Altruism Book Summary in Hindi

Altruism

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Altruism Book Summary in Hindi

यह किताब आपको क्यों पढ़नी चाहिए

एक दूसरे की मदद करना सिर्फ एक अच्छी आदत ही नहीं है, ये वो चाबी है जो एक नई दुनिया के दरवाजे खेलती है। एक दूसरे की मदद कर के हम अपने अंदर छुपी हुई इंसानियत को बाहर ला सकते हैं और एक अच्छे इंसान बन सकते हैं।

यह किताब हमें बताती है कि कैसे हम अपनी इस दूसरों की मदद करने की भावना को विकसित कर सकते हैं। हम देखेंगे कि क्या है जो हमारे समाज को आगे बढ़ने से रोक रही है और कैसे हम उसे अपने रास्ते से हटा सकते हैं।

आखिर में यह किताब हमें बताती है कि किस तरह से हम अपने स्कूलों में कुछ बदलाव करके अपने बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करवा सकते हैं जिससे वे आगे चलकर एक नया और बेहतर समाज बना सकें।

  • दूसरों की मदद करने से किस तरह आपके डीएनए और दिमाग में बदलाव आ सकते हैं।
  • भेद भाव किस तरह समाज के विकास में बाधा बन सकती है।
  • ध्यान से आप कैसे अपने आप को मजबूत बना सकते हैं।

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हम अपनी दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश को बढ़ा सकते हैं।

आप जब भी एक अच्छी दुनिया का ख्वाब देखते होंगे तो आप सोचते होंगे कि वहाँ सभी एक दूसरे की मदद करने की कोशिश करेंगे। आपका यह सपना हकीकत में बदल सकता है लेकिन इसकी शुरुआत आपको करनी होगी।

दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश दो तरह की होती है। एक हमारे अंदर पहले से ही रहती है जबकि दूसरे को हम अपनी उम्र के साथ बढ़ा सकते हैं।

कुछ लोग जन्म से ही दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। उनके अंदर मदद करने की ख्वाहिश पहले से ही रहती है। जैसे कि एक पिता अपने बच्चे की मदद हमेशा करने की कोशिश करता है।

लेकिन ये ज़रूरी नहीं है कि अगर आपके अंदर पहले से यह भावना नहीं है तो आप इसे अपने अंदर नहीं ला सकते। आप अपने अंदर ये भावना तब ला सकते हैं जब आप दुख और परेशानी को गहराई से महसूस करेंगे।

दुख को गहराई से महसूस करने पर आप उसे अच्छे से समझ पाएंगे और उसे दूसरों से दूर रखना चाहेंगे। वे लोग जो दूसरों का दुख दूर करने के लिए सब कुछ करते हैं उन्हें बौद्ध धर्म में बोध्दिसत्व कहा जाता है।

एक बोध्दिसत्व हर किसी की परेशानी को खत्म करने की कोशिश करता है और साथ ही में ज्ञान की प्राप्ति के लिए तपस्या भी करता है। ज्ञान मिलने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।

आप जितने स्नेह से भरे होंगे आपको लोगों का उतना ही स्नेह मिलेगा।

एक अच्छी दुनिया के ख्वाब मे आप यह भी सोचते होंगे कि यहाँ सभी एक दूसरे से प्यार से रहते होंगे। प्यार करने से प्यार बढ़ता है।

आप अगर कोशिश करें तो आप अपने प्यार करने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आप खुद को हर माहौल में शांत रख कर हर किसी से प्यार करना सीख सकते हैं।

एक दूसरे से प्यार से रहने के बहुत से फायदे हैं।

  • अगर आप औरों से प्यार करते हैं तो आप हमेशा खुश रहेंगे और एनर्जी से भरे रहेंगे।
  • दूसरों से प्यार करके आप दूसरों का प्यार पा सकते हैं।

मान लीजिए कि आप एक अनाथ आश्रम में बच्चों से हर हफ्ते मिलने जाते हैं। आप हमेशा उनके लिए,कुछ तोहफे और मिठाइयाँ लेकर जाते हैं। ऐसा करने पर बच्चे आपको देखते ही खुश हो जाएंगे और हर दिन आपके आने का इंतेजार करेंगे। अगर किसी रोज़ आपने आने में देर कर दी या नहीं आ पाए तो वे आपसे जरूर पूछेगे कि आप कहाँ रह गए थे।

