An Astronauts Guide to Life on Earth Book Summary in Hindi

An Astronauts Guide to Life on Earth

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए? जानिए एक एस्ट्रोनॉट की जिन्दगी के बारे में।

An Astronauts Guide to Life on Earth- क्या आपको एक एस्ट्रोनॉट की ज़िन्दगी मज़ेदार लगती है? अगर हाँ तो आप एक हद तक सही सोचते हैं। लेकिन ऊपर से हरा भरा दिखने वाला जंगल अन्दर से उतना ही खतरनाक होता है।

अन्तरिक्ष में उड़ते रहना और जीरो ग्रेविटी में होना वाकई बहत मज़ेदार होता है। लेकिन इसके साथ ही एस्ट्रोनॉट्स को बहुत सारी मुश्किलें भी झेलनी होती है। अन्तरिक्ष में कभी भी कोई भी समस्या आ सकती है। इसलिए उन्हें हर माहौल के लिए तैयार किया जाता है।

इस किताब में क्रिस ने एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग और उसकी अन्तरिक्ष लाइफ के बारे में बताया है। इस साथ ही उन्होंने हमें बताया है कि हम एक एस्टोनॉट से क्या क्या सीख सकते हैं।

और आप सीखेंगे कि

– अन्तरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स की जिन्दगी कैसी होती है।

– एस्ट्रोनॉट्स को अन्तरिक्ष में जाने से पहले किस तरह से ट्रेन किया जाता है।

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एस्ट्रोनॉट्स को अन्तरिक्ष में जाने से पहले हर बिगड़े हालात के लिए तैयार किया जाता है।

An Astronauts Guide to Life on Earth- ज़रा सोचिये अगर आपको कुछ महीने सभी लोगों से दूर एक जगह पर रहना हो जहां पर आपकी एक छोटी सी गलती भी आपकी जान के लिए खतरा बन सकती है। क्या आप ऐसी जगह पर बिना किसी तैयारी के जाऐंगे?

एस्ट्रोनॉट्स को अन्तरिक्ष में जाने से पहले बहुत सारी चीजें सिखाई जाती हैं। एस्ट्रोनॉट्स पृथ्वी से काफी समय तक दूर रहते हैं। ऐसे में अगर कोई भी परेशानी आती है तो उन्हें अन्तरिक्ष में कोई मकैनिक नहीं मिलता है।

इसलिए उन्हें अपने अन्तरिक्ष शिप के बारे में सारी चीज़े बताई जाती है। उन्हें कंट्रोल पैनल जोड़ना, शिप उड़ाना , स्पेस शिप रिपेयर करना और दूसरी जरूरी चीजें सिखाई जाती हैं।

इसके अलावा उन्हें अपने शरीर का ख्याल खुद से रखने की भी ट्रेनिंग दी जाती है। उन्हें थोड़ी बहुत सर्जरी करना और दवाइयों में बारे में बताया जाता है जिससे वे खुद अपना इलाज कर सकें।

अन्तरिक्ष में कभी भी कुछ भी हो सकता है। जैसे कोई गैस लीक हो सकती है या फिर आग लग सकती है। 1997 में रशियन अन्तरिक्ष स्टेशन मीर में एक ऑक्सीजन कनस्तर की वजह से आग लग गयी थी। एस्ट्रोनॉट्स ने गीले टॉवेल्स का इस्तेमाल कर उस पर काबू पाया।

अन्तरिक्ष में जाने से पहले एस्ट्रोनॉट्स को महीनों तक ट्रेनिंग दी जाती है और मिशन पर भेजने से दो चार महीने तक उनको ख़ास ट्रेनिंग दी जाती है।

जिंदा रहने के लिए तैयारी करना बहुत ज़रूरी है।

An Astronauts Guide to Life on Earth- जैसा कि कहा गया कि एस्ट्रोनॉट्स को हर माहौल के लिए तैयार किया जाता है। उन्हें अनजान परेशानियों से निपटना सिखाया जाता है। उन्हें ट्रेनिंग देने वाले उनके लिए नयी नयी परेशानियां ढूंढ कर लाते हैं और उन्हें उससे निकलना सिखाते हैं।

अन्तरिक्ष में जाने से पहले एक एस्ट्रोनॉट को बहुत सारी किताबें और बहुत सारी ट्रेनिंग करनी पड़ती है। जान का खतरा आने पर अक्सर हम अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं। ऐसे में हमारी सोचने की क्षमता कम हो जाती है और मरने के चान्सेस ज़्यादा हो जाते हैं।

एस्ट्रोनॉट्स को शान्ति से हर समस्या से निपटना सिखाया जाता है। ये ट्रेनिंग उन्हें सिर्फ अन्तरिक्ष में ही नहीं पृथ्वी पर भी काफी काम आती है।

मान लीजिये आपकी गाड़ी किसी ऐसी जगह बिगड़ जाए जहां दूर दूर तक कोई मकैनिक ना हो तो आप क्या करेंगे। एस्ट्रोनॉट्स ऐसी परेशानियों का हल पहले से ही ढूंढ लेते हैं।

