Age of Propaganda Book Summary in Hindi

Age of Propaganda

लोगों के इरादे बदले के लिए आपको उन्हें नई जानकारी देनी होगी।

Age of Propaganda Book Summary in Hindi- जिन्दगी में लोगों को अपना काम करने के लिए मना पाना एक बहुत जरूरी स्किल है। अगर आप एक कर्मचारी हैं, तो आपको अपने बॉस को मनाना होगा कि वो बाकी 10 लोगों को छोड़कर सिर्फ आपको काम पर रखें। अगर आप एक पैरेंट हैं, तो आपको अपने बच्चों को मनाना होगा कि वे हरी सब्जियां खाएं, पढ़ाई ज्यादा करें और फोन कम इस्तेमाल करें।

इरादे बदलना और लोगों को मनाना हर किसी के लिए जरूरी होता है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो लोगों के इरादे बदलकर उनसे अपने फायदे के लिए काम करवा सकते हैं। कंपनियां अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए और नेता वोट लेने के लिए अक्सर हम पर इन तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।

हमारी जिन्दगी में बहुत से लोग हमें हर वक्त अपने इरादे बदलने के लिए प्रभावित करते रहते हैं। हमें कैरियर कौन से चुनने चाहिए, हमें वोट किसको करना चाहिए, हमें किससे शादी करनी चाहिए या हमें किस तरह की किताबें पढ़नी चाहिए। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि लोग हमारे इरादे बदलकर हमें भटकाने की ही कोशिश कर रहे हों।

बहुत से लोग हमें जानकारी देकर सही फैसले लेने में हमारी मदद करते हैं। अगर हम पहले से किसी चीज़ पर यकीन करते हैं, तो ये लोग हमें जानकारी देकर यह बताते हैं कि हमें उस चीज़ पर यकीन क्यों नहीं करना चाहिए। वे यह काम कुछ इस तरह से करते हैं।

सबसे पहले वो हमारे सामने दोनों पक्ष की बातों को रखेंगे। वो हमें बताएंगे कि उस चीज़ पर यकीन करने के क्या फायदे हैं और उसपर यकीन ना करने के क्या फायदे हैं। इसके बाद, वो हमें यह यकीन दिलाने की कोशिश करेंगे कि उस चीज़ पर यकीन ना करने के फायदे उसपर यकीन करने के फायदों से कहीं गुना ज्यादा हैं। या वे हमें कुछ नई जानकारी देकर यह बताएंगे कि उस चीज़ पर यकीन करने के फायदे तो कुछ हैं ही नहीं, सिर्फ नुकसान हैं। इस तरह से वे हमारे इरादे बदल देंगे।

जब लोग दूसरों के इरादे बदलने की कोशिश करते हैं, तो वे उन्हें । दुनिया को अपने नजरिए से दिखाने की कोशिश करते हैं। वे अपनी बातों को जानकारी और लाजिक के जरिए सही साबित करने की। कोशिश करते हैं। समय के साथ लोग उनकी बात को समझने लगते हैं और उनकी बात मानकर अपने इरादे बदल भी लेते हैं। और उन्हें अक्सर यह लगता है कि अपने इरादे बदल कर उन्होंने सही फैसला लिया है।

किसी के इरादों को बदलने में सबसे बड़ा हाथ होता है जानकारी का। लोगों को पुरानी जानकारी नहीं पसंद। उन्हें हर वक्त कुछ नया चाहिए होता है। आपको उन्हें यह यकीन दिलाना होगा कि उन्होंने जब पिछली बार फैसला लिया था, तो उनके पास पूरी जानकारी नहीं थी। इसके बाद आपको उन्हें नई जानकारी देकर उन्हें यह एहसास दिलाना होगा कि अब वे पूरी बात जान गए हैं। अब आप उनके इरादों को आसानी से बदल सकते हैं।

अगर आप उन्हें नई जानकारी नहीं देंगे, तो वे पुराने तरीकों से ही सोचते रहेंगे और अंत में जाकर वही काम करेंगे जो वे करने वाले थे। इसलिए आपको सही तरह से अपनी बात उनसे कहनी आनी चाहिए।

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प्रचार करने वाले लोग अपने ग्राहकों के इरादे बदलने के लिए उन्हें भटकाने की कोशिश करते हैं।

