यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए? तनाव को दूर कर कामयाबी को पास लाइए।
हम में से हर किसी की जिन्दगी काम करते हुए ही बीत रही है। जब हम छोटे थे तो यह सोच कर मेहनत से पढ़ाई करते थे कि इस समय में मेहनत कर लेने से बड़े हो जाने के पर हम अपनी जिन्दगी सुकून से बिता सकेंगे। अब जब हम बड़े हो गए हैं तो हम यह सोचकर काम करते रहते हैं कि इस समय काम कर लेने से हम आगे चलकर अपनी जिन्दगी अच्छे से बिता सकेंगे। कुल मिलाकर इस काम ने हम से हमारी पूरी जिन्दगी छीन ली है।
लेकिन हम इतना काम आखिर करते क्यों हैं? जाहिर सी बात हैकामयाब होने के लिए। लेकिन क्या यह तरीका सही है? क्या बाहर की चीज़ों में खुशियाँ ढूँढने से आप खुश रह सकते हैं। अगर ऐसा है तो फिर ये दुनिया खुश क्यों नहीं है जबकि यहाँ सभी लोग बाहर की चीज़ों में खुशियाँ ढूँढ रहे हैं।
यह किताब आपको बताएगी कि किस तरह आप अपने अंदर झाँक कर खुशियाँ हासिल कर सकते हैं।
-बाहर की चीज़ों में खुशियाँ ढूँढना क्यों बेकार है।
-किस तरह आप अपने डर को कम कर अपने आत्मविश्वास को बढ़ा सकते हैं।
-किस तरह आप खुद को एक खुश और बेहतर इंसान में बदल सकते
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बाहर की चीज़ों के पीछे मत भागिए, बल्कि अपने अंदर की खूबियाँ को बाहर लाइए।
अगर आप से यह सवाल किया जाए कि आप क्या हासिल करना चाहते हैं तो आप क्या जवाब देंगे? इस सवाल पर कुछ देर गौर कीजिए और खुद से पूछिए कि आपको क्या चाहिए।
जब बहुत से लोग इस सवाल पर गौर करते हैं तो वे जवाब देते हैं कि उन्हें दौलत, शोहरत या इज्जत चाहिए। वे बाहर की चीज़ों को हासिल करने के पीछे भागते रहते हैं। उन्हें लगता है कि अगर उन्हें पैसे मिल जाए तो वे खुश हो जाएंगे। लेकिन अपनी इसी गलतफहमी की वजह से वे कभी खुश नहीं रह पाते।
पैसे या कामयाबी आने से आप कुछ वक्त के लिए खुश जरूर हो जाएंगे या फिर आप कुछ चीज़ों खरीद के अपने शरीर को आराम दे सकेंगे, लेकिन इसकी कोई गैरेंटी नहीं है कि इससे आप खुश रहेंगे। वो चीजें एक समय के बाद पुरानी हो जाएंगी और फिर आपको उनसे खुशी नहीं मिलेगी।
अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि अगर इन सब चीजों से आपको खुशी नहीं मिलेगी तो आपको क्या करना चाहिए? इसका जवाब आसान है। आप अपने अंदर झाँकिए और देखिए कि वो आपके अंदर की वो कौन सी खूबी है यह फिर कौन सी भावना है जिसे अगर आप जगा देंगे या फिर अपने अंदर से बाहर ला देंगे तो आप खुश हो जाएंगे। आप देखिए कि वो कौन सा काम है जिसे अगर आप करने लगें तो रोज सुबह बिस्तर से उठने में आपको परेशानी नहीं होगी।
अगर आप खुद को प्यार से भरे रखने की या फिर खुद को मुश्किल से मुश्किल वक्त में शाँत रखने की मंजिल को पाने के पीछे भागेंगे तो आप हमेशा खुश रह सकेंगे। खुद से प्यार करना सीखकर आप हमेशा खुश रह सकेंगे।
अनजाने में हम सभी इस मंजिल को पाने के पीछे भागते रहते हैं। इसलिए हम हर रोज ब्रश करते हैं, नहाते हैं और बाल कटवाने जाते हैं ताकि हम अच्छे दिख सकें और खुद से प्यार कर सकें। अगर आप इस मंजिल को पूरी तरह से अपना लेंगे तो आप हमेशा खुश रह सकेंगे।
