इसमें आपके लिए क्या है?
10% Happier Book Summary- क्या आपने कभी क्रोध में अपना आपा खोया है? क्या आपने कभी क्रोध में ऐसा निर्णय लिया है जिससे आपको बाद में पछतावा हुआ हो ? या कभी आपने अपने अच्छे दिन को बर्बाद कर दिया क्योकि आप नाराज हो गए थे? क्या आप अपनी भावनाओं को काबू करना चाहते हैं?
अगर उपर के सभी सवालों का जवाब हां है, तो बधाई हो, ये सबक पढ़ कर अपनी जिंदगी को बदलने वाले हैं। ये सबक आपको सिखायेंगे कि ध्यान से अपनी भावनाओं को कैसे काबू किया जाता है। ध्यान शारीरिक रूप से और मानसिक रूप से खुद को फिट रखने का एक पुराना तरीका है।
तो आइए, हम आगे बढ़ें और इसके बारे में सीखें।
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आप जो भी करते हैं उसके लिए ईगो जिम्मेदार है।
हम अक्सर अपने जीवन में शब्द-अहं यानि ईगो को सुनते हैं। हम सभी ने यह अपने रोज़ जीवन में एक या दो बार सुना है। जैसे आपके पति आपसे कहते होंगे कि आप अहंकारी हैं और आप सोचते हैं कि आपका मित्र अहंकारी है। लेकिन असल में ईगो क्या है?
आइए देखें कि हम अपने रोज़ की जिन्दगी में ईगो को कैसे देखते हैं। कुछ लोगों के हिसाब से, ईगो गर्व का स्रोत है, जबकि दूसरों को लगता है कि यह आत्म-प्रेम या स्वार्थ है। लोग सोचते हैं कि यह खुद की सेवा करना और दूसरों के बारे में परवाह न करने की आदत है और वे इसे एक कमी मानते हैं।
मनोवैज्ञानिक तौर पर, ईगो हमारी नैतिकता और इच्छाओं के बीच की एक कड़ी है। लेकिन ईगो की यह परिभाषा अभी भी दिल से दूर है। हम इसे गर्व या आत्म प्रेम कह सकते हैं लेकिन हम यह नहीं बता सकते हैं कि हमारे दिमाग के साथ क्या होता है जब हम अपने काबू में नहीं होते हैं। जैसे हम भूखे नहीं होते हैं फिर भी फ्रिज खोलते है।
आपका ईगो आपके अंदर की आवाज है। यह वो है जो आपके कार्यों पर पूरे दिन नज़र रखता है और आपको बताता है कि क्या करना है और क्या नहीं करना है। यह आपका विचार नहीं है, लेकिन यह आपके विचारों को प्रकट करता है। उदाहरण के लिए, आपको लगता है कि आप अधिक व्यायाम कर सकते हैं, लेकिन एक आवाज कहती है, “मैं बहुत थका हुआ हूं”। यह आवाज ईगो है।
आप जो भी करते हैं उसके लिए ईगो जिम्मेदार है। आप अपने ईगो को काबू करने के लिए बहुत सारे कदम उठा सकते हैं। और ऐसा करके, आप अपने जीवन को खुश और स्वस्थ बना सकते हैं।
ईगो एक अनंत भूख है। यह कभी भी मिट नहीं सकती।
आपके ईगो को हमेशा कुछ चाहिए। यह कभी भी संतुष्ट और खुश नहीं होगा। जब ईगो को हम किसी नई चीज से संतुष्ट करते है, तो इसे फिर से एक और चीज की ख्वाइश होने लगती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास कितनी नई कार या गैजेट हैं, आपको हमेशा एक नया चाहिए होगा। भले ही आपने दुनिया के सबसे अच्छे शेफ द्वारा तैयार किया गया सबसे अच्छा खाना खाया हो, आप हमेशा कुछ अधिक स्वादिष्ट खाना चाहेंगे। सरल शब्दों में, ईगो वह चीज है जो आपको कभी संतुष्ट नहीं होने देगा। ईगो वर्तमान को छोड़कर भविष्य के बारे चिंता करता है और पुरानी बातों के बारे में सोचता है। इस प्रकार यह आपको वर्तमान में पूरी तरह से नहीं रहने देता है। पुरानी यादों में रहने से ईगो को प्यार है। यह ऐसी चीज़ है जो आपके पुराने घाव को हरा कर देती है।
