The Magic of Thinking Big by David Schwartz Book Summary in Hindi

The Magic of Thinking Big

INTRODUCTION

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- आपने शायद ये बात कई बार सुनी होगी- थिंक बिग! थिंक आउट ऑफ़ बॉक्स! ड्र मोर एंड बी मोर. ये काफी कॉमन मोटिवेशनल एडवाइसेस है जो ऑलमोस्ट हर कोई दसरे को देता है. और हम भी इन बातो पर बिलीव करके यही उम्मीद करते है कि ये सच हो. लेकिन क्या हम वाकई में जानते है कि ये एडवाइस काम करेगी या नहीं? क्या आपको वाकई लगता है कि थिंकिंग बिग आपको वो सक्सेस दिला सकती है जो आप चाहते है? अगर आप ऐसे लोगो में से है जो यही सवाल खुद से पूछते है, तो इनके आंसर आपको इस बुक में मिलेंगे. थिंकिंग बिग का मैजिक आपकी हेल्प करेगा ये रियेलाइज करने में कि आपकी सक्सेस में आपकी थिंकिंग कितनी मैटर करती है. आप जो है और जो बनना चाहते है, इसमें थिंकिंग काफी बड़ा रोल प्ले करती है. जो आप डिज़र्व करते है उसे हासिल करने में आपकी थिंकिंग ही हेल्प करेगी. तो “मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग” नाम की इस बुक में आपको वो बेसिक प्रिंसिपल और कॉन्सेप्ट्स सीखने को मिलेंगे जो रियल लाइफ सिचुएशन पर बेस्ड और टेस्टेड है. ये आपको शो कराएगी कि आपको क्या करना है और कैसे उन प्रिंसीप्लस को अप्लाई करके आप बिग सक्सेस और बिग हैप्पीनेस पा सकते है.

तो सबसे पहले आता है.

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बीलीव यू केन एंड यू विल सक्सीड (BELIEVE YOU CAN AND YOU WILL SUCCEED)

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- सक्सेस हर किसी की लाइफ का गोल होता है. फिर चाहे सक्सेस एजुकेशन की हो या करियर की या फेमिली लाइफ में, इन जर्नल हर कोई सक्सेसफुल होना चाहता है. ज्यादातर लोगो को सक्सेस एक आउट ऑफ़ रीच और इम्पोसिबल चीज़ लगती है. लेकिन रियलटी में सक्सेस का फार्मूला काफी सिम्पल है, बस खुद पे बीलीव करना स्टार्ट कर दो कि आप कर सकते हो. और जब आप बिलिव करने लगोगे कि आप कुछ कर सकते हो तब आप वाकई में करोगे. और एक बार जब आपने करने की ठान ली तो किसी चीज को कैसे करना है आपको खुद समझ में आ जायेगा. ek आदमी टाई एंड डाई की कंपनी में काम कर रहा था, इस काम से वो ठीक-ठाक पैसे कमा लेता था लेकिन वो सेटिसफाईड नहीं था. वो अपनी वाइफ और दो बच्चो के साथ एक स्माल हाउस में रह रहा था. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि एक बड़ा घर ले सके या अपनी बाकि ज़रूरते पूरी कर सके. जैसे-जैसे दिन गुजरते जा रहे थे, वो आदमी अपनी लाइफ को लेकर दुखी होता गया और अपनी फेमिली को खुशी ना देने की वजह से वो सबसे ज्यादा हर्ट होता था.

कुछ सालो के बाद उसे एक दूसरी जगह जॉब मिल गयी. यहाँ भी उसका काम सेम था लेकिन एक जगह डिफरेंट थी. ये जगह उसके घर से बहुत दूर थी लेकिन उसने सोचा क्यों ना ट्राई किया जाए. जॉब इंटरव्यू के एक दिन पहले वो आदमी कुछ सक्सेसफुल लोगो से मिला जिन्हें वो जानता था. उसने खुद से पुछा कि उन लोगो के पास ऐसा क्या है जो उसके पास नहीं है. उस आदमी को पूरा बीलिव था कि वो लोग अपनी इंटेलीजेन्स, पर्सनेलिटी या एजुकेशन की वजह से सक्सेसफुल नहीं हए बल्कि इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने इनिशिएटिव लिया था! उन सबको खुद पर भरोसा था कि वो कुछ कर सकते है. नेक्स्ट मोर्निंग वो आदमी पूरे कांफिडेंस के साथ जॉब इंटरव्यू के लिए गया. और उसने बड़ी हिम्मत के साथ 300% ज्यादा सेलरी की भी डिमांड की.

