Sleep Smarter by Shawn Stevenson Book Summary in Hindi

Sleep Smarter

Sleep Smarter Book Summary in Hindi-

इंट्रोडक्शन (INTRODUCTION)

क्या आपको नींद ना आने की समस्या है? क्या आपको बहुत मुश्किल से नींद आती है? क्या आपकी नींद बीच बीच में टूट जाती है? अगर हाँ तो ये बुक आपके लिए है.नींद हमारे जीवन का एक बहुत ज़रूरी हिस्सा है. ये बिलकुल खाने और सांस लेने जितना ज़रूरी है. फिर भी इस दौड़ती हुई ज़िन्दगी में हम इसपर ध्यान ही नहीं देते. ये बुक आपको एक अच्छी और गहरी नींद से होने वाले फायदों के बारे में सिखाएगी. ये आपको बहुत से ऐसे टिप्स भी सिखाएगी जिसे फॉलो करने से आपके सोने का रूटीन पहले से ज्यादा बेहतर हो जाएगा.

 

अच्छी और पूरी नींद आपको अच्छी सेहत औरज्यादा ख़ुशी देती है. ये ज्यादा सफलता हासिल करने में मदद करती है. और ये बिलकुल सच है. तो अब समय है कि आप चैन से गहरी नींद सो सके और मीठे सपने देख सकें.और मेरी मानिए तो ये बुक आपके लिए एकलोरी का काम करेगी.

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नो वैल्यू ऑफ़ स्लीप (KNOW THE VALUE OF SLEEP)

आज कल लोग कम सोने लगे हैं,वोअपनी नींद पूरी नहीं करते क्योंकि उन्हें पता ही नहीं है कि ये हमारे लिए कितना ज़रूरी है. वो इसकी कीमत नहीं समझते.नींद हमारे शरीर और मन को समय समय पर आराम देने का एक नेचुरल प्रोसेस है.हमारे दिमाग का वो हिस्सा जिसकी वजह से जब हम होश में होते हैं तो सब देख सुन सकते हैं, समझ सकते हैं उसे कॉन्ससियस माइंड कहा जाता है.

 

नींद उस प्रोसेस को कहते हैं जब हमारी आँखें बंद हो जाती हैं और कॉन्ससियस माइंड आराम कर रहा होता है. इसलिए सोते समय शरीर में ज्यादा हलचल नहीं होती और आस पास की चीज़ों की तरफ हम रियेक्ट नहीं करते. हमारे शरीर में दो तरह के प्रोसेस होते हैं. पहला एनाबोलिक (anabolic) जो ओर्गंस और टिश्यू कोबढाने का काम करता है औरइस प्रोसेस में नए सेल्स भीबनते हैं. दूसरा है केटाबोलिक (catabolic) जोकंपाउंड्स और मॉलिक्यल्स को ब्रेक करके एनर्जी बनाने का काम करता है. इसलिए नींद एनाबोलिक प्रोसेस है जहां हमारा शरीर खुद को रिपेयर या ठीक करने की कोशिश करता है. जगे रहना केटाबोलिक प्रोसेस है जहां हमारी एनर्जी काम करने से यूज़ हो जाती है. नींद आपकी बॉडी को आराम दे कर फिर से तरोताज़ा कर देता है,उसमें नयी एनर्जी भर देता है.

 

एक अच्छी और पूरी नींद आपके इम्यून सिस्टम को । मज़बूत बनाती है, आपके मेटाबोलिज्म को और बेहतर बनाती है जिसकी वजह से आपमें ज्यादा एनर्जी होती है.रात को अच्छी नींद आने से आपका ब्रेन बहुत शांत महसूस करता है, आपके बॉडी में हॉर्मोन का लेवल भी बैलेंस में रहता है. अगर आप एक स्वस्थ शरीर और दिमाग चाहते हैं तो ये सब आपको गहरी नींद के बिना कभी नहीं मिल सकता.

 

आज हम जिस दुनिया में रह रहे हैं, नींद के बारे में तो हम जैसे बिलकुल भूल ही चुके हैं. बस सब यही मान के बैठे हैं कि जितना ज्यादा काम और मेहनतकरेंगे उतनी ज्यादा सफलता मिलेगी. अब तो जैसे ये सोच हीहो गई है किमरने के बाद ही कोईचैन की नींद सो सकता है.

 

ये बिलकुल सच है कि सफलता पाने के लिए मेहनत करना और लगातार अपने काम में लगे रहना बहुत ज़रूरी है.लेकिन अगर ठन्डे दिमाग सेकाम किया जाए तो गलतियां भी कम होंगी और काम भी जल्दी पूरा हो जाएगा, अब बताइए ये बुद्धिमानी नहीं है क्या? सोचिये अगर आप नींद पूरी नहीं करेंगे तो क्या आपका काम खराब नहीं होगा? रिसर्च में ये पता चला है कि अगर आप एक पूरा दिन नींद पूरी किये बिना काम करते हैं तो आपके ब्रेन में 6% कम ग्लूकोस पहुंचता है जिसके कारण हमारा दिमाग बहुत थक जाता है क्योंकि उसे तो उसका पूरा खाना मिला ही नहीं. धीरे धीरे ये आपके दिमाग को कमज़ोर कर देता है. ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन ऐसा आएगा कि आपको बातें ठीक से समझ में आना बंद हो जाएंगी.

