Mastery Book Summary in Hindi

Mastery

इंट्रोडक्शन (INTRODUCTION)

कोई भी पैदाईशी जीनियस नहीं होता. आइंस्टीन जब छोटे थे तब उन्हें रिलेटीविटी थ्योरी मालूम नहीं थी. ऐसे ही मोज़ार्ट बच्चे थे तब उन्हें सोनाटा बनाना नहीं आता था. आप बोल सकते हो जीनियस लोगो में इनेट टेलेंट होता है. लेकिन रियलटी में टेलेंट सबके अंदर है. आप भी उतने ही टेलेंटेड हो सकते है जितने बाकि लोग. आपके अंदर भी कोई ऐसी यूनिक एबिलिटी होगी जो किसी और में नही होगी. हो सकता है कि आपका यूनिक टेलेंट अभी हॉबी या इंटरेस्ट के फॉर्म में हो.

लेकिन ये बुक आपको सिखाएगी कि आप कैसे अपनी हॉबी को एक मास्टरपीस की तरह निखार सकते है. इस बुक में आप सीखेंगे कि कैसे अपने टाइम पास को फुल टाइम वर्क में बदला जाए. और कैसे अपने हुनर के मास्टर बने. इस बुक में आप मास्टरी के थ्री फेजेस सीखेंगे. आप उस अल्टीमेट पॉवर के बारे में सीखेंगे जो मास्टर्स के पास होती है. और आप चाहे तो आप भी ये पॉवर हासिल कर सकते है.

और ये चीज़ पॉसिबल है. क्योंकि दुनिया में जितने भी मास्टर्स हुए है सबने ये किया है. वो लोग भी नार्मल लोगो की तरह पैदा हुए थे. वो भी नार्मल लोगो की तरह छोटे और इग्नोरेंट थे. लेकिन उन्होंने अपने हार्ड वर्क से एक्स्ट्राओर्डीनरी चीज़े अचीव करके दिखा दी. उन्होंने प्रूव कर दिया कि इन्सान मेहनत करे तो क्या हासिल नहीं हो सकता. आप भी इस बुक को पढकर ऐसी ट्रेनिंग ले सकते है जो आपको एक्स्ट्राओर्डीनेरी बना देगी. इसलिए ये बुक आपके बहुत काम की है.

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अल्टीमेट पॉवर (THE ULTIMATE POWER)

आप भी मास्टर बन सकते है. और इसके लिए कोई एज, जेडर, रेस या फाईनेशियल बैकग्राउंड मैटर नहीं करता. ज़रा सोचो उन मास्टर्स के बारे में जिन्हें आप जानते हो. दा विंसी, ,मोजार्ट, आइंस्टीन, गाँधी, दलाई लामा, बिल गेट्स और स्टीव जॉब्स जैसे लोग. ये सब लोग डिफरेंट बैकग्राउंड से है मगर इनमे से हर एक अपने-अपने फील्ड का मास्टर है. आपका नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो सकता है. क्यों? क्योंकि आपके पास एक यूनिक सेट ऑफ़ जींस है. ऐसा यूनिक सेट ऑफ़ जींस किसी और के पास ना तो पहले था और ना ही फ्यूचर में होगा.

आपकी सारी एबिलिटीज़ और पोटेंशियल सिर्फ आपकी अपनी है. आप अपनी लाइफ में आने वाली हर प्रोब्लम फेस कर सकते हो.आज की मॉडर्न लाइफ में हम लोगो की जो जेनरेशन है, उसके लिए एक्सेस ऑफ़ एजुकेशन काफी ईजी हो गयी है और इसी वजह से जेंडर, रेशियल और सोशल डिसक्रीमिनेशन भी काफी कम हो गया है. आप अपनी लाइफ के जो चाहे वो कर सकते है, आप चाहे तो टॉप तक पहुँच सकते है, इम्पॉसिबल कुछ भी नहीं है. मगर कैसे? ये बुक आपको सिखाएगी. इसमें वो सब कुछ जो आपको अपनी लाइफ का मास्टर बनने में हेल्प करेगी.

लेकिन इससे पहले आपको तीन स्टेजेस से गुजर कर जाना होगा. फर्स्ट स्टेज है अपेंटिसशिप. सेकंड स्टेज है क्रिएटिव एक्टिव, और थर्ड स्टेज है मास्टर. तो जो सबसे पहले आपको करना है वो ये कि आप ये डिसाइड कर लो कि आपकी लाइफ का एम् यानी मकसद क्या है. ऐसा क्या है जो आपको करना पसंद है? सिर्फ पसंद नहीं बल्कि बहुत ज्यादा पसंद है? क्योंकि ये पैशन ही आपका मास्टरपीस बनेगा. नेस्क्ट है अपरेंटिस स्टेज जहाँ आप स्किल लर्न करते हो, अपने किसी मेंटोर के अंडर ट्रेनिंग लेकर सोशिएली इंटेलीजेंट बनते हो.

उसके बाद आप क्रिएटिव एक्टिव स्टेज की तरफ बढोगे

और फिर फाइनली अपने स्किल के मास्टर बन जाओगे. मगर ये सब उतना भी ईजी टास्क नहीं है. आपको इसके लिए बहुत इंटेस फोकस रखना है और पूरा एफोर्ट करना है. रीसर्च प्रूव करती है कि किसी स्किल को सीखने के लिए हमे कम से कम 20,000 घंटे की प्रेक्टिस करनी होगी तब जाकर हम मास्टरी के लेवल तक पहुँच सकते है. तो ऐसा क्या है मास्टर्स के पास? क्या है उनका सीक्रेट? ऐसा क्या है जो उन्हें एक्स्ट्राओर्डीनेरी बनाता है? तो इसका जवाब है इंट्यूशन (intuition) जोकि इंटेलिजेंस और पॉवर का हाई फॉर्म है. इं

ट्यूशन वर्ड से शायद आपको मैजिक, मिस्ट्री या सुपरपॉवर जैसा कुछ लग रहा होगा. मगर नहीं, ये सब मिसकन्सेप्शन है. असल में तो इंट्यूशन हाई लेवल ऑफ़ मेंटल प्रोसेस है. जब आप कई सालो की लगातार प्रेक्टिस से अपनी यूनीक एबिलिटी को इम्प्रूव करने और उसे निखारने में लगे रहते है. यही इंट्यूशन की सही डेफिनेशन होगी.