आपका ईगो दूसरों की संपत्ति और सामाजिक स्थिति की तुलना आपके संपत्ति और सामाजिक स्थिति से करता है। भले ही आप बहुत धनी और स्मार्ट क्यों न हों, आपका ईगो आपसे ज्यादा बेहतर किसी को खोज लेगा। आपका ईगो आपको अधिक बेहतर बनने के लिए उकसाएगा।
लेकिन और बेहतर होने के बाद, क्या आप संतुष्ट होंगे? नहीं।
ईगो पूरी तरह से खुश नहीं हो सकता। जैसा कि हम देखते हैं कि सबसे अमीर, प्रसिद्ध और भाग्यशाली लोग आत्महत्या कर लेते हैं। वे ड्रग्स के आदी हो जाते हैं और वे अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका ईगो उन्हें अधिक बेहतर बनने के लिए धक्का देता रहता है। जब वे ऐसा करने में नाकाम हो जातें हैं, तो वे आत्महत्या करते हैं और ड्रग्स के आदी हो जाते हैं।
अगले सबक़ों में, हम देखेंगे कि आप कैसे अपने ईगो को शांत करने
और अपने जीवन को सुधारने के लिए आप मैडिटेशन यानि ध्यान का उपयोग कर सकते हैं।
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हम अपने ईगो को अपने और दूसरों के प्रति दयालु होकर नियंत्रित कर सकते हैं।
ध्यान हमें अपने आसपास हो रही घटनाओं का जवाब गुस्से की बजाय शांति से देने की कला को सीखाता है। ध्यान हमें हमारे दयालुता और ज़िम्मेदारियों को बढ़ाने में मदद करता है। इस प्रकार, यह हमें वर्तमान में रहने और तनाव देने वालों को अनदेखा करने में मदद करता है। जैसे कि, एक दिन एक दोस्त ने लेखक को कहा कि वह कभी सफल नहीं होंगे। उन्होंने इसका सही तरीके से जवाब दिया। वे नाराज नहीं हुए। उन्होंने अपने बॉस से पूछा कि वह अपने काम को कैसे सुधार सकते है।
ध्यान और दयालुता हमारे दिमाग पर असर डालती है। हारवर्ड में एक अध्ययन ने पाया गया कि जिन लोगों ने 8 हफ्तों तक ध्यान का अभ्यास किया उनके दिमाग के कुछ हिस्सों में एक मोटी सफेद सी चीज़ पाई गयी। दिमाग का ये भाग खुद के बारे में चेतना और दयालुता से संबंधित था। इसके अलावा ध्यान ने तनाव से जुड़े दिमाग के हिस्सों को सिकोड़ दिया।
एक और अध्ययन में पाया गया कि जो लोग ध्यान करते थे, वे दुसरे लोगों के साथ ज्यादा समय बिताते थे और अधिक हँसते थे। इस तरह हम अपने और दूसरों के लिए दयालुता का उपयोग कर सकते हैं। दलाई लामा के शब्दों में- एक बुद्धिमान स्वार्थी बनें, एक बेवकूफ स्वार्थी नहीं।
हमे अपने और दूसरों के प्रति दयालुता के व्यवहार को अनदेखा नहीं करना चाहिए। अपने प्रति करुणा में सुधार करने से हमें अपनी गलतियों को देखने में, इन्हें मानने में और खुद को माफ करने में मदद मिलती है। इस प्रकार, यह हमें धूम्रपान छोड़ने और स्वस्थ भोजन खाना शुरू करने में मदद कर सकता है। इसी तरह दूसरों के प्रति करुणा में सुधार करना हमें एक बेहतर व्यक्ति बनाता है।