 

यही कारण है कि जब आप नींद पूरी नहीं करते तो आपको ज्यादा मीठा खाने की इच्छा होती है. इसलिए आपका मन डोनट, कूकीज और चॉकलेट खाने का करता है क्योंकि ब्रेन ये सिग्नल दे रहा है कि उसे शुगर की ज़रुरत एक और मज़े की बात सुनिए.जबआप कम सोते हैं तो हमारे ब्रेन का जो हिस्सा हमें सोचने समझने में मदद करता है, सबसे ज्यादा उसी हिस्से को नुक्सान पहुंचता है.

 

इसलिए आधी रात के बाद लोग बेवकूफों जैसा व्यवहार करते हैं. क्या ये आपके साथ कभी हुआ है? कम सोने की वजह से आपका दिमाग थक जाता है, सही और गलत के बीच फर्क नहीं कर पाता और इसलिए सही फैसले नहीं ले पाता है. इसलिए सुबह जब आपका माइंड आराम कर के फ्रेश होता है तब आप वो बेवकूफियां नहीं करते हैं.

 

जैसा कि हमने ऊपर पढ़ा कि नींद एक नेचुरल प्रोसेस है जो शरीर को आराम देने के लिए बनाया गया है तो ये मत सोचिये कि इसकी वजह से आपको काम बीच में बंद करना पड़ता है. आपके शरीर और दिमाग के लिए नींद बहुत ज़रूरी है, इस दौरान बॉडी के अन्दर बहुत से नेचुरल प्रोसेस अपना काम करते हैं.नींद पूरी ना होने से आप ठीक से काम कर ही नहीं पाएँगे. आप कोशिश करते रहेंगे पर गलतियां भी उतनी ही ज्यादा होंगी जिससे काम ख़तम होने में और ज्यादा समय लगेगा. रिसर्च में पता चला है कि जो लोग कम नींद लेते हैं उन्हें अपना काम ख़तम करने में 14% ज्यादा समय लगता है और वो 20% ज्यादा गलतियां करते हैं.

 

नींद पूरी करने के लिए समय निकालना सीखिए तब आपको समझ में आएगा कि आपकी गलतियां कितनी कम हो गयी हैं और इसकी वजह से आप कितनी ज्यादा सफलता हासिल कर सकते हैं.जब आपका दिमाग थका हुआ हो तो आपका काम कभी ठीक नहीं हो सकता. तो यहाँ नींद के लिए एक पॉवर टिप सुनिए. अगर आपको किसी बड़े प्रोजेक्ट या एग्जाम के लिए तैयारी करनी है तो अपने कैलेंडर में उस तारीख को नोट कर लीजिये और उसके हिसाब से समय को इस तरह बांटिये कि आपके पास नींद पूरी करने का समय भी हो. याद रखिये ये समय की बर्बादी नहीं है, ये आपके दिमाग को तेज़ रखने का बस एक तरीका है. ये आपके प्रोजेक्ट या एग्जाम की तैयारी का एक अहम् हिस्सा है.

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गेट मोर सनलाइट ड्यरिंग डे (GET MORE SUNLIGHT DURING THE DAY)

क्या आपने “सिरकाडियन टाइमिंग सिस्टम” (circadian timing system) के बारे में सुना है? आसान शब्दों में ये हमारे बॉडी का नेचुरल क्लॉक है जो 24 घंटे काम करता रहता है. अगर आपके शरीर को दिन में सही मात्रा में धूप मिलती है तो उसे पता चल जाता है कि कब सोना है. धूप मिलने से नींद बहुत अच्छी और गहरी आती है.

 

ये घडी हमारे ब्रेन के हाइपोथैलेमस ग्लैंड में होता है. नसों का एक ग्रुप है जो धूप को पहचान सकता है और महसूस कर सकता है जिससे आपके शरीर को पता चल जाता है कि उसे कब सोना है.धूप में जाने से हाइपोथैलेमस पूरी बॉडी को सिग्नल देता है कि अभी उसे जगे रहना है और काम करना है. अगर आपको दिन में ठीक से धूप ना। मिले या आप रात को ज्यादा रौशनी में रहते हैं तो ये ग्लैंड कंफ्यूज हो जाता है. तब नींद आने में बहुत दिक्कत होती है.

