नई टेक्नोलॉजी की मदद से इनोवेटर्स कम कीमत में बढ़िया प्रोडक्ट बनाकर मार्केट को डिस्टर्ब कर देते हैं
करोड़ों साल पहले बिगबैंग की वजह से ही यह दुनिया वजूद में आई थी. आज बिजनेस मार्केट में भी वैसे तबाह हो जाती है जैसे करोड़ों साल पहले विस्फोट के जरिए यह दुनिया बनी थी, नतीजतन मार्केट में ऐसी पॉसिबिलिटीज़ पैदा होती हैं जो कभी देखी नहीं गई और मार्केट पूरी तरह से बदल जाती है. और अपॉर्चुनिटी क्रिएट करने वाली इन कंपनियों को बिगबैंग डिस्ट्रप्टर्स कहते हैं. सबसे अच्छी बात है कि आप इन्हीं कंपनियों में खुद को शामिल कर सकते हैं, लेकिन अगर यह मुमकिन नहीं है तो बिगबैंग डिस्ट्रप्शन के प्रोसेस को समझना बहुत जरूरी है. यहां पर आप उसी के बारे में जानेंगे. डिस्ट्रप्शन के 4 स्टेज लाइफ साइकिल के बारे में जानिए, साथ ही इस डिस्ट्रप्शन का सामना करने के लिए 12 तरीके भी जानिये. चाहे आप खुद बिगबैंग की वजह बनना चाहते हैं या फिर इस बिगबैंग में सरवाइव करना चाहते हैं. इस समरी के जरिए आप ऐसे तरीकों के बारे में जानेंगे जो आपके बिजनेस के लिए फायदेमंद होंगे. इस समरी में आप जानेंगे, कि क्यों आपको ट्रथ टेलर्स, वह लोग जो मार्केट प्रेरित कर सके, उनकी तलाश करनी चाहिए? AOL के स्टोर्स में क्या है? क्यों स्ट्रैटेजीज़ को लेकर शान्त रहना अकलमंद फैसला है?
तो चलिए शुरू करते हैं!
आपको पेपर मैप याद है? एक बड़ी सी फोल्डेड शीट हुआ करती थी और हर मोड़ पर हमें रुक कर पूछना पड़ता था कि क्या हम सही रास्ते पर हैं? अब उन पेपर मैप की मौजूदगी ही खत्म हो गई है. अनॉलॉग रोडमैप एक बैंग से मार्केट के बाहर चला गया, GPS द्वारा लाए गए बिग बैंग ने रोडमैप की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया. 2000 में, Garmin, जिसके सेल्स 1990 के दौरान काफी बढ़ गए थे, उसने 3 मिलियन जीपीएस डिवाइस बेचे वहीं पेपर रोड मैप की कीमतों में कमी आ गई. उस वक्त जीपीएस की कीमत का कम होना बिगबैंग डिस्ट्रप्टर का एक एग्जांपल है, GPS इनोवेटिव प्रोडक्ट होने के साथ ही मार्केट में मौजूद दूसरे कॉम्पिटेटिव प्रोडक्ट से बेहतर और कीमत में अच्छा था. लेकिन जल्द ही garmin की इस डिवाइस को दूसरे बिग बैंग का सामना करना पड़ा. 2009 में स्मार्टफोन कंपनी गूगल ने गूगल मैप इंट्रोड्यूस किया जो ना सिर्फ फ्री था बल्कि इसे अपडेट करना भी आसान था और इसे बहुत जल्दी इंम्प्रूव किया जा सकता है. जब से गूगल मैप आया है, तब से इसने अपने आप को सबसे सस्ती और बेहतर टेक्नोलॉजी साबित किया है और आज भी यह सबसे कामयाब है. लेकिन गूगल के लिये garmin के प्रोडक्ट को मार्केट से बाहर निकालना मुमकिन कैसे हुआ? इसके लिए गूगल ने एक्स्पोनेंशियल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया.