अब आप आइंस्टीन का ही एक्जाम्पल ले लो. उनकी रिलेटीविटी थ्योरी की डिस्कवरी सिर्फ एक कांसेप्ट नहीं है. ना ही ये कोई नया आईडिया है. दरअसल आइंस्टीन साइंस में एक रेव्यूलेशन लेकर आये थे. उन्होंने रियेलिटी के ट्रेडिशनली व्यूज़ को एक तरफ से चेंज करके रख दिया था. इस तरह थ्योरी ऑफ़ रिलेटीविटी की ग्राउंड ब्रेकिंग खोज हुई. आइंस्टीन अपने बचपन से ही इस पर काम कर रहे थे. जब वो छोटे से बच्चे थे तो उनके फादर ने उन्हें एक मैग्नेटिक कम्पास गिफ्ट किया था. और उस दिन से ही आइंस्टीन का साइंस को समझने का नजरिया चेंज हो गया.

कई सालो स्टडी के बाद फिजिक्स के सारे कॉन्सेप्ट्स और इक्वेशंस उनके ब्रेन के न्यूरोंस में ऐसे एब्ज़ोर्ब हो गए थे जैसे स्पोंज में पानी. दरअसल उनके माइंड में एक पूरी पिक्चर तैयार हो जाती थी. उन्होंने उन आईडियाज को आपस में लिंक किया और इस तरह रिलेटिविटी थ्योरी का कांसेप्ट निकला. कई घंटो तक लगातार इंटेंस फोकस करने के बाद उन्हें ये मास्टरपीस मिला. इस थ्योरी का इफेक्ट इतना एक्सपेंसिव और एन्लाईटनिंग है कि ऐसा लगता है जैसे ये ऊपरवाले का कोई जादू हो. और इसी को हम इंट्यूशन बोलते है. जोकि हमारे कांशसनेस और अनकांशसनेस का कॉम्बीनेशन है. ये हमारे इंस्टिंक्ट और रीजनिंग का मिक्स है. हम लोगो को इंट्यूशन से ज्यादा रेशनल थौट ज्यादा समझ आता है. रेशनलिटी एक थिंकिंग है कॉज और इफेक्ट के फॉर्म में.लेकिन इंट्यूशन फुल पर्सपेक्टिव है. इंट्यूशन का मतलब है अपने ब्रेन की मैक्सीमम कैपिसिटी को यूज़ करना.

एक मास्टर कुछ इस तरह से इंट्यूटिव होता है कि वो हर सवाल का जवाब दे सकता है, वो प्रेडिक्ट कर सकता है कि आगे क्या होगा या होने वाला है, वो लोगो का माइंड पढ़ सकता है और उन्हें इन्फ्लु एंश भी कर सकता है, वो किसी भी काम पॉसिबल बना देता है और काफी डीप और ब्यूटीफल आउटपट दे सकता है. तो देखा आपने इंट्यशन कितने कमाल की चीज़ है. एक्चुअल में हम इस हाई फॉर्म ऑफ़ पॉवर और इंटेलिजेंट को लाइफ में कभी न कभी टैप करते है. जैसे जब आप किसी इम्पोर्टेट पोजेक्ट पे काम कर रहे होते हो या किसी टास्क की डेडलाइन पर होते हो तो उस वक्त आपको खुद ब खुद इंट्यूशन होने लगते है. उस वक्त आपका माइंड पूरा फोकस और एक्टिव रहता है.

एक मास्टर कुछ इस तरह से इंट्यूटिव होता है कि वो हर सवाल का जवाब दे सकता है, वो प्रेडिक्ट कर सकता है कि आगे क्या होगा या होने वाला है, वो लोगो का माइंड पढ़ सकता है और उन्हें इन्फ्लुएंश भी कर सकता है, वो किसी भी काम पॉसिबल बना देता है और काफी डीप और ब्यूटीफुल आउटपुट दे सकता है. तो देखा आपने इंट्यूशन कितने कमाल की चीज़ है. एक्चुअल में हम इस हाई फॉर्म ऑफ़ पॉवर और इंटेलिजेंट को लाइफ में कभी न कभी टैप करते है. जैसे जब आप किसी इम्पोर्टेट पोजेक्ट पे काम कर रहे होते हो या किसी टास्क की डेडलाइन पर होते हो तो उस वक्त आपको खुद ब खुद इंट्यूशन होने लगते है. उस वक्त आपका माइंड पूरा फोकस और एक्टिव रहता है.

लेकिन एक बार डेडलाइन कोर्स हो जाए या प्रोजेक्ट फिनिश हो जाये तो फिर से आपका माइंड नार्मल मांड पर आ जाता है. आप जो भी काम करो उसमें अपने इंट्यूशन की प्रेक्टिस कैसे करनी है, ये आपको इस बुक से सीखने को मिलेगा. ये बुक आपको अपनी लाइफ में कहीं भी और कभी भी हाई लेवल ऑफ़ पॉवर और इंटेलिजेंस लाना सिखाएगी.क्योंकि जिस पॉवर से आप अनजान है वो पॉवर तो आपके अंदर ही है जो रीलीज़ होने का वेट कर रही है. तो अगर आप भी मास्टर बनने राह पर चलना चाहते हो तो इस बुक को एक बार ज़रूर पढो.

