Alchemy Book Summary in Hindi

Alchemy

इंसानों के बर्ताव को हमेशा लाजिक के जरिए नहीं समझा जा सकता।

Alchemy Book Summary- हम अक्सर यह सोचते हैं कि लाजिक लगाकर हम सारे काम कर सकते हैं। बिजनेस में हम अक्सर ग्राहकों की पसंद या नापसंद को लाजिक के जरिए समझने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या हम हमेशा लाजिक से ही काम करते हैं? हम में से हर किसी को पता है कि सही और गलत क्या है, लेकिन क्या हम हमेशा सही काम करते हैं?

यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से इंसानों के बर्ताव को लाजिक की मदद से समझने की कोशिश करना समस्याओं को सुलझाने का एक गलत तरीका है। इस किताब की मदद से आप अपने ग्राहकों की परेशानी और उनके काम करने के तरीके को समझ कर अपने प्रोडक्ट को डिजाइन करना सीख पाएंगे।

वैसे तो हम इंसानों को लगता है कि हम बहुत समझदार हैं और हर काम को लाजिक की मदद से अंजाम देते हैं। इसी लाजिक की मदद से हमने बहुत सी खोज की हैं और जंगलों से निकल कर शहरों तक आ पाए हैं। लेकिन हम में से बहुत से लोगों को अंदाजा नहीं है कि हम कितने सारे ऐसे काम करते हैं जिनके पीछे कोई लाजिक नहीं होता।

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एक्साम्पल के लिए डिटर्जेंट को ले लीजिए। बहुत से लोग उस डिटर्जेंट को इस्तेमाल करना पसंद करते हैं जिसमें बहुत सारा झाग निकले। हालांकि झाग के निकलने का सफाई से कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन लोगों को कुछ ऐसा ही लगता है।

या फिर पापिन्स नाम की टाफी को ले लीजिए, जो कि बहुत से अलग अलग रंगों में आती है। रंगों का उसके स्वाद पर कोई भी असर नहीं पड़ता और ना ही लाल रंग के पापिन्स हरे रंग के पापिन्स से ज्यादा एनर्जी देते हैं। लेकिन रंग-बिरंगे पापिन्स को लोग दूसरी टाफी के मुकाबले ज्यादा खाना पसंद करते हैं।

कुछ इसी तरह से हम बहुत सी चीजें बिना सोचे-समझे और बिना क्रिसी लात्तिक के करते हैं। कंपनियां भी दस मामले में पीछे नहीं हैं।

कंपनियों को लगता है कि अगर एक कर्मचारी ज्यादा काम कर रहा है और छुट्टियां नहीं ले रहा है, तो उसके काम से कंपनी को ज्यादा फायदा हो रहा होगा। वे कर्मचारियों को मशीन की तरह देखतीं हैं। उन्हें लगता है कि जिस तरह से मशीनों को काफी समय तक इस्तेमाल ना करने से उनमें जंग लग जाता है, उसी तरह से कर्मचारियों को भी छुट्टी दे देने से वे कम काम करने लगते हैं।

लेकिन रिसर्च का कुछ और ही कहना है। स्टडीज़ में यह बात सामने आई है कि जब एक कर्मचारी अच्छी नींद लेता है और उसे आराम करने के लिए ज्यादा समय मिलता है, तो वो अच्छा काम कर पाते हैं और बेहतर आइडियाज़ पैदा कर पाते हैं। साथ ही जब उन्हें साल में छुट्टियां दी जाती हैं, तो छुट्टियों के बाद वे और भी अच्छा काम कर पाते हैं।

जर्मनी और फ्राँस इस बात का सबूत हैं। वहाँ के कर्मचारियों को साल में कुछ हफ्ते के लिए पेड हालिडे की सुविधा दी जाती है। वहाँ की इकोनामी बहुत अच्छी तरक्की कर रही है, क्योंकि वहाँ के लोगों को पता है कि ज्यादा काम का मतलब अच्छा काम नहीं होता।

