो लेफ्ट ब्रेन इसे एक बोरिंग काम मान कर अपसेट हो जाता है. हालांकि अगरआपके बच्चे को चोट लग जाए
और आप को उसेअपनी पीठ पर लादकर इतनी ही दूर तक हॉस्पिटल ले जाना हो तो इसके लिए राइट ब्रेन से जरूरी एनर्जी में बढ़ोतरी कर दी जाती है. और जब लेफ्ट ब्रेन राइट ब्रेन को अच्छी तरह से यह बताने लगता है कि कि किस टाइम क्या किया जाना चाहिए तो सेल्फ मोटिवेशन भी और ज्यादा एक्साइटिंग हो जाता है.
-
लेट योर होल ब्रेन प्ले
इस आईडिया के मुताबिक ज्यादातर लोग सिर्फ अपनी लेफ्ट ब्रेन काइस्तेमालसीधी और लॉजिकलबातों को सोचने लिएकरते हैं. और कभी भी क्रिएटिव राइट ब्रेन को एक्टिवेट नहींकरते हैं. और इस तरहवह अपनी जिंदगी से प्यार करने का मौका खो देते हैं. दरअसल राइट ब्रेन रात के समय सपना देखते वक्त जाग जाता है और उस समय लेफ्ट ब्रेन सोता रहता है. लेकिन जब हम जागते समय लेफ्ट ब्रेन को राइट ब्रेन के साथ कनेक्ट कर लेते हैं तो पूराब्रेन नई पावर के साथ काम करने लगता है. इसके लिए उदाहरण दिया गया है कि जब हमबचपन में प्यार करते हैं, गेम्स खेलते हैं, कविताएं लिखते हैं, किसी बेबी को अपने हाथों में पकड़ते हैं या किसी खतरे का सामना करते हैं तो हमारा लेफ्ट ब्रेन राइट ब्रेन को यह कमांड देता है कि वह जाग जाए और साथ में काम करना शुरू कर दे. इस पोजीशन को होल ब्रेन थिंकिंग कहते हैं. और ऐसा करने के लिए तीन सबसे अच्छी तरीके बताए गए हैं : इनमें से पहला है कि अपने गोल का विजुलाइजेशन कीजिए. दूसरा तरीका है कि जॉय फुल वर्क कीजिए यानी ऐसे काम कीजिए जिनसे आपको खुशी मिलती हो. और तीसरा तरीका है कि रिवाइटलइजिंग प्ले. यानी कि आप किसी बाहरी खतरे के आने का इंतजार मत कीजिए और गोल्स और पर्पज के लिएअपने अंदर ऐसे चैलेंजिंग गेम्स क्रिएट कीजिए. जो आपको एक ऐसा शख्स बनने के लिए मोटिवेट कर सके जैसा कि आप बनना चाहते हैं.
-
गेट योर स्टार्स आउट
इस आईडिया के मुताबिक यह देखा गया है कि अक्सर बहुत से लोग अपनी जिंदगी में किन्हीं खास मौकों पर इमोशनल होकर रोने लगते हैं. मिसाल के तौर पर जब आप अपने किसी हीरो खिलाड़ी को
ओलंपिक में मेडल जीतते हुए देख कर रोने लगतेहैं, या किसी फिल्म में एक अंधी लड़की को घोड़े से जंप लगाते हुए देख कर आपकी आंखों में आंसू आ जातेहैं और जब आप किसी शादी को अटेंड करते वक्त रोने लगते हैं. तो इसके बारे में एक थ्योरी का जिक्र किया गया हैकि’हमारे अंदरकहीं ना कहीं ऐसी कोई चीज मौजूद है जो उस वक्त दिखाई देने वाली चीजों से खुद को कनेक्ट कर लेती है.और उन चीजों को रियलाइज करके हमारी आंखों में आंसू आ जाते हैं. और उस समय हम यह सोचने लगते हैं कि हम भी उन की तरह बन सकते थे मगर असल में ऐसा नहीं है. ‘ एडवाइजर टेरी हिल का उदाहरण देते हुए यह बताया गया है किउन्होंने अपने जीवन के बहुत सारे सालों में एडवरटाइजिंग और पब्लिक रिलेशन में काम करके अनगिनत अवार्ड जीते हैं. और उन्होंने क्रिएटिंग करने केबारे में बहुत नॉलेज वाले और पेचीदा फार्मूले पेश किए हैं. और वह इस बारे में कहते हैं कि क्रिएटिव होना बहुत सिंपल है, बस इसके लिए आपको अपने अंदर के स्टार्स को बाहर निकालना होगा. जिसका मतलब यह है कि आप उन्हें जबरदस्ती बाहर मत निकालिए. बस उन्हें शाइन करने का मौका दीजिए.
-
जस्ट मेक एवरी थिंग अप –
इस आईडिया के मुताबिक आमतौर पर ज्यादातर लोगखुद को क्रिएटिव नहीं मानते हैं. लेकिन जब उनसे यह पूछा जाता है कि क्या उन्होंने बचपन में चीजों कोबनायाहै ? , जैसे कि अपनी गुड़िया का नाम बनाना, खेलने के लिए कोई नया गेम बनाना , या फिर अपने पेरेंट्स के लिएऐसीकहानियां बनानाजो असली स्टोरी से भी ज्यादा सच्ची लगे. तो ज्यादातर लोगों ने यह माना कि उन्होंने पहले ऐसी चीजों को बनाया था . तो आखिर ऐसा क्यों है कि आप ऑलरेडी चीजों को बनाने वाला बच्चा होने के बावजूद बड़े होकर चीजों को ना बनाने वाले शख्स बन जाते हैं. इस का कारण यह बताया गया है कि अब चीजें बनाने का नाम बदल कर क्रिएशन कर दिया गया था. जिसका मतलब वाकई में एक एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी चीज बनाना होता है. इसलिएआप अपना गोल क्रिएशन और एक्शन प्लान शुरू करते समय उनको उतनी ही आसानी से बनाइए जैसे कि आप बचपन मेंकरते थे. और फिर बाद में आप अपने क्रिएशन को पूरा कर लेंगे.
-
पुट ऑन योर गेम फेस –
इस आईडिया के मुताबिक स्टीव शेनडलर अपना उदाहरण देते हुए बताते हैं कि उन्हें अपने हाई स्कूल टेस्ट के लिए पढ़ाई करना बहुत बोरिंग लगता था. इसलिए उन्होंने अपने स्कूल के साथी टेरी हिल के साथ मिलकर एक गेम बनाया. जिसमें उन दोनों ने स्कूल के कोर्स के मुताबिक अपनी तरफ से बहुत हार्ड टेस्ट क्वेश्चंस तैयार किए और उन्हेंहल करने के लिए एक दूसरे को चैलेंज किया. और फिर उनको हल किया. इसके बाद जब उन्होंने स्कूल में जाकर असली टेस्ट पेपर को हल किया तो वह उन्हें अपने प्रैक्टिस पेपर के मुकाबले में बहुत आसान लगा. ऐसा इस वजह से हो पाया क्योंकि उन्होंने अपनी बोरिंग पढ़ाई को एक गेम के रूप में चेंज करके उसे एक काम की जगह खेल के रूप में ले लिया था. जिसकी वजह से उनकी एनर्जी और सेंस ऑफ क्रिएटिविटी बहुत बढ़ गए थे. इसलिए आप जो भी काम करें चाहे वह एक बड़ा प्रोजेक्ट हो या फिर छोटा सा घरेलू काम, आप उनको एक इंटरेस्टिंग खेल के रूप में बदल दीजिए जिससे आप का एनर्जी लेवल और मोटिवेशनबहुत बढ़ जाएंगे.
-
डिस्कवर ऐक्टिव रिलैक्सेशन
इस आईडिया के मुताबिक एक्टिवरिलैक्सेशन के बारे में बताया गया. जब हम वीडियो या कंप्यूटर गेम खेलते हैं, चेस या कार्ड खेलते हैं,
और गार्डन में काम करते हैं और, तब यह सारी एक्टिविटीज हमारी । पर्सनल क्रिएटिविटी और हमारे इंटेलेक्चुअल मोटिवेशन को बढ़ा देती हैं. इसलिए इन्हें एक्टिव काम कहा जाता है. ऐक्टिव रिलैक्सेशन दिमाग को तरो ताजाकरके फिर से पहले जैसा चालू कर देता है. और यह सोच विचार करने के लिए दिमाग को मजबूत और फ्लैक्सिबल बनाता है.
दूसरी तरफ बहुत से लोग रिलैक्स करने के लिए शराब पीते हैं,स्मोक करते हैं, बकवास वीडियो देखते हैं, या फिर कुछ उल्टा सीधा खाते रहते हैं. इस तरह का रिलैक्सेशन हमारी आत्मा को सुस्त बना देता है. और हमारे लिए अपने सही होशो हवास में वापस लौटना बहुत मुश्किल हो जाता है. इस बारे में फोर्ड मोटर्स के फाउंडर हेनरी फोर्ड ने कहा था, ” सोच विचार करना एक बहुत मुश्किल काम है. इसीलिए बहुत कम लोग सही तरीके से सोच विचार कर पाते हैं. लेकिन अगर मनोरंजन के साथ सोच विचार किया जाए तो हमारी जिंदगी बहुत खुशहाल हो सकती है और हम जिंदगी को एक दर्शक की तरह नहीं बल्कि एक खिलाड़ी की तरह जी सकते हैं .”
-
मेक टूडे ए मास्टरपीस –
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि आप हर एक दिन को अपना मास्टर पीस बनाइए. क्यूंकि जिंदगी इस समय तो है लेकिन फिर बाद में यह नहीं रहेगी. और जितना ज्यादा हम इस बारे में सोचेंगे कि अभी हमारे पास अपने मनचाहे काम को पूरा करने के लिए बहुत समय बाकी है, उतना ज्यादा हम अपने सपनों में जीते रहेंगे. और हमारे काम अधूरे ही रहेंगे. हमारा सेल्फ मोटिवेशन भी तभी काम करता है जब हम अपने आज के दिन को इंपॉर्टेस देते हैं. इसके लिए यह उदाहरण दिया गया है कि अगर कोई आपसे जानना चाहे कि क्या आज के दिन को आपकी पूरी जिंदगी को जज करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है . तो शायद आपका जवाब यही होगा कि इस काम के लिए आज का दिन ज्यादा अच्छा नहीं है. लेकिन एक या दो साल के बाद यकीनन एक ऐसा दिन हो सकता है जिसको आप उनकी जिंदगी को रिप्रेजेंट करने के लिए इस्तेमाल कर सकें. दरअसल आपके पर्सनल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए आपकी मजबूत इच्छा का होना जरूरी है.आप इसके लिए रोज छोटी छोटी चीजों को करते रहें. हर रोजजब आप नींद से जागतेहैं तो पैदा होते हैं, और जब आप सोते हैं तो मर जाते हैं. आपकी जिंदगी को इसी तरह से डिजाइन किया गया है कि आप अपनी पूरी जिंदगी एक दिन में जी सकें.
-
एंजॉय ऑल योर प्रॉब्लम्स
इस आइडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि प्रॉब्लम्स आपके लिए अच्छी होती हैं. प्रॉब्लम्स को सॉल्व करके आप ज्यादा सेल्फ सफिशिएंट बनते हैं. और अपने दिमाग पर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं. इल्यूजंस किताब के लेखक रिचर्ड बाक का कहना था, ” हमारी जिंदगी में आने वाली हर एक प्रॉब्लम अपने साथ तोहफे भी लेकर आती है.” और नेचुरल हीलिंग के डॉक्टर एंड्रयू वेल बीमारी को भी एक गिफ्ट मानते हुए कहते हैं कि ” बीमारी शायद इकलौती ऐसी चीज है जो कुछ लोगों को अपने गहरे संघर्ष को हल करने में मदद करती है. और सफल होने वाले मरीज़ इसको पर्सनल ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए अपनी लाइफ की सबसे बड़ी अपॉर्चुनिटी मानते हैं, जो कि वाकई में उनके लिए एक कीमती तोहफा है. और बीमारी को किसी बदकिस्मती की तरह देखना आपके हीलिंग सिस्टम में रुकावट डाल सकता है. ” इसलिए अगर आप अपनी प्रॉब्लम्स को किसी आफत की तरह देखेंगे. तो फिर आप के लिए मोटिवेशन का मिलना बहुत मुश्किल हो जाएगा. लेकिन अगर आप अपनी प्रॉब्लम्स की वजह से मिली हुई अपॉर्चुनिटी से प्यार करना सीख जाएंगे तो आपकी मोटिवेशनल एनर्जी बहुत बढ़ जाएगी.