कुछ समय की खुशियाँ आपके लिए जिन्दगी भर के दुख ला सकती हैं।
मान लीजिए कि एक बच्चे अपनी माँ के साथ बाजार में जा रहा है। बाजार में उसने कुछ खाने की चीज देखी और उसका मन किया कि वो उसे खरीद कर खाएगा। यहाँ पर उसका पेन-प्लेशर प्रोग्राम एक्टिवेट हो जाता है। इस प्रोग्राम में तीन स्टेप होते हैं -:
-सबसे पहले वो यह देखता है कि उसे क्या चाहिए।
-सबसे पहले वो बच्चा अपनी माँ से पैसे माँगने का प्लान बनाता है।
-इसके बाद वो अपनी माँ से पैसे माँगता है।
लेकिन अगर उसकी माँ उसे पैसे देने से मना कर दिया तो वो अपने काम करने का तरीका बदल देता है और रोने लगता है या जिद्द करने लगता है। उसके दिमाग में सिर्फ इतना है कि उसे वो खाने वाली चीज चाहिए।
हम बड़े उनसे कुछ अलग नहीं हैं। हम भी किसी एक चीज के पीछे भागते हैं और जब वो नहीं मिलता तो हम अपने काम करने का तरीका बदल देते हैं और दूसरे तरीके अपनाने लगते हैं। हमें किसी भी हालत में वो चीज हासिल करनी होती है। लेकिन क्या आपने कभी इसके अंजाम के बारे में सोचा है?
आपके हर एक काम का अपना एक नतीजा होता है। अगर हम बच्चे की बात करें तो हो सकता है उस चीज को खाने की वजह से उसके पेट में दर्द होने लगे या वो बीमार पड़ जाए। वो बच्चा इस बात को नहीं समझ रहा है लेकिन उसकी माँ को यह बात पता है। उसके कुछ पल कि खुशियाँ उसके लिए ढेर सारे दुख ला सकती हैं।
इसलिए आप जब भी किसी चीज को हासिल करने के पीछे भागें, आप उसके अंजाम के बारे में सोच लें। मान लीजिए आप बहुत तनाव में हैं और आपका मन करता है कि आप राहत पाने के लिए शराब पी लें। अब वक्त आ गया है कि आप खुद से यह सवाल करें कि आपका यह फैसला आपको कहाँ लेकर जा रहा है। क्या आप कुछ वक्त की राहत पाने के बदले जिन्दगी भर की लत पाल रहे हैं जो आपको अन्दर से खा जाएगी। इसका जवाब हाँ है।
आप अपने अंदर के बच्चे पर काबू पाना सीखिए। हर बार सही गलत बताने के लिए आप के पास आपकी माँ नहीं होंगी।
हमारे सेल्स में हमारे अनुभव और यादें रहती हैं।
अब तक बहुत से लोगों का मानना था कि हमारी यादें सिर्फ हमारे दिमाग में रहती हैं। लेकिन 2004 में टेक्सस के साउथवेस्टर्न यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के एक रीसर्च में यह बात सामने आई कि हमारे सेल्स में भी कुछ यादें और कुछ एक्सपीरिएंस रहते हैं।
इस रिसर्च में बहुत से चौंका देने वाले नतीजे सामने आए। अगर आपके पास बहुत सारी दर्द भरी यादें हैं तो वो आपके शरीर को बीमार बना सकती हैं। दर्द भरी यादों से और डिप्रेशन में रहने से जो यादें आपके सेल्स में सेव हैं वे उन्हें नुकसान पहुंचाने लगते हैं जिसकी वजह से वे कमजोर हो जाते हैं।
आपके अनुभव आपके सेल्स को दूसरे जीन्स का इस्तेमाल करने के लिए कह कर उन्हें फिर से प्रोग्राम कर देते हैं जिससे आपका पूरा व्यवहार ही बदल जाता है।
इसके अलावा आपकी पसंद – नापसंद, आपकी आदतें और आपका स्वभाव सब कुछ इन सेल्स में स्टोर होता रहता है। अगर आप अपना कोई अंग किसी और को डोनेट कर दें तो आपकी कुछ खूबियाँ उस व्यक्ति में आ जाएंगी। इस तरह से हम एक व्यक्ति के अनुभव और आदतों को दूसरे व्यक्ति में ट्रांस्फर कर सकते हैं।