इस एक्ज़ाम्पल से साफ है कि प्यार भी ज्ञान की तरह बाँटने से बढ़ता है। लेकिन ऐसा क्यों? आइए इसका जवाब साइंस में ढूंढे।

हमारे दिमाग में मिरर न्युरान नाम के सेल्स पाए जाते हैं। ये न्युरान हमें वो महसूस करवाते हैं जो सामने वाला महसूस कर रहा है। जैसे कि अगर आप किसी को रोता हुआ देखते हैं तो आप भी दुखी हो जाते हैं।

अच्छे काम करने से हमारे शरीर में भी बदलाव आते हैं।

हमारे शरीर के अंदर दो तरह से बदलाव लाए जा सकते हैं – न्युरोप्लाटिसिटी (Neuroplasticity) और एपीजेनेटिस (Epigenetis)।

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि हमारा दिमाग सिर्फ 18 साल तक ही बढ़ता है और इसके बाद इसका बढ़ना बंद हो जाता है। उनका मानना है कि एक बार हम बड़े हो गए तो हमारा विकास रुक जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है।

मशाशाशेट्स इंस्टिट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के एक साइंटिस्ट जोसेफ एल्टमान (Joseph Altman) ने पाया कि हमारे न्युरान्स हमेशा हमेशा मरते और बनते रहते हैं। हालांकि इनकी संख्या नहीं बढ़ती लेकिन इनका मरना और बनना चलता रहता है।

इसका मतलब अगर हम एक ही काम को बार बार करते हैं तो हमारे अंदर उस काम को करने के लिए न्युरान्स बनते हैं और हम उस काम को ज्यादा अच्छे से कर पाते हैं। अगर हम लगातार लोगों की मदद करें तो हमारे अंदर वो न्युरान्स पैदा होंगे जो हमारे दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश को बढ़ाएंगे। इस कॉन्सेप्ट को न्युरोप्लाटिसिटी कहा जाता है।

अब आइए एपीजेनेटिस पर नज़र डालें।

आप फिल्मों में अक्सर देखा होगा कि दो जुड़वा भाइयों में एक भाई बहुत सीधा सादा रहता है तो दूसरा थोड़ा बदमाश। ऐसा असल जिंदगी में भी हो सकता है। हमारे बाहरी माहौल की वजह से हमारे जीन्स (Genes) पर असर पड़ता है वो एक आन या आफ हो सकते हैं। मतलब अगर आप हमेशा दूसरों से प्यार करने की कोशिश करेंगे तो आपके प्यार करने वाले जीन्स आन हो जाएंगे और नफरत करने वाले जीन्स आफ हो जाएंगे।

इन दो तरीकों से आप अपने अंदर दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश को बढ़ा सकते हैं।

सभी लोग स्वार्थी हों ऐसा जरूरी नहीं है।

इंसानियत ही हमें इंसान बनाती है। दूसरों की मदद करना, दूसरों से प्यार करना और दूसरों के दुख को अपना दुख समझना ही इंसान होने का सबूत है। अगर आपके अंदर ये भावना नहीं है तो आपके इंसान होने का कोई फायदा नहीं है।

लोग अक्सर सोचते हैं कि इस दुनिया में वही आगे बढ़ते हैं जो अपने बारे में सोचते हैं। लेकिन जब आप एक अच्छी दुनिया का ख्वाब देखते हैं तो क्या आप ये सोचते हैं कि सभी लोग अपने काम से ही मतलब रखें? नहीं।

अगर दूसरों की सेवा करना आपका काम है और आप अपना काम अच्छे से करना चाहते हैं तो आपके अंदर उनके लिए प्यार की भावना होनी ही चाहिए। एक स्टडी में पाया गया कि बच्चों की देखभाल करने वाली नर्स जब बच्चों को प्यार से नहलाती और खिलाती हैं तो बच्चे हमेशा खुश रहते हैं जिससे वे सेहतमंद रहते हैं।

लेकिन ऐसा क्यों होता है कि लोगों के अंदर स्वार्थ की भावना आ जाती है और वे सिर्फ अपने बारे में सोचने लगते हैं? आइए देखते हैं।

कुछ लोगों का मानना है कि दूसरों की मदद कर के हम उन्हें कमजोर बनाते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस दुनिया के जंगल में वही जिन्दा रह सकता है जो शिकार करना और शिकारियों से बचना जानता हो। दूसरे शब्दों में जो कमजोर हैं वे इस दुनिया में नहीं जी सकते।