इसका मतलब ये नहीं है कि वे हर चीज़ में खतरा ढूंढते रहते हैं और हर वक्त सोचते रहते हैं कि कोई परेशानी आ गयी तो क्या करेंगे। वे बस खतरे से निपटने के लिए कोई रास्ता पहले से ही खोज लेते हैं जिससे उन्हें बाद में परेशानी नहीं होती।

इस तरह से एक एस्ट्रोनॉट की ट्रेनिंग उसे हर जगह काम आती है। वे किसी भी हालत में कोई भी समस्या सुलझाने की कोशिश करते हैं।

एस्ट्रोनॉट्स निंदा को अपने आप में कुछ सुधार करने का एक जरिया मानते हैं।

An Astronauts Guide to Life on Earth- अक्सर ऐसा होता है कि जब कोई हमारी बुराई करता है तो हम अपनी गलतियों को मानने के बजाय गुस्सा हो जाते हैं। लेकिन एस्ट्रोनॉट्स ऐसे नहीं होते। क्योंकि एक छोटी सी गलती ही जान का खतरा बन सकती है, इसलिए उनकी हर छोटी गलती पर उन्ही की निंदा की जाती है।

हर गलती पर निंदा की वजह से एस्ट्रोनॉट्स अपने आप को कुछ इस तरह से तैयार कर लेते हैं कि उनमें हर बिन बुलाई परेशानी से निपटने की काबीलियत आ जाती है।

नासा में निन्दा होना आम बात है। वहाँ हर कोई किसी की एक छोटी गलती पर भी उसकी कुछ इस तरह से निंदा करता है जिससे वो गलती फिर से ना हो।

लेकिन वहाँ निंदा करने का भी एक तरीका होता है। ऐसा नहीं है कि वहाँ पर कोई आपकी निंदा कोई इसलिए करता है क्योंकि उसे आपसे नफरत है। निंदा करते वक्त लोग गलतियों पर ही ध्यान देते हैं। वे सिर्फ आपकी गलतियों के लिए आपको डाँटते हैं।

जाहिर सी बात है कि अन्तरिक्ष में काम करना इतना आसान नहीं है। इसलिए वहां सभी को आपस में मिल जुल कर काम करना होता है। कोई भी परेशानी आने पर सभी लोग मिलकर उसे सुलझाने की कोशिश करते है। ऐसे में अगर आप किसी की ऐसे ही बुराई करते हैं तो आपकी टीम टूट सकती है और ये बिलकुल भी अच्छा नहीं है कि आपका अन्तरिक्ष में किसी से झड़गा हो जाए।

तो इस सबक से हमें ये सबक मिलता है कि आप चाहे जहाँ भी हों, अगर कोई आपकी निंदा करता है तो आप अपनी गलती को पहचानने की कोशिश कीजिये। इससे आप अपनी गलतियों को सुधार सकते है। इसके साथ ही आप अपने साथ काम करने वालों से अच्छे सम्बन्ध बनाइये क्योंकि मुश्किल वक्त में वही आपके काम आएँगे।

परिवार से दूर रहना बिलकुल भी आसान नहीं है।

An Astronauts Guide to Life on Earth- एक एस्ट्रोनॉट को अन्तरिक्ष में जाने से पहले सालों तक ट्रेनिंग दी जाती है। इसके बाद अन्तरिक्ष में जाने पर उन्हें कुछ महीनों तक अन्तरिक्ष में ही रहना पड़ता है। इस दौरान उनका अपने परिवार वालों से मिलना बहुत कम हो जाता है। वे बहुत सारे त्यौहार और फैमिली फंक्शन्स छोड़ देते हैं।

लेखक को अन्तरिक्ष में जाने से पहले अलग अलग जगहों पर ट्रेनिंग दी गयी थी। उन्हें साल में सर्फ 15 हफ्ते अपने परिवार वालों के साथ बिताने को मिलता था। उन्होंने वैलेंटाइन्स डे, बर्थडे और दूसरे फैमिली फंक्शन्स छोड़ दिए थे। इसके लिए उन्होंने पहले से अपनी वाइफ के लिए एक वैलेंटाइन कार्ड छोड़ दिया था जो उनकी वाइफ को सही समय पर मिला। साथ ही उनके बेटे के १६ वे बर्थडे के लिए उन्होंने एक कार्ड छोड़ दिया था जो उसे उसके बर्थडे के दिन मिला।

एस्ट्रोनॉट्स के अलावा बहुत सारे ऐसे लोग है जिनके पास ऐसी नौकरियां हैं जिसमे उन्हें अपने परिवार वालों से दूर रहना होता है, जैसे की सेना के जवान। वे लोग भी इसी तरह अपने परिवार वालों के लिए पहले से ही कुछ इंतज़ाम कर सकते है जिससे उनके न होने पर भी उनके परिवार को उनकी कमी महसूस न हो।

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अन्तरिक्ष की ज़िन्दगी इतनी भी आसान नहीं है।