इरादे बदलने के लिए आपको लोगों को जानकारी देनी होगी। जानकारी देने के लिए आपको कुछ देर तक उनका ध्यान खींच कर रखना होगा। लेकिन जो कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स का ऐड करती हैं, उन्हें 30 सेकेंड के ऐड में ही अपने ग्राहकों को अपने प्रोडक्ट्स को खरीदने के लिए मनाना पड़ता है। उनके प्रोडक्ट उनके कॉम्पटीशन से कुछ ज्यादा अच्छे नहीं होते, लेकिन फिर भी उन्हें अपने ग्राहकों को अपना प्रोडक्ट खरीदने के लिए मनाना होता है। तो वे यह काम कैसे करती हैं?

यह काम करने के लिए कंपनियां अपनी बात को आकर्षित तरह से कहने की कोशिश करती हैं, जिससे ग्राहक उनकी बातों को पसंद करे, लेकिन वो यह ना समझ पाए कि वे कह क्या रहे हैं। वे मोटिवेशनल बातें करते हैं, तेजी से बदलने वाले इमेज दिखाते हैं, अच्छा म्यूजिक सुनाते हैं, चमकदार रंगों का इस्तेमाल करते हैं और खूबसूरत माडल्स को अपने ऐड में दिखाते हैं।

इन सभी चीजों का इस्तेमाल करने से प्रोडक्ट से संबंधित कोई जानकारी ग्राहक को नहीं मिलती। अगर उसे वो जानकारी मिलती भी है, तो वो उसपर पूरी तरह से फोकस नहीं कर पाता है। लेकिन इन ऐड्स को देखने के बाद उसे वो सारी फोटोज़, मॉडल्स और म्यूजिक याद रह जाते हैं, जिस वजह से वो कॉम्पटीशन का प्रोडक्ट ना खरीद कर उनके प्रोडक्ट को खरीदता है।

एग्ज़ाम्पल के लिए चेहरे का रंग निखारने वाली क्रीम्स अक्सर लड़कियों को एक कामयाब कैरियर पाने का ऐड दिखाती हैं। परफ्यूम के ऐड्स लड़को को यह दिखाते हैं कि उनका परफ्यूम लगा लेने के बाद लड़कियाँ उनकी तरफ भागी चली आएंगी। यह ऐड्स हमें यह नहीं बताते कि हमें उनके काम्पटीशन को छोड़कर उनका प्रोडक्ट क्यों खरीदना चाहिए, लेकिन वे हमारे दिमाग पर ऐसा असर डालते हैं कि हम उनका ही प्रोडक्ट खरीदते हैं। इसके अलावा कंपनियां गलत तरह से अपनी बात मनवाने की कोशिश करती हैं। बैंक्स ग्राहकों को बताते हैं कि अगर वे अपना क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करेंगे, तो उन्हें बहुत अच्छे डिस्काउंट दिए जाएंगे। लेकिन वे उन्हें यह नहीं बताती कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने से हम अक्सर जरूरत से ज्यादा पैसे खर्च कर देते हैं जिससे बैंक्स का फायदा होता है। खाने की कंपनियां यह नहीं बोलती कि उनके प्रोडक्ट में “25% फैट”है, वे यह बोलती हैं कि उनका प्रोडक्ट को 75% “फैट-फ्री”है। साथ ही ऐड करने वाली कंपनियां हर तरह से हमारा ध्यान खींचने की कोशिश करती हैं। वे सिर्फ एक रास्ते का इस्तेमाल कर हमें आकर्षित नहीं करती। इस वजह से भी हम उनकी असल बात पर ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन उनके ऐड करने के तरीके अंदर ही अंदर हमें उनका प्रोडक्ट खरीदने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।

सही लोगों का इस्तेमाल कर और अपनी बात को अलग तरह से कहकर कंपनियां हमें अपने प्रोडक्ट बेचती हैं। हमें भटकाने के लिए कंपनियां अक्सर चार चीजों का इस्तेमाल करते हैं। इस सबक में हम उनमें से 2 चीजों के बारे में जानेंगे।