-
रिमाइंड योर माइंड
इस आइडिया के मुताबिक यह बताया गया है. कि अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके लिए कोई आईडिया आगे चलकर यूज़फुल हो सकता है. तो आप उसे कहीं नोट कर लेते हैं. पर आप ऐसे तमाम आइडियाज को याद रखने केतरीके भी तलाश करने लगते हैं. दरअसल आप अपने मोटिवेशन को बनाए रखने के लिए ऐसा करते हैं. और आप जिन पॉजिटिव आइडियाज को अपनी लाइफ में इस्तेमाल करना चाहते हैं, उन को जानबूझकर अपने दिमाग में रिमाइंड करवाते रहते हैं. कई बार कोई विचार, कोई सेंटेंस या कोई पैराग्राफ आपको इतना इंस्पायर कर देता हैकि आप के लिए इनको अपने पास संभाल कर रखना जरूरी हो जाता है. और फिर बाद में आप इनको अपनी कॉन्शसनेस के साथ जोड़ लेते हैं. इस बारे में स्टीव शेनडलर अपना उदहारण देते हुए कहते हैं कि , ” एक बार मै मशहूर अमेरिकी लेखक वर्नर इहार्ड के सेमिनार को अटेंड कर रहा था. इसी बीच मुझे ब्रेक में थोड़ा फुर्सत का टाइम मिल गया. उस समय मैंने खुद को एक लेटर लिखा. उस लेटर में मैंने सेमिनार से मिलने वाले उन सारे आईडियाज को लिखा, जिनको मैं बाद में भी याद रखना चाहता था. फिर मैंने उस लेटर को एक लिफाफे में सील कर दिया और अपने साथ लेकर घर आ गया. और फिर एक महीने के बाद मैंने उसे खुद को ही मेल कर दिया. और फिर जब मैंने अपने काम पर उस लिफाफे को खोला और पढ़ा, तोएक बार फिर से मेरा एक्सपीरियंस रिफ्रेश हो गया था. मैं यह देखकर बहुत इंप्रेस हुआ कि यह आईडिया मेरे लिए कितना इफेक्टिव था. ”
-
गेट डाउन एंड गेट स्मॉल
इस आईडिया के मुताबिक आपकी जिंदगी में रोजाना छोटे गोल सेट करने की इंपोर्टेस और उसकी पावर को बताया गया है. दिन के दौरान सेट किए जाने वाले छोटे गोल से आप के पूरे दिन को एनर्जी मिलने के साथ-साथ आपको एक छोटी जीत मिलने का एहसास भी होता है. छोटे गोल को प्रोसेस गोल कहा जाता है. दूसरी तरफ कैरियर गोल, सालानागोलऔर मंथली परफॉर्मेंस गोल जैसे बड़े और लार्ज रेंज के स्पेसिफिक गोल लोगों के माइंड में उनकी एंबिशन से जुड़े होते हैं. ऐसे गोल को आउटकम गोल कहते हैं. छोटे गोल सेट करनेकी खूबसूरती यह है कि उन्हें पूरा करना हमेशा आपकी पहुंच में होता है. मिसाल के तौर पर आप एक प्रोसेस गोल सेट कर सकते हैं कि आपको लंच से पहले चार जरूरी टेलीफोन कॉल करनी हैं.
प्रोसेस गोल पर आप अपना टोटल फोकस रख सकते हैं. जब आप लगातार प्रोसेस गोल सेट करते रहते हैं, तो आपका दिन बहुत अच्छे से आप के कंट्रोल में होता है. और आपको स्किलफुल सेल्फ मोटिवेशन का एहसास होता है. दिन के आखिर में या दूसरे दिन की शुरुआत में आप अपने आउटकम गोल की प्रोग्रेस को चेक कर सकते हैं. आप अपने प्रोसेस गोल को आउटकम गोल के करीब रखने के हिसाब से एडजस्ट कर सकते हैं. जो लोग सारा दिन अपने प्रोसेस गोल की सेटिंग को बनाए रखते हैं वह आमतौर पर ज्यादा खुश रहते हैं क्योंकि उन्होंने अपने आसपास की दुनिया के हिसाब से अपने दिन को क्रिएट नहीं किया होताहै बल्कि उन्होंनेअपने दिमाग के अंदर की पावर से उसे क्रिएट किया है.
अन्य बेस्ट सेलर बुक समरी पढ़े – CLICK HERE
-
एडवरटाइज टू योर सेल्फ
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि आप अपने दिन की शुरुआत करते समय एक प्लेन पेपर पर 4 सर्कल्स ड्रॉ कर लीजिए. यह चारों आपके दिन महीने साल और जिंदगी को रिप्रेजेंट करते हैं.आप जो कुछ भी करना चाहते हैं इन सर्कल्स में लिख लीजिए. आप इस तरह अपने माइंड को यह रिमाइंड कराते हैं कि असल में आप क्या करना चाहते हैं. इस बारे में उदाहरण देते हुए बताया गया है कि एक पति पत्नी बहुत सालों से अपनाएक घर खरीदना चाहते थे. लेकिन उसके लिए पूरे पैसे इकट्ठा ना होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रहे थे. और फिर एक दिन जैसा घर वह खरीदना चाहते थे उसकी एकफोटो उन्होंने घर के रेफ्रिजरेटर पर लगा दी. और फिर उसके बाद एक साल के अंदर ही उन्होंने वह खरीद लिया और उस में रहना शुरू कर दिया. इस बारे में स्पोर्ट साइकोलॉजिस्टरॉब गिल्बर्ट का कहना है कि, ” जो लोग हमेशा अपनी हार के बारे में सोचते हैं वह उसके बाद होने वालेनुकसान के बारे में विजुलाइज करते हैं. जबकि जीतने के बारे में सोचने वाले । लोग, सक्सेसके बाद उन्हें मिलने वाले इनाम के बारे में विजुलाइज करते हैं. ” दरअसल हमारा सब कॉन्शियस माइंड सिर्फ अलग-अलग तरह की तस्वीरों के जरिए से ही कम्युनिकेट कर पाता है. इसलिए हमें अपने गोल के बारे में लिखकर और तस्वीरों के जरिए खुद को ही एडवर्टाइज करते रहना चाहिए ताकि हम अपने माइंड को उनके बारे में रिमाइंड कराते रहें.
-
थिंक आउट साइड द बॉक्स
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि ज्यादातर लोग अक्सर किसी पजल या पहेली को हल करते समय फ्रसट्रेशन मे आकर उसे अधूरा ही छोड़ देते हैं. और ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम बिना किसी वजह के ही अपनी थिंकिंग को रिस्ट्रिक्टेड कर लेते हैं. दरअसल हम चीजों को वैसे ही करते हैं जिस तरह से हमने हमेशा उनको किया है. लेकिन हमें अपने कमिटमेंट के बारे में समझना चाहिए. और थिंक आउट साइड द बॉक्स करना चाहिए. यानीअपने माइंडसेट को चेंज करके प्रॉब्लम्स को हल करने के लिए मोस्ट पॉसिबल इनोवेटिव तरीकों के बारे में सोच विचार करना चाहिए. हम हमेशा यह सोच कर एक ही तरीके से काम नहीं कर सकते हैं क्योंकि हम हमेशा से ऐसा ही करते आ रहे हैं. जब हम आउट -ऑफ द -बॉक्स निकलकर यह मान लेते हैं कि हमारे पास अनगिनत आइडियाज की पॉसिबिलिटी मौजूद हैं, तब हमें बहुत ज्यादा मोटिवेशनल एनर्जी मिलती है.
-
कीप थिंकिंग, कीप थिंकिंग –
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि मोटिवेशन थॉट से आता है. आप जो भी ऐक्ट करते हैं, उसके पीछे एक थॉटहोता है जो उस एक्ट को इंस्पायर करता है. और जब आप अपनी थिंकिंग बंद कर देते हैं तो उस थॉट के लिए मोटिवेशन को खो देते हैं. मिसाल के तौर पर अगर कोई शख्स यह डिसाइड करता है कि वह संडे की सुबह गैरेज की सफाई करेगा. उस दिन वह सुबह उठकर गैरेज की तरफ जाता है और उसका दरवाजा खुलते ही वह यह देख कर हैरान हो जाता है कि वहां की हालत तो कुछ ज्यादा ही बिगड़ी हुई थी. और वह यह सोच कर कि यह काम एक दिन में नहीं किया जा सकता था, वापस अपने घर लौट जाता है. हालांकि उसी कंडीशन में ऑप्टिमिस्टिक सोच वाला शख्स उसी काम को चार हिस्सों में बांट लेता है. और फिर उसदिन एक सेक्शन की सफाई करने के बाद अगले हर संडे को एक-एक करके बाकी तीनों सेक्शन की भी सफाई करके पूरे गैरेज की सफाईकर लेता है. मशहूर अंग्रेजी लेखक और फिलॉस्फर कॉलिन विल्सन यह कहते हैं कि, ” आपका इमैजिनेशन ऑप्टिमिस्टिक यानी आशावादी होना चाहिए. और इसका इस्तेमाल रियलिटी से भागने के लिए नहीं बल्कि रियलिटी को क्रिएट करने के लिए होना चाहिए.”
-
पुट ऑन ए गुड डिबेट
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि हम सब लोग नेगेटिव थिंकिंग करते हैं. लेकिन जब एक बार आप अपनी जिंदगी में ऑप्टिमिज्म के इफेक्टिव नेस को समझ जाते हैं तब आप अपने नेगेटिव थॉट से डिबेट करने लगते हैं. अगर आप किसी मामले के बारे में पैसिमिस्टिकयानी निराशावादी तरीके से सोच रहे हैं. तो इसके लिए सबसे पहले आपको यह स्वीकार करना होगा कि आपकी थॉट सही या गलत नहीं है बल्कि पैसिमिस्टिक है. और इस तरह की सोच आपके माइंड के लिए बहुत कम इफेक्टिव होती हैं. इसके बाद अगले स्टेप में आपकोऑप्टिमिस्टिक व्यू के लिए एक केस बनाना है.
ऑप्टिमिज्म आपके लिए पॉसिबिलिटीज़ के बहुत से नए दरवाजे खोल देता है. जबकि पैसिमिस्म रिस्ट्रिक्ट करता है. यानी आपकी मोटिवेशन मेंरुकावट डालता है. इसलिए अगर आप मोटिवेशन के साथ अपनी जिंदगी में सक्सेसफुल होना चाहते हैं तो आप एक ऑप्टिमिस्टिक थिंकर बन जाइए.
-
मेक ट्रबल वर्क फॉर यू
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि अक्सर हम ऐसे इंसीडेंट के बारे में सुनते हैं जिसमें पहले तो वह घटना बहुत खराब होती हैलेकिन फिर बाद में वही खुशकिस्मती में बदल जाती है . मिसाल के तौर पर एक एक्सीडेंट में किसी शख्स का पैर टूट जाता है. और वह हॉस्पिटल में जाकर जिस लेडी डॉक्टर से मिलता है. उससे उसे प्यार हो जाता है. इसके बाद वह उस से शादी कर लेता है.