अगर ऐसा है तो उन सैनिकों को बार्डर पर से हटा देना चाहिए क्योंकि वे अपने देश वालों की हिफाजत कर के उन्हें कमज़ोर बना रहे हैं। सरकार को गरीबों, बुजुर्ग लोगों और अनाथ बच्चों की मदद नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे वे कमजोर हो जाएंगे। आपको अपने परिवार वालों की भी मदद नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा कर के आप उन्हें कमज़ोर बना रहे हैं।

अगर आपको इस दुनिया में रहना है तो आपको सभी के साथ मिल जुल कर रहना होगा। हम सभी को एक दूसरे की जरूरत है और बिना किसी की मदद के आप कभी सफलता हासिल नहीं कर सकते।

आप ध्यान की मदद से दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश को बढ़ा सकते हैं।

पिछले कई हजार सालों से लोग ध्यान की मदद से अपनी जिन्दगी को पॉसिटिवनेस से भरते आ रहे हैं। ध्यान लगाने के बहुत सारे फायदे हैं। आप ध्यान की मदद से दूसरों की मदद करने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं। आइए देखें कैसे।

दूसरों की मदद करने से पहले आपको अपने आप को मजबूत बनाना होगा । आपको अपने आप को दुख और दर्द सहने के लायक बनाना होगा। जब आप बुरे हालात में काम। करने के लायक रहेंगे तभी आप दूसरों की मदद कर सकेंगे।

ध्यान से होने वाले कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं।

  • ध्यान से आप अपने फोकस और रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
  • ध्यान की मदद से आप खुद को ज्यादा दर्द सहने के काबिल बन सकते हैं।
  • ध्यान आपके दुख सहने के बाद होने वाली बेचैनी या परेशानी को कम करता है।
  • ध्यान हमें अंदर और बाहर से मजबूत बनाता है।
  • ध्यान हमारी सोचने की क्षमता को बढ़ाता है।

एक स्टडी में पाया गया कि सिर्फ 4 दिन तक 20 मिनट ध्यान लगाने के बाद लोगों को महसूस हुआ कि अब उन्हें पहले के मुकाबले दर्द 40% कम होता है और वो दर्द को 57% ज्यादा सह पा रहे हैं।

मेटा मेडिटेशन की मदद से हम दूसरों की मदद करने की ख्वाहिश और क्षमता को बढ़ा सकते हैं। इसमें हम आँखों को बंद कर के आराम करते हैं और अपने आप के लिए प्यार को महसूस करते हैं। जब हम ऐसा करते हैं तो हम प्यार से भर जाते हैं और फिर यही प्यार हमारे अंदर से निकल कर दूसरों पर बरसने लगता है।

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जो लोग सच में दूसरों की मदद करना चाहते हैं उन्हें नाम या शोहरत कमाने का शौक नहीं होता।

अगर आप लोगों की मदद सिर्फ इसलिए कर रहे हैं ताकि आप सुर्खियों में आ सके तो आप सच में उनकी मदद करने के बारे में नहीं सोचते।

एक बार एक बूढ़े आदमी से कुछ लोगों ने पूछा कि एक अच्छे आदमी को कैसा होना चाहिए। बूढ़े आदमी ने उन लोगों से सवाल किया – ” आप लोगों को ताजमहल में क्या खास लगता है?” इसपर किसी ने कहा कि वो प्यार की निशानी है इसलिए पसंद है,किसी ने कहा कि उसकी नक्काशी और खूबसूरती अच्छी लगती है तो किसी ने कहा कि उसमें एक जगह पर पानी गिरता है पर पता नहीं चलता कि वो पानी कहाँ से आ रहा है , ये बात खास लगती है।

इसपर बूढ़े आदमी ने कहा मुझे उसकी नीव अच्छी लगती है जिसे कोई नहीं देखता,जिसके बारे में कोई नहीं सोचता,जिसे सब अनजाने में अपने पैरों के नीचे कुचलते रहते हैं लेकिन फिर भी वो उस इमारत का भार पिछले 200 साल से उठा रही है और लोग उसे छोड़कर सिर्फ इमारत की तारीफ करते हैं। एक अच्छे इंसान को उसी नीव की तरह होना चाहिए।

