15 Secrets Successful People Know About Time Management in Hindi

15 Secrets Successful People Know About Time Management

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इस किताब से क्या सीखा जा सकता है?

15 Secrets Successful People Know About Time Management- अपनी टाइम मैनेजमेंट स्किल्स को बेहतर करें। आज-कल का समय समय के चोरों से भरा हुआ है। चाहे वो आपके फ़ोन पे नए ट्वीट की नोटिफिकेशन हो, चाहें वो आपके कलीग का आपके काम के बीच में डिस्टर्ब करना हो, आपका समय हमेशा चोरी हो रहा है। और एक बार वो समय खो गया, तो फिर वो आपको कभी वापस नहीं मिलने वाला है।

अपना ध्यान सही जगह रखने और अपने समय की इन चोरों से रक्षा करने के लिए, कुछ ट्रिक्स का इस्तेमाल ज़रूरी है। इन लेसंस में हम यही ट्रिक्स सीखेंगे।

– 1440 इतना ज़रूरी नंबर क्यों है।

– 3-2-1-0 सिस्टम क्या है।

– जॉर्ज डब्लू. बुश कितनी किताबें पढ़ते थे।

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समय हमारी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति है, इसे समझदारी से खर्च करना चाहिए।

क्या आपने कभी ये सोचा है कि, काश, हमारे पास दिन में एक घंटा ज़्यादा होता, जिसमें हम अपनी पसंद की चीजें कर पाते? वो एक्स्ट्रा एक घंटा मुमकिन है, और वो भी बिना किसी जादू के! पर इसके लिए, हमारे लिए यह समझना ज़रूरी है की समय हमारा सबसे ज़रूरी एसेट है। टाइम मैनेजमेंट का सबसे पहला उसूल है कि समय हमारा सबसे बड़ा एसेट है, और वो कभी वापस नहीं आता है। इस पर नज़र रखने का एक अच्छा तरीका इसे टुकड़ों में बांटना है। जैसे, एक दिन में 1440 मिनट्स होते है, और इनमें से हर एक का सही इस्तेमाल होना चाहिए।

इस चीज़ को हमेशा याद रखने के लिए के लिए लेखक ने एक ‘1440’ का पोस्टर अपने ऑफिस के दरवाज़े पर चिपकाया था। ये हमेशा उन्हें अपने एक दिन के समय की सीमा याद दिलाता रहता था।

पर मिनट्स ही क्यों? 86400 सेकण्ड्स क्यों नहीं?

एक मिनट कई तरह के कामों को करने के लिए काफी है, जैसे 30 सिट अप्स करना, एक कविता पढ़ना, या अपने पौधों को पानी देना।

तो अगर अब आपने अपने समय के महत्व को समझ लिया है, तो अब समय आता है उसे अपनी प्रायोरिटी के हिसाब से बांटने का।

और ऐसा कर पाने का भी एक सीक्रेट है– अपने Most Important Task, या MIT को चुनना और उसे प्राथमिकता देना। ये एक ऐसी चीज़ है जो आपकी ज़िन्दगी और आपके काम पे सबसे बड़ा प्रभाव डालेगी। थेरेस मकान (Therese Macan), जो यूनिवर्सिटी ऑफ़ मिसौरी-सेंट लूइस (Missouri-St Louis) में एक प्रोफेसर हैं, भी इस बात से सहमत है।

जैसे, एक app development के लिए MIT एक प्रोग्रामर को हायर करना होगा। या एक स्टार्ट-अप के सीईओ के लिए MIT एक बड़ी डील के लिए एक अच्छी प्रेजेंटेशन तैयार करना होगा। रिसर्च में ये पाया गया है की रोज़ की MITs तैयार रखना, चाहे वो जो भी हो, फोकस बेहतर करने और ख़ुशी का लेवल बढ़ने में मदद करता है।

लिस्ट बंद, काम ज़्यादा।

कई लोग अपने कामों की लिस्ट के बोझ से ही परेशान रहते है। आपके पास भी शायद एक ऐसी लिस्ट होगी। शायद उसमें भी कई ऐसे काम होंगे जो हफ़्तों से वहीं बैठे-बैठे आपका स्ट्रेस बढ़ा रहे होंगे।

इनसे निपटने के लिए हमारा तीसरा सीक्रेट काम आएगा– लिस्ट्स के बजाय कैलेंडर का इस्तेमाल।