वो इतनी सेलरी इसलिये डिमांड कर रहा था क्योंकि उसे खुद पर भरोसा था कि वो इतना डिजर्व करता है. और उसके इस कांफिडेंस की वजह से उसे वो जॉब मिल गयी. तो आप भी खुद पे बिलिव् करो कि आप कर सकते हो. बिलीव करो कि दूसरो की तरह आपको भी स्कसेस मिल सकती है. हमेशा सेकंड क्लास मत बने रहो. अपनी वर्थ पहचानो और बिलीव करो कि आप इससे ज्यादा कर सकते हो और बन सकते हो! जब आप बड़ा सोचना शुरू करोगे तो बड़ी सक्सेस ऑटोमेटिकली मिलने लगेगी.

नेक्सट प्रीसिंपल आता है –

 

क्योर योरसेल्फ ऑफ़ एक्सक्यूजिस्टिस, फेलर डिजीज (CURE YOURSELF OF EXCUSITIS, THE FAILURE DISEASE)

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- अगर हम दूसरो को ऑब्जर्व और स्टडी करे तो पता चलेगा कि अनसक्सेसफल लोग एक्चुअल में एक दिमाग को बन्द करने की बीमारी के शिकार है. इस डिजीज को एक्सक्यूजिस्टिस कहते है. जो लोग इससे सफर करते है उन्हें ये नजर नहीं आती लेकिन हम अक्सर अपनी । लाइफ के कुछ एस्पेक्ट्स को कंसीडर करते है और उन्हें अपनी फेलियर का जिम्मेदार मानते है. जब लोग हमसे पूछते है कि क्या हुआ, हम प्रोग्रेस क्यों नहीं कर रहे तो हम कुछ ऐसे बहाने गिनवा देते है-“मेरे साथ हेल्थ । इश्यूज है या फिर मै काफी ओल्ड हूँ या फिर मै उतना इंटेलीजेंट नहीं हूँ या मै तो अनलकी हूँ”

एक बार एक सेल्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान एक ट्रेनी थी जिसका नाम था सेसिल (Cecil.) वो करीब 40 साल की थी और वो मेनुफेक्चरर के रीप्रजेंटेटिव के तौर पर एक बैटर जॉब ढूंढ रही थी. लेकिन सेसिल में कोंफीडेंस की बड़ी कमी थी क्योंकि उसे लगता था कि वो काफी ओल्ड है इस जॉब के लिए. वो इस बात को लेकर इतनी convinced थी कि जो बनना चाहती थी, कभी नहीं । बन पाई क्योंकि उसे लगता था कि अब बहुत देर हो गयी है. बाद में सेम ट्रेनिंग के दौरान होस्ट ने सेसिल से पुछा कि क्या उसे पता है कि आदमी की प्रोडक्टिव लाइफ कब स्टार्ट होती है और कब एंड. तो सेसिल ने प्रेक्टिकल आंसर देते हुए कहा कि आदमी 20 से लेकर 70 साल तक काम कर सकता है. और वो खुद ही अपने जवाब से हैरान थी! सेसिल को रियेलाइज हुआ कि अभी तो वो अपनी प्रोडक्टिव एज के हाफवे भी नहीं पहुंची है, और फिर भी वो आगे बढ़ने से घबरा रही है. सक्सेस की कोई बाउंड्री नहीं होती. हमे आगे बढकर अपनी । failure mentality को दूर करना ही होगा चाहे वो हमारे अंदर कहीं भी छुपी हो.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है-

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बिल्ड कांफिडेंस एंड डिस्ट्रॉय फियर (BUILD CONFIDENCE AND DESTROY FEAR)

