Berkshire Beyond Buffett Book Summary in Hindi

Berkshire Beyond Buffett

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए?

Berkshire Beyond Buffett Book Summary in Hindi- हम सभी को अपनी जिन्दगी में आगे बढ़ने के लिए किसी प्रेरणा की जरूरत होती है। हम सभी किसी को अपना आदर्श मानते हैं और उसके जैसा बनने की कोशिश करते हैं। बहुत सी कंपनियाँ बर्कशायर हाथवे को अपना आदर्श मानती हैं।

बर्कशायर हाथवे के सीईओ का नाम वैरेन बफ्फेट है। अगर आप बिजनेस में इंट्रेस्ट रखते हैं तो आप ने इनका नाम जरूर सुना होगा। ये दुनिया के सबसे बड़े इंवेस्टर माने जाते हैं। वे इस समय 88 साल के हैं और बहुत सारे लोगों के लिए प्रेरणा का काम करते हैं। तो आखिर उन्होंने बर्कशायर को इन ऊँचाइयों तक लाने के लिए क्या क्या काम किए हैं? वो क्या राज़ हैं जिन्होंने उनकी इस कंपनी को इतना कामयाब बना दिया कि अब उनके ना रहने पर भी यह कंपनी आराम से चल सकती है? इस किताब में हम इन बातों को जानने की कोशिश करेंगे।

-किसी कंपनी के कामयाब होने में वैल्यूस का क्या महत्व है।

-बर्कशायर हाथवे के काम करने का तरीका क्या है।

-वैरेन बफ्फेट का उत्तराधिकारी कौन बन सकता है।

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बर्कशायर अलग अलग कंपनियों में इंवेस्ट करती है लेकिन उसके वैल्युस एक हैं।

बर्कशायर हाथवे का नाम तो आपने सुना ही होगा। इससे पहले हम इसके काम करने के तरीके के बारे में जानें आइए हम इसके बारे में कुछ बातें जान लेते हैं।

बर्कशायर हाथवे की शुरुआत 1965 में हुई थी। शुरू शुरू में यह एक टेक्टाइल इंडस्ट्री थी। इस समय यह दुनिया की सबसे बड़ी कार्पोरेशन्स में से एक है। इसके लीडर का नाम वैरेन बफ्फेट है जो अपने स्टाक पिकिंग के लिए जाने जाते हैं।

बर्कशायर हाथवे के पास बहुत सी अलग अलग कंपनियों के अधिकार हैं। इन में से कुछ कंपनियाँ कॉमर्शियल हैं, कुछ फाइनैंशियल और कुछ मैनुफैक्चरिंग भी हैं। इन में से कुछ कंपनियों के नाम हैं -:

-GEICO ( The Government Employee Insurance Company), जो कि एक कार इंश्योरेंस कंपनी है।

-डेरी क्वीन , जो कि आइसक्रीम और फास्ट-फूड रेस्टोरेंट चेन कंपनी है।

-बीएनएसएफ ( BNSF) रेलवे जो अमेरिका की सबसे बड़ी फ्राइट रेलरोड कंपनी है।

-फूट आफ द लूम ,जो कि कपड़े की कंपनी है।

इसके अलावा बर्कशायर के अंदर आने वाली हर चीज जैसे उनके कंपनियों की साइज, उसमें काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या, उसके प्रोडक्ट की कीमत, लगभग हर एक चीज में भेदभाव पाए जाते हैं। यह कंपनी पूरी तरह से डाइवर्सिफाइड है।

लेकिन फिर भी बर्कशायर के वैल्युज एक हैं जो कि जरूरी भी है। अगर वैल्यूज एक ना होते तो इतनी सारी कंपनियाँ और इतने अलग अलग पुर्जे कभी एक कंपनी के अंदर काम कर ही नहीं पाते। आइए हम इन वैल्यूज पर एक नजर डालें।

इसकी सबसे पहली वैल्यु है कंपनियों से लम्बे समय तक पार्टनरशिप करना। इस कंपनी में जो कंपनियाँ लम्बे समय के लिए इंवेस्ट करने आती हैं उनका खूब स्वागत किया जाता है। समय के साथ बर्कशायर इन कंपनियों से एक परिवार जैसा संबंध बना लेता है।