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डिस्कवर योर कालिंग (DISCOVER YOUR CALLING)

लियोनार्डो दा विंसी इटली के एक गाँव में पैदा हुए थे जिसका नाम था विंसी. ये गाँव फ्लोरेंस से कोई 20 मील दूर थी. उनके फादर एक लॉयर बौर्गेओइसिए। (bourgeoisie.)के मेंबर थे. अब कोई भी ये बोल सकता है कि लियोनार्डो बड़े लकी थे जो एक अमीर घर में पैदा हुए. लेकिन सच तो ये है कि वो अपने फादर के इललेगीटिमेट औलाद यानी नाजायज़ बेटे थे. उनके फादर ने उनकी मदर से शादी नहीं की थी. और इस वजह से लियोनार्डो को यूनीवरसिटी में एडमिशन नहीं मिल पाया और ना ही वो कभी एक प्रोफेशनल के तौर पे कहीं जॉब कर पाए. प्रॉपर डिग्री ना होने की वजह से लियोनार्डो लॉयर, डॉक्टर, प्रोफेसर कुछ भी नहीं बन सकते थे. इस तरह उनका कभी कोई करियर नहीं बन पाया. क्योंकि उन दिनों इटली में यही कस्टम था.

यंग लियोनार्डो को कभी कोई फॉर्मल स्कूलिंग नहीं मिली थी. उन्होंने जो कुछ सीखा खुद से सीखा. लियोनार्डो को विंसी का रिच कल्चर पंसद था इसलिए वो इसे एक्सप्लोर करते रहते थे. वो अक्सर जंगलो में किसी नदी और वाटरफाल के किनारे चले जाते थे. जंगल के अलग-अलग जानवरों और पेड़-पौधो को देखकर उन्हें बड़ी हैरानी होती थी. एक दिन वो अपने फादर के ऑफिस गए और वहां से पेपर के कुछ शीट्स लिए और सीधे जंगल में चले गए. वहां जाकर वो एक पत्थर पे बैठ गए और जो कुछ उन्हें दिखा उसकी ड्राइंग बनाने लगे. फिर क्या था, उसके बाद तो उन्हें ड्राइंग का शौक लग गया. वो रोज़ स्केच बनाते थे.

यहाँ तक कि बारिश में भी वो जंगल जाकर स्केचिंग करते थे. उनके पास ख़ास टूल्स नहीं थे ना ही कोई सिखाने वाला टीचर, और कॉपी करने के लिए पेंटिंग थी. उनकी आँखे ही उनका सबसे बड़ा टूल था. लेकिन उन्हें ये मालूम था कि अच्छा स्केच बनाने के लिए ऑब्जेक्ट को क्लोजली स्टडी करना पड़ता है. वो किसी भी चीज़ की सारी डिटेल्स अपनी आँखों में कैच कर लेते थे और फिर बिलकुल सेम तस्वीर बना लेते थे. लियोनार्डो की हर तस्वीर जीती जागती लगती थी. जब वो 14 के हुए तो फ्लोरेंस जाकर एक आर्टिस्ट स्टूडियो में अपरेंटिस बन गए. ये स्टूडियो एंड्रिया डेल वेरोच्चियो नाम के एक आर्टिस्ट का था.

लियोनार्डो को अपनी हाई क्वालिटी स्केचेस की वजह से ये जॉब मिली थी. एक बार वेरोचिओ (Verrochio) ने लियोनार्डो को एक प्रोजेक्ट दिया. उन्हें एक एंजल को पेंट करना था. उन्हें वही डिजाईन बनाना था जो वेरोच्चियो (Verocchio) ने उन्हें दिया था. मगर लियोनार्डो ने अपना खुद का वर्जन बनाया. उन्होंने एंजल को फ्लावर बेड के ऊपर पेंट किया. और हर फूल को डिफरेंट बनाया. ये वही फ्लावर्स थे जो लियोनार्डो ने बचपन में देखे थे.

फूलो को उन्होंने बड़े ग्रेट डिटेल्स के साथ पेंट किया. एंजल के फेस के लिए वो चर्च गए और वहां प्रेयर में बैठे लोगो के चेहरे भी स्टडी किये..

उन्होंने पेंट का एक नया ब्लेंड मिक्स किया और एंजल के चेहरा एकदम शांत और पवित्र बनाया. लियोनार्डो ने सोचा एंजल के पंखो को एकदम परफेक्ट बनाने वाला वो पहला आर्टिस्ट होगा. इसलिए वो मार्किट गए और कुछ बर्ड्स खरीद लाए. उन्होंने बर्ड्स के पंखो को बड़े गौर से देखा, एक-एक डिटेल स्टडी की. उसके बाद वो कई घंटो तक एंजल के पंखो की ड्राइंग बनाते रहे. और जब पेंटिंग पूरी हुई तो उसमे एंजल के पंख एकदम रियल लग रहे थे.1481 में लियोनार्डो की लाइफ में एक चेलेंज आया.

उस टाइम जो पोप थे वो रोम के सिस्टिन चैपल के लिए आर्टिस्ट ढूंढ रहे थे. उन्होंने लोरेंजो डे मेडीसी (Lorenzo de Medici ) से कुछ आर्टिस्ट के नेम सजेस्ट करने को बोला.

लेकिन प्रोब्लम ये थी कि लियोनार्डो की मेडिसी (Medici) से बनती नहीं थी. लोरेंजो एक एरिस्टोक्रेट थे और लिटरेरी क्लासिक के एक्सपर्ट भी. मगर लियोनार्डो लैटिन नहीं समझते थे जो उन दिनों एलीट क्लास लेंगुएज मानी जाती थी. तो लियोनार्डो को छोडकर फ्लोरेंस के बाकि आर्टिस्ट को सेलेक्ट कर लिया गया. लेकिन कोई भी रुकावट लियोनार्डो को स्कसेस होने से नहीं रोक पाई. एक्चुअल में लियोनार्डो को फ्लोरेंस का ये कल्चर पंसद ही नहीं था. आर्टिस्ट को प्रोजेक्ट्स पाने के लिए या तो चर्च या रॉयल फेमिलीज को इम्प्रेस करना पड़ता था. और इनमे से ज्यादातर आर्टिस्ट अपने आर्टवर्क के कमिशन पर गुज़ारा करते थे. ज़ाहिर है ये इनकम का कोई स्टेबल सोर्स नहीं था. तो लियोनार्डो ने इसका एक बैटर तरीका सोचा. उन्होंने मिलान जाने का फैसला किया. मिलान में लियोनार्डो ने स्कल्पचर, आर्किटेक्चर, ऐनाटॉमी, इंजीनियरिंग और बाकि दुसरे सब्जेक्ट्स की पढ़ाई की. उन्होंने अपनी ड्राइंग स्किल्स इम्प्रूव की.