सबसे पहला है – सही लोगों का इस्तेमाल। अक्सर आपने देखा होगा कि कंपनियां अपने ऐड्स में डॉक्टरों का इस्तेमाल करती हैं। टूथपेस्ट की कंपनियां डेंटिस्ट का इस्तेमाल कर यह बताती हैं कि उनका टूथपेस्ट डेंटिस्ट का सुझाया नंबर वन ब्रैड है। ब्रेकफास्ट की कंपनियां एथलीट्स का सहारा लेकर अपने प्रोडक्ट को बेचती हैं। लोगों को लगता है कि एथलीट्स हमेशा अपनी सेहत का खयाल रखते हैं और अगर वे किसी प्रोडक्ट को प्रमोट कर रहे हैं, तो वो सेहतमंद ही होगा।

कंपनियां अक्सर उन लोगों का इस्तेमाल अपने ऐड्स में करती हैं जिन्हें लोग या तो पहसे से पसंद करते हों या फिर उनपर भरोसा करते हों। गोरे लोग फेयरनेस क्रीम का ऐड करते हैं, सेहतमंद लोग हेल्थ प्रोडक्ट्स का ऐड करते हैं और खूबसूरत लोग कपड़ों का ऐड करते हैं। इस तरह से वे हमें यह यकीन दिलाने की कोशिश करते हैं कि उनका प्रोडक्ट इस्तेमाल कर के हम भी उन ऐड्स में दिखाए गए लोगों की तरह बन सकते हैं।

दूसरा तरीका है अपनी बात को कुछ इस तरह से कहना जिससे वे कंपनियां झूठ भी ना बोलें और अपने प्रोडक्ट को सबसे बेहतर भी साबित कर दें।

एग्ज़ाम्पल के लिए क्लाउड हॉप्किन्स के फेमस बीयर ऐड को ले लीजिए। एक कंपनी के बीयर का ऐड करते वक्त उन्होंने एड में कहा कि उनके बीयर की बोतलों को “स्टीम क्लीन टेक्नोलॉजी”की मदद से साफ किया जाता है। लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि दूसरी कंपनियां भी इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर के अपनी बोतलों को साफ करती हैं।

इसी तरह से एक एस्प्रिन बेचने वाली कंपनी यह दावा कर सकती है कि सिरदर्द से राहत देने के लिए कोई भी एस्प्रिन उनकी एस्प्रिन से तेज काम नहीं करता। लेकिन वे यह नहीं बताते कि कोई भी एस्प्रिन उनकी एस्प्रिन से धीरे काम भी नहीं करती। इस तरह से कंपनी ने झूठ भी नहीं बोला और लोगों को यह एहसास भी दिला दिया कि उनका प्रोडक्ट सबसे अच्छा है।

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प्रचार करने वाले लोग जरूरी मुद्दों से हमारा ध्यान भटकाते हैं और हमारी भावनाओं का इस्तेमाल कर हमें दूसरे काम करने के लिए मनाते हैं।

Age of Propaganda Book Summary in Hindi- हमारे दिमाग में कुछ चीजों को लेकर पहले से धारणाएं बनी हुई हैं। यह धारणाएं अक्सर गलत होती हैं और इन्हीं का इस्तेमाल कर के बहुत से लोग हमें सही जगहों से भटकाने की कोशिश करते हैं। यही उनका तीसरा हथियार होता है। एग्ज़ाम्पल के लिए एक आतंकवादी हमलों में जितने लोगों की मौत होती है, उतनी मौतें हर रोज रोड एक्सिडेंट में हो जाती हैं। लेकिन एक नेता इलेक्शन के वक्त हम से यह वादा करता है कि वो हमारे देश को आतंकवादियों से सुरक्षित रखेगा और उन्हें मुँहतोड़ जवाब देगा, जबकि वहीं पर रोड एक्सिडेंट्स को कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते। न्यूज़ देखने पर हमें लगता है कि दुनिया बहुत खतरनाक जगह हो गई है। उसमें हम लगातार हो रहे अपराधों के बारे में सुनते हैं। इसका इस्तेमाल कर के बंदूक की कंपनियाँ हमें बंदूक बेचने की कोशिश करती हैं।