और उसके साथ जिंदगी भर के लिए हैप्पी रिलेशनशिप बना लेता है. इसलिए आप शुरू में बहुत खराब दिखाई देने वालीऔर आपको परेशान करने वाली घटना का इस्तेमाल करके भी उसके अंदर छुपे हुए गिफ्ट तक पहुंच सकते हैं. इसके लिए आपको खुद को सेल्फ मोटिवेट करने के लिए सिर्फ इतना देखना है कि उस घटना में आपके लिए कौन सी अच्छी चीजें मौजूद हैं. और फिर आपकी जिंदगी बदल जाएगी.
-
स्टॉर्म योर ओन ब्रेन
इस आइडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि प्रॉब्लम्स को सॉल्व करने के लिएब्रेन स्टॉर्म तकनीक का इस्तेमालक्रिएटिव आइडियाज़ देने के लिए बहुत सक्सेसफुली किया जा रहा है. ब्रेन स्टॉर्म का मतलब अनरीजनेबल और बेवकूफी वाले आइडियाज देना है. इस तकनीक के 2 नियम बताए गए हैं : पहला यह कि कोई भी आईडिया स्टुपिड नहीं होता है. और हर अनरीजनेबल आइडिया बेहतर होता है. यानी कि जो आईडिया जितना ज्यादा समझ से बाहर होता है वही इसमें सबसे अच्छामाना जाताहै. और दूसरा नियम यह है कि सभी लोगों को अपने आइडियाज देने चाहिएं. इस के लिएउदाहरण दिया गया है कि, ‘ आप अपनी प्रॉब्लम को एक पेपर के टॉप पर लिख लीजिए और उसके नीचे एक से लेकर 20 तक की गिनती लिखिए.
और अपने ब्रेन स्टॉर्मसेशन को शुरू कीजिए. और जल्दी जल्दी बिना ज्यादा सोच विचार किए हुए अपने 20 आइडियाज को पेपर पर लिख दीजिए. एक हफ्ते तक इसी एक्सरसाइज को कीजिए. और फिर जब आपके पास 100 आइडियाज से ऊपर की लिस्ट तैयार हो जाए. तो तो आप देखेंगे कि उनमें से बहुत से आईडियाज यूजफुल नहीं है. लेकिन इसी प्रैक्टिस को बार बार रिपीट करने से आपको बहुत आसानी से ज्यादातर यूजफुल आइडियाज मिलने शुरू हो जाएंगे. दरअसल यह तकनीक आपके उस तरीके के मुकाबले में ज्यादा आरामदायक है जिसमें आप बहुत टेंशन के साथ दिमाग पर जोर देकर क्रिएटिव आइडिया के बारे में थिंकिंग करते हैं. बल्कि इसमें आपका राइट ब्रेन एक्टिव होता है और आप को बड़ी आसानी से मोटिवेशन के साथ क्रिएटिव आइडियाज मिलने लगते हैं.
-
कीप चेंजिंग योर वॉइस –
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि अगर आप को अपने जॉब में दूसरे लोगों से कम्युनिकेट करना होता है तो आपकी बातचीत करने वाली रिलैक्स्ड , और स्ट्रांग आवाज आपके लिए एक बहुत कीमती संपत्ति की तरह होती है. जब बहुत से लोग ऐसे लोगों की चर्चा करते हैंजिनकी बातचीत की आवाज सुनने में बहुत । खुशनुमा लगती है तो वह लोग इसकी तारीफ मेंमेलोडीयस यानी मधुर और वेल माड्यूलेटेड यानी सुरीली जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं. इसलिए आप की आवाज जैसी भी है. आप उसी में अटके मत रहिए. बल्कि आप अपने मनपसंद गानो को गाना शुरू कीजिए.
और जल्दी ही आप जैसी आवाज चाहते हैं, वैसी ही आवाज को क्रिएट कर लेंगे. आपकी आवाज जितनी ज्यादा स्ट्रांग होगी, उतना ही ज्यादा आपका कॉन्फिडेंस भी हो जाएगा. जिससे आपका मोटिवेशन और ज्यादा बढ़ जाएगा.
-
एमब्रेस द न्यू फ्रंटियर
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि अब वह समय बदल गया है जब आप को रोजगार मिलने की अपॉर्चुनिटी आपकी जॉब हिस्ट्री , आपके स्कूल रिकॉर्ड, आपके कनेक्शन्स, और आप की फॅमिली बैकग्राउंड पर डिपेंड करती थी. अब आप की । एम्प्लॉयबिलीटी सिर्फ एक चीज पर डिपेंड करती है और वह है आपकी मौजूदा काबिलियत. जो कि पूरी तरह से खुद आप के कंट्रोल में होती है. आज आप अपनी लर्निंग के जरिए और जिंदगी भर ग्रोथ करने के कमिटमेंट के साथ जितना ज्यादा मोटिवेटेड होते हैं उतना ही ज्यादा वर्ल्ड कम्युनिटी के लिए यूजफुल साबित होते हैं. आप जितना ज्यादा फ्यूचर के बारे में सीखते जाते हैं उतना ही ज्यादा आपका मोटिवेशन बढ़ता जाता है. और आप वर्ल्ड कम्युनिटी के एक वैल्युएबल पार्ट बन जाते हैं. महान बास्केटबालकोच जॉन वुडन का कहना है कि, ” आप अपनी जिंदगी में इतना ज्यादा सीखने की कोशिश करें जैसे आप यहां पर हमेशा के लिए रहने वाले हैं. और आप इस तरह से जिंदगी को जियें जैसे आप कल ही मरने वाले हैं .”
-
अपग्रेड योर ओल्ड हैबिट्स
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि आपकी लाइफ में खराब आदतों के साथ सुपर मोटिवेशन को अचीव करना बहुत ज्यादा मुश्किल है. हालांकि हम अपनी बैड हैबिट्स को आसानी से नहीं छोड़ पाते हैं. लेकिनइनके भी अपने कुछ फायदे होते हैं. मिसाल के तौर पर लोग वैसे तो अपनी नशे की आदत की वजह से सिगरेट पीते हैं लेकिन फिर भी ऐसा करके वह अपने लिए कुछ फायदे की चीज करना चाहते हैं.शायद वह इस तरीके सेगहरी सांस लेकर रिलैक्स करना चाहते हैं. स्ट्रेस को बैलेंस करने के लिए इस तरह की गहरी सांस लेना बहुत फायदेमंद होता है. इसलिए आपको अपनी आदतों को चेंज करने से पहले यह समझना चाहिए कि आपने उन्हें क्यों शुरू किया था. और उनकी फायदेमंद चीजों को नोटिस करके उन्हें इस तरह से आगे बढ़ाना चाहिए की उन मे मौजूदखराब चीजें अच्छी चीजों में बदल जाएं. दरअसल आपका सबकॉन्शियस माइंड आप की बुरी आदतों को बुरा नहीं मानता है क्योंकि आप ऐसा महसूस करते हैं कि वह आप की जरूरतों को पूरा करती हैं. इसलिए खुद को मजबूत बनाने के लिए आपको अपनी जरूरतों की पहचान करके उसका सम्मान करना चाहिए. और अपनी मौजूदा हैबिट को एक ज्यादा हेल्दी और ज्यादा इफेक्टिव हैबिट से रिप्लेस कर देना चाहिए. जब आप एक खराब हैबिट को अच्छी हैबिट से रिप्लेस करेंगे तो इससे आपको और दूसरी हैबिट्स को रिप्लेस करने के लिए मोटिवेशन मिलने लगेगा.
-
पेंट योर मास्टरपीस टुडे
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि अगर आप अपने दिन को किसी आर्टिस्ट केखालीकैनवस की तरह मान लेते हैं और उसमें आजादी के साथ अपने मन मुताबिक अच्छी तरह से पेंटिंग करते हैं तो आपको अपनी जिंदगी में किसी हालात के शिकार शख्स की तरह आगे नहीं बढ़ना पड़ता है . लेकिन हममें से बहुत से लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं हो पाती है कि वह हालात के शिकार हो रहे हैं. मिसाल के तौर परवहलोग बिना सोचे समझे कुछ भी पढ़ते हैं, रेडियो पर कुछ भी सुनते हैं, जो कुछ भी आसानी से मिल जाए उसे खाते हैं, इंटरनेट पर जो कुछ भीमौजूदहै उसे स्कैन करते हैं, उन्हें टेलीफोन पर कॉल करने वाले किसी भी आदमी से बात करते हैं,
और टेलीविजन पर जो कुछ भी दिखाया जा रहा हो उसे देखते हैं. ऐसा करके वह लोग अपने दिन के कैनवस में नेगेटिव चीजों को भरते रहतेहैं. उन को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि वह लोग भी इन सब चीजों को पॉजिटिव वे में चेंज कर सकते हैं और अपने टाइम का बेस्टमैनेजमेंट कर के अपने दिन के कैनवस में भी मनचाही पेंटिंग बना सकते हैं. इसलिए आप सुबह उठकर अपने दिन को एक खाली कैनवस की तरह विजुलाइज कीजिए. और उसमें एक अच्छे आर्टिस्ट की तरह से सुंदर पेंटिंग बनाने के लिए समझदारी और सेल्फ मोटिवेशन के साथ अपने टाइम का बेस्ट यूटिलाइजेशन कीजिए .
-
स्विम लैप्स अंडर वॉटर
इस आईडिया के मुताबिक ब्रीथिंग और थिंकिंग मेंकनेक्शन को समझाया गया है. अमेरिकन जनरल जॉर्ज एस पैट्टन ने एक बार अपने सैनिकों को ब्रेन पावर पर लेक्चर देते हुए कहा था कि, ” चाहे युद्ध का समय हो या फिर शांति का, एक शख्स को हमेशा अपना पूरा दिमाग इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है. दिमाग ऑक्सीजन से आता है. ऑक्सीजन लंग्स से आती है. जहां हमारे सांस लेने पर हवा पहुंचती है . हवा में मौजूद ऑक्सीजन ब्लड में पहुंचती है और ब्रेन तक का सफर करती है.” इसलिए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वह अपनी बॉडी को ज्यादा से ज्यादा एक्टिव रखें ताकि लंग्स में ज्यादा से ज्यादा हवा पहुंचती रहे. और दिमाग को पूरी ऑक्सीजन मिलती रहे. इसी तरह मशहूर शतरंज के खिलाड़ी बॉबी फिशर के बारे में बताया गया है कि जब वह बोरिस स्पैस्की के साथ अपने वर्ल्ड चैंपियन चेस मैच की तैयारी कर रहे थे, तब उन्होंने अपने लंग्स को मजबूत करने के लिए रोजाना कई दिनों तक पानी के नीचे तैराकीकी थी.जिससे दिमाग को ज्यादा ऑक्सीजन मिल सके .उनको इस बात की जानकारी थी कि उन्हें देर तक उस मैच को खेलना था . इसलिए उन्हें बेहतरीन थिंकिंग के लिए एक ज्यादा तरोताजा दिमाग की जरूरत थी. जिसके लिए उन्होंने ब्रीथिंग पर कंट्रोल के जरिए ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन अपने दिमाग को पहंचाई थी. इसी तरह कभीकभी आपको भी सेल्फ मोटिवेशन के लिए सिर्फ सांस लेनेकी जरूरत होती है. इसलिए आप दौडते समय यावॉक करते समय गहरी सांस लेकर अपने दिमाग को तरो ताजा और क्रिएटिव रखिए.
-
बिंग ऑन ए गुड कोच
इस आईडिया के मुताबिक आपकी जिंदगी में एक कोच की वैल्यू केबारे में बताया गया है कि जब आप किसी अच्छे कोच से कोचिंग लेना शुरू करते हैं तो आप मजबूती से ग्रो करने लगते हैं. औरखुद को बदलने के लिए ज्यादा रिस्पांसिबल हो जाते हैं. दरअसल आपकीसबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि आप यह पहचान नहीं कर पाते हैं कि अपनी जिंदगी में आप किन चीजों के लिए जिम्मेदार हैं और किन के लिए नहीं. आपके अंदर लगातार सेल्फ एग्जामिनेशन किए जाने की मजबूत इच्छा होनी चाहिए . बेस्ट कोचेज आपको दिखाते हैं की सेल्फ एग्जामिनेशन कैसे किया जाता है ! आपके लिए सबसे अच्छे पल तब होते हैं जब आपके कोच उन चीजों को करने में आपकी मदद करते हैं जिनको करने में पहले आप को डर लगता था. दरअसल आप किसी भी समय कोचिंग लेना शुरू कर सकते हैं. अगर कोचिंग लेना किसी खेल के लिए या पढ़ाई के लिए सही हो सकता है तो फिर वह जिंदगी के खेल के लिए भी सही हो सकता है.