लियोनार्डो ने अमीर लोगो के लिए पेंटिंग्स बनाना स्टार्ट कर दिया था. इसके अलावा वो अपने रिच क्लाइंट्स के लिए ओवरआल एडवाइजर भी बनते थे. बदले में वो उनसे रेगुलर सेलरी लेते थे. इस तरह लियोनार्डो फाईनेंशियली सिक्योर्ड हो गए थे. अब वो अपनी सारे शौक पूरे कर सकते थे. उन्हें स्टडी करना और स्केच बनाना अच्छा लगता था. उनकी ह्यूमन एनाटॉमी की स्केचेस एकदम एक्यूरेट होती थी. उन्होंने अपनी इमेजिनेशन से कई सारी मशीन्स भी बनाई थी. ऐसा माना जाता है कि उनकी ड्राइंग

और नोट्स कुल मिलाकर 10,000 पेजेस से भी ज्यादा है. और ये प्रव है इस बात का कि उन्हें स्केचिंग से कितना प्यार था.

तो आपकी फेवरेट हॉबी कौन सी है? क्या है आपका पैशन? आपका पैशन या शौक कुछ भी हो सकता है जैसे कुकिंग, रीडिंग, स्कूबा डाइविंग या प्रोग्रामिंग. जो भी हॉबी हो उसे किसी वजह से मत छोड़ो. हाँ अगर आपको अभी तक ये नहीं पता कि आपको क्या करने में सबसे ज्यादा मज़ा आता है तो टेंशन की कोई बात नहीं, आप फिर भी मास्टर बन सकते हो. वो कहावत है ना देर आए दुरुस्त आए. किसी भी चीज़ की शुरुवात कहीं से भी और कभी भी की जा सकती है. इम्पोर्टेट ये है कि अपने अंदर की यूनिक एबिलिटी को इम्प्रूव करने की आपमें एक इंटेंस डिजायर होनी चाहिए.

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आइडियल अपेंटिसशिप (IDEAL APPRENTICESHIP)

चार्ल्स डार्विन जब छोटे थे तो एक बार उनके फादर बोले” तुम सारा दिन चूहे पकड़ते रहते हो. तुम किसी काम के नहीं हो. बड़े होकर फेमिली की नाक कटवाओगे”. लेकिन उन्हें क्य

कि उनका बेटा बडा होकर एक ग्रेट साइंटिस्ट बनेगा. चार्ल्स के फादर एक अमीर डॉक्टर थे. और अपने बेटे से उन्हें काफी उम्मीदे थे. उन्हें हमेशा यही टेंशन रहती थी कि चार्ल्स पढ़ाई में उतने अच्छे नहीं है. वो यही सोचते थे कि चार्ल्स का फ्यूचर डार्क है. चार्ल्स बुक्स में ज़रा भी इंटरेस्ट नहीं लेते थे. उन्हें तो सिर्फ एडवेंचर करना पंसद था. आउटडोर एक्टिविटी में उनका दिल लगता था. उन्हें फ्लावर्स और बीटल्स कलेक्ट करने का बड़ा शौक था. उन्हें बर्ड्स भी अच्छी लगती थी जिन्हें वो बड़े क्लोजली ओब्ज़ेर्व करते और उनके बारे में लिखते. चार्ल्स डार्विन को नेचर बड़ा अट्रेक्ट करती थी, ये उनके लिए क्यूरियोसिटी का सब्जेक्ट थी.

जब वो 15 के हुए तो उनके फादर ने एक मेडिकल स्कूल में उनका एडमिशन करवा दिया. मगर चार्ल्स बड़ी जल्दी ही वहां से ड्राप आउट हो गए क्योंकि उन्हें खून देखकर ही चक्कर आ जाता था. और इस तरह चार्ल्स फिर कैंब्रिज चले गए. उन्होंने किसी तरह बैचलर ऑफ़ आर्ट्स की पढ़ाई फिनिश की. उन्हें सिर्फ बॉटनी मज़ेदार लगती थी. इसमें उनका पूरा इंटरेस्ट था. वो अपने प्रोफेसर हेंसलो के काफी क्लोज थे जो उनके बॉटनी इंस्ट्रक्टर थे. ग्रेजुएशन के बाद प्रोफेसर हेंसलो ने एक सी वॉयेज में नैचुरेलिस्ट की जॉब के लिए चार्ल्स का नाम रेक्मंड किया. शिप का नाम था एचएमएस बीगल (The ship HMS Beagle ) जो साउथ अमेरिक की यात्रा पे कुछ सालो के लिए जाने वाला था. चार्ल्स को इस ट्रेवलिंग के दौरान एनिमल्स, प्लांट्स और मिनरल्स के सैम्पल कलेक्ट करके उन्हें वापस इंग्लैण्ड भेजने थे. शुरुवात में चार्ल्स इस जॉब के लिए कॉंफिडेंट नहीं थे. क्योंकि वो इससे पहले कभी घर से दूर नहीं रहे थे. लेकिन दूसरी तरफ इस जॉब में उन्हें काफी एडवेंचर का मज़ा मिलने वाला था.