बर्कशायर सिर्फ पैसे कमाने के लिए काम नहीं करती। यह दूसरी कंपनियों से अच्छे रिश्ते बनाती है जो कि इसका साथ लम्बे समय तक देती रहती हैं। बर्कशायर के कामयाब होने के पीछे उसके इसी कल्चर का हाथ है।

बर्कशायर अपने वादों को पूरा करता है और हर काम को गंभीरता से करता है।

जैसा कि हमने देखा, बर्कशायर के अपने कुछ वैल्युज हैं जिसके दम पर वो टिका हुआ है। BERKSHIRE के हर अक्षर से उसकी एक वैल्यु की पहचान होती है। आइए हम एक एक कर के उन वैल्युज को समझने की कोशिश करें।

B – Budget : बर्कशायर अपना बजट करने में माहिर है। वो अपनी कीमत को कम से कम रखने की कोशिश करती है ताकि वो अपने ग्राहकों को सस्ती और अच्छी सर्विस दे सके। इसमें उसका मकसद सिर्फ पैसे कमाना नहीं होता।

एक्ज़ाम्पल के लिए आप GEICO को ले लीजिए जो कि बर्कशायर की कार इंश्योरेंस कंपनी है। वो अपनी कीमत को कम से कम रख कर अपने ग्राहकों को कम प्रीमियम देती है जिसकी वजह से ज्यादा से ज्यादा ग्राहक इसकी तरफ आकर्षित होते हैं। इस समय यह अमेरिका की दूसरी सबसे बड़ी कार इंश्योरेंस कंपनी है।

E- Earnestness – Earnestness का मतलब होता है गंभीरता। बर्कशायर अपने इंवेस्टर से और अपने ग्राहकों से जो वादे करती है उसे वो गंभीरता और जिम्मेदारी से निभाती है।

एक्जाम्पल के लिए आप NICO ( नेशनल इंडेम्निटी कंपनी) को ले लीजिए जो कि बर्कशायर की एक इंश्योरेंस कंपनी है। इस कंपनी की खास बात यह है कि यह अपनी पॉलिसी में हर तरह के खतरों के लिए इंश्योरेंस देने की बातें लिखती है।

जब अमेरिका पर 9/11 का हमला हुआ था तब NICO ने आतंकवादी हमले में हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए बहुत से नियम अपनी पालिसी में लिखे। इसमें एयरलाइन्स के लिए 1 अरब डॉलर की पालिसी और समुद्री रास्ते से आने वाले तेल के लिए 50 करोड़ की पालिसी लिखी गई थी।

अपनी पहचान को बनाए रखना और साथ ही रिश्तों को निभाते रहना बर्कशायर की खासियत है

आइए हम बर्कशायर ( BERKSHIRE) के अगले दो अक्षरों का मतलब जानें।

R- Reputation : किसी भी कंपनी के कामयाब होने के लिए ग्राहकों में उसकी पहचान और मार्केट में उसकी इज्जत होनी चाहिए। अगर आप ने सालों से लोगों का भरोसा जीता है और लोगों में आपकी अच्छी इमेज है तो आप लम्बे समय तक कामयाब रह पाएंगे।

एक्ज़ाम्पल के लिए आप बर्कशायर हाथवे की एक कंपनी जार्डन फर्नीचर को ले लीजिए। वो अपने ग्राहकों को बहुत सारे अलग अलग तरह के फर्नीचर बेचती है और साथ ही उन्हें बहुत सारे ऑफर भी देती है। इसकी एक दुकान पर ग्राहकों को नाँव में बैठाकर घुमाने की सुविधा है। इसी तरह इसकी अलग अलग दुकानों में ग्राहकों का मनोरंजन करने के लिए अलग अलग तरह की सुविधाएं हैं जिसकी वजह से बहुत सारे ग्राहक इसकी तरफ आकर्षित होते हैं।

इस वजह से ग्राहकों में उसकी अच्छी इमेज है। इसका नतीजा यह है कि जार्डन फर्नीचर को एक साल में 950 मिलियन डॉलर का फायदा होता है जो कि बाकी कंपनियों से 6 गुना ज्यादा है।