-
ट्राई टू सेल योर होम
इस आइडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि अगर आप वाकई में अपनी जिंदगी की पहेली का हल निकालना चाहते हैं तोअपने आप से बातें कीजिए. क्योंकि वह आप ही हैं जो अपने बारे में दूसरों से ज्यादा जानते हैं. और वह आप ही हैं जो अपने लिए दूसरों से ज्यादा कुछ कर सकते हैं. इसलिए आप इस एफर्मेशन के सेंटेंस को बोलना शुरू कीजिए, ” मैं हर रोज हर चीज में बेहतर होता जा रहा हूं.” और आप तब तक यह बोलना रिपीट करते रहिए जब तक किआप वाकई में इस बात को सच में महसूस ना करने लगें. इस बारे में अमेरिकन साइको थैरेपिस्ट नाथानील ब्रैंडन का यह सुझाव है कि आप अपनी क्रिएटिव थिंकिंग को डिवेलप करने के लिए रोज सुबह अपने आप से यह दो सवाल पूछिए : पहला सवाल – आपको अपनी जिंदगी में क्या चीज अच्छी लगती है? और दूसरा सवाल – कौन सा काम अभी भी करना बाकी है? हालांकि बहुत से लोग अपने आप से बिल्कुल भी बात नहीं करते हैं. वह रेडियो सुनते हैं, टीवी देखते हैं, दूसरे लोगों के साथ गप शप करते हैं. और सारा दिन दूसरे लोगों के थॉट्स अपने दिमाग में भरते रहते हैं.इस तरह की एक्टिविटीज आप को मोटिवेट नहीं करती हैं.लेकिन आप अपने आपसे बातें करके बहुत ज्यादा मोटिवेट हो सकते हैं.
-
प्रॉमिस द मून
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि आप अपनेमोटिवेशन को बढ़ाने के लिए एक ऐसे तरीके का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो आपको मुश्किल और परेशानी में डालने वाला तो है लेकिन यह बहुत इफेक्टिव भी है. इसके लिए आप अपने बहुत करीबी लोगों से ऐसी कोई बड़ी चीज करने के लिए प्रॉमिस करते हैं. जिसके लिए आपको बहुत एफर्ट लगाने के अलावा अपनी क्रिएटिविटी को भी लगाना पड़ता है. इस बारे में स्टीव शेनडलर अपना उदाहरण देते हुए यह बताते हैं कि कुछ साल पहले उन्होंने अपने बच्चों से यह प्रॉमिस कर लिया था कि वह उनकोएक महंगे स्कूल कैंप में भेजेंगे. लेकिन फिर पैसों की कमी हो जाने की वजह से उन्होंने बच्चों को कैंप में भेजना जरूरी नहीं समझा . इस पर जब बच्चों ने उनको उनका प्रॉमिस याद दिलाया. तो उन्होंने दिल से इस बात का एहसास किया किउन्हें उनके प्रॉमिस को पूरा करना चाहिए. इसके लिए उन्होंने अपना जॉब चेंज कर दिया.और फिर बच्चों के कैंप के लिए जरूरी अमाउंट का इंतजाम करने के लिए उन्होंने एक ऐसे जॉब को चुना जिसमें उन्हें अपना जरूरी अमाउंट जॉब के साइनिंग अमाउंट के तौर पर मिल गया था.
-
मेक समबडीज डे
इस आईडिया के मुताबिक महान बास्केटबॉल कोच जॉन वुडन का कहना है कि, ” आप अपनी लाइफ कोतब तक परफेक्ट तरीके से नहीं जी सकते हैं जब तक कि आप किसी ऐसे शख्स के लिए कुछ ना करें जिसके बारे में आप पहले से जानते हों किइसके बदले में आपको उससे कुछ भी नहीं मिलेगा .” और ऐसा करने के लिए आपको किसी ऐसे शख्स के लिए कुछ करना है जिसे यह भी ना पता हो कि ऐसा उसके लिए किसने किया था.? उदाहरण के लिए जब आप किसी जरूरतमंद शख्स के लिए चुपके से कुछ पैसों का इंतजाम कर देते हैं. तो वो अपने आप को लकी समझ कर खुश हो जाता है. और इस तरह किसी दूसरे शख्स को लकी बना कर कभीकभी आपकी जिंदगी में भी कुछ ऐसा होता है जिससे आप खुद को भी लकी महसूस करते हैं. और आप अपने आप को ज्यादा मोटिवेटेड महसूस करने लगते हैं.
-
प्ले द सर्कल गेम
इस आईडिया के मुताबिकउस आइडिया का जिक्र किया गया है जिसमें आप सेल्फ मोटिवेशन के लिए 4 मिनट में 4 सर्कल ड्रॉ करके अपने गोल सेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं. और अपने यूनिवर्स के क्रिएटर बन जाते हैं. आप रोज सुबह उठकर एक पेपर पर चार सर्कल ड्रॉ कीजिए. यह चारों सर्किल आपके यूनिवर्स के प्लेनेट हैं. आप पहले सर्कल का नाम लाइफ लोंगड्रीम लिखिए. और मिसाल के तौर पर इसमें लिख दीजिए कि आपका लाइफ लोंगडीम जॉब से रिटायरमेंट के वक्त 2 करोड़ रुपया जमा करने का है. इसके बाद दूसरे सर्कल का नाम माई ईयर लिखिए और इसमें लिखिए कि आप अगले साल कितना अमाउंटसेव कर के अपने लाइफ लोंग सेविंग गोल को अचीव कर लेंगे. इसके बाद तीसरे सर्कल का नाम मई मंथ लिखिए और इस में लिखिए कि आप अगले मंथ में कितना अमाउंट सेव करके अपने ईयरली गोल को अचीव कर लेंगे. इसी तरह आप चौथे सर्कल का नाम माई डे लिखिए और इस में लिखिए कि आज आप ऐसा क्या करेंगे जिसको बार-बार रिपीट करके आप अपना मंथली सेविंग का गोल अचीव कर लेंगे. इस तरह से आप पेपर पर यह साबित कर देते हैं कि आपका दिन और आपकी पूरी जिंदगी असल में एक ही चीज हैं. और आपका फ्यूचर वही है जो आप आज के दिन करते हैं इसके अलावा आपका और कोई फ्यूचर नहीं है. इसलिए आपको जो कुछ भी करना है वह पूरे मोटिवेशन के साथ आज ही करना है.
-
गेट अप ए गेम
इस आईडिया के मुताबिक एक कहावत के बारे में बताया गया है कि, ” डोंट गेट मैड, गेट ईवेन – एंड डोंट जस्ट गेट ईवेन, गेट बेटर .”, जिसका मतलब है पागलपन छोड़ो और सही हो जाओ. और सिर्फ सही ही नहीं हो जाओ बल्कि बेहतर हो जाओ. इस बारे में महान अमेरिकन बास्केट बॉल खिलाड़ी माइकल जॉर्डन का उदाहरण दिया गया है कि हाई स्कूल के समय उनके कोच ने उनको स्कूल बॉस्केटबॉल टीम से यह कहकर हटा दिया था कि उनका खेल अच्छा नहीं था. इस वज़ह से बहुत निराश हुए और इसके रिएक्शन में उनके अंदर बहुत गुस्सा और नाराजगी भर गई. कभी-कभी ऐसा रिएक्शन आपको इस बात के लिए मोटिवेट करता है कि आप सही होकरदूसरे शख्स को गलत साबित कर दीजिए. लेकिन इस बारे में रेस्पॉन्ड करने का एक इससे भी बेहतर तरीका रिएक्टिव होने की जगह क्रिएटिव बनना है. और उन्होंने इस आईडिया में बताई गईकहावत से सेल्फ मोटिवेट होकर ना सिर्फअपने खेल को बेहतर किया, बल्कि उसे एक नई ऊंचाइयों पर ले गए.
-
टर्न योर मदर डाउन
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि एकबच्चे के लिए उसके माता पिताही उसकी दुनिया होते हैं. वह इस बात कोमानता है. कि वह लोग जो कुछ भी करते हैं सब सही करते हैं. इसलिए एकछोटा बच्चा अपने शुरुआती देखभाल करने वाले शख्स का कहना मानता है. अक्सर ऐसा शख्स एक माँ होती है. और वह उनकीलाइफ स्टाइल की नकल करने लगता है. अगर बच्चे की मां ऑप्टिमिस्टिक यानी आशावादी है तो बहुत अच्छी बात है. लेकिन अगर वह पैसिमिस्टिक है यानी नेगेटिव सोच वाली औरत है, तो यह बात बच्चे के लिए तबाही की वजह बन सकती है. लेकिन खुशकिस्मती से यह तबाही टेंपरेरी होती है और किसी भी उम्र में ऑप्टिमिज्म को सीखा जा सकता है. लेकिन अगर आप खुद ही एक पैसिमिस्टिक शख्स हैं तो फिर याद रखिए कि बड़े होने पर आप इस के लिए किसी दूसरे को ब्लेम ना करके सेल्फ मोटिवेशन के साथ ऑप्टिमिज्म को सीखने की कोशिश कीजिए.
-
फेस द सन
इस आईडिया के मुताबिक मशहूर अमेरिकन लेखिका हेलेन केलर का कहना है कि, ” जब आप सूरज को फेस करते हैंतब आपकी शैडो हमेशा आपके पीछे गिरती है. ” उनके कहने के मुताबिक आप अपनी लाइफ में जो कुछ भी देखते हैं और फेस करते हैं, उनके विचार आपकी थिंकिंग में ग्रो करते रहते हैं. और आप जिन चीजों को इग्नोर कर देते हैं वह आपके पीछे गिर जाती हैं. लेकिन अगर आप घूम कर सिर्फ शैडो को देखते हैं, तो वही आपकी जिंदगी बन जाती
वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश लेखक और फिलॉस्फर जी.के. चेस्टरटन का कहना है कि पैसिमिस्टिक यानी निराशावादी थॉट्स वाले लोगों के विचारलंबे वक्त तक जिंदगी के खिलाफ कायम नहीं रहते हैं. अगर आप उनके सिर पर रिवाल्वर तान दीजिए तो फिर वह आपको जिंदा रहने की हजारों वजह बता देंगे. दरअसल जिंदा रहने के यह हजारोंरीजंस हमेशा आपके अंदर मौजूद रहकर बाहर आने का इंतजार करते हैं. और हमारा निराशा वाद आमतौर पर सहानुभूति पाने का एक झूठा मोर्चा है. इस बारे में अमेरिकन लेखक चार्ली कॉफ़मैन का कहना है कि, ” हम दुनिया को जिस तरह से देखना चाहते हैं हम उसे वैसा ही क्रिएट कर लेते हैं.”
-
ट्रैवल डीप इन साइड
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि हम लोग अपने बारे में दूसरों के इंप्रेशन और नजरिए के बारे में जानना चाहते हैं. और दूसरे लोगों के व्यूज के मुताबिक अपनी सेल्फ इमेज बना लेते हैं.
और अगर हमें यह यकीन हो जाता है. कि दूसरे लोग इमानदारी से हमारी तारीफ करते हैं तो हम अपनी सेल्फ इमेज को और ऊपर उठाने की कोशिश करते हैं. लेकिन हमारी सेल्फ इमेज हमेशा दूसरों पर डिपेंड करती है. दूसरे लोग कभी भी हमारे अंदर की पूरी क्षमताको नहींदेख सकते हैं. और वो हमेशा हमारी काबिलियत कोकम समझते हैं. इसलिए आपको अपने अंदर गहराई तक जाकरअपने पोटेंशियल का पता लगाना चाहिए. आपका पोटेंशियल ही आपकी सच्ची पहचान है. आप अपने सेल्फ मोटिवेशन से अपने छुपे हुए पोटेंशियल को बाहर निकालसकते हैं.