एचएमएस बीगल के कैप्टेन फित्ज़ रॉय (Captain Fitz Roy of HMS Beagle) ने उन्हें बोला कि उन्हें ग्रेट फ्लड और स्टोरी ऑफ़ क्रिएशन जैसा कि जेनेसिस में बताया गया है, उसके एविडेंस फाइंड आउट करने होंगे. कई महीनो बाद शिप ब्राजील पहंचा तो चार्ल्स को देखते ही इस जगह से प्यार हो गया था. यहाँ वाइल्ड लाइफ और वेजिटेशन की भरमार थी. नैचर को इतने अलग-अलग रंगो और वैराईटी के साथ पहले कभी नहीं देखा था उन्होंने. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि पहले किस प्लांट या एनिमल का सैंपल लेकर भेजे. चार्ल्स कई दिनों तक घूमते रहे, एक्सप्लोर करते रहे. उन्होंने वहां जो भी एक्ज़ोटिक एनिमल्स और प्लांट्स देखे थे उन सबको उन्हें ओर्गेनाईज़ करके, लेबल लगाकर और डिस्क्राइब करके उनके बारे में लिखना था.

स्टडी करने के लिए इतना कुछ था कि पूरी लाइफ भी कम पड़ती लेकिन चार्ल्स का ये पैशन बन गया था. इन 5 सालो में उन्होंने साउथ अमेरिका के जंगलो काफी हद तक एक्सप्लोर कर लिया था. अर्जेंटीना में चार्ल्स ने जमीन के अंदर से एक आर्माडिलो के रिमेन्स ढूंढ कर निकाले. आर्माडिलो एक घोड़े और हाथी जैसे जानवर जिसे मस्तोडान बोलते थे, इन दोनों का कांबिनेशन था. उन्होंने रियेलाईज़ कि जमीन के अंदर दबे हुए इतने सारे एनिमल्स के रिमेन्स इस बात का प्रूफ है कि ये सारे एनिमल्स कभी इस दुनिया में हुआ करते थे.

तो ये सोचना इललोजिकल होगा कि अर्थ की सारी लाइफ फॉर्स एक ही टाइम पर क्रियेट हुई होगी. जैसा कि बाइबल के जेनेसिस में कहा गया है. एंडीज़ के माउन्टेन रेंज में उन्हें अपने इस आईडिया को सपोर्ट करने के और भी प्रूफ मिले. सी लेवल से 12000 फीट उपर चार्ल्स को सी शेल्स और कोरल रीफ्स के फोस्सिल्स मिले. इस बात से वो इस कनक्ल्यूजन पे पहुंचे कि ये माउन्टेंस बहुत साल पहले अटलांटिक ओसीन का पार्ट रहे होंगे. फिर इतने सालो में कई बार वोल्केनो के फटने या अर्थक्वेक आने की वजह से ये माउन्टेन रेंज एलिवेट हो गयी होगी. गलपगोस के आईलैंड में चार्ल्स को और भी बड़ी रियेलाईजेशन हुई.

इस आईलैंड पे मिलने वाले हर एक स्पीशीज अपने आप में एकदम यूनिक थी. हालाँकि ये सिर्फ 50 मील्स दूर थी फिर भी एक आईलैंड में मिले एनिमल्स के फीचर्स दुसरे आइलैंड से डिफरेंट थे. यहाँ तक कि कछुवो के शेल्स में भी डिफरेंट फीचर थे. फिंच बर्ड्स की बीक्स भी अलग-अलग शेप्स की थी. चार्ल्स ने सोचा कि ये सारी स्पीशीज अपने आईलैंड में मिलने वाले फूड या प्रीडेटर्स की वजह से एडाप्ट हो गए होंगे. हज़ारो सालो से इन एनिमल्स के फीचर डेवलप होते रहे होंगे जो उन्हें उस पर्टीक्यूलर एनवायरमेंट के हिसाब से सर्वाइव करने में हेल्पफुल रहे होंगे. एक्चुअल में इवोल्व होने की एक कांस्टेंट नीड थी. क्योंकि सिर्फ ताकतवर ही सर्वाइव कर सकता है, ये नैचर का रूल है.

गलपगोस के आईलैंड में स्पीशीज की काफी वाइड वैरायटी मिली है क्योंकि वहां के एन्वायरमेंटल कंडिशन में भी काफी वैरायटी है तो ये बात दुनिया के हर कोने में लागू होगी. साऊथ अमेरिका में 5 साल रहने के बाद चार्ल्स वापस इंग्लैण्ड लौट आये थे लेकिन एक डिफरेंट इन्सान के तौर पर. उनके फादर उन्हें देखकर हैरान थे. फिजिकली भी चार्ल्स बड़े स्ट्रोंग और मैच्योर लग रहे थे. उनके केरेक्टर में भी काफी कुछ बदल गया था. चार्ल्स की लाइफ में अब एक पर्पज था, एक मीनिंगफुल और इंटेंस पर्पज. बाद में प्रोफेसर हेसलो ने चार्ल्स की रीसर्च फाइंडिंग्स कैंब्रिज के प्रोफेसनल नैचुरेलिस्ट को दिखाई.

और इसी वजह से चार्ल्स को उनके सर्कल में एक्स्पेट कर लिया गया. और उन्हें लर्निंग के कई और मौके मिल गए थे. आने वाले टाइम में उन्होंने एवोल्यशन की थ्योरी कम्प्लीट की और नैचुरल सेलेक्शन की थ्योरी क्रिएट की. चार्ल्स डार्विन एक रिस्पेक्टेड बायोलिजिस्ट बन गए जो उनके फादर ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. अगर आप मास्टर की लाइफ स्टोरी को स्टडी करोगे तो पता चलेगा कि आइडियल अपेंटिसशिप या ग्रेट अपोर्चुनिटी के मिलने के दौरान वो एक सिम्पल आउटसाइडर से एक स्किल्ड एक्सपर्ट बन पाए. अपेंटिसशिप से पहले उनके पास कोई नॉलेज या डिस्प्लीन नहीं था. मगर उसके बाद उनकी लाइफ एकदम फोकस्ड हो गयी. लेकिन जर्नी टू मास्टरी के लिए आपको दुनिया का चक्कर नहीं लगाना है. आपको बस ऐसे परफेक्ट मौके चाहिए जो आपको ट्रेन कर सके. ये आपकी जॉब हो सकती है, या इंटर्नशिप या कोई वर्कशॉप या आप कोई ग्रुप ज्वाइन कर सकते हो जहाँ आप अपनी स्किल्स को और ज्यादा इम्प्रूव कर सको, अपना कोई मेंटोर बनाओ जो आपको हेल्प करे और अपने जैसे सेम इंटरेस्ट वाले लोगो के साथ रिलेशनशिप बिल्ड करो. अपने को पूरी तरह से डेडीकेट कर दो. जो भी सीखो पूरे दिल से सीखो. सिर्फ अपना माइंड ही नहीं बल्कि अपना केरेक्टर भी इम्प्रूव करने की कोशिश करो.