 

लेकिन अगर आप का काम एक जगह ऑफिस के अन्दर बैठ कर करने का है तो आप क्या करेंगे? रिसर्च से ये पता चला है कि ऑफिस में काम करने वाले लोगों को ठीक से धूप नहीं मिलने की वजह से आमतौर पर उन्हें। घंटा कम नींद आती है. इसलिए उनके बीमार पड़ने का ख़तरा बढ़ जाता है, उनमें कम एनर्जी होती है और नींद आने में समस्या होने लगती है.

 

अगर आप भी ऑफिस में एक जगह बैठ कर काम करते हैं तो कोई ना कोई तरीका सोचिये जिससे आपको ठीक से धूप मिल सके, ये आपको ज्यादा खुशमिजाज़ बनाएगी और आप कम गलतियां करके ज्यादा काम कर पाएँगे. तो यहाँ धूप सेकने का एक पावर टिप ये है कि सुबहऑफिस जाने से पहले 6-8 बजे के बीच धूप में सैर कीजिये या बैठ जाइये. इस समय की धूप शरीर को बहुत फायदा पहुंचाती है क्योंकि सुबह की धूप में ज्यादा गर्मी नहीं होती. सुबह30 मिनटकीधूप भी शरीर के लिए काफी होता है.

 

तो टिप नंबर 2 है कि अगर ऑफिस में आप जहाँ बैठते हैं वहाँ धूप नहींआती तो ब्रेक के समय ऑफिस से बाहर निकल कर धूप का आनंद लीजिये. या आप किसी खिड़की के पास जा सकते हैं या अपना लंच बाहर कर सकते हैं. ये 15 मिनट की धूप भी आपके शरीर को बहुत सारे नुकसानों से बचाएगी. आपकी स्किन पहले से अच्छी होगी और हॉर्मोन भी बेहतर काम करने लगेगा.

 

अवॉयड स्क्रीन्स बिफोर बेडटाइम (AVOID THE SCREENS BEFORE BEDTIME)

अब हम बात करेंगे आपके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से निकलने वाली आर्टिफीसियल ब्लू लाइट के बारे में क्या आप जानते हैं कि ये लाइट आपकी बॉडी परकितना खराब असर डालता है? इसकी वजह सेकोर्टिसोल हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है.जब हम तनाव में होते हैं तो कोर्टिसोलहमें उसे झेलने में मदद करता है लेकिन अगर ये ज्यादा हो गया तो नींद भी खराब कर देता है.

 

रिसर्च करने से ये पता चला कि अगर 2 घंटे ipad को ज्यादा ब्राइटनेस के साथ इस्तेमाल किया जाए तो रात को हमारे शरीर में बनने वाला हॉर्मोन मेलाटोनिन कम बनने लगता है. मेलाटोनिन वो हॉर्मोन है जो हमें यंग और एक्टिव रखता है. बच्चों के शरीर में ये ज्यादा बनता है, बड़ों में थोडा कम हो जाता है. इसलिए अगर आप नींद पूरी करते हैं तो जितना मेलाटोनिन ज़रूरी है उतना हमारे शरीर में बनेगा जिसकी वजाह से आप अपनी उम्र से छोटे लगेंगे और तेज़ और फुर्तीले भी रहेंगे.

 

हॉर्मोन लेवल बिगाड़ने के अलावा आपकेस्मार्टफ़ोन, टीवी और लैपटॉप से निकलने वाली ब्लू लाइट आपकी बॉडी के नेचुरल क्लॉक को भी खराब कर देती है. अगर आप हर रोज़ सोने से पहले इन गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं तो समय के साथ आपको नींद ना आने की बिमारी और दूसरी बीमारियाँ भी हो सकती हैं.

 

आज की मॉडर्न टेक्नोलॉजी सच में कमाल की है लेकिन हमें अपने शरीर को आराम देने की बात पर अब ज्यादा ध्यान देना होगा.इससे खुद को बचाने का एक पॉवर टिप ये है कि सोने से 90 मिनट पहले सारे गैजेट्स को यूज़ करना बंद कर दीजिये. खासकरवो लोग जिन्हें नींद आने में दिक्कत होती है, उन्हेंतोये टिपज़रूर ट्राय करना चाहिए.

 

दूसरा टिप ये है कि गैजेट्स के इस्तेमाल के अलावा कुछ और करने की आदत डालिए जैसे बुक्स पढना या किसी अपने से बात करना. हाँ आप अपने स्मार्टफ़ोन के बिना नहीं रह सकते लेकिन बुक्स पढना एक बहुत कमाल की आदत है. बुक्सहमेंजानकारी देती है, हमारी नॉलेज बढ़ाती है, हमेंकईअच्छी कहानियां पढने को मिलती हैं और उनमें से कुछ हमें इंस्पायर भी करती है.

 

कभी कभी हमें ऐसे विचारों के बारे में पढने को मिलता है जिन्हें सुन कर हम और बेहतर इंसान बन जाते हैं तो अब समझे,यूहीं नही कहते कि बुक्स हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती है.