इस तरह कभी कभी हम ऐसे भी काम करते हैं जो कि लाजिक के खिलाफ होते हैं। हमारे बर्ताव को लाजिक से समझ पाना नामुमकिन हैं।

बिजनेस में फायदों को बढ़ाने के लिए छोटी चीजों पर ध्यान दीजिए।

Alchemy Book Summary- बहत से बिजनेस एक बड़ी समस्या को सुलझा कर अगला गूगल या एप्पल बनने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन अगर आप छोटी चीजों पर ध्यान दें, तो उससे भी आप बहुत सी चीजों को सुधार कर अपने बिजनेस के फायदों को बढ़ा सकते हैं।

एक्साम्पल के लिए लेखक ने एक बार एक मार्केटर को देखा था जिसने अपने ऐड में 4 शब्दों का बदलाव किया था। इस छोटे से बदलाव से उसके ऐड ने दोगुने प्रोडक्ट्स बेचे। यह जरूरी नहीं है कि हर छोटे बदलाव से आपको दोगुने का फायदा हो, लेकिन अगर आप इसी तरह के बहुत से छोटे बदलाव कर दें, तो आपको बहुत फायदा हो सकता है।

छोटे बदलाव करने से आप अपने बिजनेस में बटरफ्लाइ एफेक्ट पैदा करते हैं। बटरफ्लाइ एफेक्ट में एक छोटे बदलाव के होने से एक और छोटा बदलाव होता है, वो छोटा बदलाव एक और छोटा बदलाव लाता है और वो सारे छोटे बदलाव मिलकर एक बड़ा बदलाव लाते

फायदे बढ़ाने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आप हमेशा नई चीजों को ऐड करें। कभी कभी कुछ चीजों को अपने बिजनेस से निकाल देने से भी आप अपने फायदों को बढ़ा सकते हैं।

एक्साम्पल के लिए जैरेड स्पूल को ले लीजिए। बहुत से लोग जब स्पूल की वेबसाइट बेस्ट बाइ से कुछ खरीदते थे, तो उन्हें अपना अकाउंट बनाना पड़ता था। लोगों को पर्सनल डीटेल देना नहीं पसंद था, क्योंकि उन्हें लगता था कि कंपनी इससे उन्हें ऐड्स दिखाकर परेशान करेगी। इसलिए स्पूल ने अपनी वेबसाइट पर से अकाउंट बनाने की प्रक्रिया को हटा दिया।

उन्होंने अपनी वेबसाइट पर एक “कंटिन्यू” का बटन लगा दिया और उसके नीचे लिख दिया – आपको अकाउंट बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे ग्राहकों की समस्या सुलझ गई और वे इस वेबसाइट से 45% ज्यादा खरीददारी करने लगे, जिससे पहले ही महीने में बेस्ट बाइ ने १५० करोड़ डॉलर का रेवेन्यू जनरेट किया।

किसी चीज़ में हुए छोटे बदलाव भी उस चीज़ को लेकर हमारा नजरिया बदल सकते हैं।

साइकोलाजी का एक सब्जेक्ट साइकोफिजिक्स है, जिसमें हम अलग अलग जानवरों के नजरिए के बारे में पढ़ते हैं। इस सब्जेक्ट में साइकोलाजिस्ट इस बात की स्टडी करते हैं कि किस तरह से कुछ छोटे से बदलाव किसी चीज़ को लेकर हमारे नजरिए के साथ साथ हमारे काम करने का तरीका भी बदल सकते हैं।

एक्साम्पल के लिए कैडबरी को ले लीजिए। कैडबरी एक बहुत फेमस चाकलेट बार बनाता है जिसका ब्रांडनेम है – डेयरी मिल्क। कुछ सालों पहले बहुत से ग्राहकों ने कैडबरी से शिकायत की कि डेयरी मिल्क का स्वाद पहले जैसा नहीं रह गया है। लेकिन कैडबरी ने डेयरी मिल्क के फार्मुले में सालों से कोई बदलाव नहीं किया।