(CREATIVE-ACTIVE)

वुल्फगैंग अमड्यूस मोजार्ट (Wolfgang Amadeus Mozart) एक चाइल्ड जीनियस थे. सिर्फ 4 साल की उम्र से ही उन्होंने पियानो बजाना सीख लिया था. उनके फादर लियोपोल्ड एक वायोलिनिस्ट और म्यूजिक टीचर थे. मोजार्ट जब 4 साल के थे तभी से पियानो बजाने लगे थे. उनके फादर लियोपोल्ड एक विओलिनिस्ट और म्यूजिक टीचर थे. बचपन से ही वोल्फगैंग अपने फादर की म्यूजिक क्लासेस सुनते आ रहे थे.

उनकी सिस्टर मरिया अन्ना ने भी 7 साल की उम्र से पियानो बजाना स्टार्ट कर दिया था. मोजार्ट के फादर जब उनकी सिस्टर को पियानो के लेसंस देते थे उस टाइम मोजार्ट वही आस-पास रहते थे. उस वक्त उनकी उम्र कोई 4 साल थी. लिओपोल्ड ने देखा कि उनके बेटे में काफी पोटेंशियल है. तो उन्होंने वोल्फगैंग को भी सिखाना शुरू कर दिया हालाँकि उन्होंने इससे पहले कभी इतने छोटे बच्चे को ट्रेनिंग नहीं दी थी. लेकिन वुल्फगैंग ने लर्निंग में काफी इंटरेस्ट दिखाया. वो बड़े दिल से डीप फोकस के साथ पियानो सीखते थे. यही उनके जीनियस बनने की वजह थी.

उन्हें पियानो बजाना बहुत ज्यादा पसंद था. जब भी उनके फादर उन्हें कोई मुश्किल पीस लेर्न करने को बोलते तो मोजार्ट बड़े एक्साईटेड हो जाते थे. और फिर दिन रात नॉन स्टॉप उस पीस की प्रेक्टिस में लगे रहते. कई बार तो उनकी प्रेक्टिस रात में भी चलती. फिर उनके पेरेंट्स उन्हें पियानो पर से उठने को बोलते और सोने के लिए भेज देते थे. एक दिन की बात है. लियोपोल्ड ने देखा कि ऐना मारिया और वोल्फगैंग एक ऐसा पीस बजा रहे थे जिसके लिए दो पियानो चाहिए. तो उन्हें एक अमेजिंग आईडिया आया. अब क्योंकि उनकी कोई ख़ास इन्कम नहीं थी तो लियोपोल्ड ने सोचा कि वो अपने बच्चो के साथ योरोप का टूर करेंगे और पब्लिक परफोर्मेंस से पैसा कमाएंगे. लियोपोल्ड वायलिन बजायेंगे और उनके बच्चे पियानो. उन्होंने मारिया ऐना को एक प्रिंसेस की ड्रेस पहना दी,

और वुल्फगैंग को कोर्ट मिनिस्टर की. फिर उन्होंने विएना, पेरिस, लंदन का टूर किया. जहाँ भी वो गए, उन्होंने वहां की रॉयल फेमिलीज और कोर्ट मेंबर्स को इम्प्रेस किया. वोल्फगैंग कोर्ट कम्पोजर्स से फ्रेंडशिप कर लेते थे. उन्होंने फेमस कम्पोजर जोहान्न क्रिस्चियन बाच को एडवांस लेसंस देने के लिए बोला. वुल्फगैंग को वर्ल्ड ऑफ़ थिएटर और ऑपेरा ने भी बड़ा अट्रेक्ट किया. वो योरोप की ग्रेट सिटीज के म्यूजिक में पूरी तरह से डूब गए थे.

मोजार्ट फेमिली का ये टूर काफी सक्सेसफुल रहा. लेकिन उन्हें अब एक न्यू स्ट्रेटेजी सोचनी थी क्योंकि वुल्फगैंग और मरिया ऐना अब बड़े हो रहे थे. हालाँकि उनके परफोर्मेंस की नोवेल्टी अब धीरे-धीरे कम हो रही थी फिर भी वोल्फगैंग ने अब तक काफी नॉलेज और एक्सपीरिएंस अचीव कर लिया था. वोल्फगैंग जब 17 के हुए तो उनके फादर ने उन्हें अपने होम टाउन सल्ज्बुर्ग में कोर्ट कम्पोजर की पोजीशन में रखवा दिया था. लियोपोल्ड ने सल्ज्बुर्ग के आर्चबिशप को अपने बेटे को रखने के लिए रिक्वेस्ट की थी. वो अपने बेटे वुल्फगैंग के लिए एक स्टेबल जॉब चाहते थे.

खैर, वोल्फगैंग भी काफी खुश थे. हालाँकि वो ग्रेट थियेटर और म्यूजिक को बड़ा मिस कर रहे थे जो उन्होंने बचपन में देखा था. सल्ज्बुर्ग बड़ा छोटा सा टाउन था. यहाँ ना तो ऑपेरा थे और ना ही बड़े-बड़े थियेटर. सबसे बड़ी बात ये थी कि वोल्फगैंग म्यूजिक कम्पोज़ करना चाहते थे.अपना खुद का मास्टरपीस बनाना चाहते थे.