– K Kinship : जैसा कि आप ने पहले सबक में पढ़ा कि बर्कशायर लम्बे समय के लिए बिजनेस करती है। यह दूसरी कंपनियों से अच्छे संबंध बनाती है जिसक फायदा इसे बहुत लम्बे समय तक होता रहता है। यह फैमिली बिजनेस को आकर्षित करने का एक अच्छा तरीका है। फैमिली बिजनेस में भरोसे की जरूरत होती है जिसकी कमी बर्कशयर बहुत अच्छे से पूरा कर देता है।

जब बर्कशायर 1995 में आरसी विली होम फर्निशिंग को खरीदने पहुंचा तो उसे खरीदने के लिए बर्कशायर को 25 मिलीयन डॉलर कम देने पड़े। आरसी विली जानते थे कि बर्कशायर में फैमिली बिजनेस को अच्छी नजर से देखा जाता है और वो बर्कशायर के रिश्ते बनाने वाली पालिसी से बहुत आकर्षित था। इस वजह से उसने बर्कशायर से सस्ते में सौदा कर लिया और बर्कशायर को इसका फायदा मिला।

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बर्कशायर में खुद से शुरुआत करने वाले इंटरप्रीन्युअर की माँग है।

जिन लोगों ने खुद से एक कंपनी की शुरुआत की होती है वे एक अच्छे मैनेजर और एक अच्छे इंटरप्रीन्युअर साबित होते हैं। उन्हें पता होता है कि मुश्किल वक्त में फैसले कैसे लेने हैं और किस तरह से कंपनी को डूबने से बचाना है। इसलिए बर्कशायर के ‘S’ का मतलब होता है सेल्फ स्टार्टर यानी खुद से एक कंपनी की शुरुआत करने वाले लोग।

बर्कशायर के बहत सारे इंटरप्रीन्यअरों को होरेटिओ एल्गर एवार्ड (Horatio Alger Award ) मिला है। यह एवार्ड उन लोगों को दिया जाता है जो मुश्किल वक्त में भी कामयाबी हासिल कर लेते हैं। इन में से एक इंटरप्रीन्युअर का नाम है एल्बर्ट।

16 साल की उम्र में एल्बर्ट ने अपना एक हैमबर्गर स्टैंड खोला और उनसे होने वाले फायदे से वो अपने फ्लाइट लेसन करता था। बाद में उसने एक पायलेट ट्रेनिंग स्कूल खोला जहाँ पर लोगों को वर्चुअल रिएलिटी के जरिए रूटीन पैटर्न और एमर्जेंसी ड्रिल्स की जानकारी दी जाती थी।

सेल्फ स्टार्टर की मानसिकता को अपनी कंपनी में अच्छे से बैठाने के लिए बर्कशायर अपने कर्मचारियों को इस तरह से मैनेज करता है जिससे उन्हें किसी मैनेजर की बहुत कम या ना के बराबर जरूरत पड़े। इस तरीके को हैंड्स आफ एप्रोच ( Hands off approach) कहते हैं जो कि बर्कशायर के ‘H’ का मतलब है।

बर्कशायर की हर कंपनी अपने आप से काम करती है। कंपनी को अलग अलग भागों में बाँटा गया है और सारे भाग अपने काम के लिए जिम्मेदार होते हैं। कंपनी के 90% फैसले जूनियर मैनेजर लेते हैं। अगर उनके पास कोई ऐसी समस्या आती है जिससे वे खुद नहीं निपट सकते तो ही वे उसे सीनियर मैनेजर के पास लेकर जाते हैं।

इस तरह से काम करने पर कर्मचारी जिम्मेदारी लेना सीखते हैं। वे ज्यादातर मुश्किलों को खुद से सुलझाने की कोशिश करते हैं और इससे कंपनी अपने आप से काम करने के लायक बन जाती है।

अलग अलग इंटरप्रीन्युअर बर्कशायर में इसलिए काम करते हैं क्योंकि यहाँ पर वे अपने हिसाब से काम कर पाते हैं। उन्हें यहाँ आजादी मिलती है और साथ ही बर्कशायर के साथ काम करने पर उन्हें बहुत फायदा भी होता है।

समझदारी से काम करना और हर काम को आसानी से करना बर्कशायर की पॉलिसी है।

आप ने अक्सर देखा होगा कि जब कंपनियाँ ज्यादा बड़ी होने लगती हैं तो उन्हें संभालना मुश्किल हो जाता है। लेकिन बर्कशायर के साथ ऐसा नहीं है। जब बर्कशायर किसी नई कंपनी को खरीदती है, तब वो और ज्यादा कामयाब हो जाती है। लेकिन यह कैसे हो सकता है?