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अपने ईगो को काबू करते समय अपने आप को बहुत ज्यादा मत दबाइए।
अपनी ज़रुरतों को मत भुलिये। अपने ईगोको काबू करने का मतलब यह नहीं है कि आप अपनी खुद की जरूरतों के बारे में भूल जाएँ ।
जैसे कि, मुनिंद्रा नामक एक भारतीय शिक्षक थे, जो ध्यान करना सिखाता थे। उन्होंने अपने छात्रों को सलाह दी कि वे झगड़ा न करें। उन्होंने चीजों को सरल रखने के लिए कहा। एक दिन, एक छात्र ने उनको बाज़ार में देखा। वह मूंगफली के एक बैग की कीमत के लिए झगड़ा कर रहे थे। जब छात्र ने उनको झगड़ा नहीं करने की याद दिलाई, तो उन्होंने कहा- मैंने आपको मूर्ख या गूंगा होने के लिए नहीं कहा था।
जॉन कबाट ज़िन के मुताबिक, अपने आप को संतुष्ट करने से आपका मन साफ हो सकता है। यह नए विचारों के लिए कुछ जगह बना सकता है।
10 दिन ध्यान करने के बाद, लेखक के मन को शांति मिली। उनको अद्भुत विचार आने लगे और उन्होंने अपनी नोटबुक उन विचारों से भर दी। अपनी यात्रा के दौरान, लेखक ने पाया कि वह अपने काम को और अच्छे से कर पा रहे थे जब उनका मन शांत था। उन्होंने पाया कि सफलता के लिए तनाव और काम्पटिशन की ज़रुरत नहीं है | एक शांत मन अकेले सफलता हासिल कर सकता है।
ध्यान आपको परिस्थितियों को संभालने के लायक बना सकता है
10% Happier- इस सबक़ में हम दो सवालों पर चर्चा करेंगे। वे हैं –
- ध्यान वास्तव में है क्या?
- हमें ध्यान क्यों करना चाहिए?
आइए पहले सवाल पर गौर करें।
ध्यान का मतलब है अपनी साँसों पर ध्यान लगाना। ध्यान के समय हम सिर्फ अपने साँसों पर ध्यान लगाते हैं। हमारा मन इस दौरान यहाँ वहाँ भटकेगा। हमें वापस अपना ध्यान इसपर लगाना है। ध्यान एक बहुत आसान तरीका है।
अब आइए दूसरे सवाल पर ध्यान दें।
ध्यान हमें बिना कुछ फैसला किए चीजों को देखने में मदद करता है। जैसेकि आपके नाक में खुजली हो सकती है या पैरों में दर्द हो सकता है। आपको बस बिना कुछ किए इस पर ध्यान लगाना है। अंत में, आप पाएंगे कि आप और कठिन परिस्थितियों को संभालने के लायक हो गए हैं। आप अपने विचारों और भावनाओं को संभालने के लायक हों जाएंगे।
ध्यान के 1 महीने के बाद, लेखक ने अपने जीवन में परिवर्तनों देखना शुरू किया। वह अधिक दयालु बन गए। उनकी चिंता कम हो गई। उन्होंने काम पर गपशप करना कम कर दिया और वह अधिक दयालु बन गए।
इस तरह ध्यान आपके जीवन को बदलने में आपकी मदद कर सकता है।
ध्यान सिर्फ दिमाग के लिए ही नहीं, यह आपके शरीर के लिए भी बहुत फायदेमंद है।
10% Happier Book Summary- हालांकि समय के साथ हमारे हालात बदल गए हैं, पर तनाव का जो असर हमारे शरीर पर होता है वह नहीं बदला। लगातार तनाव में रहने से हमारे खून में नुकसानदेह केमिकल्स पैदा होने लगते है।
ध्यान हमारे शरीर में नुकसानदेह केमिकल्स की मात्रा को कम करता है। यह हमारे रक्तचाप को कम करता है। इस प्रकार, यह हमें हृदय रोग से छुटकारा पाने में मदद करता है।