इसके अलावा अगर आप बहुत ज्यादा तनाव में रहते हैं तो आपको डिप्रेशन और कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। खराब यादों का असर आपकी सेहत को खराब कर सकता है।
शायद आपको कभी मलेरिया या चिकन पॉक्स हुआ हो। हम में से लगभग सभी को जिन्दगी में एक ना एक बार चिकन पॉक्स होता है। लेकिन मजे की बात यह है कि ये कभी एक बार से ज्यादा नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि जब हमें पहली बार चिकन पॉक्स होता है तो हमारा शरीर उसके बैक्टीरिया से लड़ने का तरीका नहीं जानता। इसलिए हम इसकी चपेट में आ जाते हैं। लेकिन जब हम इस बीमारी से ठीक हो जाते हैं तो हमारे सेल्स में इस बैक्टीरिया के बारे में और इससे लड़ने के तरीके के बारे में सारी जानकारी सेल्स सेव हो जाती है जिससे जब यह बैक्टीरिया फिर से हमारे शरीर में आता है तो हम इससे लड़ लेते हैं।
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आप अपनी एनर्जी का सही इस्तेमाल कर के खुद को दर्द से आजाद कर सकते हैं।
क्या आपको पता है कि इस दुनिया की हम चीज एनर्जी है? 1905 में एल्बर्ट आइन्सटाइन ने मैटर और एनर्जी के बीच के संबंध के बारे में बताया। जी हाँ, ये उनका फेमस फार्म्युला E=mc2 (ई इज इक्वल टू एमसी स्क्वैयर) था।
इसका मतलब हमारे शरीर भी एनर्जी ही है। लेकिन इस शरीर में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों एनर्जी रहती है। अगर आप पूरी तरह से पॉजिटिव एनर्जी से भरे हुए हैं तो आपको किसी भी तरह की बीमारी नहीं होगी और अगर आपके अंदर नेगेटिव एनर्जी है तो आपको हमेशा सिर दर्द, कमर दर्द और दूसरी समस्याओं की शिकायत रहेगी।
अपने आप को नेगेटिव एनर्जी से दूर रखने के लिए आप नीचे दिए गए काम कीजिए।
-सबसे पहले यह देखिए कि आप किस चीज की वजह से परेशान हैं या वो कौन सी चीज़ है जो आपको सुकून से जीने नहीं दे रही है।
-इसके बाद आप आराम से बैठ जाइए और एक छोटी प्रार्थना कीजिए। आप कहिए कि जो भी चीज आपको परेशान कर रही है वो आपको छोड़कर चली जाए ताकि आप अपने काम पर अच्छे से फोकस कर सकें।
-इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने दिल के पास लेकर जाइए
और अपने हाथों को एक हाथ को दूसरे हाथ के ऊपर रख कर उसे गोल गोल घुमाइए और 10 से 15 सेकेंड्स के बाद उसे दूसरी दिशा में घुमाइए। ऐसा कुछ मिनट तक कीजिए।
– इसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने माथे पर लेकर जाइए और वहाँ भी एक हाथ के ऊपर दूसरा हाथ रखकर उसे गोल गोल घुमाइए।
-अंत में अपने हाथों को अपने सिर के ऊपर ले जाइए और फिर से ये काम कीजिए।
अगर इस एक्सरसाइज को दिन में तीन बार करेंगे तो कुछ ही दिनों में आपको फर्क दिखाई देगा।
अगर आपकी इच्छाएँ और आपकी मंजिलें एक ही दिशा में होनी चाहिए।
बहुत से लोग जिन्दगी के इस जंगल में रास्ता भटके हुए हैं। उन्हें यह नहीं पता कि वे कहाँ जा रहे हैं। कुछ लोगों को पता तो है कि वे कहाँ जा रहे हैं लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि वे सही रास्ते पर हैं या नहीं। तो अगर आपको नहीं पता कि आप सही रास्ते पर हैं तो आपको क्या करना चाहिए? आइए देखते हैं।