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- कुछ लोगो के लिए फियर सिर्फ माइंड का गेम है. लेकिन सच तो ये है कि फियर रियल होता है और इससे पहले कि ये हमे कण्ट्रोल करे, हमे इसे पहचानना होगा. नेवी रीक्रूट्स के एक ग्रुप का स्विमिंग एबिलिटी का टेस्ट लिया गया. उनमे से ज्यादातर यंग बॉयज थे जो पानी की गहराई से डरते थे, यहाँ तक कि कुछ फीट गहरे पानी से भी. एक एक्सरसाइज़ में उन्हें 15 feet से पानी में जंप मारने को बोला गया. पानी में जंप मारने की किसी की हिम्मत नहीं हई. नेवी ऑफिसर ने वालंटियर्स को आगे आने को बोला लेकिन कोई नहीं आया. ऑफिसर को एक आईडिया आया, उसने एक रिक्रूट का नाम लिया और उसे अपने पास बुलाया. जब वो रीक्रूट उसके पास आया तो ऑफिसर ने उसे धीरे से कुछ कहा और वाटर पूल में धक्का दे दिया. ये देखकर सारे रीक्रूट्स शॉक्ड रह गए, जिसरीक्रूट को धक्का दिया गया था वो भी तक पानी से ऊपर नहीं आया था. सब डरे सहमे खड़े थे कि अब क्या होगा, तभी अचानक वो रीक्रूट पानी में स्ट्रगल करता नजर आया. वो पानी से बाहर निकलने की पूरी कोशिश कर रहा था, एक प्रोफेशनल स्विमर की हेल्प से उसे पूल से निकाला गया.

जब ऑफिसर ने उससे पुछा कि क्या वो ट्रेनिंग कंटीन्यू करना चाहेगा तो रीक्रूट ने बड़े कॉफिडेंट के साथ हाँ बोला! और उसने ये भी बोला की वो फिर से पानी में जंप करने को रेडी है ताकि वो अपना डर दूर । कर सके और स्विमिंग सीख सके. तो देखा आपने! एक्शन ही फियर का इलाज है. फियर ही हमे बिलीव करने से रोकता है कि हम कुछ कर सकते है. ये हमे । पोसीबिलिटीज की तरह बढ़ने से मना करता है. पोजिटिव थौट्स के श्रू आप अपने कांफिडेंस को बिल्ड करके फियर को अपने माइंड से रीमूव कर सकते है. चीजों का ब्राईट साइड देखने की कोशिश करो और अपनी प्रोब्लम्स को करेज और ऑप्टीमिज्म के साथ फेस करो. जब हम होप करेंगे और एक्चुअल में कोई एक्शन लेंगे तो आपके अंदर का डर ऑटोमेटिकली दूर हो जाएगा.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है –

 

हाउ टू थिंक बिग यानि बडा कैसे सोचे

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- एक रिच आदमी अपनी एक्सपेंसिव कार चला रहा था. पास के एक रेस्तरोरेंट में कार पार्क करने के बाद जब वो अपने अमीर फ्रेंड्स से मिलने जा रहा था तो उसने नोटिस किया कि एक लड़का उसकी ब्रांड न्यू कार को बड़े गौर से देख रहा था. जब रिच आदमी उस लड़के को देखकर मुस्कुराया तो लडके ने उसे कहा कि उसकी कार कितनी कल और एक्सपेंसिव है. इस पर रिच आदमी ओवर कॉंफिडेंस से बोला” ये उतनी भी एक्सपेंसिव नहीं है, ये तो उसके ब्रदर ने उसे गिफ्ट की है”. उस आदमी की बात सुनकर लडका कुछ नहीं बोला. रिच आदमी ने उससे पुछा कि क्या वो भी ऐसी एक्सपेंसिव कार लेने का ड्रीम देख रहा है? लेकिन उस लड़के का जवाब सुनकर वो आदमी हैरान रह गया. “नहीं, बल्कि ये सोच रहा हूँ कि मै आपके ब्रदर की तरह अमीर कैसे बन सकता हूँ”? अगर हम चीजो को ऐसे देखे जैसे वो हो सकती है नाकि जैसे वो अभी है तो हम उनमे एक ग्रेट वैल्यू एड कर सकते है. इसलिए अपना विजन स्ट्रेच करो और जो दिख रहा है सिर्फ उसी पर मत अटको बल्कि विजुएलाइज करो कि फ्यूचर में क्या हो सकता है. और अपनी सक्सेस की एक बिगर और बैटर पिक्चर इमेजिन करो.