Researches में ये पाया गया है कि एक काम की लिस्ट में से लगभग 41% काम कभी पूरे नहीं होते है। इस चौंकाने वाले नंबर के पीछे का कारण आसान है– इन कामों के साथ उनमें लगने वाले टाइम का कोई ज़िक्र न होना। इसलिए, कई मुश्किल या कम ज़रूरी काम छूटते रह जाते है।

ये देखने में इतनी बड़ी प्रॉब्लम नहीं लगती है, पर ये छूटे हुए काम अनचाहे स्ट्रेस का कारण बन जाते है, जिससे बड़ी आसानी से बचा किया जा सकता है। In fact, फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी (Florida State University) के रिसर्चरो ने ये पाया है कि अगर लिस्ट के बजाय हम प्लान्स बना के हर काम करें, तो हम स्ट्रेस से बच सकते है।

ओलिंपिक जिमनास्ट (Shannon Miller) इस तकनीक का एक अच्छा उदाहरण हैं। वो अपने परिवार के साथ समय बिताने, स्कूल के काम करने, अपनी ओलिंपिक ट्रेनिंग करने, और यहाँ तक कि मीडिया को इंटरव्यू देने में हमेशा सफल रहती थीं, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो अपने ज़रूरी कामों को हमेशा सही से schedule कर पाती थी।

इस स्ट्रैटेजी को टाइम बॉक्सिंग (time boxing) या टाइम ब्लॉकिंग (time blocking) कहा जाता है, और इसमें हमें बस एक डिटेल्ड कैलेंडर बना के रखना होता है। मिलर (Miller) ने ऐसा ही किया,

और इस वजह से उन्हें उन कामों को प्राथमिकता देनी पड़ी जो ज़्यादा ज़रूरी थे, और आज भी वो घडी के साथ ही चलती है।

हाँ, एक समय आएगा, जब आपके कैलेंडर के किसी काम को आप पूरा नहीं कर पाएंगे। उस हालत में, अपने काम को भूल जाने के बजाय, अपने कामों को (reschedule) कर लीजिये। जैसे, अगर आप दोपहर में जिम जाते है, पर किसी दिन आपको दोपहर में फ्लाइट पकड़नी हुई, तो जिम छोड़ने के बजाय उसे सुबह कर लीजिये।

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अपनी काम टालने की आदत को कम करने के लिए अपने आने वाले कामों के बारे में पहले से सोच लें, और ये मान लें कि आपका काम कभी कम नहीं होने वाला है।

ऐसा सबके साथ होता है– एक इम्पोर्टेन्ट डेडलाइन करीब आ रही है,

और उसके लिए काम करने की जगह हम फेसबुक, मैसेजिंग, टीवी, इन सबमें लगे हुए है। काम टालने की आदत एक बुरी बला है, पर खुशकिस्मती से, इससे निपटने के भी नुस्खे मौजूद है।

अब हम बात करते है अपने चौथे सीक्रेट की– काम टालने की आदत से बचने के लिए अपने फ्यूचर सेल्फ को इमेजिन कीजिये।

हम इसलिए काम नहीं टालते क्योंकि हम आलसी है, पर इसलिए क्योंकि हमारे पास ज़रूरी मोटिवेशन नहीं होता। अपने फ्यूचर सेल्फ की कल्पना करने के लिए सिर्फ दो सवाल काफी है: “इस काम से मुझे कैसी ख़ुशी मिलेगी?” और “इस काम को न करने से मुझे क्या परेशानियां होंगी?”

जैसे, अगर आपका गोल रोज़ एक्सरसाइज करना है, पर आप ऐसा कर नहीं पा रहे है, तो बस अपने को मोटा और सुस्त इमेजिन करिये। ऐसा लगातार करते रहने से आप जल्द ही सोफा छोड़कर ट्रेडमिल पे पहुँच जाएंगे।

इसके अलावा, अपने फ्यूचर सेल्फ के बारे में ईमानदारी से सोचना भी आपकी काम टालने की आदत छोड़ने में मदद कर सकता है। जैसे, अगर आपको लगता है कि आप अपने ब्रेक में जंक फूड ही खाएंगे, तो आप इस बारे में ईमानदारी से सोचते रहकर खुद को ऐसा असल में करने से रोक सकते है। आप यहाँ तक की अपने घर में रखे सारे जंक फूड को बाहर भी फेंक सकते है।