किसी भी टेक्नोलॉजी को एक्स्पोनेंशियल कहने के लिए उस टेक्नोलॉजी की परफॉर्मेंस और वैल्यू लगातार बढ़ते रहने की जरूरत है, मिसाल के तौर पर, हर साल टेक्नोलॉजी की परफॉर्मेंस या वैल्यू डबल हो जानी चाहिए. ऑनलाइन चलने वाला क्लाउड कंप्यूटिंग, डाटा प्रोसेसिंग, डाटा स्टोरेज एक्स्पोनेंशियल टेक्नोलॉजी का एग्जांपल है. इस तरह की टेक्नोलॉजी से बिगबैंग डिस्ट्रप्टर कंपनी पूरी की पूरी मार्केट को डिस्टर्ब कर सकती हैं. गूगल ने भी यही किया, इसके लिये गूगल, क्लाउड प्रोसेसिंग, इंटरनेट और स्मार्टफोन का इस्तेमाल करता है. इसका यह मतलब हुआ कि गूगल एप्प फ्री में प्रोवाइड करता है और बहुत सारे स्मार्टफोन पर इसका पहले से ही मौजूद होना बताता है कि हर रोज लाखों लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. मार्केट में इससे बड़ा बैंग इमेजिन करना मुश्किल है.
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बिग बैंग डिस्ट्रप्टर्स के तीन कैरेक्टर होते हैं, अनडिसिप्लिन स्ट्रेटजी, अनलिमिटेड ग्रोथ और बिना किसी बर्डन के डेवलपमेंट
अगर आप अगले बिगबैंग में तबाह नहीं होना चाहते, तो बर्बादी शुरू होने से पहले ही डिस्ट्रप्टर को पहचानना शुरू कीजिए. अच्छी बात यह है कि ऐसा करना कोई मुश्किल काम भी नहीं है मार्केट को डिस्टर्ब करने वाली कंपनियों में टीम चीजें एक जैसी होती हैं. इस तरह की कंपनियां अनडिसिप्लिंड स्ट्रेटजी का इस्तेमाल करती हैं. पहले के बिजनेसेस ‘मार्केट डिसिप्लिन” को फॉलो करते हैं. मतलब किसी भी प्रोडक्ट को लॉन्च करने से पहले मार्केट में रिसर्च करते हैं
और अच्छी स्ट्रेटजी बनाने के बाद ही कोई प्रोडक्ट लॉन्च करते हैं. अगर एनालिसिस कहता है कि लॉन्च किया जा रहा प्रोडक्ट मार्केट में मौजूद अपने कॉम्पिटेटिव प्रोडक्ट से सस्ता और सुपीरियर नहीं है तो इसे मार्केट में नहीं उतारा जाता. आज एक्स्पोनेंशियल टेक्नोलॉजी की मदद से कंपनियां चीप और बेहतर प्रोडक्ट बना लेती हैं, जिसकी वजह से मार्केट को लेकर डिसिप्लिंड नहीं रहतीं. इससे भी ज्यादा यह ही पहले भी किसी प्रोडक्ट को बनाना बहुत एक्सपेंसिव काम हुआ करता था लेकिन अब यह उस कंपैरिजन में उतना महंगा नहीं है. कम पैसों में बना हुआ प्रोडक्ट मार्केट में उतारकर यह चेक करना कि यह प्रोडक्ट चलता है या नहीं मार्केट रिसर्च के कंपैरिजन में सस्ता पड़ता है. इस नए माहौल में स्ट्रैटेजिक डिसिप्लिन खत्म हो गया है.
