ये सबक आप को क्यूँ पढ़ने चाहिए?
क्या आप अपनी ज़िन्दगी में बदलाव चाहते हैं लेकिन अपने कमिटमेंट्स पर कायम रहना आपके लिए मुश्किल है? क्या आपको ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी की ताश का हर पत्ता आपके खिलाफ है? अगर इन सवालों का जवाब हाँ है तो आपको इस किताब को जरुर पढना चहिये क्यूंकि इसमें लिखी बातों को पढ़ कर आप जानेंगे की कैसे सकारात्मक फैसले लेने से आप एक बेहतर जिंदगी जी सकते है. अपनी रोचक, सरल और दिचस्प बातों से लेखक टोंनी रॉबिन्स ने कहा है कि कैसे हम खुद पर कण्ट्रोल कर जीवन को एक नयी दिशा दे सकते हैं और अंततः अपने जीवन को खुशियों से भर सकते हैं.
– कैसे गानें गुनगुना कर आप चोकलेट खाने की अदात से छुटकारा पा सकते हैं.
– किसी से बात करते समय आप अपनी सिचुएशन को दर्शाने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं वो जीवन के प्रति आपके नज़रिए को कैसे दर्शाते हैं.
– इन सबक को पढ़ कर आपको पता चलेगा की कैसे बस डिनर टेबल पर अपनी आदतों को बदल कर आप समाज में एक बड़ा बदलाव लाने की शुरुयात कर सकते हैं.
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अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए सही फैसले लें और उस पर कायम भी रहें.
Awaken The Giant Within Book Summary in Hindi- क्या आपको याद है की आखरी बार अपने कब खुद से कोई वादा किया था? वो सिगरेट छोड़ने का या वजन कम करने के लिए डाइट पर जाने का न्यू इयर रेसोल्युशन तो आपको याद ही होगा? पर क्या आप ये बता सकते हैं की आपने उसको कितनी ही बार फॉलो किया? नहीं किया ना सारी समस्याओं की जड़ ही यही है कि हमारा मन किसी चीज को आसानी से नहीं छोड़ता, तो क्यूँ न हम खुद से कुछ छोड़ने की जगह कुछ करने का वादा करें. उदहारण के तौर पे लेखक कहते हैं की आप खुद को जंक फूड न खाने के बजाये बस हेल्थी खाना खाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, यकीन मानिये ये आसान होगा आपके लिए.
जीवन में बदलाव लाने के लिए सबसे जरुरी है की हम अपने फैसले पे कायम रहें फिर चाहे उसमें कितनी ही परेशानियाँ क्यूँ ना आये. उदहारण के तौर पर आप सोचिरो हौंडा (Soichiro Honda) को ले सकते हैं, अपने स्कूल के दिनों से ही उनका सपना था की वो ऑटोमोबाइल के लिए एक पिस्टन रिंग का अविष्कार करेंगे. आख़िरकार उन्होंने अपने सपने को हासिल कर लिया हालांकि उनके रास्ते में बहुत सी ऐसी कठिनाईयां आई जो की उनका रास्ता रोक सकती थीं. जैसे की एक रुकावट ये थी की वर्ल्ड वार २ के समय जापानीज सरकार ने उन्हें फैक्ट्रीज के निर्माण के लिए कंक्रीट देने से मना कर दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी उन्होंने कंक्रीट बनाने का नया तरीका खोज निकाला, अपने इन्ही दृढ़ फैसलों के कारन हौंडा ने आज इतना बड़ा एम्पायर खड़ा कर लिया.
तो आप भी अपने फैसलों पे अटल रह कर अपने जीवन में सुखद बदलाव ला सकते हैं. शुरू में ये थोडा मुश्किल जरुर होगा लेकिन जब आप एक बार अमल करना शुरू कर देंगे तो सब अपने आप आसान लगने लगेगा. जैसे की किसी स्मोकर को पहली बार में सिगरेट छोड़ना थोडा मुश्किल लगे, पर अपनी हर हार से सबक ले कर आगर वो अपने फैसले पर अड़ा रहे तो जरुर सिगररेट छोड़ सकता हैं.
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किसी भी नयी आदत को अपने रोज़ मर्रा की ज़िन्दगी में शामिल करने के लिए उसे किसी न किसी अच्छे अनुभव से जरुर जोडें.