अब हम तैयार है अपने पांचवे सीक्रेट की ओर बढ़ने लिए– हमारे काम कभी ख़तम नहीं होंगे, और ऐसा होना एक अच्छी बात है।

बल्कि, अपने काम को प्राथमिकता देना और schedule करना अपने काम से चीज़ों को घटाने से कहीं बेहतर है। अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश इसका एक बेहतरीन एक्साम्प्ल है। उन्हें पता था कि उनके पास काम की कभी कमी नहीं होगी। इसलिए, उन्होंने सबकुछ करने के बजाय, ढेर साड़ी बुक्स पढ़ने को अपनी प्रायोरिटी बनाया। उन्होंने इसे चिकित्सीय और शैक्षणिक पाया। उन्होंने सिर्फ अपने कार्यकाल के दौरान करीब 95 किताबें पढ़ डाली थीं!

अपने आइडियाज को लिखना और अपने ईमेल इनबॉक्स को कम चेक करना फोकस बेहतर रखने और productivity बढ़ाने में मददगार है।

कई बार हमारे सबसे अच्छे आइडियाज हमें बड़े रैंडम समय, जैसे शॉपिंग करते या अपने कुत्ते को घूमाते पर आते है। क्या ये बेहतर नहीं होगा कि हम इन आइडियाज को याद करने की कोशिश में सर खपाने के बजाय उन्हें लिख लें?

इसलिए, हमारा छठा सीक्रेट एक नोटबुक हमेशा पाने साथ रखना है। इस तरह अपने आईडिया लिख लेने से उन्हें याद रखना कहीं आसान हो जाता है। Virgin Group के संस्थापक रिचर्ड ब्रेनसन का कहना है कि उनके बिज़नेस के सक्सेस के पीछे उनके नोटबुक का बड़ा हाथ है।

वो अपने आइडियाज को लिखकर रखने को लेकर इतने सीरियस थे, कि एक बार जब उनके पास उनकी नोटबुक नहीं थी, तब उन्होंने अपना आईडिया अपने पासपोर्ट के पीछे ही लिख दिया था! उनका मानना था कि अगर किसी आईडिया को लिखा नहीं गया, तो वो हमेशा के लिए खो जाएगा।

अपने हाथ से लिखे हुए नोट्स आपकी मेमोरी के लिए भी हेल्पफुल होते है। मनोवैग्यानिक पाम मुलर (Pam Mueller) और डेनियल ओपेन्हेमेर (Daniel Oppenheimer) ने अपनी रिसर्च में पाया है कि जो स्टूडेंट्स TED talks के दौरान अपने हाथ से नोट्स बनाते थे, वो उन लोगों से ज़्यादा अच्छे से चीजें याद रख पाते थे जो अपने लैपटॉप पर नोट्स बना रहे थे।

अपने विचारों को लिखना बहुत ज़रूरी है– उतना ही ज़रूरी जितना ज़रूरी अपने schedule को maintained रखना है। यही पर सातवां सीक्रेट काम आता है।

हमें अपने ईमेल हर वक़्त चेक नहीं करने चाहिए, वरना दूसरे लोग आपका समय अपने हिसाब से चलाने लगेंगे।

आम धारणा के उलट, हर वक़्त ईमेल चेक करना counterproductive यानि अनुत्पादक होता है। हर वक़्त ईमेल चेक करना जुआ खेलने जैसा है। ज़्यादातर हमें कोई नया मैसेज नहीं आता है। पर हम फिर भी दांव खेलते है, इस उम्मीद में कि कोई नया मैसेज अभी आ जाएगा, ठीक जुए की तरह। ये जुआ नशे की लत जैसा होता है, और इससे हमारे फोकस और प्रोडक्टिविटी पर बुरा असर होता है।

इससे बचने का एक अच्छा तरीका है की अपने सारे न्यूज़लेटर्स को अनसब्सक्राइब कर दें. इसके अलावा, आप 3-2-1- ज़ीरो सिस्टम भी इस्तेमाल कर सकते है। इसमें, आप दिन में बस तीन बार अपने ईमेल चेक करें, और दिन भर में कुल मिला कर 21 मिनट में ही अपने सारे मेल पढ़ लें।

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अपने समय को अपना बनाये, चीज़ों को मना करें।