सबसे पहले आप यह देखिए कि आपकी इच्छा क्या है या आप अपनी जिन्दगी में क्या हासिल करना चाहते हैं। मान लीजिए कि आप चाहते हैं कि लोग आपको प्यार करें और आपकी इज्जत करें। इसके बाद आप यह देखिए कि आप इस समय क्या काम कर रहे हैं। क्या आप जो कर रहे हैं उससे लोग आपको प्यार करेंगे या आपकी इज्जत करेंगे? अगर आपको जवाब हाँ मिलता है तो आप एकदम सही रास्ते पर हैं। लेकिन अगर आपको जवाब ना मिलता है तो रुक जाइए, आप इस जंगल में भटक गए हैं।
याद रखिए, कामयाबी कभी बाहरी चीज़ों के पीछे भागने से नहीं मिलती। जब तक आप अपने अंदर की आवाज सुनकर, अपनी इच्छाओं को अच्छे से जानकर यह तय नहीं करेंगे कि आप असल में क्या चाहते हैं तब तक सिर्फ काम करते रहने से आप कभी कामयाब नहीं होंगे।
बाहरी चीज़ों को हम काबू नहीं कर सकते। अगर आप अब से दो साल बाद कुछ हासिल करने के बारे में सोच रहे हैं तो यह जान लीजिए कि दो साल बाद यह जरूरी नहीं है कि हालात ऐसे ही हों। जो चीजें आपके काबू में नहीं हैं उन्हें हासिल कर पाना मुश्किल होता
इसलिए आप भविष्य के बारे में मत सोचिए। आप बस यह देखिए कि आप इस समय क्या हासिल करना चाहते हैं और इस समय क्या हासिल कर सकते हैं। शांति पाना लगभग हम सभी के हाथ में होता है क्योंकि जब हम उसे पाने के लिए भागते हैं तो हम खुद को काबू करने के कोशिश करते हैं। हम खुद को आसानी से काबू कर सकते हैं इसलिए हम आसानी से शांति पाकर अपनी जिन्दगी सुकून से बिता सकते हैं।
अपने डर और अपने आत्मविश्वास को पहचानिए।
हम सभी को कभी कभी न चाहते हुए भी अपने भविष्य की चिंता होती है। हम अक्सर यह सोचते हैं कि अगर हम कुछ करने के बारे में नहीं सोचेंगे और हम कुछ नहीं कर पाएंगे तो हम खाएंगे क्या और रहेंगे कहाँ। अगर हमें जिन्दा रहना है तो हमें पैसों का इंतजाम तो करना ही होगा।
इसके लिए अगर आप काम करने के बारे में सोच रहे हैं लेकिन अगर हार जाने का डर आपके मन से नहीं जा रहा है तो आप नीचे दिए गए तरीके अपना सकते हैं। मान लीजिए आप एक इंटरव्यू के लिए जा रहे हैं और आपको डर लग रहा है कि आप उस इंटरव्यू में अच्छा पर्फार्म करेंगे या नहीं तो आप सबसे पहले अपने डर को पहचानिए।
आप अपने सभी डर की लिस्ट बनाइए और उन्हें 1-10 तक के नंबर दीजिए। अगर आपको किसी बात से बहुत ज्यादा डर लग रहा है तो आप उसे 10 नंबर दीजिए और अगर बहुत कम लग रहा है तो 1 नंबर।
ठीक इसी तरह आप उन कामों की लिस्ट बनाइए जिसे आप आत्मविश्वास के साथ करते हैं। इन्हें भी आप 1-10 नंबर दीजिए। अगर किसी काम को करते वक्त आप पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरे रहते हैं तो उस काम को 10 नंबर दीजिए और अगर किसी काम को करते वक्त आपके अंदर का आत्मविश्वास खत्म हो जाता है तो उस काम को 1 नंबर दीजिए।
इसके बाद आप एनर्जी मेडिसिन टूल का इस्तेमाल कीजिए। जी हाँ, ये वही एक्सरसाइज है जिसके बारे में आपने चौथे सबक में जाना था। इसका इस्तेमाल कर आप अपने अंदर से नेगेटिव बातों को निकाल कर खुद को अच्छी बातों से भर सकते हैं। आप इसे हर दिन कीजिए और तब तक करते रहिए जब तक आपका डर पूरी तरह से खत्म ना हो जाए।