बिग बैंग कंपनियों की खासियत यह है कि वह लिमिटेड ग्रोथ नहीं करती. इंटरनेट और इससे जुड़े सोशल नेटवर्क ने बहुत सारी इनफार्मेशन को पब्लिक कर दिया है, मतलब अब बिना किसी एफर्ट के लोगों के पास एक बड़ी तादाद में इंफॉर्मेशन है. ज्यादातर मामलों में कस्टमर को अपने जरूरत की इंफॉर्मेशन पाने के लिए कुछ भी नहीं देना होता और कंपनियों को भी अपने कस्टमर तक डायरेक्ट पहुंचने के लिए कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ता. इस फिनोमिना को इंफॉर्मेशन की कीमत का घटना कहते हैं, इसकी वजह से कैंपेनिंग पर ज्यादा पैसे खर्च करना बेकार बन गया है. और इस तरीके से डिस्ट्रप्टर कंपनी एक ट्रैडिशन को खत्म कर देती है. यह कुछ इस तरह होता है कि आपका कस्टमर सोशल मीडिया के इस्तेमाल के जरिए आपके प्रोडक्ट को और इसके बारे में अपने ओपिनियन को दुनिया के साथ शेयर कर देता है. इस तरह से फ्री में एडवर्टाइजमेंट हो जाता है जिसके लिए कंपनी को पहले पैसे खर्च करने पड़ते थे.
डिस्ट्रप्टिव कंपनियों की एक खासियत यह होती है कि वह बिना किसी दबाव के डेवलप कर जाती हैं एक्सपेरिमेंट की कीमत घटने की वजह से डिस्ट्रप्टर्स के लिए नया प्रोडक्ट बनाना ना सिर्फ सस्ता, बल्कि आसान भी हो गया है. मार्केट रिसर्च की तरह ही प्रोडक्ट एक्सपेरिमेंटेशन भी पुराना होता जा रहा है. मिसाल के तौर पर, आज के जमाने का एप डेवलपर इस बात का एक्सपेरिमेंट करने पर खर्च नहीं करेगा कि उसका ऐप मार्केट में चलता है या नहीं. एप्प को। सिंपली रिलीज कर दिया जाएगा, अगर यूजर्स को इसे यूज़ करने में प्रॉब्लम आती है या उन्हें यह पसंद नहीं आता तो यह नाकाम हो जाएगा. अगर ऐसा लगता है कि कुछ गलतियों को सुधारने के बाद यह कामयाब हो सकता है तो उन गलतियों को सुधारने के बाद दुबारा इसे मार्केट में उतार दिया जाएगा. आगे हम बिग बैंग डिस्ट्रप्टर्स की लाइफ साइकिल के बारे में जानेंगे.
बिग बैंग डिस्ट्रप्टर्स की लाइफ साइकिल में चार स्टेटस होते हैं सिंगुलेरिटी, बिग बैंग, बिग क्रंच और एंटोपी। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हर चीज का अपना लाइफ साइकिल होता है. जो आज है वह कल नहीं होगा और इस नियम के दायरे में बिग बैंग डिस्ट्रप्टर्स भी आते हैं. हर बिग बैंग डिस्ट्रप्टर चार स्टेज के लाइफ साइकिल से गुजरता है. इसकी शुरुआत सिंगुलेरिटी से होती है. फिजिक्स में सिंगुलेरिटी स्पेस के उस पॉइंट को कहते हैं जहां पर मैटर बहुत ज्यादा दबा या भरा हो. हमारा यूनिवर्स भी एक ऐसे ही पॉइंट के फटने से बना है, जब बिगबैंग में सारा मैटर और स्पेस टाइम रिलीज कर दिया था, जो इसके अंदर भरा हुआ था. बिगबैंग डिस्ट्रप्टर्स के कॉन्टेक्स्ट में, मार्केट में एंटर होने से पहले के वक्त को सिंगुलेरिटी कहते हैं. इस दौरान इसकी कॉम्पिटेटिव कंपनी को अपने आस पास खतरा मौजूद होने का अंदेशा ज़रूर होता है. और दूसरी तरफ डिस्ट्रप्टर्स अपने लाइफ साइकिल के नेक्स्ट स्टेज पर पहुंचने के लिए तैयारियां और एक्सपेरिमेंट्स करने में लगे रहते हैं.