 

किसी अपने के साथ बैठ कर बात करने का मुकाबला तो कुछ भी नहीं कर सकता. सोने से पहले अपने बच्चों, अपने पेरेंट्स, अपने पति या पत्नी या अपने पार्टनर से ज़रूर बातें करें. उनसेपूछिए कि उनका दिन कैसा बीता, उन्हें क्या खुश करता है, वो किसी बात से परेशान तो नहीं है ना. आपके ऐसा करने से वो भी आपसे ये सब पूछेगे जिससे आपको बहुत अच्छा और हल्का महसूस होगा. इससे सिर्फ आपकी नींद अच्छी नहीं होगी बल्कि आपके रिश्तों में भी पहले से ज्यादा मिठास होगी.

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हैव कैफीन कर्फ्यू (HAVE A CAFFEINE CURFEW)

कैफीन आपके नर्वस सिस्टम को बहुत एक्टिव कर देता है, ऐसा लगता है जैसे कि अन्दर क्रिसमस ट्री सजी हो जिसपर बहुत सारे बल्ब लगें हैं और उस में से रौशनी ही रौशनी निकल रही है. इसलिए आपको सोने से पहले कॉफ़ी बिलकुल नहीं पीना चाहिए.

 

लोगों को कॉफ़ी बहुत पसंद है लेकिन हमें इसे अंधाधुन नहीं पीना चाहिए. आपकोकॉफ़ीपर कयूं लगाने की आदत डालनी होगी मतलब आखरी बार कॉफ़ी आप सोने से 6 घंटे पहले पी सकते है बस, उसके बाद नहीं. वायने स्टेट यूनिवर्सिटी (Wayne State University) में किये गए एक स्टडी ने इसे साबित किया है. इस स्टडी में लोगों के तीन ग्रुप बनाये गए : एक ग्रुप को सोने से ठीक पहले कॉफ़ी पीना था, एक को सोने से 3 घंटे पहले और एक को सोने से 6 घंटे पहले.उन्हें एक डायरी में अपने नींद आने का समय नोट करने के लिए कहा गया.

 

इसका रिजल्ट ये था कि तीनों ग्रुप के लोगों को नींद आने में दिक्कत हुई. सोने से ठीक पहले कॉफ़ी पीने वालों का हाल सबसे बुरा था. इसमें ये भी पता चला कि काम ख़त्म हो जाने के बाद भी कॉफ़ी नहीं पीने चाहिए. 6 घंटे पहले कॉफ़ी पीने वालों की नींद पहले से 1 घंटे कम हो गई थी. क्या आप जानते हैं कि कॉफ़ी पीने के बाद कैफीन आपके शरीर में 8 घंटे तक रहता है? चलिए मान लेते हैं आपने 200 mg कॉफ़ी पी, 8 घंटों के बाद भी आपके शरीर में 100 mg कॉफ़ी होती है, उसके 8 घंटे बाद 50 mg होगी. अगर सच में आपको कॉफ़ी बहुत पसंद है तब तो आप रोज़ एक कप से ज्यादा ही पीते होंगे. तोअब आपको समझ में आ रहा होगा कि आपको नींद आने में कितनी मुश्किल होने वाली है.

 

पूरे दिन काम करने से हमारा ब्रेन थक जाता है औरएक केमिकल जिसका नाम adenosine है वो बनाता है. इस केमिकल की वजह से हम थकान महसूस करते हैं. अगर इसका लेवल ज्यादा हो जाता है तो ये बॉडी का सिग्नल है कि अब हमें सोने की ज़रुरत है.

 

अब अगर आप कॉफ़ी पी लेते हैं तो कैफीन नींद नहीं आने देता जबकि adenosine की वजह से थकान होती है. पर कैफीन की वजह से आपको समझ में ही नहीं आता की आपको सोने की ज़रुरत है. आप बस काम करते चले जाते हैं और इससे स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता जिसकी वजह से आपका शरीर खराब होने लगता है.

 

कैफीन से बचने के लिए पॉवर टिप नंबर हैकि दिनमें2 बजे तक ही आप कॉफ़ी पी सकते हैं, उसके बाद बिलकुल नहीं. टिप नंबर 2 – हफ्ते में 3 दिन बिलकुल कॉफ़ी मत पीजिये. ऐसा करने से आपके बॉडी में जमा कैफीन निकल जाएगा. अगर आपको नींद ना आने की बिमारी है तो आपको कॉफ़ी बिलकुल नहीं पीना चाहिए.

 

बी कूल (Be Cool)

क्या आपने देखा है कि ज्यादा गर्मी लगने पर हमें नींद नहीं आती, है ना? गर्मी के मौसम मंफ़ बेड पर कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ आप भी मुड़ते ही होंगे. सोने के समय अपने आप हमारे शरीर का टेम्परेचर नीचे आ जाता है. ऐसा इसलिए होता कि नींद आने के लिए शरीर में गर्मी कम होनी चाहिए. लेकिन जिस कमरे में आप सो रहे हैं अगर वो गरम हुआ तो भी आपको नींद नहीं आएगी.