नेक्स प्रीसिंपल आता है कि –

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CREATIVELY कैसे सोचे

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- क्रिएटिव थिंकिंग सक्सेस की रीक्वायरमेंट है. और क्रिएटिव वे में सोचने के लिए हम जो भी करे उसे करने के कुछ नए और इम्प्रूव्ड तरीके सोचने होंगे. क्रिएटिव थिंकिंग का मीनिंग है बैटर ढंग से सोचना. ये वो थिंकिंग है जो हमेशा हमे एक बैटर वर्ल्ड बनाने के लिए encourage (एंकरेज) करती है. एक आदमी के पास दो लाइफ इंश्योरेंस सेल्समेन आये. दोनों सेल्समेन उसे एक इंश्योरेंस प्रोग्राम के बारे में बता रहे थे, दोनों ने उस आदमी से प्रोमिस किया कि वो उसे एक बढ़िया प्लान ऑफर करेंगे. फर्स्ट सेल्समेन ने उस आदमी को एक ओरल प्रजेंटेशन दी, उस आदमी की जो रीक्वायरमेंट थी उसके हिसाब से उसने प्लान अपने वर्ड्स के श्रू बताया. लेकिन उस आदमी को कुछ समझ नहीं आया! सेल्समेन ने उसे टैक्स, ऑप्शन्स, सोशल सिक्योरिटी के बारे में एक्सप्लेन किया और बाकि टेक्नीकल डिटेल्स भी दी. सारी बाते सुनने के बाद वो आदमी और भी कन्फ्यूज़ हो गया इसलिए उसने उस सेल्समेन को प्लान लेने से मना कर दिया.

अब सेकंड सेल्समेन की बारी आई. उसने एक डिफरेंट अप्रोच यूज़ की. उसने सारी डिटेल्स बड़े इंटरेस्टिंग और क्रिएटिव वे में एक डायाग्राम के शू शो की. उस आदमी को सेकंड सेल्समेन का प्रोपोजल ईजीली समझ आ गया था इसलिए उसने उसी टाइम इंश्योरेस डील साइंन कर दी. तो जब आपके अंदर वो एबिलिटी होगी कि आप क्रिएटिव वे में सोच सके, तब आपकी सोच का दायरा भी फैलेगा और नए नए आईडिया भी आने लगेंगे जो आपको अपने गोल के बेहद करीब ले जायेंगे. अपने थौट्स को फ्रीडम दे! इम्पोसिबल वर्ल्ड अपनी डिक्शनरी से निकाल दे. नए-नए experiments करो और क्राउड से अलग अपनी पहचान बनाओ. टाकिंग और लिसनिंग की प्रैक्टिस करो और ऐसे लोगो के साथ ज्यादा से ज्यादा कनेक्ट करो जो खुद क्रिएटिव थिंकर है.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है

 

कि आप वही हो जो आप सोचते हो

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- हमारे सोचने का तरीका ही तय करता है कि हम कैसे एक्ट करते है और दुसरे लोग हमे कैसे ट्रीट करेंगे. जब हम खुद को जानने लगते है तो ये चीज़ रिफ्लेक्ट होती है कि लोग हमारे सामने कैसे एक्ट करेंगे. सेम यही बात तब होती है जब हमे पता होता है कि हम कितने इम्पोर्टेट है, तब हम खुद को इम्पोर्टेट शो कराते है और लोग भी हमे इम्पोर्टेट समझते है. एक रात, एक बेटे ने अपने फादर को बताया कि वो अपने स्कूल प्ले में लोन रेंजर का केरेक्टर कर रहा है. ये सुनकर फादर बड़ा एक्साइटेड और खुश हुआ. फिर लडके ने कहा बस एक प्रोब्लम है कि उसके पास हेट नहीं है. फादर तुरंत अपने रूम में गया और एक पुरानी सी काऊबॉय हेट लेकर आया. उसने अपने बेटे से बोला कि ये हेट काम आ जाएगी. लेकिन बेटा नहीं माना उसने जिद पकड ली कि उसे सिर्फ लोन रेंजर वाली हेट ही चलेगी, कोई काऊबॉय हेट नहीं. और फादर समझ गया कि उसका बेटा एक्जेक्टली क्या चाहता है.

तो आप जो खुद के बारे में सोचते हो वही आपकी इमेज बन जाती है. जो हम अपने बारे में सोचते है वो हमारे लिए एक मोटीवेश्न्ल ट्रल बन जाता है जो हमे एक्जेक्टली वही पर्सन बनने में हेल्प करता है. इसलिए सोचो और बनो! जितना हम सोच भी नहीं सकते हमारे माइंड में वो पॉवर होती है तो जब हम इसे यूज़ करेगे, ये डिसाइड करने के लिए कि हम कौन है, तो सोचो ज़रा क्या होगा!