इस सवाल का जवाब बर्कशायर के ‘|’ में छुपा हुआ है। ‘|’ का मतलब होता है Investor savvy (इंवेस्टर की समझ )। बर्कशायर के इंवेस्टर अपना पैसा उसी कंपनी में लगाते हैं जिसके काम करने का तरीका उनके काम करने के तरीके से मिलता हो। वे उसी कंपनी को अपने अंदर लेने की कोशिश करते हैं जो पहले से ही रिश्तों की अहमियत को समझते हों ताकि उसे खरीदने के बाद उन्हें उसमें ज्यादा बदलाव ना करना पड़े।

हम अक्सर चीज़ों को बेहतर बनाने के लिए कभी कभी उन्हें इतना ज्यादा उलझा हुआ बना देते हैं जिससे उन्हें समझना मुश्किल हो जाता है और अगर उसे किसी दूसरे के हाथों में दे दिया जाए तो वो उसे पूरी तरह से नहीं समझ पाता जिसकी वजह से कंपनी घाटे में जाने लगती है। लेकिन बर्कशायर उसी कंपनी को खरीदती है जो काफी लम्बे समय से चली आ रही हों और जिन्हें समझना बिल्कुल आसान हो।

पिछले सबक में आप ने देखा कि बर्कशायर की ज्यादातर कंपनियां इंश्योरेंस, फर्नीचर, और रेलवे की हैं। इस तरह की कंपनियाँ काफी लम्बे समय से चली आ रही हैं और इन्हें समझना आसान होता है। इसके अलावा इस तरह की कंपनियों की माँग आगे भी रहेगी जिसकी वजह से ये लम्बे समय तक चल सकती हैं।

बर्कशायर में हमेशा लम्बे समय की प्लानिंग की जाती है।

बर्कशायर के आखिरी अक्षर ‘E’ का मतलब है Eternality ( हमेशा के लिए रहना)। इसका मतलब यह है कि बर्कशायर वैरेन बफ्फेट के बिना भी कामयाब रह सकती है। यहाँ पर भविष्य को देखते हुए काम किया जाता है जिसकी वजह से इसे भविष्य में आने वाली मुसीबतों के बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ती। यहाँ का कल्चर कुछ इस तरह का है कि यह वैरेन बफ्फेट के बिना भी अच्छे से चल सकती है। लेकिन कैसे?

इसके पीछे की वजह भी वैरेन बफ्फेट ही हैं। पिछले 25 सालों से उन्होंने बहुत सारे आर्टिकल लिखे हैं जिसमें उन्होंने बताया है कि उनके ना रहने पर बर्कशायर किस तरह से काम करना चाहिए। उन्होंने लिखा है कि उनके मर जाने के बाद उनका काम कौन और कैसे संभालेगा।

वफ्फेट के हिसाब से उनके मरने के बाद उनके काम को दो भागों में बाँट दिया जाएगा,मतलब उनका काम दो लोग संभालेंगे। एक मैनेजर की तरह काम करेगा और पूरी कंपनी की देख-रेख करेगा और दूसरा इंवेस्टमेंट की बातों पर ध्यान देगा।

बफ्फेट ने बताया कि जो उनके बाद इस कंपनी की जिम्मेदारी संभालेगा उसे बर्कशायर के कल्चर से प्यार होना चाहिए। वो एक ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जो यहाँ की सभ्यता को बनाए रख सके। इस तरह की खासियत रखने वाले सबसे अच्छे व्यक्ति हैं फ्रैंक प्रैक ( Frank Ptak) जो कि मैरमॉन ग्रुप के सीईओ हैं। उनके पास 40 साल का अनुभव हैं और वे बफ्फेट की जगह लेने के लिए सबसे सही उम्मीदवार हैं।

इसके अलावा इंवेस्टमेंट का काम संभालने की जिम्मेदारी टॉड काँब्स और टेड वेश्लर ने ले ली है। इन दो व्यक्तियों के पास भरपूर काबिलियत है और पिछले कुछ सालों में उन्होंने इंवेस्टमेंट के मामले में बफ्फेट को भी मात दे दी है।