दूसरे स्टेज को बिग बैंग कहते हैं, जिसमें डिस्ट्रप्टर्स को बेहद कामयाबी हासिल होती है. जैसे बिग बैंग के फटने से चंद सेकेंड के अंदर दुनिया बन गई थी वैसे ही डिस्ट्रप्टर्स की कामयाबी भी वक्ति ही होती है. इसके बाद आने वाले लाइफ स्टेज को बिग क्रंच कहते हैं बिग बैंग के बाद, यूनिवर्स की एनर्जी खत्म होने लगी थी वैसे ही डिस्ट्रप्शन के बाद खात्मे का प्रोसेस होता है. जल्द ही मार्केट सिकुड़ जाती है और कंपनी की वैल्यू जो एकदम से आसमान छूने लगी थी वह गिर जाती है. बिग बैंग डिस्ट्रप्शन के लाइफ साइकिल का चौथा स्टेज एंट्रोपी है. साइंस की big-bang-theory के अनुसार एक दिन यह दुनिया फटकर खत्म हो जाएगी. लेकिन जब ऐसा होता है तो मैटर और एनर्जी गायब नहीं होंगी. इसके बजाय वह एक दूसरे के साथ मिलकर नया रूप लेंगी. ऐसा ही बिग बैंग डिस्ट्रप्शन लाइफ साइकिल के आखिरी स्टेज में होता है. ऐसेस्ट्स गायब नहीं होते बल्कि एक साथ मिलकर नये एक्सपेरिमेंट और डेवलपमेंट के लिये मौके पैदा करते हैं, जिसकी वजह से नयी सिंगलैरिटीज़ जन्म लेती हैं. आगे हम ऐसे 12 रूल्स के बारे में जानेंगे जिन्हें फॉलो करके ट्रेडिशनल कंपनियां बिगबैंग ब्लास्ट से बच सकती हैं.
जब बिग बैंग डिस्ट्रप्टर्स सिंगुलेरिटी स्टेज में हों, तो सच बोलने वालों, टाइमिंग और एक्सपेरिमेंट पर ध्यान दीजिए
अगर आपको इस बात का अंदाजा हो जाता है कि कोई कंपनी सिंगुलेरिटी स्टेज में पहुंच चुकी है तो ऐसे में मार्केट एक्सप्लोजन से बचने के लिए आपके लिए सबसे बेहतर होगा कि आप भी कुछ डिस्ट्रप्शन की तैयारी कर लें. ऐसा करने के लिए आपको तीन रूल फॉलो करने होंगे. सबसे पहले किसी ऐसे इंसान से बात कीजिए जिसने आपकी इंडस्ट्री को समझने के लिए वक्त दिया है और नेक्स्ट लेवल की नॉलेज रखता है. ऐसे लोगों को ट्रथ टेलर कहा जाता है, ऐसे लोग इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि टेक्नॉलॉजी और नई स्ट्रैटेजी आने वाले वक्त में इंडस्ट्री को कैसे बदलेंगी. “द इंटर्नेट ऑफ थिंग्स,” टर्म को इंट्रोड्यूज़ करने वाले ब्रिटिश टेक पायनेयर Kevin Ashton ऐसे ही एक ट्रथ टेलर हैं. कंज्यूमर प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरर, Proctor & Gamble के लिए काम करते हुए Kevin को एहसास हुआ कि स्कैनिंग सिस्टम यह बताने में नाकाम है कि कोई भी एडवर्टाइज्ड प्रोडक्ट स्टॉक में है या नहीं. उन्होंने पता लगाया कि ऐसी टेक्नोलॉजी हैं जो इस प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकती हैं, थोड़ी सी रिसर्च के बाद, उन्होंने इन्वेंटरी नेटवर्क के बीच वायरलेस कनेक्शन स्टैबलिश करने के लिये एक इनोवेटिव तरीका ढूंढ़ लिया. इसके, और दूसरे प्रोडक्ट मैनेजमेंट ने kevin को MIT जैसे स्टार्ट-अप और टेक इंस्टिट्यूशन के साथ काम करने के लिये इनकरेज किया, जहां वह अपने आइडियाज़ को डेवलप करते रहे. मार्केट के डिस्ट्रप्शन से पहले आपको कुछ इसी तरह के ट्रथ टेलर से बात करनी चाहिए.