जो लोग वाकई दूसरों की भलाई करने के बारे में सोचते हैं उन्हें मशहूर होने का कोई शौक नहीं होता। बल्कि वे इससे नफरत करते है।

अगर आपको लगता है कि ज्यादा चर्चा में रहने से आपका फायदा होगा तो आपको एक बार महात्मा गांधी के बारे में जरूर सोचना चाहिए। उन्होंने पूरे देश को आज़ादी दिलाने में हमारी मदद की लेकिन नाथुराम के हाथों मारे गए। उनके अलावा राजीव गांधी, एब्राहम लिंकन और ईद्रा गांधी जैसे लोगों ने भी लोगों के लिए बहुत से अच्छे काम किए लेकिन उनकी भी हत्या कर दी गई।

इन सभी बातों से हमें एक सीख मिलती है कि हमें किसी की मदद सिर्फ इसलिए करनी चाहिए क्योंकि हम उसकी मदद करना चाहते हैं। हमें बदले में किसी भी चीज की आस नहीं रखनी चाहिए।

अगर हम चाहते हैं कि सभी लोग एक दूसरे की मदद करें तो हमें भेद भाव को मिटाना होगा।

क्या आपको लगता है कि अगर सब लोग एक लोग एक दूसरे से काम्पटीशन करेंगे तो वे एक दूसरे की मदद कर पाएंगे? नहीं,अगर हम चाहते हैं कि सभी लोग एक दूसरे की मदद करें तो हमे काम्पटीशन को हटाना होगा।

काम्पटीशन का जन्म भेद भाव से होता है। आज अमीर और अमीर होता जा रहा है और गरीब और गरीब। अमीर लोग अक्सर लोगों और साधनों का इस्तेमाल कर के ऊपर तक पहुँचते हैं। आज हर कोई सिर्फ खुद के ही बारे में सोचकर और खुद का ही फायदा चाहकर ऊपर पहुँचना चाहता है। यही वजह है कि आज हमारे समाज में अमीर और गरीब हैं और लोग काम्पटीशन करने में किसी के बारे में नहीं सोच रहे हैं।

अब से 25 साल पहले 13% लोगों के पास 40% की सम्पत्ति थी। लेकिन अब सिर्फ 1% लोगों के पास 40% की सम्पत्ति है। ठीक इसी दौरान कुछ लोगों से एक सवाल किया गया था – क्या आप अपने आस पास के लोगों पर भरोसा कर सकते हैं? 25 साल पहले 60% लोगों ने हाँ कहा था लेकिन अब सिर्फ 40% लोगों ने हाँ कहा।

इससे एक बात साफ है कि जैसे जैसे समाज में भेद भाव बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे ही लोगों का एक दूसरे पर से विश्वास उठता जा रहा हैं।

इस तरह का समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकता। भेद भाव से नफरत पनपती है और नफरत से अशांति। इसलिए सबसे पहले हमें भेद भाव को मिटाना होगा।

बुरे हालातों में अक्सर लोग एक दूसरे की मदद ज्यादा से ज्यादा कतने लगते हैं।

लोग भलाई करने का इरादा इसलिए छोड़ देते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि सिर्फ उनके अच्छे काम करने से कोई बदलाव नहीं आने वाला। ऐसे लोगों को बता दे कि वे सही से देख नहीं पा रहे हैं।

आज इंडिया में 30 लाख से ज्यादा एनजीओ (NGO) हैं । बड़े बड़े लोग दूसरों की मदद करने के लिए अलग अलग काम कर रहे हैं। एक्जाम्पल के लिए सलमान खान ने अनाथ बच्चों के लिए बीईंग ह्यमन नाम की संस्था चला रखी है और इमरान हाश्मी ने इंडिया में सबसे पहला फ्री ओपेन हार्ट केयर सेंटर चला रखा है।

इनके अलावा बहुत से लोगों ने समाज की भलाई के लिए काम किए हैं । ऐसे में ये सोचना बिल्कुल गलत है कि भलाई का जमाना नहीं है।

कुछ लोगों का मानना है कि मुसीबत के वक्त थोग सिर्फ अपने बारे में ही सोचते हैं और उन्हें भी ऐसा ही करना चाहिए। मुसीबत के वक्त दूसरों की मदद करने से खुद की जान खतरे में आ। सकती है। ऐसा सोचना और भी गलत है।