अगर आपने कभी ऑफिस में काम किया है, तो आपको पता होगा कि ऑफिस मीटिंग्स कितनी बोरिंग होती है। पर मीटिंग्स के साथ सिर्फ यही एक दिक्कत नहीं है। हमारा आठवां सीक्रेट यही है– ज़्यादातर मीटिंग्स inefficient यानि अप्रभावी होती है, और उनका इस्तेमाल बिलकुल आखिर में करना चाहिए।

बल्कि, 2015 के एक सर्वे के अनुसार, 35% लोगों ने कहा कि वीकली स्टेटस मीटिंग (Weekly Status Meeting) समय की बर्बादी है, इन दो वजहों से:

पहला, सारी मीटिंग्स में छोटी-छोटी बातों पर समय ज़्यादा बर्बाद किया जाता है, जो पार्किंसंस लॉ में भी बताया गया है। दूसरा, मीटिंग्स में आमतौर पर ज्यादा बोलने वालों का दबदबा रहता है, जो दूसरों को मीटिंग में कुछ भी कहने से रोकता है। ये कई बार ज़रूरी जानकारी के पहुँच न पाने की वजह बन जाती है।

पर, अगर मीटिंग करना बहुत ज़रूरी है, तो लोगों से बैठकर बात करने के बजाय, उनसे खड़े होकर मीटिंग करें। ये सुनने में अजीब लगेगा, पर वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, खड़े होकर की गई मीटिंग्स में तालमेल बेहतर होता है, आइडियाज से जुड़ाव कम होता है, लोगों के बीच engagement भी बेहतर होता है, और प्रॉब्लम-सॉल्विंग ज़्यादा प्रभावी होती है।

याहू! (Yahoo!) की सीईओ Marissa Mayer एक और अच्छी टिप देती है: मीटिंग्स सिर्फ ५-१० मिनट के अन्तराल की ही राखी जाए, जिससे एक हफ्ते में 70 मीटिंग्स तक रखी जा सकती है। अगर यही मीटिंग्स आधे घंटे की होती, तो इतनी मीटिंग्स रख पाना पॉसिबल नहीं होता।

दूसरे शब्दों में, मीटिंग का टाइम कण्ट्रोल करने से आप दूसरों को अपना टाइम लेने से रोक सकते है। ये एक जरुरी पॉइंट है, क्योंकि दूसरे हमेशा आपका टाइम लेने की कोशिश करेंगे। ये बात हमारे नौवे सीक्रेट के लिए याद रखना ज़रूरी है– अपने गोल्स को पाने के लिए दूसरों को ना कहना ज़रूरी है।

अगर आप किसी काम को हाँ कहते है, तो आपको किसी न किसी चीज़ को ना कहना ही पड़ता है। ओलिंपिक रोवर सारा हेंडरशॉट (Sara Hendershot) ने लोगों को न कहने की कला में महारत हासिल करके ही 2012 के ओलंपिक्स के फाइनल्स में अपनी जगह बनायी थी।

साथ ही साथ, रिसर्च में ये पाया गया है कि लोगों को न कह सकने वाले लोग ज़्यादा खुश और उर्जा से भरपूर होते है।

80/20 रूल और खुद से पूछे गए कुछ ईमानदार सवाल आपकी कार्यक्षमता और संतुष्टि बढ़ा सकते है।

अब तक आपने ये देखा कि कैसे हमें अपने कीमती समय का इस्तेमाल उन चीज़ों के लिए करना चाहिए जिनका असर सबसे ज़्यादा होना है। इस गोल को अचीव करने में दसवां सीक्रेट हमारी मदद कर सकता है। इसके अनुसार, परेटो प्रिंसिपल (Pareto Principle) का इस्तेमाल हम सक्सेस के शॉर्टकट के रूप में कर सकते है।

1890s में इटालियन फिलॉसफर और इकोनॉमिस्ट विल्फ्रेडो फेडेरिको दामासो परेटो (Vilfredo Federico Damaso Pareto) ने ये पाया कि उनके बगीचे के सिर्फ 20% मटर के पौधे ही 80% अच्छे और स्वस्थ मटर पैदा कर रहे है। उन्होंने इस बात को एक जनरल प्रिंसिपल के रूप में डेवलप किया, जिसे हम आज Pareto के 80/20 रूल के नाम से जानते है। इसका इस्तेमाल कई जगहों पर किया जा सकता है।