दूसरा रूल यह है कि किसी भी मार्केट में एंटर करने का सही वक्त डिसाइड कीजिए। सोचिए Amazon के फाउंडर और सीईओ ने किंडल लॉन्च करने के लिए किस तरह के वक्त का इस्तेमाल किया था. ई-रीडर मार्केट में डायरेक्ट जंप करने से पहले जैफ बेजॉस ने थोड़ा ठहर कर देखा और यह इंश्योर किया कि दूसरी कंपनियां अपने प्रोडक्ट से कस्टमर को सेटिस्फाई करने में नाकाम हो रही हैं. उसके बाद उन्होंने उन प्रोडक्ट्स की कमियों को एनालाइज किया कि किस वजह से यह प्रोडक्ट नाकाम हो रहे हैं जैसे कि शॉट बैटरी लाइफ या कम स्टोरेज वगैरह. इसकी वजह से वह और बेहतर प्रोडक्ट बनाने में कामयाब हुए और सही टाइम पर रिलीज कर दिया. जब 2007 में किंडल पहली बार मार्केट में आई थी तो इसकी कीमत $399 होने के बावजूद यह सोल्ड आउट हो गई थी.
तीसरा रुल यह कहता है कि आप ऐसे एक्सपेरिमेंट करें जिससे मार्केट डिस्ट्रप्टर्स के बीच सरवाइव करने की आपकी समझ बढ़े. मिसाल के तौर पर, आप हैकथॉन अटेंड करने की भी सोच सकते हैं. इस तरह के इवेंट्स में कंप्यूटर प्रोग्रामर्स और टेक इंडस्ट्री के दूसरे लोग होते हैं, जो सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट्स वगैरह पर कोलैबोरेट कर सकते हैं. ऑथर्स ने 2013 में ऐसा ही एक इवेंट अटेन किया था. AT&T द्वारा स्पॉन्सर किए गए इस हैकथॉन में स्मार्टफोन एप्स के लिए नए आइडियाज डिवेलप करने पर फोकस किया गया था, जिससे कस्टमर को ऑटिज्म मतलब ऑटोमेशन की सर्विस प्रोवाइड की जा सके. इस इवेंट में न सिर्फ कई मोबाइल एप के आईडियाज बाहर निकल कर आए बल्कि ऑथर्स को मोबाइल इंडस्ट्री से भी इंट्रोड्यूस कराया गया.
जब बिग बैंग मार्केट पर असर डाले, तो मुश्किलों के वक्त को अपने फायदे के लिये इस्तेमाल करने के लिये तैयार करिए यानि आपदा में अवसर ढूंढिए.
मान लीजिये की बिग बैंग डिस्ट्रप्शन मार्केट को डिस्टर्ब कर देता है
और सारी चीजें तेज़ी से बदलने लगती हैं. कस्टमर्स तेजी से नई मार्केट की तरफ अट्रैक्ट होने लगते हैं और पुरानी मार्केट पीछे छूट जाती हैं. आपने सिंगुलेरिटी स्टेज पार कर लिया और अब इस नई मार्केट का हिस्सा है. इसका मतलब है कि अब आपको उन 12 रूल्स में से अगले 3 रुल के बारे में जानने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. अब आपको यह सोचना है कि अपनी कंपनी को बचाए कैसे रखा जाए, क्योंकि मार्केट को डिस्टर्ब करने वाली दूसरी कंपनियां तेजी से कामयाब हो रही होंगी, जो कि आपके बिजनेस के लिए खतरनाक साबित होगा. चौथा रूल यही है, कि आपको इस सिचुएशन के लिए तैयार रहना होगा. मतलब, स्ट्रेटजी, सिस्टम, इन्वेंटरी, ह्यूमन रिसोर्स और दूसरी जरूरी चीजों के साथ आपको तैयार रहना होगा. मार्केट के बदलने के बाद चीजें तेजी से बदलेगी और कस्टमर का सैलाब आ जाएगा उस वक्त आपके पास इन चीजों पर काम करने का वक्त नहीं होगा. मार्केट डिस्ट्रप्शन से पहले थर्ड पार्टी के साथ एग्रीमेंट करके रखिए, ताकि जरूरत पड़ने पर आपके पास लोग मौजूद होंगे.