 

एक्सपर्ट्स का मानना है कि सोने के लिए रूम का टेम्परेचर 68 डिग्री फ़ारेनहाइट (Fahrenheit) सबसे सटीक होता है. अगर टेम्परेचर इससे ज्यादा हुआ तो आप सो नहीं पाएंगे. एक्सपर्ट्स ये भी कहते हैं कि जिन लोगों को नींद ना आने की बिमारी होती है उनके शरीर का टेम्परेचर ज्यादा बढ़ा हुआ होता है जिसकी वजह से उन्हें नींद नहीं आती.

आप सोच रहे होंगे कि इसे कैसे बदला जा सकता है. अच्छी नींद के लिए कैसे टेम्परेचर सही डिग्री पर रखा जाए.

तो इसके लिए टिप नंबर 1 है- अपने कमरे का टेम्परेचर 68 डिग्री करने की कोशिश कीजिये.

 

अगर फिर भी आपको नींद नहीं आती तो टिप नंबर 2 है – सोने से 1घंटे पहले हलके गर्म पानी से नहा लीजिये, इससे आपके बॉडी का टेम्परेचर नीचे आ जाएगा. जिन बच्चों में बहुत ज्यादा एनर्जी होती है उनके पेरेंट्स इस ट्रिक के बारे में बहुत अच्छे से जानते हैं.

 

टिप नंबर 3 है – सॉक्स या मोज़े पहन कर सोना चाहिए. अगर आपका कमरा ज्यादा ठंडा है तो आपके हाथ और पैर की उंगलियाँ आपके शरीर के मुकाबले ज्यादा ठंडी होंगी. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वहाँ ब्लड सबसे लास्ट में पहुंचता है. इसलिए अगर आप सॉक्स पहन कर सोएंगे तो आपकी उंगलियाँ गर्म हो जाएंगी, इससेआपको ज्यादा आराम मिलेगा और अच्छी नींद आएगी.

 

गेट टू बेड ऐट राईट टाइम (GET TO BED AT THE RIGHT TIME)

स्टॉकमार्केट के बिज़नस में स्टॉक खरीदने और बेचने का एक सही समय होता है. वैसे ही, जितनी देर हम सोते हैं उसमे से कुछ समय ऐसा होता है जब शरीरमें ज़रूरी होरमोंस बनते हैं. ये समय होता है रात 10 से 2 बजे तक. ऑथर इसे “मनी टाइम” कहते हैं.

 

एक्जाम्पल के लिए अगर आप रात को 1 बजे सोने जाते हैं और सुबह 9 बजे उठते हैं तो आप कहेंगे कि हमने 8 घंटे की नींद पूरी कर ली. पर आप ये नहीं समझते कि आपने वो “मनी टाइम” मिस कर दिया जिसमें ज़रूरी होरमोंस बनते हैं.

 

कुछ होरमोंसजोआपको पूरे नहीं मिलते वो मेलाटोनिन और ग्रोथ हॉर्मोन है. ये हमारे शरीर को यंग और एक्टिव रखने में मदद करते हैं. इसलिए 8 घंटे के नींद के बावजूद भी आप थकान महसूस करते हैं.

 

हमारे बॉडी क्लॉक में ऐसा समय भी होता है जिसे “सेकंड विंड” कहा जाता है.सेकंड विंड वो समय होता है जब हमारे शरीर में कुछ केमिकल्स बनते हैं जिसकी वजह से कुछ समय के लिए हमारी नींद उड़ जाती है. एक्जाम्पल के लिए, आप काम करके शाम 7 बजे आते हैं, आप बहुत थका हुआ महसूस करते हैं. खाना कखा कर आप परिवार के साथ टीवी देखने बैठ जाते हैं. अब अगर 10 बजे के बाद भी आप जगे रहते हैं तो आप”सेकंड विंड” महसूस करेंगे. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका शरीर मेलाटोनिन और एंटीऑक्सिडेंट्स बनाने लगता है जिसकी वजह से आप फ्रेश और एनेर्गेटिक महसूस करते हैं.

 

अब आप सोने की बजाय इस एक्स्ट्रा एनर्जी को फेसबुक, ट्विटर और नेटफ्लिक्स देखने में लगा देते हैं. इसके बाद तो आपको नींद बहुत मुश्किल से आएगी.

 

जब तक सेकंड विंड शुरू होता है तब तक तो आपको सो जाना चाहिए. लेकिन अगर आप सोने की बजाय गैजेट्स यूज़ करेंगेऔर 1 बजे सोएंगे तो कितना भी सो लीजिये आप सुबह थका हुआ ही महसूस करेंगे क्योंकि आपको उस मनी टाइम का फायदा तो हुआ ही नहीं.