वो दूसरो का म्यूजिक परफॉर्म करके थक चुके थे. उन्हें कुछ ऐसा परफॉर्म करना था जो उनकी खुद की क्रिएशन हो. उन्हें अपनी लाइफ में अपने फादर का इंटरफेयर अब और बर्दाश्त करना मुश्किल लग रहा था. वो इस बंधन से आज़ाद होने की कोशिश कर रहे थे. जब वो 25 के थे तो एक बार वो आर्चबिशप के साथ वियेना गये. वोल्फगैंग ने वहां खुद को एक कोर्ट म्यूजिशियन के तौर पर एस्टेबिलिश कर लिया था मगर आर्चबिशप अभी भी उन्हें किसी बच्चे और अपने नौकर की तरह टीट करते थे.

वोल्फगैंग को फील होता था कि टाइम उनके हाथ से छूट रहा है. वो इतने बड़े हो चुके थे कि अपनी लाइफ का फैसले खुद ले सके. उन्होंने तय कर लिया कि वो अब और नहीं सहेंगे. जब वियेना से जाने का टाइम आया तो वोल्फगैंग ने आर्चबिशप से बोला कि वो अब वियेना में ही रहेंगे. विएना का थियेटर, ऑपेरा कल्चर और ऑर्केस्ट्रा उन्हें अट्रेक्ट करता था. उन्हें स्ट्रोंगली फील होता था कि यही वो जगह है जहाँ वो अपने टेलेंट को यूज़ करके म्यूजिक की दुनिया में अपना नाम कमा सकते है.

उन्होंने कोर्ट कंपोजर वाली जॉब छोड़ दी और वियेना में रहने लगे. ना तो उनके फादर और ना ही सल्ज्बु र्ग के आर्चबिशप उनको रोक सके. ये उनकी लाइफ का बेस्ट डिसीजन था. इस पॉइंट पर वोल्फगैंग के पास म्यूजिक का 20 सालो का एस्पिरियेश था. उन्होंने 20,000 से भी ज्यादा घंटो की प्रेक्टिस की थी. उन्हें अब सिर्फ एक मौका चाहिए था जहाँ वो अपनी जिनियेस शो कर सके, और ये मौका थियेटर प्ले डॉन जियोवानी के नाम से उनके सामने आया. वोल्फगैंग म्यूजिक के हर फील्ड में माहिर थे. उन्हें मालूम था कैसे अपनी फीलिंग एक्सप्रेस करनी है चाहे सेडनेस हो या एंगर या सुख. म्यूजिक के ज़रिये हर मूड को एक्सप्रेस किया जा सकता है. उन्होंने लार्ज ऑर्केस्ट्रा के लिए म्यूजिक कम्पोज़ किया और इसके मास्टर बन गए. इससे पहले किसी ने इस टाइप का म्यूजिक क्रिएट नहीं किया था. उनके म्यूजिक कोम्पोज़िशन इतने अलग, इतने क्रिएटिव और इतने एडवेंचर्स होते थे फिर भी उनमे मास्टरी और गहराई थी. उन्होंने डॉन जियोवानी के केरेक्टर के हिसाब से म्यूजिक बनाया था जो एक ग्रेट सेड्यूसर था जिसे किसी चीज़ की परवाह नहीं थी.

ये थी मोजार्ट की अमेजिंग मास्टरी. अपनी लाइफ के लास्ट 10 सालो में उन्होंने अमेजिंग म्यूजिक क्रियेट किया.

उन्होंने ओवरट्यूर्स बनाया, सोनाटा क्रिएट किया और ओपेरा म्यूजिक दिया जो आज किसी खजाने से कम नहीं समझा जाता. मगर अफ़सोस कि ये ग्रेट आर्टिस्ट सिर्फ 35 साल की उम्र में चल बसा. लेकिन जाने से पहले वो अपनी लाइफ का मकसद पूरा कर गया. जब हम बच्चे होते है तो हमारी इमेजिनेशन पीक पर होती है. हमारे मन में हज़ारो सवाल होते है. हम इस दुनिया को एक्सप्लोर करना चाहते है. लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते है हम सोसाइटी के रूल्स और रेगुलेशंस में बंधने लगते है.

हमारी रिस्पोंसेबिलीटीज हमे अपने सपने पूरे करने से रोकने लगती है. और हम उतने क्रिएटिव नहीं रहते जितने कि बचपन में होते थे. क्रिएटिव एक्टिव स्टेज बच्चो जैसी क्यूरियोसिटी और एक्सपर्ट स्किल्स का कोम्बिनेशन है. यहाँ क्रिएटिव से मतलब है कि हम हाईली प्रोडक्टिव बने. हम किसी आर्टिस्ट की तरह बन सकते है. एक्टिव से हमारा मतलब है कि हम ओरिजिनल बने. हमे दूसरो की नकल करने की ज़रूरत नहीं है. हम अपने आप में परफेक्ट है.

रूल्स से हटकर देखे तो हम कुछ नया और डिफरेंट करने की एबिलिटी रखते है. और इसका ग्रेट एक्जाम्पल हमारे सामने है मोजार्ट का ग्रेट म्यूजिक. उनकी कम्पोजीशंस जिसमे ऑर्केस्ट्रा के सारे स्किल्स है. मोजार्ट से पहले का थियेटर म्यूजिक लाईट और मेलो था. मगर अपने टू डिकेड्स के एक्स्पिरियेश से मोजार्ट के माइंड में एक बड़ी पिक्चर बन चुकी थी. उन्होंने ऐसा म्यूजिक क्रिएट किया जो हर तरह के इमोशंस को एक्सप्रेस करता था. क्योंकि जिन प्ले के लिए वो म्यूजिक कम्पोज़ करते थे उनके हर केरेक्टर के हिसाब से मोजार्ट ने म्यूजिक बनाया था. और ये एक नया ट्रेंड था जो सिर्फ मोजार्ट ने सेट किया. उनके म्यूजिक सुनकर लोग शॉक रह गए थे. उन्हें ये बड़ा पेनफुल लगता था. लेकिन मोजार्ट योरोप का एक न्यू स्टैण्डर्ड बनकर उभरे. एक वो ही थे जिन्होंने वर्ल्ड ऑफ़ थियटर को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया था.