पांचवा नियम यह है, कि अपने आपको विनर बनाने और सारी मार्केट अपने कब्जे में करने की पुरजोर कोशिश कीजिए. विनर-टेक ऑल-मार्केट की सिचुएशन क्रिएट करने के लिए आपको सबसे आगे निकलना होगा, जिससे आपके पास सभी तरह की इंफॉर्मेशन का इस्तेमाल करने का हक हो. आज के जमाने में यह करना सबसे आसान है. इंटरनेट की वजह से बहुत सारी इंपॉर्टेट और वैल्युएबल इनफॉरमेशन आपके पास मौजूद होती हैं. मिसाल के तौर पर, अमेज़ॉन को ही ले लीजिए जिस तरीके से यह इंफॉर्मेशन कलेक्ट करता और उसका इस्तेमाल करता है, अपने इसी काम की वजह से अमेजॉन ने मार्केट की कई फील्ड में अपना दबदबा बना कर रखा है. अमेज़ॉन सिर्फ कस्टमर्स के रिव्यु को कंसीडर ही नहीं करता बल्कि वह कस्टमर के एक्टिविटी डाटा को एक ऐसे एल्गोरिथ्म के श्रू प्रोसेस करता है जो खासतौर पर कस्टमर स्पेसिफिक प्रोडक्ट की सलाह देने के लिए ही बनाया गया है.
छठा नियम यह कहता है, कि डिस्ट्रप्शन को थोड़ा स्लो कर दीजिए ताकि आपको बैंग से हुए चेंजेज को रिस्पॉन्ड करने का वक्त मिल जाए. आपको अपने बुलेट टाइम को समझने और उसमें एंटर करने के एबल होना चाहिए. इसके चलते आपको मार्केट के डिस्ट्रप्ट होने के बावजूद अपने कार्ड्स चलने का मौका मिल जाएगा. अगर आपकी कंपनी पावरफुल पोजीशन में है तो आप अपने पेटेंट के साथ डिस्ट्रप्शन को स्लोडाउन कर सकते हैं. डिस्ट्रप्टिव इनोवेशन, चाहे सर्विस हो या कोई प्रोडक्ट, पर अपना हक इस्तेमाल करके आप फ्यूचर में आने वाले डिस्ट्रप्शन के रास्ते में टेंपरेरी रुकावट डाल सकते हैं .
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बिग क्रंच से बाहर निकलने के लिए मार्केट सैचुरेशन भांप लीजिये अपने एसेट की कीमत निकाल लीजिए और मार्केट डिकलाइन का इंतेज़ार मत कीजिये
बिग क्रंच डिस्ट्रप्शन के दौरान मार्केट में वैल्यू और प्रॉफिट का काफी फर्क आ जाएगा. आपको मार्केट से उम्मीदें होने लगेगी. लेकिन इस पॉजिटिव सिचुएशन में भी आपको मार्केट के गिरने के लिए तैयार रहना चाहिए. डिस्ट्रप्शन लाइफ साइकल में कुछ भी कभी भी हो सकता है और हम पहले ही बात कर चुके हैं कि डिस्ट्रप्शन में कामयाबी बहुत टेंपरेरी होती है. जब बिग क्रंच का स्टेज आता है तो मार्केट सैचुरेट यानि मार्केट अपने पीक पर होती है. आपकी इन्वेंटरी
और कैपासिटी सब यूज़लेस हो सकती है. इससे बचने के लिए सातवें रूल को फॉलो यानि सैचुरेशन को एंटिसिपेट कीजिये. अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो क्या हो सकता है? कुछ यूं Barnes &Noble द्वारा प्रोड्यूस की गई, द नूक, नाम की ई-रीडर ने अच्छी शुरुआत की, साल भर में इसके लगभग 60,000 यूनिट बिक गए. इस बिक्री से इनकरेज होकर बुक्सेलर ने प्रोडक्शन जारी रखा. लेकिन उसके बाद मार्केट मे बिग क्रंच ने बदलाव ला दिया. अमेजॉन ने किंडल का नया वर्जन रिलीज कर दिया और ई-रीडिंग एप की एक फेहरिस्त लांच कर दी गई. इस सिचुरेटेड मार्केट में नूक की कोई डिमांड बची नहीं रह गई थी. 2013 तक Barnes & Noble को 130 मिलियन डॉलर का नुकसान हो गया था.