लेकिन हाल ही में उसने डेयरी मिल्क का आकार बदल दिया था। सिर्फ आकार बदल देने की वजह से लोगों को यह लगने लगा था कि उसका स्वाद भी बदल गया है।

1950 में जनरल मिल्स ने भी एक छोटा सा बदलाव किया था, जिससे उसके डू-इट-योरसेल्फ केक मिक्स की सेल्स बढ़ गई थी। उस समय उसने अपने बेट्टी क्राकर ब्रांड का ड्र-इट-योरसेल्फ केक मिक्स निकाला था, जिसमें केक बनाने के सारे सामान दिए गए थे। ग्राहकों को उसमें पानी डालकर उसे मिलाना था, उसे ओवन में बेक करना था और फिर उसमें डिजाइन डालना था।

प्रोडक्ट के आसान होने के बावजूद भी वो बिक नहीं रहा था। जब जनरल मिल्स ने रिसर्च किया, तो उन्हें पता लगा कि घर की महिलाएं अपनी खाना पकाने की काबिलियत पर बहुत नाज़ करती हैं। क्योंकि केक बनाना बहुत आसान हो गया था, अब वे अपनी काबिलियत दिखा नहीं पा रहीं थीं। इसी वजह से वे उसे खरीद भी नहीं रहीं थीं।

इसपर जनरल मिल्स ने केक बनाना थोड़ा सा मुश्किल कर दिया। उन्होंने उसके पैकेट पर लिख दिया – सिर्फ एक अंडा मिलाएँ। इस एक स्टेप के आ जाने से उनकी सेल्स बढ़ गई। तो आपने देखा कि किस तरह से जनरल मिल्स ने पहले समस्या की गहराई समझी और फिर उसके हिसाब से एक छोटा सा बदलाव किया जो उनके लिए काफी फायदेमंद रहा। छोटे छोटे बदलाव इंसान के नजरिए और बर्ताव को बदलने की ताकत रखते हैं।

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इंसानों को एक जैसा मानकर काम करना बंद कर दीजिए।

Alchemy Book Summary- हर इंसान अलग होता है। हर इंसान के शरीर के आकार से लेकर उसके सोचने की क्षमता और उसकी पसंद-नापसंद तक, सब कुछ अलग होता है। लेकिन बिजनेस अपने प्रोडक्ट को एक जैसा बनाकर ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं। वे अपने प्रोडक्ट को एक औसत ग्राहक के लिए डिजाइन करते हैं।

1950 के दशक में लेफ्टेनेंट गिल्बर्ट डेनियल का सामना एक ऐसी ही समस्या के साथ हुआ था। उन्हें मिलिट्री के लोगों के लिए एक पाइलट सीट बनाने का काम दिया गया था। लेकिन क्योंकि हर इंसान का शरीर और उसकी हाइट अलग होती है, इसलिए ऐसी सीट नहीं बनाई जा सकती थी जिसमें हर कोई आसानी से बैठ सके। ना ही एक ऐसा हैंडल बनाया जा सकता था जिसे हर इंसान का हाथ आसानी से पकड़ सके। ऐसे में अगर वे एक औसत इंसान के लिए सीट और हैंडल बनाते, तो उसमें कोई भी अच्छे से नहीं बैठ पाता।

बहुत से बिजनेस कुछ इसी तरह से काम करते हैं। वे प्रोडक्ट डिजाइन करते वक्त अपने सभी ग्राहकों को एक जैसा मानकर चलते हैं। इस समस्या से बचने के लिए आप सिर्फ एक जैसे ग्राहकों को लिए अपना प्रोडक्ट डिजाइन करना शुरू कीजिए।

हर किसी को खुश करने की कोशिश मत कीजिए, बल्कि यह देखिए कि आपके प्रोडक्ट को इस्तेमाल करना किस तरह से व्यक्ति के लिए फायदेमंद हो सकता है। इसके बाद इसी व्यक्ति को अपना पर्फेक्ट ग्राहक मानकर अपने प्रोडक्ट को डिजाइन कीजिए। एक खास किस्म के लोगों पर ध्यान देकर आप ज्यादा ग्राहकों तक पहुंच पाएंगे और ज्यादा फायदा कमा पाएंगे।