Awaken The Giant Within Book Summary in Hindi- लेखक कहते हैं की ये हम सबको पता होता है कि बदलाव के लिए किस रास्ते पे चलना है पर कई बार दृढ़ निश्चय और प्रयासों के बावजूद भी अपनी पुरानी आदतों को बदलना बड़ा कठिन हो जाता
ऐसा इसलिए क्यूंकि हम जो भी करते हैं हमारा दिमाग उसे अच्छे या बुरे अनुभव के साथ जोड़ कर याद रखता है, तो इस बात का फायदा उठा कर हम किसी भी बुरी आदत को बुरे अनुभव के साथ जोड़ कर उसे बदल सकते हैं. उदहारण स्वरुप अगर आपको अपनी चोकलेट खाने की आदत को बदलना हैं, तो आप ये तय करें की जब भी आप चोकलेट खाएँगे आपको एक बेसुरा सा गाना गाना पड़ेगा, फिर चाहे आप किसी पार्टी में भी क्यूँ ना हों. फिर देखिये कैसे आपका दिमाग खुद-ब-खुद ही आपको उसे खाने से रोकता है क्यूंकि दिमाग उसे गाना गाने के अटपटे अनुभव के साथ जोड़ लेता है. ऐसा करने के साथ ही साथ आप एक नयी अच्छी आदत को पुरानी आदत की जगह दे सकते हैं जो आपके दिमाग को वही सुखद अनुभव कराये, जैसे की चोकलेट की जगह आप कोई पसंदीदा फल खा सकते हैं. किसी बुरी आदत को अच्छी आदत से बदलने की तकनीक बहुत कारगर है. इस बात को साबित करने के लिए लेखक ने एक साइंटिफिक स्टडी का उदहारण दिया है, जिसके अनुसार जिन ड्रग एडिक्ट्स ने अपनी ड्रग्स की आदत को किसी और आदत से बदल लिया उन्हें ड्रग्स छोड़ने में आसानी हुई. ये आदत कोई भी हो सकती है जैसे कोई हॉबी या किसी के प्यार का साथ.
अपने व्यक्तित्व को बदलने के लिए पहले अपनी सोच को बदलना पड़ता है.
सोचिये दो लोग जो अभी अभी 60 की उम्र के पड़ाव पे पहुंचे हों उनमें से एक के अनुसार उसके जीवन के अंतिम दिन चल रहे है अब बस कुछ खास नहीं रहा उसके जीवन में, जबकि दूसरा इश्वर का शुक्र गुजार है की उसके जीवन में अभी बहुत कुछ बचा है और उसके पास उसे जीने का मौका है. तो आखिर ऐसा क्या है जो इन दो एक ही उम्र के लोगों के नजरिये को इतना अलग करता है, वो है इनकी सोच. हम क्या हैं, कैसे हैं ये सब हमारी इसी सोच पर निर्भर करता हूँ.
लेखक कहते हैं की किसी भी आईडिया को सोच में बदलने के लिए हमारे दिमाग को कुछ सबूतों की जरुरत पड़ती है, जैसे की अगर आपका आईडिया है कि आप एक अच्छे चेस प्लेयर हैं तो इस आईडिया को सोच में बदलने के लिए जरुरी है कि आपको अपने गेम में लगातार कई बार जीत हासिल हो. ठीक इसी तरह मान लो हमे जिंदगी में लगातार 2-4 बुरी घटनाओं का सामना करना पड़े जैसे कोई अपना हमसे दूर हो गया या हमे कोई नाकामयाबी हासिल हुई तो हमारा दिमाग ये मान बैठता है की जिंदगी का कोई मतलब नहीं ये बस दुखों से भरी हुई है. लेकिन लेखक का इस बारे में ये कहना है कि क्यूँ ना इंसानी दिमाग की इस आदत को हम पॉजिटिव तरीके से इस्तेमाल करें, जैसे कि हमारे साथ कुछ बुरा हुआ तो हम उस बात का इस्तेमाल खुद को और मजबूत बनाने के लिए कर सकते हैं हमे बस खुद से ये कहना है की अगर मैं इस दुःख का सामना कर गयी तो आगे और सभी का सामना कर सकती हूँ.
बस ऐसे ही जिंदगी की हर एक घटना को अगर हम किसी पॉजिटिव सोच के साथ जोड़ते जाएँगे तो हमारे चारों तरफ का वातावरण भी पॉजिटिव हो जाएगा और हम अपनी ज़िन्दगी में एक नयी उर्जा महसूस करेंगे.