रूल सेवेन आठवे रूल से मिलता जुलता है. 8वां भी कहता है कि आपको मार्केट में आने वाली गिरावट के बारे में अंदाजा लगा लेना चाहिए और अपने ऐसेस्ट्स के बेकार हो जाने से पहले उनका इंतेज़ाम देना चाहिए. प्रोडक्ट्स के अलावा जो एक चीज आपके कंपनी के पास है वह है ऐसेट,मसलन कंपनी के सामान या प्रोपर्टी. अगर मार्केट गिरने वाली है तो बेहतर है कि आप इन ऐसेट के लाइबिलिटी में बदलने से पहले इन्हें निपटा दें. Nike ने इस प्रॉब्लम का सामना अपने बहुत सारे प्रोडक्शन को आउटसोर्स करके किया था. आउटसोर्सिंग ऐसेट मैनेज करने का बहुत बेहतरीन तरीका है ,अगर कोई और आपके लिए प्रोडक्शन कर सकता है तो खुद फैक्ट्री बनाने की क्या जरूरत है. इसी वजह से सिर्फ 900 फॉरेन पार्टनर होने के बावजूद Nike एशिया का लीडिंग ब्रांड है.
9वा और बिग क्रंच से निकलने का आखिरी रूल यही है कि सही सलामत मार्केट के सही सिचुएशन में होते हुए बाहर निकल आइए मार्केट के गिरने का इंतजार मत कीजिए. यह आइडियल सिचुएशन तो नहीं है लेकिन अगर आप कॉम्टीट नहीं कर पा रहे हैं तो अपना नुकसान भरिए और आगे बढ़ जाइये, चाहे इसके लिए किसी तरह के प्रोडक्ट का प्रोडक्शन बंद करना पड़े या पूरी तरह से बिजनेस ही. डच टेक्नोलॉजी कंपनी फिलिप्स लाइटिंग ने 2006 में अपने बेस्ट सेलिंग लाइट बल्ब का प्रोडक्शन बंद कर दिया था. हालांकि यह प्रोडक्ट 1891 से ही कंपनी को मुनाफा दिला रहा था, लेकिन कंपनी को अंदाजा हो गया था कि आने वाले वक्त में यह आउटमॉडेड होने वाला है. यह बल्ब काफी हीट प्रोड्यूस करता था और इससे बेहतर प्रोडक्ट मार्केट में नजर आने लगे थे. प्रोडक्ट का ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर होने के बावजूद 1 सेंचुरी से ज्यादा चलने वाले प्रोडक्ट को वापस लेकर फिलिप्स ने बहुत बेहतर डिसीजन लिया था.
जब डिस्ट्रप्शन कंपनियां एंट्रोपी स्टेज में पहुंच जायें तो अपनी पहचान बचाइये, अपने बिज़नेस को रिकॉन्फिगर कीजिये और अपने प्रोडक्ट्स के लिये नयी सिंगुलैरिटीज़ की तलाश कीजिये। बिग क्रंच से बचने के बाद आपको बिग बैंग डिस्ट्रप्शन के आख़री स्टेज, एंट्रोपी से भी पार पाना होगा. दसवां और इस स्टेज का पहला नियम कहता है कि मार्केट के ब्लैक होल से बचिये. एक बार बिग बैंग ने मार्केट को डिस्टर्ब कर दिया तो मार्केट ब्लैक होल में बदल जाती है. कस्टमर नई मार्केट की तरफ आगे बढ़ जाते हैं. हालांकि, ब्लैक होल बन चुके इस मार्केट में भी सर्वाइव किया जा सकता है, कुछ लॉयल कस्टमर रुके रहेंगे, अपनी पहचान बचाए रखा जा सकता है. लेकिन तभी तक जब तक पूरी मार्केट गायब नहीं हो जाती. मिसाल के तौर पर, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर अमेरिका ऑनलाइन या AOL ब्लैक होल मार्केट में चल रही है. इसके ज्यादातर कस्टमर ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्हें मालूम ही नहीं है कि आप AOL को सब्सक्राइब किए बगैर भी इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैं. कभी ना कभी इन कस्टमर को उनके बच्चे नई टेक्नोलॉजी के बारे में बता ही देंगे और ब्लैक होल में चल रही यह मार्केट पूरी तरह खत्म हो जाएगी. इस ब्लैक होल में सरवाइव करने की कोशिश करते रहने से अच्छा है कि आप आगे बढ़े और अपने पुराने प्रोडक्ट का इस्तेमाल नए पर्पस के लिए करें. रूल ग्यारह इसी के बारे में है.