बहुत बार आइडियाज़ कुछ ऐसी जगह से मिल जाते हैं जहां से कुछ भी मिलने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। एक्साम्पल के लिए सैंडविच को ले लीजिए। सैंडविच को सबसे पहली बार बनाने वाले व्यक्ति का नाम “अर्ल ऑफ सैंडविच” था, जिसने इसे अपना नाम दिया था। वो एक जुआरी था, जो कि कोई ऐसा खाना खोज रहा था जिसे बिना पकाए खाया जा सके और उसे खाने के बाद बर्तन भी ना साफ करना पड़े। इस तरह से उसने सैंडविच का आविष्कार कर दिया, जो कि आज बहुत फेमस डिश है।

इस तरह से यह जरूरी नहीं है कि बड़े और बुद्धिमान लोग ही नए और अच्छे आइडियाज़ लेकर आएं। कभी कभी बेकार जगहों से भी अच्छे आइडियाज़ मिल जाते हैं।

एक बात और याद रखें कि प्रभावशाली संदेशों में लाजिक हमेशा काम नहीं आता।

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप किसी व्यक्ति को कोई काम करने के फायदों के बारे में बता रहे हों, लेकिन वो व्यक्ति बिना किसी वजह के उस काम को करने से मना कर रहा हो? यह हम में से बहुत से लोगों के साथ होता है। कभी कभी सब कुछ सही लगने पर भी हम एक्शन नहीं लेते हैं।

लेखक के एक क्लाइंट ने एक बार अपने ग्राहकों को एक लकी ड्रा आफर दिया था, जिसमें उनके प्रोडक्ट को खरीदने वाले लोगों में से किसी एक को ईनाम दिया जाता है। उस क्लाइंट ने लोगों को आफर दिया कि जीतने वाले को साल भर की मुफ्त बिजली मिलेगी, जिसकी कीमत 1,000 यूरो थी। इस आफर पर कुछ 67,000 लोगों ने इसमें भाग लिया।

लेकिन उसी क्लाइंट के एक काम्पटीशन ने कहा कि जीतने वाले को एक बल्ब मुफ्त मिलेगा, जिसकी कीमत 15 यूरो थी। इस आफर पर कुछ 3,60,000 लोगों ने इसमें भाग लिया।

लेकिन ऐसा क्यों हुआ? जब ईनाम ज्यादा का था, तो ज्यादा लोगों को उसमें भाग लेना चाहिए था। हम इंसान इस तरह से काम नहीं करते। कम कीमत वाले ईनाम को देखकर हमें यह लगता है कि वो हमें मिल सकता है, जबकि ज्यादा कीमत वाले ईनाम को देखकर हमें लगता है कि कंपनी अपने वादे से मुकर जाएगी।

आप अगर समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं, तो लोगों को लाजिक से समझाने की कोशिश मत कीजिए। लोगों को कुछ ऐसी बातें बताइए जिसमें लाजिक कम निकल रहा हो और जिसका मतलब साफ ना हो।

एक्साम्पल के लिए इलेक्शन में भाषण देने वाले नेताओं को ले लीजिए। वे अक्सर हमसे यह वादा करते हैं कि वे चीजों की कीमत कम कर देंगे, देश में सुरक्षा लेकर आएंगे और 24 घंटे बिजली और पानी की सुविधा देंगे। उनके वादे हमें सुनने में अच्छे लगते हैं और इस वजह से हम उन्हें वोट दे देते हैं। लेकिन हम कभी उनसे यह सवाल नहीं करते हैं कि वे यह काम कैसे करने वाले हैं। हम कभी इस बात पर गौर नहीं करते कि वे खोखले वादे कर रहे हैं क्योंकि महंगाई को बढ़ने से रोक पाना नामुमकिन है। इस तरह से हम बिना किसी लाजिक के उन्हें वोट दे आते हैं, जबकि हम बार बार यह देखते हैं कि उनके ज्यादातर वादे पूरे नहीं होते हैं।