-
गो टू वार
इस आईडिया के मुताबिक ब्रिटिश लेखक एंथोनी बर्गेस के बारे में बताया गया हैकि जब वह 40 साल के थे तब उन्हें पता चला कि वह ब्रेन ट्यूमर की वजह से एक साल के अंदर हीमरने वाले हैं. इसके बाद वह अपनी वाइफ के बारे में चिंता करने लगे क्योंकिउस वक्त तक उनके पास अपनी वाइफ को देने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था. हालांकि बर्गेस एक प्रोफेशनल नोवलिस्ट नहीं थे लेकिन फिर भी उनको हमेशा से अपने पोटेंशियल के बारे में पता था. इसलिए उन्होंने मरने से पहले कुछ नावेल्स को लिखने के लिए सोचा ताकि उनके गुजर जाने के बाद उनकी नावेल्स की रॉयल्टी से उनकी वाइफ का खर्च चल सके. और फिर उन्होंने अपनी पूरी एनर्जी के साथ नावेल को लिखना शुरू किया. और अपनी मौत के अनुमान केसमय तक उन्होंने 5 नावेल से ज्यादा लिख लिए. लेकिन उनकी मौत नहीं हुई.
और उनका ट्यूमर धीरे धीरे कम होते हुए गायब हो गया था. और फिर उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में 70 से ज्यादा किताबें लिखीं. इस बात से यह क्लियर होता है किअगर उन्होंने अपने ब्रेन ट्यूमर से मौत का खतरा महसूस ना किया होता तो वह इनमें से कोई भी किताब ना लिख पाते. बर्गेस की तरह हम सब केअंदर भी ऐसे ही छुपे हुए टैलेंट मौजूद होते हैं. जो बाहर निकलने के लिए किसी बाहरी इमरजेंसी का इंतजार करते रहते हैं. दरअसल मुसीबत का वक्त आपको अपनी पूरी मेहनत से कोशिश करने के लिए इंस्पायर करता है. वरना आप दिमाग लगाए बिना ही एक आरामदायक लाइफ क्रिएट करने के बारे में सोचते रहते हैं.
-
यूज द 5% सॉल्यूशन
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि जैसे अक्सर महान चीजें बहुत धीरे-धीरे क्रिएट होती हैं. इसी तरीके से महान शख्सियत को भी धीरे-धीरे क्रिएट किया जा सकता है. इस बारे में स्टीव शेनडलर अपना उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वह भी अपनी जिंदगी को बदलना चाहते थे. फिर उन्होंने यह पता लगाने के लिए कि असल में वह क्या बनना चाहते थे ,इधर उधर की चीजों में छोटे चेंजेज की वैल्यू कोदेखना शुरू किया. इसके बाद जब उन्होंने साइको थैरेपिस्ट डॉक्टर नाथानील ब्रैंडन सेइस बारे में बातचीत की तब उन्होंने कहा कि ,उन्हें रोजाना अपनी लाइफ में 5 परसेंट ज्यादा पर्पज फुल नेस बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए. हालांकि देखने में तो यह चेंज बहुत छोटा मालूम पड़ता है लेकिन अगर आप रोज ऐसा कर लेते हैं तो फिर 20 दिनों में ही आपका सेंस ऑफ पर्पज डबल हो जाएगा. इससे यह पता चलता है कि एक समय में एक छोटे एक्शन पर फोकस करके बड़ी चीजों को पूरा किया जा सकता है. आपकी अलग तरीके से की गई एक छोटी चीज भी आप में जोश भर सकती है. मिसाल के तौर पर अगर आप एक हेल्दी और मजबूत बॉडी चाहते हैं तो एलिवेटर की जगह सीढ़ियांइस्तेमाल करना शुरू कर दीजिए. और फिर आप अपने सेल्फ मोटिवेशन सेअपनी इच्छा पूरी कर लेंगे.
-
डू समथिंग बैडली
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि कभी-कभी हम चीजों को इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि हमें यह यकीन नहीं होता है कि हम उनको अच्छे से कर सकते हैं. और इसके लिएमडके अच्छा होने का इंतजार करते हैं. इसी तरह की एक घटना को राइटर्स ब्लॉक कहा जाता है. जिसमें ऐसा लगता है मानो दिमाग में कोई रुकावट सेट होकर राइटर्स को लिखने से रोकती है. और उनके सेल्फ मोटिवेशन में काफी कमी आ जाती है. इसका सलूशन बहुत सिंपल है. कि आगे बढ़िये और खराब लिखना शुरू कर दीजिए. इस बारे में अमेरिकी लेखिका ऐनी लेमोट का कहना है कि, ” करीब करीब सभी टेक्स्ट राइटिंग शुरू में बहुत खराब होती हैं. लेकिन आप को कहीं से भी लिखना शुरू करना होता है. इसलिए आप पेपर पर कुछ भी लिखना शुरू कीजिए.” कहने का मतलब यह है कि अगर आप किसी चीज को करने के लिए मोटिवेटेड नहीं हैं तो फिर उसे एक मजाकिया अंदाज में खराब तरीके सेही करना शुरू कीजिए. इसके बादएक बार उस चीज का प्रोसेस शुरू होनेके बाद आप वापस अपने ओरिजिनल ट्रैक पर लौट आएंगे.
-
लर्न विजनियरिंग
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि सूरज की रोशनी और हंसी के ठहाकेज्यादातर डर और चिंता को दूर करने में मदद करते हैं. हमारी बहुत सी डरावनी प्रॉब्लम्स अंधेरे के बजाय रोशनी में ज्यादा अच्छी तरह से हल हो जाती हैं. ऐसी प्रॉब्लम को हल करने के लिए आप किसी से इस बारे में बात कीजिए, और एक बड़े से कागज पर उसका तस्वीरों वाला नक्शा बनाइए, फिर उसके बारे में 10 मेन पॉइंट्स लिखिए, और खुद से उस के बारे में कुछ मजाकिया बातें कीजिए. और इस बारे में कोई गाना गाना शुरू कर दीजिए. ऐसा कर लेने के बाद आपको वह प्रॉब्लम काफी मजेदार और कम डरावनी लगने लगेगी. दरअसल आपके हंसी मजाक करने से आपका मोटिवेशनल लेवल हमेशा बढ़ जाता है. इसलिए जब कभी भी आप अपने आप को किसी प्रॉब्लम में फंसा हुआ महसूस करें, तब आप चीजों को लाइटर यानी हल्का-फुल्का करने की कोशिश कीजिए. और इसके लिए कोई मजेदार हल तलाश करने पर फोकस कीजिए.
-
सर्व एंड ग्रो रिच
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि अपनी जिंदगी में ढेर सारा पैसा कमानाभी खुद को मोटिवेट करने का एक बहुत अच्छा तरीका है. लेकिन ज्यादातर लोग ऐसा सोचते हैं कि वह पैसे के लालचीनहीं बनना चाहते हैं. दरअसल पैसे के लालची ना बनने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आपको इस बात का यकीन होना चाहिए कि पैसा कमाने के लिए आपका गेम प्लानआपको फाइनेंशियली आजादी देने वालाहै . इस बारे में जॉर्ज बर्नार्ड शॉ ने कहा था कि, ” हमारी पहली ड्यूटी यह है कि हम गरीब ना रहें.” और लेखक दीपक चोपड़ा का कहना है कि, ” मनी लाइफ एनर्जी है जिसको हम पूरे यूनिवर्स को अपनी सर्विसेस प्रोवाइड करने के बदले में एक्सचेंज करते हैं और इस्तेमाल करते हैं.” इसलिए जब आप पैसों के लिए परेशान होते हैं तो आपके लिए एक सेल्फ मोटिवेशन वाली जिंदगी को इंजॉय करना करीब-करीब नामुमकिन हो जाता है. इस बारे में नेपोलियन हिल नेकहा था कि,” गरीबी कोई शर्म की बात नहीं है लेकिन यह एक बड़ी असुविधा है. और यह निश्चित रूप से एक सिफारिश नहीं है.”
-
मेक ए लिस्ट ऑफ योर लाइफ
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि आपको अपने बारे में एक लिस्ट तैयार करनी चाहिए. जितना ज्यादा आप अपने बारे में लिखेंगे उतने हीअच्छे तरीके से आप अपना भविष्य खुद तय कर सकेंगे. इसके अलावा अपने गोल्स और ऑब्जेक्टिव्स की लिस्ट बनाना एक पावर फुल सेल्फ मोटिवेटर भी है. दरअसल हमे मशहूर होने तकइंतजार करने की जरूरत नहीं है, ताकि कोई हमारी हिस्ट्री को लिख सके. बल्कि जब हम अपने गोल्स की लिस्ट को बना लेते हैं तब हम अपनी हिस्ट्री को बनने से पहले ही लिख लेते हैं. जब आप किसी गोल को लिखते हैं, तो उसको पावर मिल जाती है. और जैसे जैसे आप उसके बारे में और ज्यादा लिखते जाते हैं, वैसे वैसे ही उसकी पावर और ज्यादा बढ़ती जाती है. इसलिए आपको अपनी जिंदगी में जो चीज सबसे ज्यादा मोटिवेट करती है उसको आप अपनी खुद की हैंडराइटिंग में लिखिए. हालांकि अक्सर लोग दूसरों की लिखी हुई बातों में अपना मोटिवेशन तलाश करते हैं, लेकिन अगर आप अपनी लिस्ट को अच्छे से बना लेते हैं, तो आप अपनी लिखी हुई चीजों से खुद को मोटिवेट करना सीख जाएंगे.
-
सेट ए स्पेसिफिक पावर गोल –
इस आईडिया के मुताबिक बहुत से लोग ऐसा मानते हैं कि उनको अपनी जिंदगी में मनचाही चीजें इसलिए नहीं मिलती हैं क्योंकि उनके गोल्स बहुत छोटे और डाउटफुल होते हैं. इसलिए उन गोल्स के अंदर कोई पावर नहीं होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. असल में आप अपने गोल तक तब तक नहीं पहुंच सकते हैं जब तक कि आपकी इमैजिनेशन में उसके लिए कोई जोश ना हो. लेकिन एक बड़े और स्पेसिफिक पावर गोल की सेटिंग से आपके इमेजिनेशन में जोश भर जाता है. पावर गोल को आपने खुद अपनी राइटिंग में लिखा हुआ होता है. इसलिए आपके माइंड में इसकी क्लियर तस्वीर बनी रहती है. और यह आपको बहुत सारी मोटिवेशनल एनर्जी देता है.
पावर गोल आपका एक ऐसा सपना है जिसमें पहले से ही डेडलाइन तय कर दी जाती है. और यही डेडलाइन आप को मोटिवेट करती है. जो लोग अपने लिए पावर गोल्स क्रिएट कर लेते हैं, वह एक पर्पस के लिए जिंदगी को जीना शुरु करते हैं. उन्हें पता होता है कि जिंदगी में उन्हें क्या करना है!
-
चेंज योर सेल्फ फर्स्ट
इस आईडिया के मुताबिक हम अपनी जिंदगी में दूसरे लोगों को चेंज करने के लिए अपना बहुत सा टाइम वेस्ट कर देते हैं. और हम ऐसा सोचते हैं कि हम उन्हें इस तरह से चेंज कर सकते हैं कि उनकी जिंदगी बेहतर और खुशहाल हो जाए. इसीलिए हम अपने बच्चों की जिन बातों को चेंज करना चाहते हैं उसके बारे में उनसे घंटो तक बातें करते हैं. लेकिन बच्चे हमारी कही गई बातों पर ध्यान नहीं देते हैं. इसलिए आप पहले खुद को वैसा बनाने की कोशिश कीजिए जैसा आप उनकोबनाना चाहते हैं. क्योंकि कोई भी शख्स इस मामले में लेक्चर और एडवाइज से नहीं सीखना चाहता है. बल्कि सब लोग इंस्पिरेशन के जरिए से चीजों को समझना और सीखना चाहते हैं.