चौथा और आखिरी हथियार है – भावनाएं। लोग अपना दर्द कम करने के लिए या फिर खुशी पाने के लिए बहुत से ऐसे काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं जो उन्हें नहीं करने चाहिए। भावनाओं का मतलब स्टेटस से भी जुड़ा होता है। हमें लगता है कि महंगे कपड़े या फोन लेने से समाज में हमारा स्टेटस ऊँचा होता है और इस वजह से हम उनपर ज्यादा पैसे खर्च करने के लिए तैयार हो जाते हैं। मार्केटिंग में इन्हीं भावनाओं का इस्तेमाल कर के बहुत से सामान हमें बेचे जाते हैं। जहाँ होम लोन के ऐड्स में हमें एक खुशहाल परिवार दिखाया जाता है तो वहीं पर लाइफ इंश्योरेंस वाले हमें एक सुरक्षित भविष्य का सपना दिखाते हैं।

भावनाएं हमेशा लॉजिक पर हावी होती हैं। हम अक्सर बहुत से फैसले भावनाओं में आकर लेते हैं और कंपनियां हमारी इस कमजोरी का फायदा उठाने से पीछे नहीं हटती हैं।

हमें जानकारी भरी खबरों के बजाय चटपटी खबरें ज्यादा पसंद होती हैं। अगर न्यूज़ पर हमें यह दिखाया जाए कि सरकार देश की हालत बदलने के लिए किस तरह से कदम उठा रही है और कौन सी योजनाएं लागू कर रही हैं, तो उसे बहुत कम लोग देखेंगे। लेकिन अगर वहीं पर यह दिखाया जाए कि अमेरिका साउथ कोरिया पर हमला करने की कोशिश कर रहा है और बड़े मूवी स्टार्स का किसी दूसरे के साथ अफेयर चल रहा है, तो यह खबरें हम बहुत मन से देखते हैं। मीडिया को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास सही जानकारी पहुंच रही है या नहीं। उन्हें सिर्फ आपको अपने चैनल से बाँध कर रखने में दिलचस्पी होती हैं। क्योंकि हमें जानकारी नहीं मनोरंजन चाहिए, इसलिए मीडिया हमें हर तरह से मनोरंजन देने की कोशिश करती है।

वो कभी कभी हमें ऐसे न्यूज़ दिखाती है जो ना कभी हुए हैं और ना कभी होंगे। वे बस कुछ फैक्ट्स को तोड़-मरोड़ कर हमें यह बताते हैं कि कोई एक खास घटना घटने की “संभावना है। इस “संभावना”शब्द का इस्तेमाल कर के वे हमें कोई भी घोल पिला देते हैं!

और हम पी भी लेते हैं। सिर्फ यही नहीं, जब मीडिया वाले हमें यह दिखाते हैं कि दुनिया में असल में क्या हो रहा है, तो हम चैनल बदल देते हैं। हमसे सच्चाई देखी नहीं जाती और इसलिए हम हमेशा उससे भाग कर मनोरंजन की तरफ जाते हैं। मनोरंजन भरे न्यूज़ देखने में ना तो कुछ दिमाग लगाना पड़ता है और ना किसी तकलीफ का सामना करना पड़ता है।

क्योंकि हम खुद जानकारी पसंद नहीं करते, अगर नेता हमें इलेक्शन के वक्त यह बताएंगे कि वे किस तरह से देश को बदलेंगे, कौन सी नीतियों में बदलाव लाएंगे और कौन से अभियान लाँच करेंगे, तो हम उनकी बात सुनेंगे ही नहीं। लेकिन वहीं पर अगर कोई नेता हमसे वादे करे और यह बताए कि वो देश में शांति लेकर आएगा, मार्केट में चीजों के दाम सस्ते कर देगा और देश को पहले से सुरक्षित बना देगा, तो हम उसकी बात सुनते हैं। अब भले हमें यह ना पता हो कि वो नेता कीमतों को कैसे कम करेगा या देश को सुरक्षित कैसे बनाएगा, लेकिन ज्यादातर लोग उसकी बात सुनकर उसे ही वोट देते हैं, क्योंकि वो हमें जानकारी नहीं बल्कि सपने देते हैं। सपनों में रहना अच्छा लगता है, जबकि जानकारी उबाऊ लगती है।

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हम अपनी गलत आदतों को दोहराने के लिए एक वजह खोज ही लेते हैं।