एनर्जी मेडिसिन टूल का इस्तेमाल कर आप अपने डर को पूरी तरह से खत्म कर सकते हैं।
एक बार आपने अपने डर और अपने आत्मविश्वास से किए जाने वाले कामों की लिस्ट बना ली तो अब वक्त आप गया है कि आप अपने डर की लिस्ट के सभी आइटम के नंबरों को धीरे धीरे कम करें
और अपने आत्मविश्वास से किए जाने वाले कामों के नंबर को धीरे धीरे बढ़ाएँ।
इसके लिए आप 40 दिन का सफर तय करने का फैसला कीजिए। इन 40 दिनों तक आप हर रोज एनर्जी मेडिसिन टूल का इस्तेमाल कीजिए। इससे आपके डर का लेवेल कम होने लगेगा और आपके आत्मविश्वास का लेवेल बढ़ने लगेगा। इस दौरान भी आपको कुछ मुश्किलों का सामान करना पड़ सकता है।
इस दौरान कभी कभी यह हो सकता है कि आपको लगने लगे कि आपका डर वापस आ रहा है और आपका आत्मविश्वास कम हुआ जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो आप एनर्जी मेडिसिन टूल का इस्तेमाल करना बढ़ा दीजिए।
अगर इस बीच आपको यह लगने लगे कि आप अब इस एक्सरसाइज को जारी नहीं रख पाएंगे या फिर आपको यह करने भर का समय नहीं मिल पा रहा है तो आप कुछ दिनों तक इस एक्सरसाइज को करना बंद कर दीजिए। जब आपको फिर से लगने लगे कि अब आप यह एक्सरसाइज कर सकते हैं तब आप इसे फिर से शुरू कर दीजिए।
अगर आप 40 दिनों तक यह रूटीन अपनाएंगे तो डर आपके पास्ट की बात हो जाएगी और आप पूरी तरह से आत्मविश्वास से भरे रहेंगे। अगर आपको लगता है कि इस एक्सरसाइज को करने से आपका बहुत फायदा हुआ है तो आप फिर से इस एक्सरसाइज के साथ 40 दिन का सफर तय करने का फैसला कीजिए। इस तरह से आप खुद को ऐसे व्यक्ति में बदल सकते हैं जो रोज सुबह पूरे जोश के साथ उठता है और हर काम को पूरे आत्मविश्वास के साथ करता है।
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कुल मिलाकर
अगर आप कामयाबी हासिल करने के बारे में सोच रहे हैं तो सबसे पहले बाहरी चीज़ों के पीछे भागना छोड़कर अपने अंदर फोकस कीजिए। आप खुद को शांत रखने की कोशिश कीजिए और उन चीज़ों पर ध्यान लगाइए जिनसे आपको वाकई खुशी मिलती है। पैसा और कामयाबी पा लेने से आप ज्यादा दिन खुश नहीं रह पाएंगे। अगर आपके अंदर बहुत सी नेगेटिव भावनाएं हैं तो आप एनर्जी मेडिसिन टूल का इस्तेमाल कर उनसे छुटकारा पा सकते हैं।
एक जिन की मदद से अपने सपने की तलाश कीजिए।
अक्सर ऐसा होता है कि आप तय नहीं कर पाते कि आपको असल में क्या चाहिए। कभी आपको लगता है कि कामयाबी पाकर आप खुश हो जाएंगे तो कभी आपको लगता है कि एक अच्छा परिवार पाकर आप खुश रहेंगे। अगर आपके साथ ऐसा है तो आप एक जिन की मदद लीजिए।
मान लीजिए कि आपको अलादीन का जिन मिल गया जो आपकी एक इच्छा पूरी कर देगा। लेकिन उस ख्वाहिश को माँगने के लिए आपके पास सिर्फ 10 सेकेंड्स हैं। उसके बाद जिन गायब हो जाएगा। अब आप अगले 10 सेकेंड्स में ही यह तय कीजिए कि आपको क्या चाहिए। इस तरह से आपका दिमाग उस चीज पर फोकस करेगा जो आपके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है।