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किसी समस्या का समाधान खोजने के लिए अलग अलग तरह से सोचना शुरू कीजिए।

Alchemy Book Summary- आप ने अक्सर यह देखा होगा कि हमारी जिन्दगी कभी हमारे प्लान के हिसाब से नहीं चलती है। अक्सर कुछ अनचाही घटनाएं हमारे साथ घट जाती हैं, कुछ रुकावटें रास्ते में आकर हमें रास्ता बदलने पर मजबूर कर देती हैं और कभी कभी हम दलदल में कुछ ऐसा फँस जाते हैं कि उससे बाहर निकलने का रास्ता नहीं दिखाई देता।

इसका मतलब यह है कि अगर हम एक ही तरह की सोच लेकर जिन्दगी जीते रहेंगे, तो हम कभी अपनी समस्याओं का समाधान नहीं खोज पाएंगे। इसलिए हमें अलग अलग नजरिए से देखकर परेशानियों के बहुत से समाधान खोजने चाहिए। इसके बाद हालात को देखते हुए उसमें से सबसे अच्छे समाधान का इस्तेमाल कर के अपनी परेशानी को सुलझाना चाहिए।

अगर आप अपने ग्राहकों की कोई समस्या सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं, तो यह जरूरी नहीं है कि आप उस समस्या को सुलझाएँ। अगर आप किसी तरह से अपने ग्राहकों को यह एहसास दिला सकें कि वो समस्या तो समस्या है ही नहीं, या उस समस्या को खत्म करने के बजाय उससे होने वाली तकलीफ को कम कर दें, तो भी आप अपने ग्राहकों को खुश कर सकते हैं।

एक्साम्पल के लिए अमेज़न को ले लीजिए। पहले बहुत से ग्राहक जब अमेज़न से कुछ सामान मंगाते थे, तो ग्राहकों की शिकायत होती थी कि अमेज़न उन्हें काफी देर से डिलीवरी दे रहा है। इसलिए अमेज़ान ने उन्हें यह बताना शुरू कर दिया कि उनका पैकेज उनके घर पर कब तक आ जाएगा। साथ ही वे उन्हें समय समय पर अपडेट भी देते रहते हैं जिनसे ग्राहकों को यह पता रहता है कि उनका पैकेज कहाँ तक पहुंचा है। इस तरह से वो लोग पैकेज को जल्दी डिलिवर नहीं कर रहे हैं, सिर्फ लोगों को यह बता रहे हैं कि वो कहाँ तक पहुंचा है।

ऊबर ने भी कुछ ऐसा ही समाधान निकाला। लोगों को टैक्सी बुक करने के बाद इंतजार करना बिल्कुल पसंद नहीं था। इसलिए उसने एक ट्रैकर लगा दिया जिससे ग्राहकों को यह पता लगता रहता है कि उनकी टैक्सी कहाँ तक पहुंची है। इससे उन्हें इंतजार तो कम नहीं करना पड़ता, लेकिन उन्हें परेशानी नहीं होती।

इस तरह से यह कंपनियां समस्या तो नहीं सुलझा रही हैं, लेकिन वे ग्राहकों की परेशानियों को कम जरूर कर दे रही हैं। अलग नजरिए से सोचने का यही फायदा होता है।

यह जरूरी नहीं है कि जो आइडिया सुनने में अच्छा लग रहा है, वो असल में कामयाब हो जाए। साथ ही यह भी जरूरी नहीं है कि बेकार लगने वाला आइडिया नाकाम ही हो जाए। असल दुनिया में अक्सर इसका उल्टा होता है।

एक्साम्पल के लिए जेम्स वाट को ले लीजिए जिन्होंने स्टीम इंजन बनाया था। एक दिन जब वे केतली के पास बैठकर पानी उबाल रहे थे, तो उन्होंने देखा कि केतली का ढक्कन भाप की वजह से ऊपर नीचे होने लगा था। इसी से प्रेरणा लेकर उन्होंने आगे चलकर भाप से चलने वाले इंजन बनाए, जो कि एक बड़ी सी ट्रेन को चलाने का काम करते थे।