बहुत से शराब पीने वाले लोग यह कहकर शराब पीते हैं कि जिन्दगी सिर्फ एक बार मिलती है और हमें उसके मजे लेने चाहिए। वे यह । कहते हैं कि वे एक छोटी और खुशहाल जिन्दगी जीना पसंद करेंगे, ना कि लम्बी और दुख भरी। उनकी इसी आदत का इस्तेमाल कर के कंपनियां उन्हें आसानी से शराब बेच देती हैं। उन्हें यह पता है कि लोग जो भी काम करते हैं, उसे सही साबित करने का कोई ना कोई तरीका खोज ही लेते हैं। लोगों को किसी काम को करने से रोक पाना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि लोग अक्सर गलत कामों को भी सही साबित करने में माहिर होते हैं। लोग फोन में गेम्स खेलते हैं और सिगरेट पीते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह काम करने से उनका तनाव कम होगा।

साथ ही बहुत कंपनियां और नेता यह भी जानते हैं कि हम एक सामाजिक जानवर हैं। हमें अपने जैसे लोगों का साथ चाहिए होता है

और हम अपने जैसे सोचने वाले लोगों की तरफ आकर्षित होते हैं। इसलिए बहुत से नेता एक पक्ष से खड़े होकर बात करते हैं। सिर्फ नेता ही नहीं, कंपनियां भी एक खास तरह से अपने मार्केटिंग के मैसेज को डिजाइन करती हैं, जिससे वे उस तरह से सोचने वाले लोगों को आकर्षित करती हैं। एग्ज़ाम्पल के लिए एप्पल को ले लीजिए, जिसका ब्रैड मैसेज है – ब्रेक द स्टेटस क्यो (Break The Status Quo) यानी सबकी तरह काम करना बंद कर दो। इस तरह से एप्पल उन लोगों को आकर्षित करता है जो लोग खुद को सबसे अलग समझते हैं और जो समाज के नियमों के हिसाब से चलना पसंद नहीं करते हैं।

इसी तरह से बहुत से नेता और लीडर होते हैं जो कि “हम हम हैं, वो वो हैं और हम उनसे बेहतर हैं”तरीकों का इस्तेमाल कर के अपनी तरफ एक खास तरह के लोग को आकर्षित करते हैं। इस तरीके का इस्तेमाल कर के वे अपने फॉलोवर्स के बीच के संबंध को मजबूत बनाते हैं जिससे उनके पास वफादार लोगों की एक टीम तैयार हो जाती है। यह लोग हमेशा उनके सपोर्ट के लिए हाजिर रहते हैं।

युद्ध के लिए जनता की सहमती पाने के लिए उन्हें गलत तरह से डराया जाता है। आप ने हिटलर के बारे में जरूर सुना होगा। बहुत से लोग दूसरे विश्व युद्ध की शुरुआत की वजह हिटलर को ही मानते हैं। हिटलर ने लाखों मासूम लोगों की जान ली थी और उसने युद्ध में बहुत से दूसरे देशों की नाक में दम कर रखा था। जहाँ पूरी दुनिया उसे एक शैतान की तरह देखती थी, वहीं जर्मनी में उसे एक मसीहा की तरह देखा जाता था जो जर्मनी के लोगों को सारी तकलीफ़ों से आजाद करने आया था।

अब सवाल यह उठता है कि उसके इतने सारे गलत कामों के बाद भी जर्मनी की जनता ने उसके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाई? क्यों उसके सैनिक आँख बंद कर के उसकी बात मानते गए? इसके पीछे की वजह यह थी कि हिटकर ने जर्मनी के लोगों को यह बताया था कि अगर वे सब पर हमला कर के उन्हें खत्म नहीं करेंगे, तो सब लोग उनपर हमला कर के उन्हें खत्म कर देंगे। हिटलर लोगों से यह कहता था कि सभी यहूदी शैतान हैं और उन्हें मार देने में ही सबकी भलाई है। यहूदियों को पैसों का भूखा और जीज़स क्राइस्ट का हत्यारा बताया जाता था। जबकि आर्य धर्म जिसे कि हिटलर मानता था, उसे मानने वाले को ऊँचे दर्जे का इंसान बताया जाता था। लोगों को इस बात से सहमत कर दिया गया था कि अगर हम यहूदियों को अपने बीच जगह देंगे तो वे दुनिया में कहर ला देंगे। इस तरह से जनता इस बात से सहमत हो गई कि उन्हें मार देने में ही उनकी भलाई है। यह काम सिर्फ हिटलर ने ही नहीं, दुनिया के बहुत से लीडर्स ने किया है।