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MANAGE YOUR ENVIRONMENT: GO FIRST CLASS

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- पैसे सेव करने के चक्कर में एक आदमी ने चार महीनो तक एक चीप रेस्ट्रोरेन्ट में खाना खाया. उस जगह में ज़रा भी सफाई नहीं थी, खाना भी बकवास था और सर्विस का तो बुरा हाल था लेकिन पैसे बचाने के लिए वो आदमी बगैर कंप्लेंट किये चुपचाप खा लेता था. एक दिन उसने फ्रेंड ने उसे टाउन के सबसे बढ़िया रेस्तरोरेंट में । लंच के लिए बुलाया. वहां पर उसके फ्रेंड ने बिजनेसमेन का लंच आर्डर किया तो उस आदमी ने भी सेम आर्डर कर दिया. उसके बाद जो हुआ उसे देखकर वो आदमी हैरान रह गया. उसके सामने बढ़िया खाना परोसा गया था, सर्विस भी एकदम फर्स्ट क्लास थी, बढ़िया enviornment था. और सबसे बड़ी बात तो ये कि यहाँ का प्राइस उससे बस थोडा ही ज्यादा था जितना वो उस चीप रेस्टोरेन्ट में पिछले चार मंथ्स से पे कर रहा था.

उस आदमी को एक बड़ा लेसन मिल गया था. फर्स्ट क्लास बनने के लिए पहले आपको फर्स्ट क्लास की तरह बिहेव करना पड़ेगा! हमें लाइफ में खुद को एन्जॉय करने से रोकना नहीं चाहिए. फर्स्ट क्लास का मतलब है बेस्ट, और यही हम बनना चाहते है. खुद के बारे में यही सोचो कि आप फर्स्ट क्लास डिज़र्व करते हो-फर्स्ट क्लास । सर्विस, फर्स्ट क्लास जॉब, फर्स्ट क्लास सेलेरी और फर्स्ट क्लास लाइफ. स्माल थिंकिंग वाले लोगो को अपने रास्ते की रुकावट मत बनने दो. ऐसे लोगो के साथ रहो जो पोजिटिव है और जो फर्स्ट क्लास वे ऑफ़ थिंकिंग रखते है. खुद पर बिलीव करो कि आप हर जगह और हर चीज में फर्स्ट क्लास बन सकते हो.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है

 

कि अपने एटीट्यूड को अपना दोस्त बना लो

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- एटीट्यूड ही सब कुछ है! राइट एटीट्यूड ही हमे सक्सेस की तरफ ले जाता है. एक ऑप्टीमिस्टिक, और motivated पर्सन में जो बात है वो किसी सेल्फ सेंटरड, नेगेटिव और अनग्रेटफल इन्सान में कहाँ! तो एटीट्यूड एक तरह से हमारे फ्रेंड की तरह है जिसे अगर हम एक राइट वे में डेवलप करते है तो ये हमें सक्सेस की उंचाई पर पंहुचा सकता है.

वर्ल्ड ओलंपिक्स के दौरान एक नये तलवार बाज लडके का मुकाबला एक आल टाइम विनर के साथ हुआ जिसमे उसने आल टाइम विनर को हरा कर वर्ल्ड फेंसिंग चैम्पियन जीत ली. दोनों के बीच काफी डिफ़रेंस था क्योंकि आल टाइम विनर कई सालो की प्रैक्टिस और एक्स्पिरियेश के बाद इस मुकाम तक पंहुचा था लेकिन नये लडके ने अपना बेस्ट परफोर्मेंस दिया और चैपियन के साथ बड़ी क्लोज फाइट की. हर राउंड के बाद गेम हार्ड होता गया और जब दोनों लास्ट राउंड में पहुचे तो दोनों के बीच टाई हो गया था. दोनों प्लेयर्स को एक शोर्ट टाइम दिया गया. वो नया तलवारबाज जीतने के लिए काफी स्ट्रगल कर रहा था, वो खुद से सिर्फ एक ही चीज़ बोलता रहा: आई केन डू दिस, मै ये कर सकता हूँ”! और फाइनल राउंड में उस लडके के पोजिटिव एटीट्यूड और स्टोंग मोटिवेशन ने उसके सामने जीत का रास्ता खोल दिया और इस तरह वो आल टाइम चैम्पियन को हरा कर खुद चैम्पियन बन गया. तब से वो ओलंपिक्स का” आई केन ड्र दिस” मेन के नाम से फेमस हो गया और उसने आल ओवर वर्ल्ड के दुसरे एथलीट्स को भी इंस्पायर किया. जब हमारा एटीट्यूड पोजिटिविटी और गुड विल पर फोकस्ड रहता है तो हम कभी गलत नहीं हो सकते. हमे हर हाल में सक्सेस मिलेगी! हमारा एटीट्यूड ही हमे मैक्सीमम इफेक्टिवनेस की तरफ ले जाता है और हमारे करियर और लाइफ में गुड रिजल्ट्स जेनरेट करता है.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है कि