स्टीम इंजन बनने से पहले किसने सोचा था कि भाप जैसी कमजोर चीज़ 100 टन वज़न की भारी ट्रेन को खींच सकने का काम कर सकती है? लेकिन यही बेवकूफी भरी चीज़ अपने जमाने की सबसे बड़ी खोज साबित हुई।

आप को अपने बिजनेस में भी अलग अलग आइडियाज़ को टेस्ट कर के देखना चाहिए कि वे अच्छा काम कर रहे हैं या नहीं। किसी भी आइडिया को बिना टेस्ट किए बेकार बोल देना खुद को एक बड़ी खोज तक पहुंचने से रोकने के बराबर है। नए बेवकूफी भरे । आइडियाज़ ट्राई करने से कभी कभी आप बहुत सस्ते में किसी बहुत बड़ी समस्या को सुलझा देंगे। या फिर आप अपने ग्राहकों की परेशानी कम कर देंगे।

एक्साम्पल के लिए लेखक को ले लीजिए जिनकी ऐड एजेंसी ने एक आसान से आइडिया की मदद से शहर में होने वाले अपराधों को कम कर दिया था। उन्होंने देखा कि जिन दुकानों पर लोहे के शटर लगे होते थे, उनमें डकैतियाँ अक्सर हुआ करती थीं। लोहे के शटर लगे होने से चोरों को यह संदेश मिलता था कि उस इलाके में पुलिस बहुत कम आती जाती है और इसी वजह से दुकान वालों से खुद को सुरक्षित रखने के लिए लोहे के शटर लगाए हैं।

लेखक के एक दोस्त ने बताया कि बच्चों की तस्वीर लोगों के गुस्से को शांत करती है। उनके छोटे चेहरे पर लगी हुई बड़ी आखें लोगों को बहुत पसंद आती हैं, जिससे उन्हें एक सुकून सा मिलता है। लेखक के दोस्त ने सुझाव दिया कि अगर वे दुकानों के शटर पर बच्चों की पेंटिंग बना दें, तो इससे अपराध कम हो सकते हैं।

यह आइडिया काम कर गया। इसके बाद से बहुत सी सरकारों ने अपनी जगह पर हो रहे अपराध को कम करने के लिए इसी तरीके का इस्तेमाल किया है। यह आइडिया कारगर होने के साथ साथ सस्ता भी है।

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कुल मिलाकर

हम अक्सर वो काम करते हैं जिनमें कोई लाजिक नहीं होता। चीजों में होने वाले छोटे और बेमतलब के बदलाव उस चीज़ को लेकर हमारा नजरिया बदल जाता है। कभी कभी जब हमारा काम बहुत आसान कर दिया जाता है, तो हमारा वो काम करने का मन नहीं करता। आइडियाज़ जनरेट करने के लिए अलग अलग नजरिए से सोचना बहुत जरूरी है। कभी कभी बेकार लगने वाले आइडियाज़ भी बहुत अच्छा काम कर सकते हैं। इसलिए किसी आइडिया को टेस्ट किए बिना ही उसे बेकार बोलना खुद को एक नायाब समाधान खोजने से रोकने के बराबर होता है।

हमेशा बेवकूफी भरे सवाल पूछिए।

बहुत से लोग हर वक्त खुद को समझदार साबित करने की कोशिश करते रहते हैं। इस वजह से किसी बात को ना समझने पर वे उसके बारे में पूछने से कतराते हैं। लेकिन अगर आप पूछेगे नहीं, तो आप जानेंगे भी नहीं। इसके अलावा बहुत से लोगों के दिमाग में जब किसी नई समस्या का समाधान आता है, तो वे उसे सबको बताते नहीं हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वो समाधान अच्छा नहीं है। ऐसा करने से आप आइडियाज़ को बाहर नहीं निकलने देते, जिससे समाधान तक पहुंचना और भी मुश्किल हो जाता है। कभी भी इन चीजों को खुद को रोकने मत दीजिए।

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