जब अमेरिका इराक पर हमला करने वाला था, तो अमेरिका के नेताओं ने लोगों को बताया कि अगर वे इराकियों को खत्म नहीं करेंगे, तो इराकी उनपर हमला कर देंगे। उन्हें डराया गया जिससे अमेरिका के लोगों ने इस बात को अनदेखा कर दिया कि इराक में बहुत से मासूम लोग भी हैं जो इस युद्ध में बेवजह मारे जाएंगे। डर का इस्तेमाल कर के उन्हें इस तरह से बहकाया गया कि वहां के सैनिक भी युद्ध में जाने के लिए तैयार हो गए और वहाँ के लोग भी युद्ध करने के पक्ष में हो गए। इस तरह से जनता में गलत बातें फैला कर नेता उन्हें कुछ भी करने के लिए मना सकते हैं।

कल्ट में अक्सर लोगों को दुनिया से अलग करके झूठी बातें सिखाई जाती हैं।

Age of Propaganda Book Summary in Hindi- कल्ट कुछ ऐसे ग्रुप्स होते हैं जिसमें के लोग समाज से अलग रहकर एक अलग ही तरह की दुनिया में जीने की कोशिश करते हैं। वे बहुत से अंधविश्वासों में यकीन करते हैं और उन्हें सच मानकर बहुत से गलत काम भी कर बैठते हैं। कुछ कल्ट के लोगों ने एक साथ मिलकर आत्महत्या कर ली थी, क्योंकि वे यह मानते थे कि उस शुभ घड़ी में मरने से उन्हें स्वर्ग मिलेगा। आतंकवादी अक्सर लोगों को इसी तरह की बातें बता कर उन्हें मासूम लोगों को मारने के लिए मनाते हैं। यह किसी तरह की जादुगिरी नहीं होती, बल्कि दिमाग के साथ खेलने का एक तरीका होता है। कुछ लोग इस खेल में माहिर होते हैं और वही इन कल्ट्स के लीडर्स बन जाते हैं। यह लोग तीन स्टेप्स का इस्तेमाल कर के लोगों को अपने झाँसे में फँसाते हैं।

सबसे पहले वे लोग आपकी कुछ मदद करेंगे। या तो वे आपको कोई तोहफा देंगे या आपकी परेशानी सुलझाएंगे। इससे आप उनके आभारी हो जाते हैं और उनकी बात को मानने के लिए आसानी से राज़ी हो जाते हैं। एक बार आपने उनके आभारी हो जाते हैं, तो वे आपको कुछ रिवाजों में शामिल होने के लिए कहते हैं। इन रिवाजों में शामिल होने से वे आपको धीरे धीरे अपने फंदे में फँसाने लगते हैं और आपको कुछ अंधविश्वास वाली बातें बताने लगते हैं। इस बीच आपको यह नहीं पता लग रहा होता कि वे आपके साथ क्या कर रहे हैं, लेकिन आप धीरे धीरे उनकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं। अंत में जब आप उनमें दिलचस्पी लेने लगते हैं, तो वे आपको इसी तरह से दूसरे लोगों को इस कल्ट का हिस्सा बनाने के लिए कहते हैं। अब आप खुद बाहर जाकर लोगों की मदद कर के या उन्हें तोहफा देकर उन्हें इस कल्ट में लाने की कोशिश करते हैं। इस तरह से आप लोगों को यह बताने लगते हैं कि इस कल्ट का हिस्सा बनने के क्या फायदे हैं और आपके कल्ट का मकसद क्या है। दूसरों को अपने कल्ट के फायदे बताते बताते आपको खुद यह यकीन हो जाता है कि वो कल्ट कितना अच्छा है और उसके लीडर की बात मानने के कितने फायदे हैं।

इसके साथ ही कल्ट का हिस्सा बनने वाले लोगों को दुनिया से अलग कर दिया जाता है ताकि वे किसी के बहकावे में आकर उस कल्ट को छोड़ ना दें। उन्हें उनके परिवार वालों से नहीं मिलने दिया जाता और ना ही दोस्तों से कान्टैक्ट बनाकर रखने की इजाज़त दी जाती है। इस तरह से उनका लीडर उन्हें यह बताता रहता है कि पूरी दुनिया अंधकार में जी रही है और उन लोगों इस कल्ट के जरिए ने रोशनी पा ली है। कल्ट के लीडर्स उन्हें यह बताते रहते हैं कि इस कल्ट में रहने के फायदे क्या हैं। समय के साथ कल्ट के लोग उसमें इतने खो जाते हैं कि वे यह देख ही नहीं पाते कि दुनिया में क्या हो रहा है। लीडर जो बोलता है, वे वही करते हैं और उनके सच्चे भक्त बन जाते हैं। उसके एक इशारे पर वे मरने और मारने के लिए तैयार हो जाते हैं।