आइये देखें कि एक एस्ट्रोनॉट अन्तरिक्ष में कैसे रहते हैं और कैसे अपना दिन बिताते हैं।

अन्तरिक्ष में ग्रेविटी न होने की वजह से पानी गेंद की तरह हवा में तैरने लगता है। इसलिए वहाँ पर नहाने के लिए शावर नहीं होते। उड़ते हुए पानी को इकठ्ठा करना मुश्किल होता है और इस पानी से अन्तरिक्ष के इक्विपमेंट ख़राब हो सकते हैं। इसलिए वहाँ एस्ट्रोनॉट्स को एक बिना झाग वाले शैम्पू से अपने बाल धोने होते हैं।

एस्ट्रोनॉट्स को रोज़ एक से दो घंटे एक्सरसाइज करनी होती है। अगर वे ऐसा न करे तो पृथ्वी पर वापस आने पर वे ग्रेविटी की वजह से खड़े भी नहीं हो पाएंगे। इसके साथ ही पृथ्वी पर आने के बाद उन्हें बैठने में बहुत दिक्कत होती है क्योंकि बैठने पर उन्हें अपना वजन ही भारी लगता है।

एस्ट्रोनॉट्स अन्तरिक्ष में रहकर रिसर्च करते रहते हैं और ऐसे तरीका ढूंढते रहते हैं जिससे वे सेहतमंद रह सकें। वे जो अन्तरिक्ष में रिसर्च करते हैं उससे हमें रोबॉटिक्स और मौसम के बारे में बहुत सारी जानकातियाँ मिलती हैं।

हमने अन्तरिक्ष रिसर्च की मदद से ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का ईलाज भी ढूंढ निकाला है। इसके साथ ही गूगल मैप्स की सुविधा भी हमें अन्तरिक्ष रिसर्च की वजह से मिल रही

अन्तरिक्ष से लौटना एक चुनौती भरा काम होता है।

An Astronauts Guide to Life on Earth- अन्तरिक्ष से लौटते वक्त अन्तरिक्षशिप बहुत तेज़ी से नीचे गिरता है और इसमें बहुत खतरा होता है। रूस में सारे अन्तरिक्ष शिप सोयूज़ लैंडिंग में उतारते हैं। अमेरिकन अन्तरिक्ष शटल 2011 के बाद सर्विस में नहीं रहा और उसके बाद सोयूज़ ही एक मात्र लैंडिंग प्लेस रह गया।

यूरी मालेनचेंको (Yuri Malenchenko) जब अन्तरिक्ष से लौट रहे थे तो उनके पैराशूट्स जल गए। हालाँकि वे सुरक्षित उतर गए थे लेकिन उन्हें जहाँ उतरना था वे वहाँ नहीं उतार पाए। वे उससे काफी दूर उतरे थे।

अगर आप सुरक्षित उतार भी जाते हैं तो आपको वापस पृथ्वी के माहौल में ढलने में समय लगेगा। अन्तरिक्ष में आपको अपना भार बिलकुल भी महसूस नहीं होता है और वापस पृथ्वी पर लौटने पर आपको अपना ही भार भारी लगने लगता है।

अन्तरिक्ष में काफी समय तक रहने के बाद अर्थ पर वापस आने पर आपको पृथ्वी के माहौल में ढलने में काफी समय लगेगा। पृथ्वी पर वापस आने के बाद एस्ट्रोनॉट्स को पृथ्वी हरी भरी लगने लगती है।

ऐसा नहीं है कि वापस आने पर उन्हें यहाँ की दुनिया बोरिंग लगने लगती है क्योंकि वे काफी समय तक अन्तरिक्ष में रहे हैं। पृथ्वी पर वापस आने के बाद उनमें बहुत से बदलाव आते हैं। वे पृथ्वी को एक नए नजरिए से देखने लगते हैं।

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कुल मिला कर

अन्तरिक्ष में रहना मज़ेदार तो है लेकिन इसमें उतने ही खतरे भी छुपे हए होते हैं। अन्तरिक्ष में कभी भी कोई भी बिन बुलाई परेशानी आ सकती है। इसलिए एस्ट्रोनॉट्स को हर माहौल के लिए तैयार रहना पड़ता है। उन्हें हर समस्या से लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है। एस्ट्रोनॉट्स निंदा को एक अलग नज़रिए से देखते हैं। निंदा से ही वे अपने आप में सुधार करते हैं। अन्तरिक्ष से लौटने के बाद वे पृथ्वी को एक नए नजरिए से देखते हैं।

उस समय के लिए प्लान कीजिए जब आप दूर होंगे।

अक्सर ऐसा होता है कि हम कुछ ख़ास मौकों पर अपने परिवार वालों से दूर रहते हैं। आप इस माहौल के लिए पहले से ही कुछ तैयारियां कर लीजिये। आप परिवार वालों के लिए गिफ्ट और कार्ड्स का इंतज़ाम पहले से ही कर दीजिये जिससे वो सब उन्हें समय पर मिल जाये। ऐसा करने पर उन्हें आपकी कमी महसूस नहीं होगी।

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