टैक्सास इंस्ट्रमेंट्स नाम की एक इलेक्ट्रॉनिक प्रोड्यूसर ने हाल ही में ऐसा ही कदम उठाया है. 1980s के दौरान होम-कंप्यूटर मार्केट में कंपनी प्रॉफिटेबल पोजीशन में चल रही थी. लेकिन जैसे ही दूसरी कंपनियां कंपटीशन में आई इस कंपनी को नुकसान होने लगा. जल्द ही 500 मिलियन डॉलर के कर्ज के साथ टेक्सास इंस्ट्रमेंट बैंककरप्टसी के कगार पर पहुंच गया. इसलिए कंपनी ने बिजनेस के इस हिस्से से हाथ खींच लिया और सिंगल कंपोनेंट के प्रोडक्शन पर ध्यान दिया. हालांकि शुरुआत में इसका इस्तेमाल टॉय के हिस्से के तौर पर होता था लेकिन अब इसे स्मार्टफोन, रडार से लेकर सीटी स्कैनर जैसे ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज में इस्तेमाल किया जाता है. आखरी नियम कहता है, कि नई सिंगुलेरिटी की तलाश कर दुबारा बिग बैंग डिस्ट्रप्शन का लाइफ साइकिल क्रिएट करने की कोशिश कीजिए. आपको याद है, कुछ देर पहले हमने At&T द्वारा स्पॉन्सर किए गए हैकथॉन की बात की थी, जिसमें ऐसे स्मार्टफोन एप्प डेवलप करने की बात की गई थी, जो ऑटिज्म में लोगों की हेल्प कर सके? यह AT&T कोई समाज सेवा नहीं कर रही थी. इस इवेंट को ऑर्गेनाइज करके ऐसे लोगों या ग्रुप तक अपना एक्सेस बना रही थी जो फ्यूचर में बिगबैंग डिस्ट्रप्टर बन सकते हैं.
प्रोग्रामर्स और हैकर से अपना नेटवर्क और एक्सेसरीज इस्तेमाल करवा कर, AT&T ने एक ऐसे ऐप का दावा किया जो कि इसी इवेंट से निकला था. कुछ इसी तरह की स्ट्रेटजीज़ आपको नई सिंगुलेरिटी हासिल करने में मदद करेंगी.
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कुल मिलाकर
आज के इनोवेटर्स ऐसी सर्विस और प्रोडक्ट ऑफर करते हैं जो अपने कंपटीशन से बेहतर और सस्ती हो. टेक्नॉलॉजीज़ की वजह से उनके लिए ऐसा कर पाना हर दौर से आसान है. ऐसे ही इन्नोवेटर्स को बिगबैंग डिस्ट्रप्टर्स कहा जाता है. जो इंटरनेट, क्लाउड बेस, कम्प्यूटिंग और स्मार्टफोन जैसी एक्स्पोनेंशियल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर मार्केट को डिस्ट्रप्ट कर देते हैं. अगर आप अगले बिगबैंग डिस्ट्रप्शन में अपनी पहचान नहीं खो देना चाहते, तो आपको बिगबैंग डिस्ट्रप्शन के लाइफ साइकल को समझना और 12 रूल्स को फॉलो करना होगा, ताकि आप डिस्ट्रप्शन के दौरान सरवाइव कर सकें.