ध्यान धैर्य को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है। उदाहरण के लिए, जब आप अपने नौकरी पर जाने के लिए देर हो गए हो, और आप ट्रैफिक जाम में फंस गए हो,तब आप गुस्सा हो जाते हैं। ध्यान ऐसे मामले में आपके धैर्य को बढ़ाने के लिए आपकी मदद करता है । ध्यान तनाव, नशे की लत और धूम्रपान से लड़ने में आपकी सहायता करता है।
और आखिर में, ध्यान दुनिया के सबसे शक्तिशाली चीज,आपके दिमाग, का उपयोग करने में आपकी मदद करता है। अपने दिमाग का उपयोग करके, आप अपनी भावनाओं को काबू कर सकते हैं, अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं और अपना कल्याण कर सकते हैं।
लेकिन, ध्यान एक बार में ही अपने गलत विचारों और आदतों से छुटकारा पाने में आपकी सहायता नहीं कर सकता है। हालांकि, यह आपको उन्हें काबू में मदद कर सकता है । अगला और अंतिम पाठ आपको सिखाता है कि ऐसा कैसे करें।
ध्यान सब कुछ ठीक नहीं कर सकता है। तो आपको अपनी नकारात्मक भावनाओं को काबू करने के लिए क्या करना चाहिए?
10% Happier- तारा बॅच एक मनोचिकित्सक और एक बौद्ध शिक्षिका है। वह सलाह देती हैं कि आपको अपनी नकारात्मक भावनाओं को स्वीकार करना चाहिए। आप उन्हें स्वीकार करें।
नकारात्मक भावनाएं समुद्र की तरह हैं। आपको उन में डूबाना नहीं है बल्कि उसको पार कर के निकलना है। इस तरह आप उसकी ताकत को कम कर सकते हैं।
अपनी भावनाओं को काबू करने के कई तरीके हैं। तारा ब्रैच के अनुसार, अपनी नकारात्मक भावनाओं से छुटकारा पाने के चार चरण हैं:
१. अपनी नकारात्मक भावनाओं को स्वीकार करें
२. इसे अपने आप में मौजूद रहने दें
३. इससे हो रहे नुकसान को पहचानें
४. और आखिर में इससे छुटकारा पाएँ
लेखक ने इन कदमों का इस्तेमाल तब किया, जब वे अपने प्रमोशन के बारे में चिंतित थे। सबसे पहले उन्होनें खुद को याद दिलाया कि वे चिंतित हैं। फिर उन्होनें स्वीकार किया कि चिंतित होना ठीक है। फिर उन्होंने पाया कि यह उनको दुखी कर रहा था। आखिर में, उन्होंने यह सोचकर खुद को उन से छुटकारा दिलाया कि वे अपनी चिंताओं से बड़े है।
इस तरह से, कोई भी अपनी भावनाओं पर विजय हासिल कर सकता है और बेहतर जीवन जी सकता है। ध्यान आपकी काफी हद तक मदद कर सकता है।
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कुल मिला कर
आधुनिक जीवन ने हमें बहुत तनाव दिया है। इस तनाव का हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ता है। ध्यान तनाव से छुटकारा पाने में आपकी सहायता कर सकता है। यह आपको संतुष्ट जीवन जीने में मदद कर सकता है।
“Meta Meditation” के माध्यम से अपनी दयालुता बढ़ाएं। अपने दिमाग में अपना साफ चित्र बनाएं और दिए गए मंत्र दोहराएं: आप खुश रहें, आप स्वस्थ रहें, आप सुरक्षित रहें। फिर इस मंत्र को दोहराएं, इस बार एक प्रिय मित्र का ध्यान करके। अंत में, सभी जीवित प्राणियों की कल्पना करें और इसे एक बार और दोहराएँ।
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