 

तो इसके लिए टिप नंबर 1 है – कोशिश कीजिये कि आप रात 10 बजे सो कर सुबह 5:30 तक उठ जाएं. इससे आपको रात को बनने वालेहोरमोंस से फायदा मिलेगाऔर नींद की ये साइकिल पूरी हो जाएगी. नींद के 3 स्टेज होते हैं –

पहला डीप स्लीप मतलब गहरी नींद.

दूसरा नॉन- रेम या अलर्ट स्टेज जिसमें मेटाबोलिक सिस्टम, सांस लेने की स्पीड और हार्ट रेट धीरे हो जाते हैं. इस स्टेज पर सपने नहीं आते.

तीसरा स्टेज है रेम स्टेज या ड्रीमिंग स्टेज जिसमें हमें सपने आते हैं. हर स्टेज 90 मिनट्स का होता है और हमारी नींद के दौरान ये साइकिल दो बार रिपीट होता है. अगर आपका अलार्म आपको सुबह 5:30 बजे जगाता है तो आप 2 स्लीप साइकिल पूरे कर लेते हैं, किसी भी स्टेज में कोई बाधा नहीं होती और आप सुबह तरोताजा महसूस करते हैं.

 

टिप नंबर 2 है – जितनी जल्दी हो सके सुबह की धूप का फायदा उठाइए. धूप आपकी स्किन में कोर्टिसोल लेवल को बढ़ा देता है जिससे आप पूरी तरह से जाग जाते हैंऔर आपमें पूरा दिन काम करने की फूर्ती भी आ जाती हैं.

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रब एंटीस्ट्रेसमिनरलइन्टू योर स्किन ईच डे (RUB THE “ANTI-STRESS” MINERAL INTO YOUR SKIN EACH DAY)

हम जिस एंटी स्ट्रेस मिनरल की बात करने जा रहे है वो मैग्नीशियम है. शायद आपको पता ना हो कि मैग्नीशियम हमारे शरीर के लिए कितना फायदेमंद है. ये ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करता है, ब्लड प्रेशर और शुगर को कण्ट्रोल करने में मदद करता है. कहींभी दर्द हो या किसी muscle में तकलीफ हो तो ये वहाँ आराम पहुंचाने का काम करता है.

 

डॉक्टर्स का कहना है कि हमारे ब्रेन, मसल्स और हड्डियों में होने वाले अलग अलग तरह के 300 केमिकल रिएक्शन मैग्नीशियम की मदद से होते हैं. येखाने को ब्रेक करके एनर्जी में बदलने में सेल्स की मदद करता है और हमारे नर्वस सिस्टम को शांत और ठंडा रखता है. इसलिए मैग्नीशियम एक स्वस्थ शरीर और लम्बे जीवन के लिए बहुत ज़रूरी होता है.

 

मगर ज़्यादातर लोगों को मैग्नीशियम पूरी तरह नहीं मिल पाता. क्या आपको पता है अमेरिका में 80% लोगों में मैग्नीशियम की कमी है. रिसर्च में ये बात सामने आई है कि इसकी कमी से नींद ना आने की बहुत गंभीर बिमारी होती है. इसलिए अगर आप चैन की नींद सोना चाहते हैं और तनाव को दूर रखना चाते हैं तो आपके शरीर में ज्यादा मैग्नीशियम होना चाहिए.

 

मैग्नीशियम आपको फलों और सब्जियों से मिलता है या आप डॉक्टर से पूछ कर मैग्नीशियम टेबलेट भी ले सकते हैं. पर एक और असरदार तरीका है इस एंटी स्ट्रेस मिनरल के फायदे लेने का. क्या आपने “एप्सम सॉल्ट” (epsom salt) के बारे में सुना है? ये नमक जैसा ही होता है. ये मैग्नीशियम, सल्फर और ऑक्सीजन मिल कर बनता है.इसे अगर आप पानी में डाल कर नहाते हैं तो ये तनावकम करता है, दर्द को मिटाने में मदद करता है और इससे बहुत अच्छी नींद आती है.

 

आजकल मैग्नीशियम आयल भी मिलने लगा है. इस बुक के ऑथर शॉन स्टीवेंसन रोज़ रात को इसे पूरी बॉडी में लगा कर मालिश करते हैं जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा अच्छी नींद आती है. हमारे डाइजेशन प्रोसेसमेंकुछ मैग्नीशियमनष्ट हो जाता है. इसलिए इससे मालिश करना एक असरदार तरीका है क्योंकि आपकी स्किन से ये शरीर के अन्दर चला जाता है. तो इसका पॉवर टिप नंबर] है – अपने गले और कन्धों पर मैग्नीशियम आयल से मालिश कीजिये. अगर कहीं आप दर्द महसूस कर रहे हों तो वहाँ भी इसे लगा सकते हैं. टिप नंबर 2है-हरी सब्जियां ज्यादा खाइए. ये आपको स्पिरुलिना, तिल केबीज (sesame seeds) और कद्दू के बीज (pumpkin seeds) में भी मिलता है.