अपनी बातों में सही और पॉजिटिव शब्दों का चयन कर के आप अपने इमोशन और जीवन के प्रति रवैये को बदल सकते हैं.
आप ये जान के हैरान होंगे की इंग्लिश में इमोशन को दर्शाने के लिए कुल 3000 शब्द हैं जिनमें से ज्यादातर किसी ना किसी नेगेटिव इमोशन को दर्शाते हैं. तो इसलिए जब भी आप अपनी बात किसी को बताएं तो उसमें इस्तेमाल होने वाले शब्दों का खास ख्याल रखें क्यूंकि हम जैसा बोलते हैं हमारी सोच भी अपने आप वैसी ही हो जाती है. जैसे की सोचें कि अगर आप एक रोड ट्रिप पर जा रहें हों और रास्ते में आपकी कार किसी वीरान सी जगह पर ख़राब हो गयी और आपको थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. वापस आ कर आप लोगों से जब भी उस ट्रिप का जिक्र करें तो गुस्से और झुंझलाहट की जगह आप बस इतना भी कह सकते हैं की थोडा मुश्किल सफ़र था. बस इतनी सी बात से आप बड़ी से बड़ी समस्या को छोटा बना सकते हैं.
तो आप अपने शब्दों का चुनाव कैसे करें इसके बारे में लेखक ने उदहारण देते हुए कहा है कि आप अपने जीवन के सुखद अनुभवों को ज्यादा तीव्र बातों और बुरे अनुभवों को न्यूट्रल बातों से दर्शाएँ. जैसे की आप खुश हैं और उसे व्यक्त करना चाहते हैं तो कहें आज मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत महसूस कर रही हूँ, और अगर आप बहुत परेशान है तो कहें की मुझे थोड़ी चिंता हो रही थी, देखिये कैसे शब्दों में फेर बदल करने से ही उसके अर्थ में कितना बदलाव आ जाता है. ठीक इसी तरह का बदलाव आप अपने रवैये और भावनायों में भी महसूस करेंगे.
अपनी समस्याओं का सही समाधान ढूंढने के लिए जरुरी है की सबसे पहले खुद से उसके बारे में सही सवाल करें.
Awaken The Giant Within Book Summary in Hindi- अब तक आप ये जानचुके हैं की अपने जीवन में बदलाव लाने के लिए अपनी सोच को बदलना जरुरी है, तो इस लेसन में हम इसानी दिमाग की थोड़ी और गहरायी में झाँक कर जानेंगे के आखिर हमें सोचना कैसे चहिये.
हमारे दिमाग की सोच किसी सवाल-जवाब की तरह होती है, हम क्या सोचते हैं वो इस बात पर निर्भर करता है की हम खुद से क्या सवाल करते हैं. जैसे की अगर आपके साथ 1-2 बार कुछ गलत हो गया तो आप खुद से पूछने लगते हैं की मेरे ही साथ ऐसा क्यूँ होता है, इसके जवाब में आपका दिमाग आपको नकारात्मक विचारों से भर देता है.तो इसलिए लेखक कहते हैं की बुरे वक़्त में निराश होकर बार बार मैं ही क्यूँ या मेरे साथ ही क्यूँ पूछने की जगह आप खुद से पूछे कि इसका हल क्या हो सकता है. इस सिचुएशन में अगर कुछ अच्छा है तो वो क्या है, कहाँ से इसको सोल्व करना शुरू करूँ. बस ऐसे ही आशावादी सवालों को आप अपनी आदत में शुमार कर लें फिर देखें इंसानी दिमाग को जैसे सवाल वैसे जवाब देने की आदत है. तो आप सही जवाब पाने के लिए सही सवाल पूछने की आदत डाल लें.
अपने जीवन के सूत्र खुद बनाएं और अपनी जिंदगी को पूरी क्षमता से जियें.
क्या आप पक्के तौर पे ये बता सकते हैं की आपकी जिंदगी में क्या सबसे जरूरी है? क्या वो प्यार है या फिर आपकी सेहत या पैसा? अगर आप ये निर्धारित नहीं कर पा रहे हैं तो सबसे पहले इस कन्फ्यूजन को दूर करें, क्यूंकि आम तौर पे ये देखा गया है की दुनिया में खुश रहने वाले लोगों को पता होता है की उन्हें किस चीज़ से ख़ुशी मिलती है. तो अगर आप भी इस बात का पता लगा लें तो खुशियाँ इक्कठी करना आपके लिए आसान हो जाएगा.