अगर आपने एयरलिफ्ट मूवी देखी है तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि ये। बात गलत क्यों है। मुसीबत के वक्त अक्सर लोग एक दूसरे का साथ देने लगते हैं। कभी आग लग जाने पर सारे मोहल्ले के लोग इकट्ठा होकर आग बुझाने लगते हैं। न्यु आर्लियन्स (Neworleans) में जब कैटरीना नाम की हरीकेन आइ तो न्युज ने दिखाया की अब यहाँ दंगे होने लगेंगे क्योंकि लोगों के ऊपर रहने खाने की समस्या आ गई है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लोग एक दूसरे की मदद करने लगे और उन्होंने मिल कर उसका सामना किया।

ये दुनिया उतनी भी खराब नहीं है जितनी आप सोचते हैं। अगर आप भलाई करेंगे तो यहाँ आपको बहुत से भले लोग मिलेंगे।

शिक्षा से हम बच्चों में भी दूसरों की मदद करने की भावना पैदा कर सकते हैं।

जैसा कि पहले ही कहा गया कि काम्पटीशन से हमारे समाज को नुकसान है। बच्चों को एक दूसरे के साथ काम करना सिखा कर हम उन्हें अपने सपनों की दुनिया बनाने के लिए तैयार कर सकते हैं।

अब आइए देखें कि किस तरह हम बच्चों में इस भावना को विकसित कर सकते हैं और साथ ही उनके काम करने के तरीके को बदल सकते हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ लायोन (University of Lyon) के प्रोफेसर रोबर्ट प्लीटी (Robert Plety) ने अपने कमजोर बच्चों को एक साथ रख कर पढ़ाना शुरू किया। उन्होंने देखा कि बच्चे एक दूसरे से सीखने लगे और उन्होंने पहले से अच्छे मार्क्स लाए।

आप अपने स्टुडेंट्स की ज़रूरतों को समझिए ना की उनपर अपना हुकुम चलाइए। अगर आप उनकी भावनाओं की इज्जत करेंगे तो वे भी आपकी इज्जत करेंगे। अगर वे आपकी इज्जत करेंगे तो वे आपकी बातों को अच्छे से सुनेंगे और मानेंगे और इस तरह आप उनमें बहुत सी अच्छी आदतें बना सकते हैं। जबरदस्ती करने से वे आपकी इज्जत नहीं करेंगे। आपके सामने वे भले ही अच्छे से रहें लेकिन आपके ना होने पर वे गलत काम जरूर करेंगे।

स्कूलों को अपने बच्चों में अच्छी आदतें डलवानी चाहिए। उन्हें ये कोशिश करनी चाहिए कि उनके बच्चे हमेशा एक दूसरे की मदद करें। उन्हें अपने बच्चों के लिए अलग अलग एक्साइज लेकर आने चाहिए जिससे बच्चे खेल खेल से ही सभी अच्छी बातों को सीख सकें। एक साथ सीख कर, एक दूसरे मदद कर कर, एक साथ आगे बढ़कर हम समाज में मौजूद भेद भाव को खत्म कर सकते हैं और अपने सपनों की दुनिया को हकीकत में बदल सकते हैं।

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कुल मिला कर

लोग सोचते हैं कि आज कोई भी किसी के बारे में नहीं सोचता। ऐसा सोचकर वे अपने आप को वैसा ही बना लेते हैं और अपने अंदर की इंसानियत को मार देते हैं। लेकिन अगर आप अपने आस पास देखें तो आपको बहुत सारे भले लोग मिलेंगे। दूसरों की मदद करने से ही आप एक भले इंसान बन सकते हैं। ध्यान की मदद से आप अपने इस मदद करने की भावना को बढ़ा सकते हैं।

ध्यान लगाईए।

क्या आपको पता है कि ध्यान लगाने से आपके चेहरे पर झुर्रियाँ नहीं आएंगी और आप ज्यादा समय तक जवान दिख सकेंगे? एलेन वैलेस शमाथा प्रोजेक्ट (Allan Wallace’s Shamatha Project) में भाग लेने वाले लोगों ने जब तीन महीने तक रोज 6 घंटे ध्यान किया तो उनके अंदर टेलोमेरेज़ नाम का एंजाइम बढ़ गया जो झुर्रियाँ को कम करता है।

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