जैसे, इस रूल का इस्तेमाल करके आप अपनी कंपनी के खराब कर्मचारियों को निकालकर बचे हुए लोगों पर फोकस कर सकते है, क्योंकि वो बचे हुए 20% लोग ही आपके 80% काम को करते है। ऐसा करने से आपकी कंपनी की कार्यक्षमता में एक अच्छा सुधार होगा।

इसके अलावा, आप अपने हफ्ते के schedule का विश्लेषण करके ये फैसला कर सकते है कि उस हफ्ते के सारे कामों में कौन सी 20% चीजें आपके ऊपर सबसे ज़्यादा असर डाल रही थी।

80/20 रूल के अलावा, आप अपने सामने रखे कामों को भी उनके विश्लेषण की मदद से बेहतर कर सकते है। ग्यारहवां सीक्रेट इसी काम के लिए बनाया गया है। इसके मुताबिक, अपने स्किल्स को जज करते रहने और उस हिसाब से अपने कामों को बाँटते रहने से आपकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है। हार्वर्ड बिज़नेस रिव्यू (Harvard Business Review) में छपे एक एक्सपेरिमेंट को, जो प्रोफेसर Julian Birkinshaw और Jordan Cohen ने किया था, इसका एक अच्छा उदहारण है। इस एक्सपेरिमेंट के अनुसार, करीब 43% employees अपने काम से नाखुश हैं।

सिर्फ कुछ सिंपल सवाल पूछकर प्रोफ़ेसर्स ने ज़रूरी काम को आसानी से पहचान लिया था, जिससे उन्होंने एक हफ्ते के करीब 8 घंटे एक्स्ट्रा बचाये थे। वो तीन सवाल थे– “ये काम कंपनी के लिए कितना ज़रूरी है?”, “क्या ये काम कोई और कर सकता है?”, और “अगर मेरे पास सिर्फ आधा ही टाइम होता, तो मैं ये काम कैसे करता?”

हर दिन का एक थीम बनाना और कुछ छोटे कामों को तुरंत कर लेना कार्यक्षमता बढ़ाता है।

क्या आपको ऑफिस में फोकस करने में समस्या होती है? हममें से ज़्यादातर लोगों को ये समस्या होती है, और इसके लिए एक छोटी सी सलाह दूर तक जाती है। यही हमारा बारहवां सीक्रेट है, जो कहता है कि अपने काम को ऐसे हिस्सों में बाँट लेना जो हर हफ्ते आता है तो वो ज्यादा इफेक्टिव हो जाता है।

इसका एक अच्छा एक्साम्पल जैक डोर्से (Jack Dorsey) से आता है, जो ट्विटर के सह संस्थापक और Square के सीईओ हैं। उनका कहना है कि उनकी सक्सेस के पीछे हर दिन को एक थीम बना लेने का बड़ा हाथ है। जैसे, मंडे वो मैनेजमेंट को देते थे, तो वेडनेसडे वो मार्केटिंग को देते थे, और सन्डे वो सोच-विचार, फीडबैक और अगले हफ्ते की रणनीति के लिए रखते थे।

हम इंटरप्रेन्योर कोच डैन सलीवन (Dan Sullivan) का उदहारण भी ले सकते है। उनके अनुसार, अपने हफ्ते को तीन तरह के दिनों में बांटना फोकस बनाये रखने में मदद करता है। पहले टाइप के दिन को focus day कहते है, जो ज़रूरी कामों के लिए है। दूसरे टाइप को buffer day कहते है, जो e-mails के जवाब देने, मीटिंग्स करने, काम बांटने, और पेपरवर्क निपटाने के लिए होते हैं। तीसरे टाइप के दिन free day होते हैं, जिस दिन कोई काम नहीं किया जाता। ऐसे दिनों को घर, छुट्टी, और चैरिटी जैसे कामों के लिए रखा जाता है।

अपनी कार्यक्षमता को बनाये रखने का एक आसान तरीका अपने छोटे कामों को तुरंत करना है। ये हमारा तेरहवाँ सीक्रेट है, कि आपको अपने उन कामों को तुरंत कर लेना चाहिए जिन्हें करने में सिर्फ 5 मिनट या उससे काम लगते है।

इसका एक एक्साम्प्ल लेखक की लाइफ से ही आता है। एक बार उनकी बहन Debbie ने उन्हें एक e-mail किया, पर वापस मेल करने के बजाय, लेखक ने Debbie को फ़ोन किया, ताकि वो उनसे बात कर सकें। Debbie को सीधे फ़ोन करके लेखक ने खुद को इस काम को याद रखने की मेंटल एनर्जी खर्च करने से बचा लिया। अगर ये काम वो अपनी to-do list में डालते, तो शायद वो ये छोटा-सा काम कभी न कर पाते।