 

क्रिएट स्लीप सैंक्चुअरी (CREATE A SLEEP SANCTUARY)

आपका बेडरूम आराम करने और सोने के लिए होता है, इसलिए अपने गैजेट्स लाकर इसे एंटरटेनमेंट एरिया मत बनाइये. अपना ऑफिस का काम भी बेडरूम में मत कीजिये. ये सब एक अच्छी नींद में बाधा डालते हैं. हम बच्चों को ये सिखाते हैं कि बेडरूम में जाने का मतलब होता है कि सोने का समय हो गया है. हम उन्हें ब्रश करने और आरामदायक कपडे जैसे नाईट सूट या पजामा पहनने के लिए कहते हैं. यही बात हमें खुद को याद दिलाने की ज़रुरत है कि बेडरूम सिर्फ आराम करने लिए होता है काम करने, पढने या खेलने के लिए नहीं.

 

जब हम सैंक्चुअरी (sanctuary) का नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में क्या आता है? एक गार्डन या खुली जगह है जहां ताज़ा हवा है, पेड़ पौधे लगे हुए हैं. ऐसी जगह जहां बहुत शान्ति है. सबसेअच्छीबात तो ये है कि आप अपने बेडरूम को बिलकुल ऐसा बना सकते हैं. सबसे पहले तो रूम में ताज़ी हवा का सर्कुलेशनहोनाबहुत ज़रूरी है. इससे सिर्फ आपको ऑक्सीजन नहीं मिलता बल्कि ऐसे आयन पार्टिकल्स (ion particles) भी मिलते हैं जो शरीर के लिए बहुत अच्छे होते हैं. इसके लिए आप खिडकियों को खोल सकते हैं या फैन का इस्तेमाल कर सकते हैं. ताज़ी और ठंडी हवा में शरीर बहुत हल्का महसूस करता है.

 

अब बात करते हैं नेगेटिव आयन पार्टिकल्स के बारे में. ये अच्छे पार्टिकल्सहोते हैं जो पहाड़ों, समद्र, नदियों और झरनों के पास ज्यादा होते हैं. इनमें शरीर को आराम पहुंचानेऔर बीमारियों के ठीक करने की ताकत होती है क्योंकि ये हवा में से डस्ट, गन्दगी, बदबू, बैक्टीरिया और वायरस को मिटाने का काम करतेहैं. आप”एयर आइयोनाइज़र” खरीद कर रूम में रख सकते हैं.

 

अगर आपके रूम में खिड़की नहीं है तो आप एयर हुमिडि फायर लगा सकते हैं. इसका काम होता है रूम में हुमिडिट मतलब नमी को बना कर रखना ताकि आपकी स्किन ज्यादा ड्राई ना हो जाए. आप इसमें अपनी पसंद की खुसबू का इस्तेमाल कर सकते हैं. हवा में नमी और खुसबू से आपको बेहतर नींद आएगी.

 

कुछ लोगों को बहते हुए पानी की आवाज़ बहुत सुकून देती है तो आप एक छोटा फाउंटेन या वॉटरफॉल अपने कमरे में लगा सकते हैं. आप घरों में लगाने वाले पौधे जैसे इंग्लिश आइवी, snake प्लांटया जैस्मिन लगा सकते हैं.इन्हेंज्यादा संभालने की ज़रुरत नहीं पड़ती ना इसमें ज्यादा खर्चा होता है मगर ये आपके रूम में हवा की क्वालिटी को बहुत अच्छा कर देते हैं. आप इनमें से कुछ भी इस्तेमाल कर सकते हैं, ये आपकी मर्जी है. ज्यादा ज़रूरी ये है कि आपका कमरा ऐसा हो जहां आपको शान्ति और आराम महसूस हो.

 

गेट इटब्लैक्ड आउट (Get it Blacked Out) एक सच ये भी है कि लाइट बंद कर के सोने से नींद ज्यादा अच्छी आती है और इसका कारण है कि आपकी स्किन लाइट को पहचान लेती है इसलिए अगर आप आँखों को ढक कर भी सोते हैं तब भी आपको लाइट की वजह से नींद नहीं आएगी.आँखों में रेटिना की तरह, हमारी स्किन में भी फोटो रिसेप्टर और लाइट सेंसिटिव केमिकल होता है जो लाइट को महसूस कर सकता है.

 

इसलिए सोते समय कमरे में कम रौशनी होनी चाहिए. पुराने समय के लोगों के बारे में सोचिये, उनके पास ये बल्ब और ट्यूबलाइट नहीं होते थे इसलिए उनके शरीर का क्लॉक बिलकुल नेचर के हिसाब से काम करता था. वो समझ जाते थे कि जब सूरज उगता है तो उठने और काम करने का समय हो जाता है और उसके ढलने पर आराम और नींद का समय होता है.