 

THINK RIGHT TOWARDS PEOPLE

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- जिन लोगो के अपनी फेमिली और फ्रेंड्स के साथ बेस्ट रिलेशनशिप होते है, वही लोग सबसे ज्यादा खुश रहते है. या यं भी बोल सकते है कि हैप्पीएस्ट लोगो के ही बेस्ट रिलेशनशिप होते है. अपने आस-पास के लोगो के साथ कनेक्शन हमारी सक्सेस में इतना इम्पोर्टेट है कि हम दूसरो को कैसे ट्रीट करते है, ये चीज़ हमे डीपली सोचनी चाहिए. एक इन्शोग्रेस एजेंट ने एक डिफिकल्ट प्रोस्पेक्ट को कॉल करके मिलने का टाइम माँगा. एजेंट उस प्रोस्पेक्ट के दरवाजे पर अभी पहुंचा ही था कि उस आदमी ने उलटे-सीधे रीमार्क्स देने शुरू कर दिए. वो आदमी बिना रुके काफी कुछ बोलता चला गया और फाइनली उसने एजेंट को बोला कि आज के बाद कभी दुबारा उसके घर आने की हिम्मत ना करे. एजेंट चुपचाप सब सुनता रहा और जब उस आदमी ने अपनी बात खत्म की तो एजेंट कुछ सेकंड्स तक उसकी आँखों में देखता रहा, फिर उसने बड़े सॉफ्ट वौइस में बोला” “मगर मिस्टर एस, आज मै आपको एक दोस्त की तरह काँल करूगाँ और नेक्स्ट डे उस आदमी ने एजेंट से $250,000 की एंडोवमेंट पालिसी (endowment policy) खरीदी.

दूसरो के साथ कनेक्ट करने और रिलेट होने की हमारी एबिलिटी काफी मैटर करती है. हमे गुड रिलेशनशिप में इन्वेस्ट करना चाहिए, क्योंकि ये बहुत ज़रूरी है कि हम दूसरो के साथ एक काइंड और फ्रेंडली वे में बिहेव करे. और हमे ये भी समझना होगा कि हम दूसरो के डिफरेंसेस और इम्पेर्फेक्शन्स को एक्सेप्ट करना सीखे. हमे दूसरो को ब्लेम किये बगैर उनके साथ हमेशा एक रिस्पेक्टेड वे बिहेव करना होगा चाहे हम खुद कितना भी सेटबैक एक्स्पिरियेश करे.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है

 

गेट एक्शन हैबिट (GET THE ACTION HABIT)

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- जैसा हमने पहले भी मेंशन किया कि डर का इलाज़ एक्शन है. एक्शन से सिर्फ डर ही खत्म नही होगा बल्कि ये एक मेन फैक्टर भी है जो एक एम्प्लोयर किसी employee में देखता है. सिर्फ सोचने भर से कुछ नहीं होता, ये एक्शन ही जो रियेल और विजिबल रिजल्ट्स जेनरेट करता है.

औरतो को जो काम मोस्ट अनप्लीजेंट लगते है वही मदर एम् को भी लगते थे-जैसे बर्तन धोना, लेकिन उसने एक पोजिटिव अप्रोच डेवलप की थी कि कैसे अपना टास्क जल्दी फिनिश करना है ताकि वो अपने मनपसंद कामो के लिए टाइम निकाल सके. एक दिन जब मदर एम् के सामने एक टेबल भरकर गंदे बर्तनों का ढेर लगा था तो वो एकदम से उठी और कुछ बर्तन लेकर जाने लगी. उसकी फेमिली के कुछ मेंबर्स ने उसे कहा कि पहले थोडा रेस्ट कर लो, फिर बर्तन साफ़ कर लेना. लेकिन मदर एम् फोकस्ड और डीटरमाइन थी. अपने आगे इतना बड़ा बर्तनों का ढेर देखकर उसे एक मिनट के लिए भी नहीं सोचा और अपने काम में जुट गयी. और कुछ ही देर में वो सारे बर्तन धोकर फ्री हो गयी थी.