लेकिन वैरेन बफ्फेट जिस तरह से काम करते हैं और उनके पास जिस तरह की काबिलियत है उस तरह की काबिलियत का दूसरा व्यक्ति ढूँढ पाना लगभग नामुमकिन है। जब किसी नई कंपनी को खरीदने की बारी आती है तब कंपनी के वकील और अकाउंटेंट उस कंपनी को परखने में हफ्ते लगा देते हैं जबकि बफ्फेट एक मिनट के अंदर ही मौके का फायदा उठा लेते हैं। कम समय में बेहतर फैसले लेने में उन्हें मात दे पाना बहुत मुश्किल है।

इसके अलावा जब बफ्फेट नहीं रहेंगे तब बहुत सारे मैनेजर उनकी जगह लेने के लिए तैयार बैठे रहेंगे। इसमें जब एक का चुनाव हो जाएगा तब सारे मैनेजरों में जलन की भावना पैदा हो सकती है जिससे रिश्ते बिगड़ सकते हैं। इसलिए उनकी जगह लेने वाले को बहुत सी परेशानियों का सामना करना होगा।

बर्कशायर मैरमॉन ग्रुप से बहुत कुछ सीख सकता

मैरमॉन ग्रुप अपने समय की बहुत बड़ी कंपनी थी। 2008 में बर्कशायर ने मैरमॉन ग्रुप को खरीद लिया। मैरमॉन ग्रुप और बर्कशायर के एक होने से पहले उन में बहुत सी बातें एक जैसी थीं। दोनों कंपनियों के फाउंडर अपनी कंपनी पर अपनी एक गहरी छाप छोड़ चुके थे, दोनों के पास बहुत सारी दूसरी कंपनियों के अधिकार थे। दोनों कंपनियों में काम को अलग अलग भागों में बाँट दिया गया था और हर ग्रुप अपने काम के लिए जिम्मेदार होता था। लेकिन जब मैरमॉन ग्रुप के फाउंडर्स की मौत हुई तब बहुत से लोग कहने लगे कि अब वो कंपनी डूब जाएगी।

लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फ्रैंक प्रैक 2003 में मैरमॉन ग्रुप के सीईओ बने। उनके सीईओ बनने के बाद कंपनी फिर से उसी तरह से चलने लगी जिस तरह से पहले चलती थी। काम करने के तरीके एक होने की वजह से मैरमॉन ग्रुप को बर्कशायर ने 2008 में खरीद लिया।

जिस तरह के सवाल मैरमॉन ग्रुप के फाउंडर्स के मरने के बाद उठ रहे थे कुछ उसी तरह के सवाल अब फिर से उठने लगे हैं। क्या बफ्फेट के मरने के बाद बर्कशायर डूब जाएगी?

नहीं। अगर बर्कशायर के कल्चर को बनाए रखने के लिए उसे भी एक फ्रैंक प्टैक जैसा सीईओ मिल जाए तो वह बफ्फेट के बिना भी काम कर सकती है। जब तक बर्कशायर के पास उसका कल्चर है तब तक उसे किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है।

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कुल मिलाकर

बर्कशायर हाथवे दुनिया की सबसे बड़ी कार्पोरेशन में से एक है। इसके कामयाब होने के पीछे ज्यादातर हाथ वैल्युज का है। अपने बजट पर ध्यान देना, जिम्मेदारी समझना, रिश्ते बनाना, फैमिली बिजनेस को महत्व देना, सेल्फ स्टार्टर की मानसिकता को अपनी कंपनी में लागू करना, कंपनी के अलग अलग भागों को आजादी से काम करने देना, समझदारी से काम करना, अच्छी कंपनियों में अपना पैसा लगाना, और लम्बे समय तक की प्लानिंग करना इसके कामयाब होने की वजह है।

अपनी कंपनी को वैल्युज पर चलाइए।

जैसा कि हमने देखा, दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी वैल्युज के दम पर चलती है। इसलिए अगर आपको अपनी कंपनी को ऊँचाइयों पर लेकर जाना है तो आपको भी अपनी कंपनी के अंदर कुछ वैल्युज को जन्म देना होगा। आप भी अपनी कंपनी के नाम से कुछ ऐसी वैल्युज तलाश कर के उसे अपनाने की कोशिश कीजिए।

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