मान लीजिये आपको एक बहुत ही बड़ी कंपनी में बहुत अच्छी तनख्वाह की नौकरी मिली है, लेकिन उसके लिए आपको अपने परिवार से दूर विदेश में जाना पड़ेगा तो ऐसी सिचुएशन में अगर आप कुछ फैसला नहीं कर पा रहे हैं तो इसका मतलब है की आपने जिंदगी में प्रायोरिटी लिस्ट नहीं बनायीं है. एक बार आप ये डीसाइड कर लें कि आपके लिए पर्सनल और फाइनेंसियल ग्रोथ ज्यादा जरुरी है की परिवार के साथ बिताया समय तो इस फैसले को लेने में आसानी होगी.
अक्सर लोग ज़िन्दगी में सबकुछ होते हुए भी खालीपन महसूस करते हैं, ऐसा इसलिए क्यूंकि उन्होंने अपनी ज़िन्दगी में ये तय ही नहीं किया की क्या चीज़ उन्हें ख़ुशी देती है. ऐसा इसलिए क्यूंकि जब कोई काम हमे ख़ुशी देता है तो हम उसे बड़े ही पैशन के साथ करते हैं और जरुर सफल होते हैं, इसलिए जिंदगी को ख़ुशी और संतोष से । जीने के लिए लाइफ की प्रायोरिटी लिस्ट बनाना बहत जरुरी है. और याद रहे इस लिस्ट में आपकी सेहत भी ऊपर होनी चहिये क्यूंकि अगर आप सेहतमंद नहीं हैं तो दुनिया की कोई भी चीज़ आपको ख़ुशी नहीं दे सकती.
अपनी जिंदगी के नियम ऐसे बनाएं जो आपको ख़ुशी दें, और अपने आस पास के लोगों को भी इनके बारे में जरूर बताएं.
जैसे जैसे हम जीवन में अलग अलग एक्सपीरियंस लेते जाते हैं हमारा दिमाग उसे अच्छी या बुरी याद के साथ जोड़ कर एक कड़ी बना लेता है, उसके अन्दर ये फिट हो जाता है की किस बात से उसे ख़ुशी मिलेगी और किस बात से दुःख होगा. किसी को तारीफ सुन कर ख़ुशी मिलती है किसी को पैसा कमाने पर खुशी मिलती है किसी को अपना सच्चा प्यार पाकर. ऐसे ही हर व्यक्ति के लिए ख़ुशी के मायने अलग अलग होते हैं. तो अपनी खुशियों के लिये आप अपने रूल्स खुद बना सकते हैं बस एक बात का ध्यान रखें की कोशिश करें वो रूल्स किसी पर निर्भर न हों, जैसे की जरुरी नहीं कि किसी अच्छे काम पर आपको दूसरों की तारीफ से ही ख़ुशी मिले आप रूल बनाएं की आप खुद को हर अच्छे काम के बाद कुछ गिफ्ट करेंगे.
और दूसरी जरुरी बात ये है की अगर आप अपने किसी करीबी से कुछ उम्मीद करते हैं तो उसे ये बात जरुर बताएं क्यूंकि हर व्यक्ति के जीवन के नियम अलग होते हैं, जैसे की मान लो आप अपने दोस्त से ये उम्मीद करते हैं की वो आपको रेगुलर कॉल करे तो आप उसे ये बात बताएं क्यूंकि हो सकता है की आप उसके कॉल न करने को उसकी बेरुखी समझ रहे हों लेकिन उसके रूल्स के हिसाब से सच्ची दोस्ती में फ़ोन कॉल का ज्यादा महत्व न हो.
अपने इमोशन को कंट्रोल करने के लिए अपने हर इमोशन का सही कारण जानना जरूरी है.