अन्य बेस्ट सेलर बुक समरी पढ़े – CLICK HERE
-
पिन योर लाइफ डाउन
इस आईडिया के मुताबिक सही प्लानिंग करके जिंदगी में जीत हासिल करने के बारे में बताया गया है. इसके लिए एक उदाहरण में यह कहा गया है कि एक रेसलिंगपहलवानबहुत अच्छी तैयारी करने के बावजूद अपने ज्यादातर मैच हार जाया करता था. जब उससे इस बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि वह हर मैच से पहले अपने अपोनेंट पहलवान के सारे दांवपेच के हिसाब से उस पर पलटवार करने के लिए पूरी तैयारी के साथ मैच में जाता था . लेकिन उसका अपोनेंट खेल की रफ्तार को अपने मुताबिक सेट करके उस पर हावी हो जाता था. तब उसको काउंटर अटैक प्लान को छोड़कर अपने खुद के अटैक प्लान पर फोकस करने के लिए सुझाव दिया गया. इसके बाद उसने इस बात पर ध्यान नहीं दियाकि उसका अपोनेंट कौन से दांवपेच आजमाता है, बल्कि उसने अपनी तरफ से पहल करते हुए अपने बहुत से दांवपेचों के साथ उस पर अटैक करना शुरू कर दिया.
और फिर वह एक के बाद दूसरे मैच में तमाम दूसरे अपोनेंट को पिन डाउन करने लगा. यानी उन को नीचे गिराने लगा. और अपने मैचेज जीतने लगा. इसलिए आपको किसी भी जोखिम भरे काम को करने से पहले थोड़ा समय निकालकर उसके बारे में प्लान कर लेना चाहिए. आप अपने अटैक का प्लान खुद डिजाइन कीजिए. और लाइफ को इस पर रिस्पॉन्ड करने दीजिए. अगर आप अपने मूव्स पहले चल देते हैं. तो आप जिंदगी की प्रॉब्लम्स को आसानी से पिन डाउन कर सकते हैं.
-
टेक नो फॉर ए क्वेश्चन
इस आईडिया के मुताबिक किसी भी प्रोफेशन में कोल्ड कॉलिंग और रिजेक्शन की वैल्यू के बारे में बताया गया है. कोल्ड कॉलिंग का मतलब है दूसरे लोगों को ठंडी आवाजें देना. जैसा कि आप जानते हैं किलोहे को गर्म करने के बाद उसकी शेप को आसानी से चेंज किया जा सकता है. लेकिन ठंडे लोहे के साथ ऐसा करना बहुत मुश्किल होता है. इसी तरह से शुरू में जब हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जिन्हें हम पहले से नहीं जानते होते हैं और उन्हें अपने प्रपोजलके लिए कन्वेंसकरने की कोशिश करते हैं तो उन्हें हमारी बातें कोल्ड कॉलिंग लगती हैं और वह हमारे प्रपोजल को रिजेक्ट करते हुए”नो” या ” नहीं” शब्द का इस्तेमाल करते हैं. और हम लोग उनके इस “नो” को उनका फाइनल डिसीजन मान लेते हैं. लेकिन असल में उस “नो” के अंदर उनका एक क्वेश्चन छुपा होता हैकि, ” क्या हमारा प्रपोजल इससे ज्यादा क्रिएटिव नहीं हो सकता है ? ” इसलिए आप कभी भी “नो” शब्दकी नॉर्मल मीनिंग को एक्सेप्ट मत कीजिए. बल्कि रिजेक्शन को और ज्यादा क्रिएटिव होने के लिए मोटिवेशन के तौर पर इस्तेमाल कीजिए.
-
टेक द रोड टू समव्हेयर
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि आपकी जिंदगी में क्राइसिस या संकट आपके लिए तत्काल परपज क्रिएट करते हैं और उसी वक्त एनर्जी भी क्रिएट होती है. दरअसल एनर्जी परपज से आती है. अगर आपका लेफ्ट ब्रेन राइट ब्रेन को अचानक से आने वाली किसी क्राइसिस के बारे में बताता है तो राइट ब्रेन फौरन आपके लिए एनर्जी रिलीज कर देता है. हम में से बहुत से लोगों को अपना परपज नहीं पता होता है. और इसकी दो वजहें होती हैं. पहली वजह यह है कि आप खुद से बातें नहीं करते हैं. और दूसरी वजह यह है कि आपको यह नहीं पता होता है कि परपज कहां से आता है! क्यूंकि आप यह समझते हैं कि परपजआपके अंदर से नहीं बल्कि कहीं बाहर से आता है. परपज फुल लोग अपनी आत्मा के अंदर गहराई तक जाकर खुद से बात करते हैं कि वह क्यों मौजूद हैं और वह अपनी जिंदगी के तोहफे के साथ क्या करना चाहते हैं! दरअसल आप अपने लिए परपज को बना सकते हैं, उसे मजबूती दे सकते हैं और उसको हर रोज ज्यादा इंस्पायरिंग बना सकते हैं. हम अपने सेंस ऑफ़ परपज के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. यह हमारे ऊपर डिपेंड करता है कि हम अपनी आत्मा के अंदर जाकर अपने परपज को बनाएं या ना बनाएं. हमारी जिंदगी की एनर्जी पूरी तरह से इस बात पर डिपेंड करती है कि हम अपने लिए कितना ज्यादा परपज क्रिएट करना चाहते हैं.
-
गो ऑन ए न्यूज फास्ट
इस आईडिया के मुताबिक न्यूज फास्ट की वैल्यू के बारे में बताया गया है. न्यूज फास्ट का मतलब है न्यूज़ का उपवास रखना. यानी कुछ समय के लिए न्यूज़ से दूर रहना. इस बारे में स्टीव शेनडलर का कहना है कि कुछ टाइम पीरियड के लिए न्यूज़ से दूर रहने पर आपकी लाइफ मे ऑप्टिमिज्म बढ़ जाता है और आप ज्यादा एनर्जी महसूस करने लगते हैं. दरअसल आजकल न्यूज़ में रियलिटी दिखाने की जगह उसमें सनसनी और उत्तेजना भरने की कोशिश की जाती है. जिसको देखकर हमारे इमोशंस में उतार चढ़ाव आते रहते हैं. और हम लोग रात दिन खुशी गम गुस्से और नफरत के एहसासों से गुजरते रहते हैं, जिसकी वजह से हमारे मोटिवेशन में बहुत कमी आ जाती है. न्यूज फास्ट इस प्रॉब्लम का एक बहुत अच्छा इलाज है. आप हफ्ते में एक दिन न्यूज़ फास्ट रख सकते हैं. जिस के बाद आपका दिमाग फिर से तरोताजा हो जाता है. और आपका मूड भी बहुत अच्छा बना रहता है. और इस दौरान आपके न्यूज़ ना देखने का कोई नुकसान भी नहीं होता है क्योंकि सारी बड़ी और इम्पोर्टेन्ट न्यूज आपके पास अपने आप हीपहुंच जाती हैं .
-
रिप्लेस वरी विद एक्शन
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि आप अपनी चिंता को एक्शन में चेंज कर सकते हैं. जब भी आप किसी बात की चिंता में हों तो खुद से यह सवाल कीजिए कि, ” इस समय इसके लिए मैं क्या कर सकता हूं ? ” और फिर जो कुछ भी आप कर सकते हों वहकीजिए. इसलिए जो भी चीज़ आपको फिक्र मंद करती है, आप सिर्फ उसके बारे में सोचने के अलावा कोई एक्शन भी लीजिए. आपको अपने एक्शन के बारे में डरना नहीं चाहिए. आप बहुत छोटे और आसान एक्शन्स ले सकते हैं. आपके छोटे एक्शन्स भी आपके डर को दूर भगा सकते हैं. असल में जहां एक्शन होता है वहां डर नहीं होता है. और जहां डर होता है वहां एक्शन नहीं होता है. आप अपनी चिंताओं पर एक्शन ले कर दूसरी चीजों से फ्री हो जाते हैं. एक्शन्स आपकी जिंदगी से डर और अनसटी को दूर कर देते हैं. और आपकी जिंदगी फिर से आपके कंट्रोल में वापस आ जाती है, जिससे आप जो भी चाहें वह क्रिएट कर सकते हैं. इसलिए सोचिए नहीं बस एक्शन लीजिए.
-
रन विद द थिंकर्स
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि किसी कंपनी में थिंकिंग करने वाले एम्प्लाइज सिर्फ शिकायत करने वाले एम्प्लाइज से ज्यादा मोटिवेटेड होते हैं . अक्सर ऐसा देखा गया है कि बहुत से एम्प्लाइज मेहनत और लगन से काम करने के अलावा सिस्टम मेंफॉल्ट पकड़ने में भी बहुत होशियार होते हैं. लेकिन वह इस बारे में शिकायत करके यह समझते हैं कि उनकी ड्यूटी पूरी हो गई है. जबकि दूसरी तरफ थिंकिंग करने वाले एम्पलाईज सेम प्रॉब्लम के लिए रिपोर्ट करते समय अपनी तरफ से उसका कोई सलूशन भी पेश करते हैं.और एक तरीके से वह खुद को कंपनी का मालिक समझते हुए कंपनी का फ्यूचरक्रिएट करते हैं. जब आप सेल्फ मोटिवेशन के साथ अपनी लाइफ गुजारने का इरादा बना लेते हैं, तब आप । कीथिंकिंग आपके लिए न सिर्फमोटिवेशन को क्रिएट करती है, बल्कि यह आपकी रिलेशनशिप, आपकी फैमिली, और उस ऑर्गेनाइजेशन को भी क्रिएट करती है, जहां आप जॉब करते हैं. और जब आप क्रिएशन के लक्ष्य की थिंकिंग के साथ काम करते हैं तब आप खुद के लिए भी बहुत वैल्यूएबिल बन जाते हैं.
-
पुट मोर इंजॉयमेंट इन
इस आईडिया के मुताबिक साइकेट्रिस्ट सीसिकतेंटमिहेल का कहना है कि जब हम लोग प्लेजर और इंजॉयमेंट के डिफरेंस को सही तरीके से समझ जाते हैं तब हम सेटिस्फेक्शन और खुशी से भरी हुई एकऐसी साइकोलॉजिकल स्टेट में पहुंच जाते हैं, जिसे ‘फ्लो ‘कहा जाता है जहां से हम बहुत तेजी से एक फोकस्ड और और एनर्जी से भरी हुई लाइफ को जीना शुरू करने लगते हैं. दरअसल इंजॉयमेंट के लिए किए गए कामोंमें हम अपनी स्किल्स का इस्तेमाल करते हैं और तमाम चैलेंजेज को फेस करते हैं. जबकि प्लेजर के समय ऐसा कुछ नहीं होता है. मिसाल के तौर पर जब किसी शख्स की लॉटरी लगती है तो वह खुशी से झूम उठता है. और लॉटरी के पैसों को प्लेजर से जोड़कर देखता है लेकिन पैसों का सच्चा एंजॉयमेंट तो उसको खुद से कमाने के बाद ही आता है. इसलिए उसकी खुशी ज्यादा दिनों तक कायम नहीं रहती है. क्योंकि उस पैसे को कमाने में ना तो उसने कोई चैलेंज फेस किया होता है, और ना ही अपनीस्किल्स का इस्तेमाल किया होता है. आप भी प्लेजर की जगह एंजॉयमेंट पर ज्यादा फोकस करके अपने सेल्फ मोटिवेशन को बढ़ा सकते हैं.