 

मगर आज इस मॉडर्न समय में हर जगह इंसानों द्वारा बनाई गई आर्टिफीसियल लाइट है जिसकी वजह से जितनी नींद हमें लेनी चाहिए उतनी हम लेते नहीं हैं. तो इसका उपाय ये है कि सोने के समय बेडरूम में बिलकुल लाइट नहीं होनी चाहिए आप कमरे में परदे भी लगा सकते हैं ताकि स्ट्रीट लैंप या गाड़ियों की लाइट से आपकी नींद खराब ना हो.सोचिये आपको कितनी अच्छी और चैन की नींद आएगी अगर आपके कमरे में अँधेरा होगा, शान्ति होगी और कमरा हल्का सा ठंडा होगा तो. ऐसा लगेगा जैसे आप छुट्टियां मनाने आये हैं और होटल के कमरे में शान्ति से सो रहे हैं. आप देखिएगा आप सुबह कितना हल्का और तरोताज़ा महसूस करेंगे.

 

तो इसके लिए टिप नंबर 1 है – आपके अलार्म घडी से भी रौशनी निकलती है तो उसे आप टॉवेल से ढक सकते हैं. टिप नंबर 2- अपने कमरे में बिलकुल रौशनी मत आने दीजिये. चेक कीजिये कि परदे ठीक से लगे हैं या नहीं. कोशिश कीजिये कि सुबह सूरज उगने के बाद भी आपके कमरे में रौशनी कम हो.

 

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ट्रेन हार्ड बट स्मार्ट (TRAIN HARD BUT SMART)

नींद और एक्सरसाइज का एक दूसरे से गहरा रिश्ता हैमानो दोनों साथ साथ चलते हैं. वो बिलकुल पीनट बटर और जेली की जोड़ी की तरह हैं. जब आप एक्सरसाइज करते हैं तो आपके मसल्स थक जाते हैं. देखा जाए तो जो बदलाव आप अपने शरीर में चाहते हैं वो आपके नींद में भी बदलाव करता है. थकान की वजह से आपको उन सब चीज़ों का फायदा होता है जो सिर्फ नींद आने के बाद ही होती हैं जैसे गहरी नींद में हमारे शरीर में बनने वाले होर्मोन्स और शरीर का खुद को रिपेयर करने का काम. एक्सरसाइज करने का सबसे अच्छा समय होता है सुबह सुबह. इसी की वजह से आपको बहुत अच्छी नींद आएगी. शाम को एक्सरसाइज करना ज्यादा फायदेमंद नहीं होता क्योंकि ये दिन भर काम करके थक चुके मसल्स को और भी ज्यादा थका देता है और एक्सरसाइज करने के 6 घंटे बाद जाकर आपके शरीर का टेम्परेचर कम होता है जो आपकी नींद डिस्टर्ब कर सकता है.

 

बस 30 मिनट कुछ बेसिक एक्सरसाइज जैसे पुश-अप, सिट-अप और लंजेस करना भी काफी होता है.

 

एक्सरसाइज के वक़्त अगर आपको धूप भी मिल जाए तो बहुत बढ़िया होता है. इससे आपके शरीर और दिमाग दोनों को बहुत सारे फायदे होंगे. Conclusion मे आपने सीखा कि नींद हमारे लिए कितना ज़रूरी है. आपने बहुत सारे ऐसे टिप्स के बारे में जाना जो आपको एक अच्छी और गहरी नींद सोने में मदद कर सकते हैं. अगर आपको नींद आने में दिक्कत होती है तो मैं आशा करता हूँ कि आपइन टिप्स का इस्तेमाल करके अपने जीवन में बदलाव लायेंगे.

 

नींद का मतलब सिर्फ सोना नहीं होताहै. अगर आप ठीक से नींद पूरी करते हैं तो सुबह कम गलतियां करके जल्दी अपना काम ख़तम कर पाएँगे. आप ज्यादा स्वस्थ और खुश होंगे.इस तरह की थकान दूर करने वाली भरपूरनींद आपको सफलता के और पास ले जाएगी. पर ये तो तब होगा जब आप इसके बारे में गहराई से सोच कर इसे बदलने की कोशिश करेंगे.

 

आखिर में -हमें सोचने की ज़रुरत है कि हमें अपनेगैजेट्स सेइतना लगाव है कि हम उसे समय समय पर चार्ज करते रहते हैं, काम पूरा हो जाने पर बंद कर देते हैं. पर इस शरीर का क्या? ये जो गैजेट आपकोमिला है क्याउसे आराम देने की और चार्ज करने की ज़रुरत नहीं है? इसे चार्ज करने के लिए आपके पास समय क्यों नहीं है? इस बारे में सोचियेगा ज़रूर.

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