अपनी एनर्जी लेवल को एक सुबह की आदत और एक आसान तकनीक से बढ़ाएं।

सुबह 6 बजे उठना, 45 मिनट्स के लिए वर्कआउट करना, और फिर एक स्वादिष्ट, protein-rich नाश्ता बनाना। सुनने में ये बड़ा मुश्किल लगता है, पर हमारे चौदहवे सीक्रेट के मुताबिक, ये करना ज़रूरी है।

चौदहवा सीक्रेट ये कहता है कि सुबह का पहला घंटा आपकी हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है। In fact, सुबह की शुरुआत एक वर्कआउट से करना आपकी रचनात्मकता के लिए फायदेमंद है।

हम यहाँ न्यू यॉर्क बेस्ट-सेलर लेखक डैन मिलर (Dan Miller) को देख सकते है, जो अपने सुबह की शुरुआत आधे घंटे ध्यान, और 45 मिनट्स वर्कआउट और ऑडियो प्रोग्राम्स को सुनकर करते हैं। इस दौरान वे खुद को फ़ोन या न्यूज़ से दूर रखते है, और अपने दिन की शुरुआत को पूरी तरह पॉजिटिव और प्रेरणादायक अनुभवों को देते है। उनका ये भी दावा है कि उन्हें अपने सबसे अच्छे आईडिया इसी वक़्त आते है।

एक अच्छा नाश्ता और ढेर सारा पानी पीना आपकी सुबह की एनर्जी को और भी बढ़ा सकता है। ये आईडिया बेस्ट-सेल्लिंग लेखक और पॉडकास्ट होस्ट शौन स्टीवेंसन (Shawn Stevenson) के लिए एक बड़ी बात है। उनका मानना है कि एनर्जी ही सबकुछ है। इसलिए, वे अपने दिन की शुरुआत एक “इनर बाथ” से करते है, जिसमें वो करीब 800 ml पानी पीते है, ताकि उनके शरीर के सारी गन्दगी फ्लश हो जाएँ।

बल्कि, हमारे पन्द्रहवे सीक्रेट के अनुसार, एनर्जी ही सबकुछ है। कार्यक्षमता समय के बारे में नहीं, पर अपना फोकस और एनर्जी बनाये रखने के बारे में है।

Francesco Cirillo ने एक तकनीक बनायीं थी, जिसका नाम पोमोडोरो तकनीक (Pomodoro Technique) है। उनके इस एप्रोच में हम किसी एक काम पे 25 मिनट्स फोकस करते हैं, और फिर 5 मिनट का ब्रेक लेते हैं, जिसके बाद हम उस काम पर वापस लग जाते हैं।

लेखक Monica Leonelle ने इस तकनीक की मदद ली, जब उन्हें लगने लगा कि उनके पास दिन में बिलकुल भी समय नहीं बचता है। Pomodoro Technique की मदद से उन्होंने अपने दिन भर की एनर्जी को मैनेज करना सीखा, और पूरे दिन अपनी एनर्जी बनाये रखने में सफलता हासिल की। इस technique के कारण उनका लिखने का आउटपुट 600 शब्दों से 3500 शब्दों तक पहुँच गया था।

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कुल मिला कर

सक्सेसफुल लोग अपने समय को अपना सबसे बड़ा एसेट मानते है। उनके सबसे अच्छे लाइफ हैक्स– अपने कामों को प्राथमिकता देने से लेकर अपनी एनर्जी फोकस्ड रखने तक– को आप भी अपनी ज़िन्दगी में उतार कर अपने समय का सबसे अच्छा इस्तेमाल कर सकते है।

अपना एक मॉर्निंग रूटीन ज़रूर बनायें!

अपना मॉर्निंग रूटीन बनाते वक़्त सक्सेस कोच Hal Elrod के SAVERS का इस्तेमाल करें।

– S यानि Silence, कृतज्ञता (gratitude) और ध्यान (meditation) के लिए।

– A यानि Affirmation, अपने गोल्स और प्राथमिकताओं का।

– V यानि Visualization, अपने आइडियल लाइफ का।

– E यानि Exercise

– R यानि Reading

– और आखिरी S यानि Scribing, अपनी नोटबुक में लिखना।

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