अब आप जान गए हैं की अपने जीवन के रूल्स में फेर बदल कर के आप कैसे ख़ुशी प्राप्त कर सकते हैं, पर लेखक कहते हैं की सिर्फ खुशियाँ ही नहीं आप अपने हर इमोशन को कंट्रोल करना सीख सकते हैं. आईये देखें कैसे? इस सिलसिले में लेखक कहते हैं की अगर हम अपने इमोशन के पीछे का असली कारन जान लें तो हम उसे कण्ट्रोल कर सकते है, मस्लन कि आप बहुत गुस्से में हैं और आपको आस पास की हर चीज़ से चिढ़ आ रही है, आप समझ नहीं पा रहे की इसका कारण क्या है, लेकिन जब आप ध्यान से सोचते हैं तो पता लगता है की आप थके हुए थे इसलिए चिढ़चिढ़े हो गए थे, थोडा आराम कर के सब ठीक हो गया. इसी तरह कई बार हमारी बड़ी से बड़ी परेशानी या इमोशन का कारण कोई छोटी सी बात होती है जो हमे अन्दर ही अन्दर परेशान कर रही होती है.
लेकिन इसका ये मतलब बिलकुल नहीं है कि आप सभी नेगेटिव इमोशनस को नज़रंदाज़ कर दें क्यूंकि अच्छे और बुरे दोनों इमोशन हमारे ज़िन्दगी को बैलेंस करने में मदद करते हैं. नेगेटिव इमोशन कई बार हमे आने वाले खतरे से भी सावधान करते हैं. इसलिए हर इमोशन का अपना महत्त्व है बस जरुरत है तो दोनों का प्रॉपर बैलेंस बनाने की ताकी इनका असर हमारे व्यक्तित्व पर न पड़े.
एक बार आपने अपने इमोशन का कारन जान लिया तो अगला स्टेप थोडा और कठिन है, क्यूंकि इसमें आपको उस परिस्थिति को बदलना होगा जो की उस इमोशन की जड़ है. पर कई बार हर सिचुएशन हमारे कंट्रोल में नहीं होती ऐसे केस में हम अपने आपको पॉजिटिव तरीके से समाझा कर अपने इमोशन पर कंट्रोल पा सकते है.
फिर भी कभी आपको लगे की इस बार इमोशन पर कंट्रोल पाना आपके बस के बाहर है तो याद कीजिये वो वक़्त जब आपने ऐसे ही किसी सिचुएशन का सामना किया था, जब एक बार आप किसी कठिनाई का सामना कर लेते हैं तो अगली बार के लिए आपको खुद ब खुद ही हिम्मत मिल जाती है.
अपने अन्दर के बदलाव से समाज में भी बदलाव लाने की कोशिश करें
अभी तक के लेसंस में अपने सिखा की कैसे अपने विचारों, आदतों और सोच पे कण्ट्रोल कर के आप खुद को सफल और खुश बना सकते हैं. पर अब आप सोच रहे होंगे की आप चाहे खुद को कितना भी बदल लें पर आप समाज को नहीं बदल सकते और उसे बदले बिना आपकी सफलता और खुशियाँ अधूरी हैं.
लेकिन लेखक कहते हैं की ऐसा बिलकुल नहीं है अपने आप में किया गया एक छोटा सा बदलाव भी समाज के बड़े से बड़े बदलाव की शुरुयात हो सकता है. ज्यादातर लोग ये सोचते हैं की वो प्रभावशाली नहीं है इसलिए उनके कुछ करने या ना करने से समाज को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन सच तो यह है की बदलाव के जो नियम किसी व्यक्ति के लिए हैं समाज पर भी वही नियम लागु होते हैं.
उदहारण देते हुए लेखक कहते हैं की अगर आप अपनी सेहत के लिए बीफ खाना बंद करते हैं तो बड़े तौर पर आप बीफ की डिमांड को कम करने में मदद कर रहे हैं. अगर बीफ की डिमांड कम होगी तो जो जमीन बीफ के प्रोडक्शन के लिए इस्तेमाल होती है वहां आलू या अन्य कोई सब्जियां ऊग सकती है और कई भूखे लोगों का पेट भर सकता है.
या दूसरा तरीका ये है की अब जब आपने अपने इमोशन पे कंट्रोल कर लिया तो आप दूसरों को भी ये सिखा कर उनकी मदद कर सकते हैं. जैसे कि अगर अपने किसी दोस्त को उदास देखो तो चुप रहने की बजाय बस यूँ ही उसकी तारीफ कर के उसे खुश कर सकते हैं. और अगर कुछ न हो पाए तो बस अपने खुश और मुस्कुराते चेहरे से मिलने वाले है हर एक इंसान का दिन बना सकते हो.
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कुल मिला कर
अपने आप में लाया गया छोटे से छोटा बदलाव भी आपके जीने के तरीके को बदल सकता है और समाज में किसी बड़े बदलाव का कारन बन सकता है.