अपने टास्क को फिनिश करने का सबसे इफेक्टिव तरीका यही है कि सिंपली उस टास्क पर जुट जाओ फिर चाहे वो हमे पंसद हो या नापसंद हो. जो भी टास्क है। उस पर तुरंत एक्शन लो! अपने माइंड में negative थौट्स आने ही मत दो.

नेक्सट आर्टिकल आता है

 

हाउ टू टर्न डीफीट इनटू विक्ट्री (HOW TO TURN DEFEAT INTO VICTORY)

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- ग्रेट लिओनेल बैरींमोर को कोई नहीं भूल सकता, 1936, में एक एक्सीडेंट में मिस्टर बैरीमोर का हिप फ्रेक्चर हुआ जो कभी ठीक नहीं हो पाया. बाद में उन्हें आर्थराईटिस की बीमारी ने उनकी कंडिशन और भी खराब कर दी थी. लेकिन इस सबके बावजूद मिस्टर बैरीमोर कभी रुके नहीं, उन्हें जो पसंद था वो करते, वो व्हीलचेयर पर बैठकर एक्टिंग करते थे. नेक्स्ट 18 इयर्स तक सेवियर पेन होने के बावजूद भी मिस्टर बैरीमोर ने कई मूविज में सक्सेसफुल रोल्स प्ले किये और वो भी अपनी व्हील चेयर में बैठकर. कई सारी मूवीज में तो उन्होंने लीड रोल भी प्ले किये थे और उन्हें बेस्ट एक्टर का अकेडमी अवार्ड भी मिल चूका है. उन्होंने अपनी लाइफ के सेटबैक को कभी अपने रास्ते की रुकावट नहीं बनने दी और आगे बढ़ते गए और सक्सेस हासिल करते गए.

हम सब की लाइफ में डिफीट एक चेलेंजिंग फेस होता है. हालाँकि डिफीट से ऊपर उठना ईजी नहीं होता लेकिन इससे ओवरकम करने का एक ही तरीका है। कि इसे फेस किया जाए. और रियेलाईज करो कि तुम एक्चुअल में कभी हार नहीं हो. डीफीट बस एक स्टेट ऑफ़ माइंड है. इसलिए डीफीट की हर स्टोरी से कुछ ना कुछ लर्न करो. चीजों को पोजिटिव लाईट में देखने के लिए खुद को ट्रेन करो और discouragement की फीलिंग को डिस्ट्रॉय करो. आप काफी कुछ सीख सकते हो जब आप ये रियेलाइज करोगे कि डीफीट असल में कोई अच्छी स्टेट नहीं है इसलिए इस स्टेट से बाहर निकलने की कोशिश करो.

नेक्सट प्रीसिंपल कहता है

 

यूज़ गोल्स टू हेल्प यू ग्रो (USE GOALS TO HELP YOU GROW)

The Magic of Thinking Big by David Schwartz- गोल एक ऑब्जेक्टिव या पर्पज होता है. और एक डिजायर भी होती है और एक प्लान भी जिससे हमे सक्सेस अचीव होती है. जब आप कुछ अचीव करना चाहते है तो गोल सेट करते है. गोल सेट करना बहुत इम्पोर्टेट है क्योंकि ये हमे कुछ करने का पर्पज और मोटीवेशन देता है.

मिसेज डी का बेटा जब 2 साल का था तो उन्हें कैंसर हो गया था. उनके हजबैंड की भी बस तीन महीने पहले ही डेथ हुई थी. फिजिशियन ने उन्हें कहा कि surviving के लिटल चांसेस है. लेकिन मिसेज डी. ने हार नही मानी वो डीटरमाइंड थी कि वो अपने हजबैंड की छोटी सी रिटेल स्टोर को चलाकर अपने बेटे को कॉलेज भेजेगी. उन्हें कई सारे ऑपरेशंस करवाने पड़े. और हर टाइम डॉक्टर यही बोलता था कि उनके पास अब कुछ ही। मंथ्स बचे है. उनका कैंसर कभी भी पूरी तरह ठीक नहीं हुआ, लेकिन वो “कुछ मंथ्स” इतने लम्बे खींचे कि इस तरह बीस साल गुज़र गए. मिसेज डी ने अपने बेटे को कॉलेज ग्रेजुएट होते हुए देखा. लेकिन उसके सिक्स वीक बाद ही उनकी डेथ हो गयी.