प्रचार को समझ कर आप उससे लड़ सकते हैं। अब तक यह सब पढ़ कर आपको लग रहा होगा कि आप प्रचार के इस जाल से बाहर कभी नहीं निकल पाएंगे। हर रोज हमारे आस पास हम हजारों ऐड्स देखते हैं जो हर तरह से हमारे विचार बदलने की कोशिश करते हैं। लेकिन आप कुछ तरीकों का इस्तेमाल कर के अपने साथ साथ अपने बच्चों को भी इसके प्रभाव से बचा सकते हैं।

बच्चे आसानी से प्रचार के प्रभाव में आ जाते हैं। वे हर वक्त ऐड्स देखते रहते हैं और खिलौनों की दुकान के सामने से होकर गुजर रहे होते हैं। उन्हें यह लगता है कि खिलौने उन्हें खुशी दे सकते हैं या फिर बाहर का खाना स्वादिष्ट होने के साथ साथ सेहतमंद भी हो सकता है।

इस तरह के असर से उन्हें बचाने के लिए आप उनसे सवाल पूछिए – तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि वो नया खिलौना तुम्हें खुशी दे सकता है? किसने कहा तुमसे कि बाहर के खाने सेहतमंद होते हैं? इस तरह के सवाल उन्हें सोचने में मदद करेंगे जिससे वे आसानी से किसी के बहकावे में नहीं आएंगे।

बहुत से लोग किसी भी नेता को पसंद नहीं करते हैं। इसलिए वे वोट देने ही नहीं जाते। लेकिन ऐसा करके वे सिस्टम को बदल नहीं रहे हैं, बल्कि सिस्टम के गुलाम बनते जा रहे हैं। अगर आपको वाकई देश में बदलाव लाना है तो आप नेताओं को चिट्ठियाँ लिखकर भेजिए और उनसे कहिए कि वे वादे तो करें, लेकिन उसके साथ साथ वे उन वादों को पूरा कैसे करेंगे, इसके तरीके भी बताएं। इस तरह से वे आप से खोखले वादे नहीं कर पाएंगे और आपको जानकारी देंगे।

यही काम आप कंपनियों के साथ भी कर सकते हैं। उन्हें ईमेल भेजिए और उनसे कहिए कि वे अपने ऐड्स में लोगों को यह जानकारी भी दें कि उन्हें दूसरों को छोड़कर उनका प्रोडक्ट क्यों इस्तेमाल करना चाहिए। अगर वे ऐसा करते हैं, तो ही आप उनके प्रोडक्ट को खरीदिए, वरना किसी दूसरे प्रोडक्ट का इस्तेमाल कीजिए। किसी भी न्यूज़ पर यकीन करने से पहले खुद से सोचिए कि इस न्यूज़ से कहीं किसी का फायदा तो नहीं हो रहा। अगर लोग आपके इरादे बदलने की कोशिश करते हैं तो सबसे पहले खुद से पूछिए – मेरे इरादे बदलकर क्या इस इंसान को कुछ फायदा मिलने वाला है? अगर हाँ, तो समझ जाइए वो इंसान किसी तरह से आपका फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है। उसपर यकीन करने से पहले खुद से रिसर्च कीजिए और फिर अपने इरादे बदलने के बारे में सोचिए।

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कुल मिलाकर

लोगों के इरादे बदलना एक कला है जिसका इस्तेमाल नेता और कंपनियां हमेशा से हमारे खिलाफ करते आ रहे हैं। कभी कभी हम भी अपने बच्चों या अपने परिवार वालों के इरादे बदलने की कोशिश करते हैं। ऐसा करने के लिए हमें उन्हें सही जानकारी देनी होगी, उनकी भावनाओं के साथ खेलना होगा और उनकी धारणाओं का इस्तेमाल करना होगा। खुद को इन चीजों से बचाने के लिए सही सवाल पूछना सीखिए और किसी भी बात पर आँखें बंद कर के यकीन मत कीजिए।

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