-
कीप वॉकिंग
इस आईडिया के मुताबिक वॉकिंग की वैल्यू और उसके हमारी जिंदगी पर होने वाले इफेक्ट के बारे में बताया गया है . इस बारे में लेखक दीपक चोपड़ा का कहना है कि, ” आप यह समझते हैंकि आप यूनिवर्स में रहते हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि यूनिवर्स आपके अंदर रहता है. जब आपकी बॉडी मूव करती है, तो आपका माइंड भी मूव करता है. और आपके अंदर का संसार भी मूव करने लगता है.
और जल्दी ही हमें यह रियलाइज हो जाता है कि माइंड और बॉडी कनेक्टेड हैं. इसके अलावा वाकिंग करने से दो अपोजिट चीजें एक साथ होती हैं . पहली चीज है – एक्टिविटी और रिलैक्सेशन. जिसकी वजह से होल ब्रेन थिंकिंग क्रिएट हो जाती है. जिसकी वजह से हमारे अंदर बहुत सारी एनर्जी रिलीज होती है. और दूसरी चीज है – दुनिया में बाहर निकल कर भी अकेले होना. दरअसल अपोजिट एक्टिविटीज को एक साथ जोड़ने के लिए लेफ्ट ब्रेन और राइट ब्रेन केबीच में तालमेल बैठाने की जरूरत होती है. इसी तरीके से आप डांसिंग, स्विमिंग या दौड़ने भागने जैसी तमाम चीजें कर के भी अपनी बॉडी को अच्छी तरह मूव कर सकते हैं और अपनी आत्मा को ऑक्सीजन से भर सकते हैं.
-
रीड मोर मिस्ट्रीज
इस आईडिया के मुताबिक आपको रहस्य और रोमांच की किताबों को पढ़ना चाहिए. . इस बारे में अमेरिकन लेखिका मेरीलिन सावंत का कहना है कि, ” क्योंकि ऐसी किताबों को पढ़ना आपके लिए एक अच्छी और मजेदार एक्सरसाइज होने के अलावा आपके इंटेलिजेंस को मजबूती देने वाला भी होता है. और आप का इनट्यूशन यानी रहस्य की बातों के बारे में बिना किसी के बताए भीसही अंदाजालगा लेने का हुनर और तेज हो जाता है. दरअसल जब लोग खुद को चेंज करने के बारे में सोचते हैं तो वह आमतौर पर अपनी इंटेलिजेंस को ज्यादा मजबूत करने के बारे में नहीं सोचते हैं. और आईक्यू के बारे में तो यह कहा जाता है. कि आपके आइक्यू लेवल को बढ़ाया नहीं जा सकता है. लेकिन मेरीलिन सावंत का आईक्यू किसी जवान शख्स के एवरेज आईक्यू 100 के मुकाबले में 230 मापागया. और उनको इस बात का पूरा यकीन था कि ब्रेन को भी बॉडी की मसल्स की तरह मजबूत बनाया जा सकता है. इसलिए मिस्ट्री नोवेल्स और स्टोरीज को पढ़ना भी आपको प्रोडक्टिव बना सकता है.
-
थिंक योर वे अप
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि हम किस तरीके सेखुद कोक्रिएटिव और थॉट फुल बना सकते हैं.स्टीव शेनडलर इसी बात को समझाने के लिए कहते हैं कि हम अपनी जिंदगी के सफर को तय करते समय एक ऐसी सीढ़ी का इस्तेमाल करते हैं जिसका सबसे नीचे का हिस्सा फिजिकल, बीच का हिस्सा मोटिवेशनल और सबसे ऊपर का हिस्सा माइंड होता है. जब आप इस सीढ़ी के जरिए से ऊपर की तरफ सफर करते हैंतो आप को अपनी फिजिकल स्टेट को पीछे छोड़ना होता है, इसके बाद आपको मोटिवेशनल स्टेट के श्रू पास हो कर माइंड तक पहुंचने और क्रिएटिव और थॉट फुल बनने । की अपॉर्चुनिटी मिलती है. हालांकि हम में से ज्यादातर लोग सीढ़ी के इमोशनल वाले हिस्से को कभी भी पार नहीं कर पाते हैं. औरवहीं पर फंसे रह कर अपने माइंड की जगह अपनी फीलिंग्स के साथ थिंकिंग और स्पीकिंग करते हैं. लेकिनअगर आप खुद भी इस बात को नोटिस कर लेते हैं तोक्रिएटिव सच्चाई के साथ थिंकिंग और स्पीकिंग कर सकते हैं. इस बारे में लेखक इम्मेट फॉक्स कहते हैं कि, ” प्यार हमेशा क्रिएटिव और डर हमेशा डिस्ट्रक्टिव होता है.” इसलिए आगे बढ़िए और अपनी फीलिंग्स को महसूस कीजिए. लेकिन जब आप किसी से बात करें तो अपने माइंड को भी बातचीत में शामिल कीजिए. क्योंकि आपके मोटिवेशन को आपकी फीलिंग्स नहीं बल्किआपका माइंड हाईएस्ट परफॉर्मेंसतक पहुंचा सकता है.
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि आप कैसे अपनी कमजोरियों को भी अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप अपनी स्टॅथ्स और वीकनेसेज की दो अलग-अलग लिस्ट तैयार कीजिए. और अपनी स्टॅथ्स वाली लिस्ट को ऐसी जगह रखिए, जहां आप इसे दोबारा देख कर हमेशा इंस्पायर होते रहें. इसके बाद आप अपनी वीकनेसेज वाली लिस्ट को ध्यान से स्टडी करके उनके अंदर की इंटरेस्टिंगखासियतें नोट कीजिए और यह देखिए कि वह कैसे आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं. इस बारे में स्टीव शेनडलर ने अपना उदहारण देते हुए बताया है कि, ” मुझे अपनी जिंदगी की शुरुआत में लोगों से बात करना बहुत मुश्किल लगता था. इसलिए मैंने लोगों कोलेटर्स औरनोट्स लिखना शुरू किया और इसेअपनी आदत में शामिल करलिया. इसके बाद मेरी लेटर राइटिंग और बैंक्यू नोट्स की वजह से मेरी बहुत से दूसरे लोगों के साथ रिलेशनशिप क्रिएट हो गई . लेकिन अगर मैं अपनी वीकनेसेज पर ही फोकस करता रहता तो फिर यह रिलेशनशिप क्रिएट नहीं हो सकती थीं. ” इसलिए अगर आप अपनी वीकनेसेज की लिस्ट के बारे में अच्छी तरह से सोच विचार कर लेंतो आप देखेंगे कि उसमें कोई भी चीज ऐसी नहीं है जो आपकी स्ट्रेंथ ना बन सके. और आपके लिए क्रिएटिव पॉसिबिलिटी को लेकर ना आती हो.
-
ट्राई बिकमिंग द प्रॉब्लम
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि आप चाहे कैसी भी प्रॉब्लम क्यों न फेस कर रहे हों. लेकिन इस को सॉल्व करने के लिए एक एक्सरसाइज यह भी है कि आप अपने आप से कहें कि, “मैं वह प्रॉब्लम हूं.” क्यूंकि जब एक बारआप खुद कोप्रॉब्लम की तरह देखने लगते हैं तो आप खुद को एक सलूशन की तरह भी देख सकते हैं. दरअसल हम लोग जब खुद को प्रॉब्लम के शिकार किसी शख्स की तरह देखते हैं तो हमारे अंदरउन्हें सॉल्व करने की पावर में काफी कमी आ जाती है . क्योंकिहम यह मान कर कि मुसीबत का सोर्स हमारे बाहर कहीं मौजूद है,अपनी क्रिएटिविटी को बंद कर देते हैं. लेकिन जब हम यह कहते हैं कि, ” मैं ही वह प्रॉब्लम हूं.” तो बहुत सारी पावर बाहर की तरफ से हमारे अंदर शिफ्ट हो जाती है. उस वक्तहम खुद प्रॉब्लम काहलबन जाते हैं. हालांकि जब तक आप एक सेल्फ मोटिवेटेड लाइफ की फुल पावर को रियलाइज नहीं कर लेते हैं , तब तक आप अपनी शख्सियत के लिए भी दूसरों को जिम्मेदार ठहरा देते हैं कि आप को अपनी जिंदगी में सेल्फ सफिशिएंटबनने के लिए शुरू में सही गाइडेंस नहीं दिया गया. और आप अपनी लाइफ में प्रॉब्लम्स को शर्मनाक और नेगेटिव चीज समझने लगते हैं. लेकिन जब एक बार आप प्रॉब्लम्स के लिए अपनी जिम्मेदारी को एक्सेप्ट कर लेतेहैं, तब आपको उन्हें सॉल्व करने के लिए नई पावर भी मिल जाती है.
-
इनलार्ज योर ऑब्जेक्टिव
इस आईडिया के मुताबिक आपके सेल्फ मोटिवेशन को बढ़ाने के तरीके के बारे में बताया गया है. इसके लिए यह कहा जाता है कि आप अपने गोल को 10 गुना बड़ा कर लीजिए. और फिर सीरियसली इस बारे में सोच विचार कीजिए कि अब आप अपने नएगोलको अचीव करने के लिए क्या कर सकते हैं ? इस बारे में स्टीव शेनडलर अपना उदाहरण देते हुए कहते हैं कि, ” मान लीजिए कि मैं अगले 3 हफ्तों में दो सेमिनार के कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाला हूं. तो मैं इस बारे में सोच विचार करूंगा कि मैं कैसे अगले 3 हफ्तों में 10 कॉन्ट्रैक्ट साइन कर पाऊंगा ? ” दरअसल अपने गोल को बड़ा बना लेने पर आपकी थिंकिंग का लेवल भी बढ़ जाता है. क्योंकि जब आप 10 प्रॉब्लम्स को सॉल्व करते हैं, तो हमेशा कम से कमदो प्रॉब्लम्स के सलूशन तो निकाल ही लेते हैं.
-
गिव योर सेल्फ फ्लाइंग लेसन्स
इस आईडिया के मुताबिक अमेरिकन लेखकबर्नार्ड मलामड यह कहते हैं कि, ” हमारी जिंदगी में किसी हीरो का होना जरूरी है. इनके बिना हम ऐसे सीधे-साधे लोग होते हैं जिन्हें अपने बारे में यह नहीं पता होता है कि हम अपनी जिंदगी में कितनी दूर तक चल सकते हैं. ” दरअसल हीरोज हमें यह दिखाते हैं किसी इंसान के लिए कौन से काम पूरे कर पाना पॉसिबल हो सकता है. अगर इस आइडिया को प्रॉपरली इस्तेमाल कर लिया जाए तो एक हीरो हमारी जिंदगी में एनर्जी और इंस्पिरेशन का बहुत बड़ा सोर्स साबित हो सकता है. आप को अपनी पसंद केहीरोज की तस्वीरों को अपने सामने रखना चाहिए. औरउनकी जिंदगी के बारे में पूरी जानकारी हासिल करनी चाहिए. दरअसल वह हम लोगों से इतने अलग इसलिए दिखते हैं क्योंकि उन्होंने अपने सेल्फ मोटिवेशन का एक हाई लेवलहासिल कर लिया होता है.
आपको अपनी जिंदगी में उनसे कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए. और उनकी जिंदगी से खुद को इंस्पायर करते रहना चाहिए.
-
होल्ड योर विज़न अकाउंटेबल –
इस आईडिया के मुताबिक किसी प्रॉब्लम को सॉल्व करने के विजन यानी नजरिए के बारे में बताया गया है. इस बारे में अमेरिकी लेखक रॉबर्ट फ्रिट्ज़ का कहना है कि, ” प्रॉब्लम को सॉल्व करने में और कुछ क्रिएट करने में बहुत बड़ा डिफरेंस होता है. असल में प्रॉब्लम सॉल्व करने में प्रॉब्लम को बाहर निकालने के लिए एक्शन लिया जाता है. जबकि कुछ क्रिएटकरने में क्रिएशन को अंदर लाने के लिए एक्शन लिया जाता है.” इसलिए अगर आप कुछ क्रिएट करना चाहते हैं तो आपके पास उसका विजन होना चाहिए. और किसी विजन के ना होने पर आप सिर्फ प्रॉब्लम को हटाना चाहते हैं और अपनी जिंदगी से किसी चीज को हटाना एक नेगेटिव थॉट है. इसलिए लाइफ में खुद को पॉजिटिव फील कराने के लिए आपको अपनी थिंकिंग में चेंज करना होगा. और इस के लिये आपको खुद से यह सवाल करने की जगह कि, ” मैं इस प्रॉब्लम को बाहर करने के लिए क्या कर सकता हूं ? “, यह सवाल करना चाहिए कि, ” प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए मुझे किस चीज को अंदर लाना चाहिए ” ? दरअसल आपका क्लियर विजन ही प्रॉब्लम सॉल्व करने में आपको सबसे ज्यादा मोटिवेट करता है.