मास्टरी (MASTERY)

इंट्यूशन कोई मैजिक पॉवर नहीं है. ये किसी के पास भी हो सकती है. लेकिन हाँ, आपको इसके लिए बहुत ज्यादा फोकस और एक्सपिरिएंश की ज़रूरत पड़ेगी. हमारी ब्रेन कैपेसिटी के साथ हमारी इंट्यूशन पॉवर भी बढती चली जाती है.इंट्यूशन मेमोरी से स्टार्ट होती है. आपका माइंड सालो से इन्फोर्मेशन एब्ज़ोर्ब करता रहता है, हर तरह की इन्फोर्मेशन और उन मास्टर्स की थ्योरीज जो आपसे पहले हुए है. और क्योंकि आपके पास इतनी स्किल्स होती है, आप इतने एक्सपर्ट होते हो कि आपको फुल पर्सपेक्टिव मिलता है. फिर आप फील्ड ऑफ़ नॉलेज को पूरी तरह देख लेते है.

आपको पता चल जाता है कि कहाँ क्या कमी है. आप उन कनेक्शंस को भी देख सकते हो जो किसी और ने कभी सोचे भी नहीं होंगे. आपकी सालो की प्रेक्टिस की वजह से आपका ब्रेन तुरंत ही सारी इन्फोर्मेशन प्रोसेस करके इंट्यूशन दे देता है. रीसर्च बताता है कि एक स्किल्ड पर्सन बनने के लिए आपको 10,000 घंटे या ]0 सालो की प्रेक्टिस चाहिए. और अगर मास्टर बनना है तो कम से कम 20,000 घंटे या फिर 20 सालो की मेहनत चाहिए.

दरअसल अल्टीमेट पॉवर के लिए 20 साल तो मिनिमम लगते है. लेकिन ये इम्पॉसिबल भी नहीं है. हमने ऐसे कई मॉडर्न मास्टर्स को देखा है जो अपने करियर में ऊंचाईयों को छू चुके है. अब जैसे बिल गेट्स का ही एक्जाम्पल लेते है. वो अपने हाई स्कूल के दिनों से ही प्रोग्रामिंग कर रहे है. उनकी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के टेक जाएंट बनने तक बिल गेट्स के पास आलरेडी 20 सालो का प्रोग्रामिंग एक्स्पिरियेश था. आप भी ये कर सकते है. आप में भी वो पोटेंशियल है.

आप भी लिमिट्स से आगे देख सकते हो और कुछ एक्स्ट्राओर्डीनेरी क्रिएट करने की पॉवर रखते हो. फिर आपके हर सवाल का जवाब खुद ब खुद आपके माइंड से पॉप अप होता रहेगा. जानते हो ऐसा क्यों होता है? क्योंकि हमारे ब्रेन के लाखो न्यूरोंस हर वक्त एक्टिव रहते है और स्पार्क करते रहते है. मीडियोक्रिटी के लिए आपकी लाइफ में कोई जगह नहीं है. आप तो कुछ डिफरेंट बन सकते हो. आप क्या नहीं कर सकते? चाहे तो हिस्ट्री बना लो. आप अपनी किस्मत खुद लिख सकते हो, रिस्पेक्टेड और सबके चहेते बन सकते हो.

बेशक, आज आप कुछ नहीं हो.लेकिन आने वाला कल आपके लिए बहुत कुछ लेकर आएगा. आपको शायद यकीन ना आए पर ऐसा हो सकता है कि किसी दिन दुनिया के दुसरे कोने में बैठे लोग आपका नाम गूगल कर रहे हो. आपकी लाइफ स्टोरी पर किताबे लिखी जाएँगी और आप सोशल मिडिया में छाए रहेंगे.

लेकिन आपको ये सब एक ड्रीम लग रहा होगा. पर ऐसा नहीं है. ड्रीम सच भी होते है. दुनिया में सब कुछ पॉसिबल है. जब आपसे पहले वाले मास्टर्स ने कर दिखाया है तो आप भी कर सकते हो. राइट ब्रदर्स, जैक मा, निकोला टेस्ला या बीटल्स, इन सबकी स्टोरी किसी फेयरी टेल्स जैसी लगती है लेकिन ये सब हमारे और आपके जैसे ही नॉर्मल लोग है. एक टाइम था जब इन्हें भी कोई नहीं जानता था. लोग इनका मज़ाक उड़ाते थे. लेकिन इन्होने परवाह नहीं की, बस अपना काम करते रहे और सबसे आगे निकल गए. आपके पास आपका ब्रेन है, आपका यूनीक सेट ऑफ़ जींस. यानी आपके पास वो सब है जो आपको सक्सेस के लिए चाहिए.

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कनक्ल्यूजन (CONCLUSION)

आपने इस बुक में दा विंसी, चार्ल्स डार्विन, और मोजार्ट जैसे ग्रेट पर्सनेलिटीज के बारे में पढ़ा. आपने इस बुक में पढ़ा कि पॉवर ऑफ़ इंट्यूशन कितनी स्ट्रोंग होती है और इसमें आपने मास्टरी के थ्री फेसेस के बारे में भी सीखा. ये बुक आपको अपनी स्किल पर मास्टरी अचीव करने का रास्ता दिखाती है. और आपको बस ये पाथ फोलो करना है. आप चाहे किसी भी उम्र के हो, आप भी ये कर सकते है. तो सोच क्या करे हो. अपना हर दिन मुठ्ठी में कर लो. अभी देर नहीं हुई है. अपने हर दिन को मैक्सीमम यूज़ करो. अपने ब्रेन की मैक्सीमम कैपिसिटी को यूज़ करने की पूरी कोशिश करो वर्ना आपका टाइम यूं ही वेस्ट चला जाएगा. अपने ब्रेन के न्यूरोन्स को एक्टिव करो और आज बल्कि अभी से अपनी मास्टरी की जर्नी की शुरुवात करो.

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