अपने बेटे के साथ रहने के उनके गोल ने उन्हें इतनी स्टेंग्थ दी थी कि वो इतना दर्द सहन कर पाई और अपनी होपलेस कंडिशन के बावजूद अपने बेटे को कॉलेज भेजने का ड्रीम पूरा कर पाई. जब आपको पता होता है कि आपका गोल क्या है, आपकी मंजिल क्या है तो आप अपने सामने एक क्लियर पाथ इमेज करने लगते है. लाइफ में गोल सेट करने है तो टेन इयर्स का गोल प्लान लिखो और उसे ट्रेक करते रहो. एक टाइम में एक ही । प्लान पर काम करो. अपने डेली और वीकली गोल्स सेट करो. और ऐसा करने से आपको पता चलेगा कि आप कितने बैटर पर्सन और अचीवर बन सकते है.

नेक्सट प्रीसिंपल हमे सिखाता है कि

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हाउ टू थिंक लाइक लीडर (HOW TO THINK LIKE A LEADER)

प्रिंसेस डायना को ब्रीटिश रोयेलिटी का एक इन्फ्लूएंशल मेम्बर माना जाता था. साल 1980 में जब एड्स (AIDS) के बारे में लोगो में पता चलना स्टार्ट हुआ तो लोगो में एड्स का डर फैल गया था, लोग एड्स के पेशेंट्स से डरना पसन्द करते थे क्योंकि उस टाइम पर लोगो को ये लगता था कि सिम्पली किसी को टच करने से या सेम टॉयलेट सीट यूज़ करने से उन्हें भी एड्स हो जाएगा. लेकिन अप्रैल 1987 में प्रिंसेस डायना ने एचआईवी और एड्स के शिकार लोगो के लिए यूनाईटेड किंगडम में फर्स्ट यूनिट ओपन की. अपनी विजिट के दौरान उन्होंने एड्स पेशेंट्स के साथ बिना ग्लव्स पहने हैण्ड शेक किया था. उनके इस एक्शन से पूरी दुनिया shocked रह गयी थी लेकिन उनके इस जेस्चर ने इस बीमारी को लेकर हर किसी का नजरिया बदल दिया था.

अगर आप लीडर बनना चाहते है तो लीडर की तरह सोचो. अपने काम में और एक्श्न्स में ह्यूमन बनो, लोगो को अच्छे ढंग से ट्रीट करो। प्रोग्रेसिव वे में सोचना सीखो और खुद को इवैल्यूएट करने का टाइम निकालो. जब आपको अपनी स्ट्रेंग्थस और वीकनेस के बारे में मालूम होगा तभी आप एक बेस्ट लीडर बन सकते हो.

तो दोस्तो हमने इस बुक के श्रू इम्पोर्टेट प्रिंसिपल लन किये कि हाउ टू थिंक बिग. खुद पे बिलिब करने की हमारी एबिलिटी, और अपने डर को खत्म करने की एबिलिटी और बेस्ट एटीट्यूड डेवलप करके ही हम अपनी हार को जीत में टर्न कर सकते है और अपने गोल्स सेट करके एक बेस्ट लीडर बन सकते है और इस तरह हम मैजिक ऑफ़ थिंकिंग बिग का इफ्केट अपनी लाइफ में देख सकते है. बढा सोटने में एक जादू है एक ऐसा मैजिक जिसे हम सब एन्जॉय सकते है अगर हम इस बुक में दिए प्रिंसिपल्स को अप्लाई करे. थिंक बिग! डाउट मत करो. सक्सेस आपके ही हाथो में है इसलिए इसे लपक लो. आपका माइंड बहुत कुछ bada कर सकता है, इस फैक्ट पर बिलीव करो. क्योंकि आपका माइंड बहुत पॉवरफुल है और आप अपनी लाइफ में बहुत कुछ कर सकते है.

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