-
बिल्ड योर पावर बेस
इस आईडिया के मुताबिक यह बताया गया है कि नॉलेज आपकी पावर होती है. और आप जो कुछ भी जानते हैं वह आपका पावर बेस होता है. आपको जागते समय लगातार इसे चार्ज करते रहना पड़ता है. जब तक हम एक सेन्स ऑफ डायरेक्शन के साथ अच्छी तरह से सोच विचार करके अपना नॉलेज बेस बनाने के लिए डिसाइड नहीं कर लेते हैं, तब तकहमारे माइंड में बहुत सी यूजलेस जानकारियां भरती रहती हैं . अंग्रेजी लेखक और फिलॉस्फर कॉलिन विल्सन का कहना है कि, ” हमारी जिंदगी में दुख और अलगाव हमारी किस्मत से नहीं आते हैं. बल्कि आप अपनी किस्मत के मालिक खुद बन सकते हैं. यह चॉइस आपकी अपनी होती है कि आप क्या सीखना चाहते हैं और क्या नहीं सीखना चाहते हैं.” इसलिए आप उन चीजों को जानने की कोशिश कीजिए जो आप को मोटिवेट करती हैं. जितना ज्यादा आप इंसानी दिमाग को समझने लगेंगे. आपको अपनी नॉलेज की पावर को बनाने मे उतनी ही कम परेशानी उठानी पड़ेगी.
-
कनेक्ट टूथ टू ब्यूटी –
इस आइडिया के मुताबिक हमारी जिंदगी में सच्चाई की सुंदरता के बारे में बताते हुएयह कहा गया है कि हम अपनी मौजूदा हकीकत के बारे में जितना ज्यादा दूसरों से और खुद अपने आप से इमानदारी का बर्ताव करेंगे, उतना ही ज्यादा अपने लिए एनर्जी और फोकस को इकट्ठा करेंगे. इस बारे में साइको थैरेपिस्ट नथानियेल बेंडन का कहना है कि, ” खुद को सबसे बड़ी झूठी तसल्ली देना यह है कि सिर्फ मैं ही इस बात को जानता हूं कि मैं एक झूठा शख्स हूं, कि सिर्फ मैं ही इस बात को जानता हूं कि जो लोग मेरे ऊपर भरोसा करते हैं मैं उन्हीं के साथ बेईमानी करता हूं, कि मैं ही इस बात को जानता हूं कि मेरा अपने प्रॉमिस को पूरा करने का कोई इरादा नहीं है , कि मेरा अपने खुद के जजमेंट से कोई लेना देना नहीं है बल्कि मेरे लिए दूसरों के जजमेंट ही मायने रखते हैं. ” दरअसल जानबूझकर या गलती से भी झूठ बोलने में प्रॉब्लम यह है कि इससे आप का मामला बहुत गड़बड़
और अधूरा रहता है. जबकि सच्चाई की अपनी एक कंप्लीट पिक्चर होती है. और हमें एक कंपलीट पिक्चर सुंदर दिखाई देती है. इसलिए ट्रथ ब्यूटीफुल होता है. और झूठी और आधी सच्ची बातें हमेशा आप को नीचा दिखाती हैं. जबकि ट्रथ आप की थिंकिंग को क्लियर करता है और सेल्फ मोटिवेशन के लिए आपको जरूरी एनर्जी देता है.
-
रीड योर सेल्फ ए स्टोरी –
इस आइडिया के मुताबिक जोर से बोल कर पढ़ने के लिए सुझाव दिया गया है. और यह कहा गया है कि खामोशी से पढ़ने के मुकाबले में जोर से बोल कर पढ़ने पर आप उस दौरान पढ़ी गई चीजों को दोगुने ज्यादा वक्त तक याद रख पाते हैं. दरअसल इस तरह से आप पढ़ने के सेंस के अलावा अपने हियरिंगसेंस का भी इस्तेमाल करते हैं.
और साथ ही साथ स्पीकिंग की एक एक्टिविटी का भी इस्तेमाल करते हैं. जिसकी वजह से आपके पढ़े गए शब्द यादगार बन जाते हैं. इसलिए आप जिन इम्पोर्टेन्ट चीजों को अच्छी तरह से और ज्यादा लंबे समय तक के लिए याद रखना चाहते हैं, उन्हें जोर से बोल कर पढ़िए.
-
लॉफ फॉर नो रीजन –
इस आइडिया के मुताबिक आपको एक एक्टर बनने की एक्टिंगकरने के लिए सुझाव दिया गया है. इसमें कहा गया है कि आप एक एक्टर और सिंगर बनिए. आप उसी तरह से फील करने की एक्टिंग कीजिए जैसा कि आप फील करना चाहते हैं. इस बारे में अमेरिकन फिलॉस्फर विलियम जेम्स का कहना है कि, ” हम इसलिए सिंगिंग नहीं करते हैं क्योंकि हम खुश होते हैं बल्कि हम इसलिए खुश होते हैं क्योंकि हम सिंगिंग करते हैं.” हममें से बहुत से लोगों का ऐसा मानना है कि कोई भी एक्शन करने से पहले हमारे अंदर इमोशंस आते हैं.
और फिर हम उन्हीं इमोशंस के मुताबिक जो करना होता है वह करते हैं. लेकिन विलियम जेम्स का यह मानना है कि हमारे अंदर एक्शन के साथ साथ इमोशन की लहर भी चलती रहती है. इसलिए अगर आप अपना जोश दिखाना चाहते हैं तो आप उस वक्त जोशीले के होने की एक्टिंग कर सकते हैं. इसी तरह अगर आप खुश होना चाहते हैं तो आप जो भी सबसे ज्यादा खुशी वाला गाना जानते हों, उसे गाना शुरू कर दीजिए. फिर चाहे आप का गाना कितना भी बेतुका क्यों ना हो आप जल्दी ही उसे एंजॉयकरने लगेंगे. दरअसल आप खुश होने के लिएकहकहे लगाकर भी खुद को हंसा सकते हैं. और अपने सेल्फ मोटिवेशन को बढ़ा सकते हैं. हालांकि ज्यादातर बच्चे अक्सर बात बात पर खुलकर हंसते गाते रहते हैं. लेकिन थोड़ी ज्यादा उम्र वाले लोग ऐसा आसानी से नहीं कर पाते हैं
-
वॉकविद लव एंड डेथ
इस आईडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि हमारी बहुत सी प्रॉब्लम्स लॉन्ग वॉक के जरिए से हल की जा सकती हैं. इस बारे में स्टीव शेनडलर अपना उदाहरण देते हुए कहते हैं कि, ” जब मुझे किसी चीज के बारे में पता लगाने की, किसी चीज को फेस करने की, या किसी हिम्मतवाले प्लान को क्रिएट करने की जरूरत महसूस होती है तो मैं एक लंबी वॉक पर निकल जाता हूं. और फिर उसी दौरान हमेशा मुझे उनका एक प्रॉपर सलूशन दिखाई देने लगता है.” इस बारे में डॉक्टर एंड्रयू वेलका यह कहना है कि,” जब आप वॉक करते हैं तब आपके हाथ पैर क्रॉस पैटर्न में मूव करते हैं. यानी कि आपका दायां पैर और बायां हाथ एक साथ आगे की तरफ मूव करते हैं. और इसके बाद बायां पैर और दायां हाथ भी एक साथ मूव करते हैं. इस तरह का मूवमेंट दिमाग में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी जनरेट करता है. जिसके तालमेल का प्रभाव हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर पड़ता है. और यह स्पेशल बेनिफिट वाकिंग के अलावा किसी दूसरी एक्सरसाइज से नहीं मिलता है. इस बारे में स्टीव शेनडलर कहते हैं कि, ” मैं इसे प्यार की वॉक कहता हूं. क्योंकि प्यार और डर एक दूसरे के अपोजिट होते हैं. दरअसल आखरी क्रिएटिविटी प्यार की भावना सेवजूद में आती है. जैसा कि इम्मेट फॉक्स का कहना है कि,” प्यार हमेशा क्रिएटिव होता है और डर हमेशा डिस्ट्रक्टिव होता है. ” इसके अलावा स्टीव शेनडलर यह भी कहते हैं कि, ” मैं इसे मौत की वॉक कहता हूं. क्योंकि सिर्फ मौत के बारे में एक्सेप्टेंस और जानकारी की वजह से ही मेरी जिंदगी को जरूरी एक्साइटमेंट के लिए क्लेरिटी मिलती है.” इसलिए आप अपने चैलेंजेस को बाहर निकालने के लिए वॉक पर निकलना शुरू कीजिए. और अपने अंदर सेल्फ मोटिवेशन को बढ़ता हुआ महसूस कीजिए.
अन्य बेस्ट सेलर बुक समरी पढ़े – CLICK HERE
-
टीच योर सेल्फ द पावर ऑफ नेगेटिव थिंकिंग
इस आइडिया के मुताबिक यह कहा गया है कि अगर आप अपने गोल्स, ड्रीम्स और कमिटमेंट्स के बगैर जिंदगी में अटके हुए हैं तो आप नेगेटिव थिंकिंग करना शुरू कर दीजिए. और इस बात का अंदाजा लगाइए कि आप किस चीज कोअपनी जिंदगी में बिल्कुल नहीं चाहते हैं. यानी आप किन चीजों से इतना ज्यादा डरते हैं कि उन्हें अपनी जिंदगी में बिल्कुल भी शामिल नहीं करना चाहते हैं. और फिर उन चीजों को पॉजिटिव रूप में बदलने की कोशिश कीजिए. ऐसा करने से आप बहुत ज्यादा मोटिवेट हो सकते हैं. अगली बार जब आपको यह सोचकर अपने अंदर जोश और जुनून की कमी महसूस होने लगे कि आप क्या बनना चाहते हैं तो अपने सोचने के तरीके को बदल दीजिए. और यह सोचिए कि आप क्या नहीं बनना चाहते हैं. तब आपको इस प्रॉब्लम पर काबू पाने के लिए अपने अंदर एनर्जी महसूस होने लगेगी. और इसी एनर्जी से आपको सबसे गहरा और ओरिजिनल मोटिवेशन मिलेगा.
इस बुक को ख़रीदे (Buy this Book)- PRINT | KINDLE | VIDEOS
कुल मिलाकर
यह किताब एक ऐसा नायाब तोहफा है जो आपकी जिंदगी में आने वाली तमाम परेशानी और उलझनो को दूर करने के लिए आपको ना सिर्फ चार्ज अप करती है बल्कि आपकी प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाती है. जब आप इस किताब को अपने पास जिंदगी की हैंडबुक की तरह बहुत संभाल कर रखते हैं. तो आपको यह एहसास होता है जैसे कोई बहुत नॉलेज वाला आपका हमदर्द शख्स हमेशा आपको गाइड करने के लिये आपके साथ मौजूद है. और जरूरत पड़ने पर आपको सिर्फ इस किताब में कुछ पन्ने पलटने हैं जिससे आपके दिल और दिमाग में जरूरी आइडियाज और मोटिवेशन भर जाते हैं. और आप बहुत आसानी के साथ अपने डेवलपमेंट में आ रही रुकावटों को पार करके नई ऊंचाइयों की तरफ बढ़ जाते हैं.